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Old 10-04-2013, 06:55 AM   #141
naina
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जीवन की लंबी मुसाफरी में अथक अहिंसक डबल हीरो - मातपिता के अंग संग सत्संग वाला बाप पर बलिहार - श्रीमत पर बाप की याद वाला बुद्धियोगी - सम्पूर्ण पावन - स्वभाव संस्कार सेवा सबंध सम्पर्क में सरल रहने वाली सरलचित आत्मा - अच्छाई बुराई के प्रभाव से परे सदा सरलचित हर्षित आत्मा - इच्छा मातरम अविद्या वाला सर्वप्राप्ति सम्पन्न स्वरूप आत्मा -

शिवमहिमा -- रूहानीमीठा मातपिता बापदादा बन्धुसखा स्वामीमालिक खुदादोस्त बालकवारिस – सतबाप सतटीचर सतगुरु सदगुर - मेरेबाबा प्यारेबाबा मीठेबाबा दयालुबाबा कृपालुबाबा - गीता ज्ञान दाता परमपिता परमात्मा निराकार शिव - पवित्रता का सागर , सुख का सागर – शांति का सागर – ज्ञान का सागर - आनंद का सागर - प्रेम का सागर – सर्वगुणों का सागर – सर्वशक्तिवान – सर्वकल्याणी - सर्वज्ञ- निष्काम निष्पक्ष अविनाशी सर्व सबंध सम्पर्क अंग संग सत्संग का समर्थ साथी शिवबाबा ज्ञान का सागर - पारलौकिक बाप - करन - करावनहार - बेहद के मातपिता - रचता - रूद्र - सच्चा बाप - मनुष्य सुष्टि का बीजरूप - सत चित आनंद स्वरूप - हेवन्ली गोड फादर - सुप्रीम पण्डा - ज्ञान :- पढाई पर ध्यान दे पढाई की ताकत वाला पांडव सेना - एक बाप के अंग संग जुटा हुआ सत्संगी - स्वदर्शन चक्र वाला डबल अहिंसक - लाडल बच्चा वर्से का अधिकारी - योग :- बाप की याद वाल - याद वाला पहेलवान - पारलौकिक बाप और वर्से की याद वाला - योगबल वाला मायाजीत शिव शक्ति सेना - बाप की याद वाला अन्त मती सो श्रेष्ठ गति वाला विजयी - धारणा :- श्रीमत पर चलने वाला - श्रीमत पर मायाजीत का पुरुषार्थी - हीरो हिरोइन का पार्ट वाला - हीरो हिरोइन का टाइटल वाला - सच्चा हीरो - सेवा :- ज्ञान घन का दानी - ज्ञान समझाने की सर्विस वाला - - शिवसन्देश :- करन - करावनहार बाप है - बेहद के मातपिता - मातपिता की याद तो पहेले होती है फिर वर्से की याद के लिए बाप की ही याद रखनी पड़ती है - डीटी सावरनटी तुम्हारा ईश्वरीय जन्म सिद्ध अधिकार है - परमात्मा है विश्व का रचता - बेहद का बाप नई दुनिया रचते है - मातपिता से वर्सा पाने श्रीमत पर चल रहे है - यह है बुद्धि की यात्रा - यह रूहानी यात्रा एक ही बात होती है - तुम ही पांडव सेना - सुप्रीम पण्डा है शिवबाबा - तुम हो उनके बच्चे - विकार्मजीत बनकर बेहद स्वीट होम ने हम जाते है - सभी का सच्चा सच्चा बाप एक है - अब बाप कहते है लाडले बच्चें बचपन भुला नही देना - बाप ही शिक्षक बनते है - सतयुग स्वर्ग का वर्सा देने वाला एक ही बाप है - पारलौकिक बाप एक ही है - उनको कहा जाता है रचता - बाप कहते है मैं हूँ मनुष्य सुष्टि का बीजरूप - मेरी महिमा करते है सत चित आनंद स्वरूप - बाप को कहा जाता है हेविन्ली गोड फाधर - तुमको ही हीरो हिरोइन कहेंगे - तुम सभो को हीरो हिरोइन बनाते है अर्थात सारे विश्व पर तुम विजय प्राप्त करते हो - तुम इस समय हीरो हिरोइन का पार्ट बजा रहे हो - तुम हो शिव शक्ति सेना - सारे विश्व में बाप तुमको हीरो हिरोइन का टाइटल दिलवा रहे है - योगबल से स्वर्ग बनता है - बाप तो समझाते रहते है बच्चे जीवन की मुसाफरी लम्बी है इसमें थकना नही है - बरोबर बाप को याद करना है तो अन्त मती सो गति हो जायेगी - बाप कहते है तुम अब माया पर जीत पाने का पुरुषार्थ कर रहे हो श्रीमत पर - और संग तोड़ एक बाप से जोड़ना है - यह है रूद्र ज्ञान यज्ञ - रूद्र शिव को कहा जाता है - बाप है ही बेहद की सुष्टि रचने वाला - बाप कहते है पारलौकिक बाप और वर्से को भुला नही देना - औरों को समझाने की सर्विस करते रहो - सर्विस में बिजी रहने से बाप की याद भूलेगी नही - बाप कहते है बेहद की शांति सदाकल के लिए देन वाला तो मैं ही हूँ - मैं तुमको ऐसे कर्म सिखलाता हूँ जो कभी दुःख अशांति हो नहीं सकती - कर्मों की गति बड़ी गुह्य है - बाप कहते है मैं तुमको कर्म , अकर्म , विकर्म का राज समझता हूँ - अभी तुम याद की ड्रिल सीख पहेलवान बन रहे हो - यह पढाई तो अन्त तक पढनी है - जितना पढेंगे उतनी ताकत मिलेगी - अहिंसा के बल से स्वर्ग बनता है - यह राजधानी स्थापान हो रही है - बाप कहते है बच्चे थक मत जाना - हे रात के राही .... अभी हम रात को क्रोस कर दिन माना सतयुग में जाते है - बाबा भी आते है संगम पर - बाबा खुद कहते है मैं इनमे प्रवेश करता हूँ - और कोई यह बातें कर न सके - बाप कहते है लाडले बच्चे बाप को कभी भूलना नही - ज्वालापॉइंट :- बुधवार - शक्ति का दिन - सर्वशक्तिमान की सन्तान मास्टर सर्वशक्तिमान - सर्वशक्तिस्वरूप आत्मा - सर्व शक्तियों की शस्त्रधारी आत्मा - शक्तिमूर्त - शिव शक्ति सेना - पांडव सेना - काली दल - शिवशक्ति शिवमइशक्ति - शिवशक्ति कम्बाइन -बाप के सबंध में वर्से की अधिकारी वारिस बच्चा - ट्रिपल तीव्र पुरुषार्थ वाली देहिअभिमानी आत्माआभिमानी रूहानीअभिमानी परमात्मज्ञानी परमात्मभाग्यवान परमात्माअभिमानी समर्थ सफल समान सम्पन्न सम्पूर्ण विजयी का विजयीस्वरूप वाली विशेषतास्वरूप योग्यतास्वरूप - नवीनतास्वरूप महिमास्वरूप वाली सर्वगुण सम्पन्न सोलेकलासम्पूर्ण सम्पूर्ण निर्विकारी मर्यादापुरुसोत्तम डबलअह्सिंक डबलताजधारी जलतीज्वाला ज्वालामुखी ज्वालास्वरूप ज्वालाअग्नि ज्वालामूर्त ज्वालाबिंदी - आत्मा देवता पूज्य ब्राहमण फरिश्ता - अनादी स्वरूप में हम आत्मायें भाई भाई - सूक्ष्मवतन में हम सब फरिश्ता - साकार में एक पिता की सन्तान आपस में हम भाई बहन है - सर्व को याद प्यार नमस्ते मुबारक बधाई दुआयें वरदान शुभभावना शुभकामना सर्व कल्याण गुडमोर्निग गुडनाईट शिवबाबा - शुक्रिया बाबा शुक्रिया आप का लाख गुणा पदमगुणा सुक्रिया -Welcome to Learn Meditation - Gita Ka Bhagwan | Home


अव्यक्त मुरली होम वर्क २०१२ - १३
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https://docs.google.com/file/d/18g2E...it?usp=sharing
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मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - औरों को समझाने की सर्विस करते रहो, ज्ञान धन का दान करो तो अपार खुशी रहेगी, सर्व की आशीर्वाद मिलेगी, बाप की याद भूलेगी नहीं।''
प्रश्न:- बाप तुम बच्चों को रूहानी ड्रिल क्यों सिखलाते हैं?
उत्तर:- पहलवान बनाने के लिए। जितना तुम बाप की याद में रहते हो, पढ़ाई पर ध्यान देते हो उतना तुम्हारे में ताकत आती जाती है। इसी बल से तुम माया पर विजय प्राप्त कर लेते हो। तुम कोई स्थूल हथियार आदि नहीं चलाते, स्वदर्शन चक्र से माया का गला काटते हो-यह है अहिंसक युद्ध।
गीत:- बचपन के दिन भुला न देना...
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) जीवन की लम्बी मुसाफिरी में थकना नहीं है। मात-पिता से कभी भी मुँह नहीं मोड़ना है। और संग तोड़ एक बाप पर पूरा बलिहार जाना है।
2) स्वीट होम में जाने के पहले विकर्माजीत जरूर बनना है। श्रीमत पर बुद्धि की यात्रा करते रहना है।
वरदान:- सरल संस्कारों द्वारा अच्छे, बुरे की आकर्षण से परे रहने वाले सदा हर्षितमूर्त भव
अपने संस्कारों को ऐसा इज़ी (सरल) बनाओ तो हर कार्य करते भी इज़ी रहेंगे। यदि संस्कार टाइट हैं तो सरकमस्टांश भी टाइट हो जाते हैं, सम्बन्ध सम्पर्क वाले भी टाइट व्यवहार करते हैं। टाइट अर्थात् खींचातान में रहने वाले इसलिए सरल संस्कारों द्वारा ड्रामा के हर दृश्य को देखते हुए अच्छे और बुरे की आकर्षण से परे रहो, न अच्छाई आकर्षित करे और न बुराई - तब हर्षित रह सकेंगे।
स्लोगन:- जो सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न है वही इच्छा मात्रम् अविद्या है।


Essence: Sweet children, continue to do the service of explaining to others. Donate the wealth of knowledge and there will be limitless happiness and you will receive blessings from everyone. You won't forget the Father.
Question: Why does the Father teach you children spiritual drill?
Answer: In order to make you strong. The more you stay in remembrance of the Father and continue to pay attention to the study, the more strength you will continue to receive. With this power you will gain victory over Maya. You don't use physical weapons etc. You cut the throat of Maya with the discus of self-realisation. This is a non-violent battle.
Song: Do not forget the days of your childhood.

Essence for dharna:
1. Do not get tired of life’s long journey. Never turn your face away from the Mother and Father. Break away from everyone else and surrender yourself completely to the one Father.
2. Before going to the sweet home, you definitely have to become a conqueror of sinful action. Continue to stay on the pilgrimage of the intellect by following shrimat.

Blessing: Through your sanskars of easiness remain beyond the attractions of good and bad, and be constantly cheerful.
Make your sanskars so easy that you remain easy while carrying out all tasks. If your sanskars are tight, the circumstances will also become tight and those in relationship and connection with you will also be tight in their interaction with you. Tight means those who are pulled in a tug of war. So, while seeing every scene of the drama, with your sanskars of easiness, remain beyond the attractions of good and bad. Neither should goodness nor anything bad attract you. Only then will you be able remain cheerful.
Slogan: Those who are full of all attainments are the ones who are ignorant of the knowledge of desire.



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सम्पूर्ण श्रीमत वाला सर्वश्रेष्ठ देवता - सूर्यवंशी राजधानी में एयरकंडीशन टिकिट वाला सम्पूर्ण समर्पित आत्मा - ड्रामा की हर सीन देखते हुए सदा अचलअडोल अटूट अथक एकरस अजर अमर अविनाशी अशरीरी आत्मा - सदा ज्ञान योग धारणा सेवा श्रीमत बेलेंस दिव्यता में सम्पन सम्पूर्ण स्वरूप वाला प्राप्तिस्वरूप सिद्धिस्वरूप अशरीरी आत्मा - बाप के समीप समान सम्पन सम्पूर्ण स्थिति वाली अशरीरी आत्मा -

शिवमहिमा - रूहानीमीठा मातपिता बापदादा बन्धुसखा स्वामीमालिक खुदादोस्त बालकवारिस – सतबाप सतटीचर सतगुरु सदगुर - मेरेबाबा प्यारेबाबा मीठेबाबा दयालुबाबा कृपालुबाबा - गीता ज्ञान दाता परमपिता परमात्मा निराकार शिव - पवित्रता का सागर , सुख का सागर – शांति का सागर – ज्ञान का सागर - आनंद का सागर - प्रेम का सागर – सर्वगुणों का सागर – सर्वशक्तिवान – सर्वकल्याणी - सर्वज्ञ - निष्काम निष्पक्ष अविनाशी सर्व सबंध सम्पर्क अंग संग सत्संग का समर्थ साथी शिवबाबा - परमपिता परमात्मा पतित पावन - सौदागर रत्नागर जादूगर - बेहद का बाप - ब्राइडग्रूम शिवबाबा - गोड फादर - सर्व का सद्गति दता - सर्वोदया लीडर - सतोप्रधान -

ज्ञान :-
मैं आत्मा हूँ ... परमपिता परमात्मा शिव की सन्तान हूँ ... ब्राहमण सम्प्रदाय वाला ब्राहमण कुल भूषण - सूर्यवंशी राजधानी में एयरकंडीशन टिकिट की विधि __ हर कदम श्रीमत पर चल सम्पूर्ण समर्पित हो कर रहना - योग :- बेहद बाप का बेहद अधिकारी सूर्यवंशी साहूकार सम्पूर्ण समर्पित बच्चा - बाप का रूहानी मीठा लाडला सिकिलधा बच्चा - धारणा :- ड्रामा को अच्छी रीती पकड चलने वाली ८४ जन्म वाली अजर अमर अविनाशी आत्मा - सम्पूर्ण श्रीमत वाला सर्वश्रेष्ठ - हर कदम श्रीमत पर चलने वाला - सम्पूर्ण श्रीमत वाला अलर्ट - बाप पर सर्व अर्पण करने वाला सम्पूर्ण समर्पित साहूकार सूर्यवंशी - दैवी सम्प्रदाय वाला सतोप्रधान साहूकार सूर्यवंशी देवता - स्वर्ग का मालिक - शांतिधाम का मालिक - एयरकंडीशन का सूर्यवंशी राज्य अधिकारी कमल फूल समान सत्य पवित्र दिव्य देवता - सेवा :- ज्ञान से सर्व की सद्गति करने वाली जीवनमुक्त अशरीर आत्मा -

शिवसन्देश भगवान है सबका बाप - अब तुम बच्चों को निश्चय हुआ है की हम बाप के बनते है - बाबा कहते है लाडले बच्चों तुम मुझ से अपना वर्सा लेंगे ना - बाबा स्वर्ग का मालिक बनाते है - अथवा शांतिधाम का मालिक बनाते है - बाप सतयुग स्वर्ग की सौगात ले आये है - तुम्हारी एम् ऑब्जेक्ट है ही बेहद का वर्सा लेने की - वह है सूर्यवंशी राज्य पद - एयरकंडीशन का सूर्यवंशी राज्य - भारत ही परमपिता परमात्मा का बर्थ प्लेस है - परमात्मा ही सभी को सुख शांति देते है - भारत बम्बरवन तीर्थ है - सर्व का पतित पावन बाप है - अब बाप कहते है अशरीरी भव - अपने को आत्मा निश्चय करो - रहम करने वाला है एक ही गोड फादर शिवबाबा - बाप ही आकर नई दुनिया सतयुग स्वर्ग की स्थापना करते है - सिर्फ याद करो - गुढ़स्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान बनो - अगर कोई गफलत की , बाप की श्रीमत पर न चला , बुद्धि खराब हुई तो माया अच्छी रीती चमाट मार मुह फिरा देती है - तुम्हारे लिए भी बाप हथेली पर बहिश्त लाया है वा वैकुण्ठ लाया है - कहते है __ लाडले बच्चे __ आत्माओं से बात करते है - इन ब्रह्मा की आखों द्वरा तुम बच्चों को देख भी रहे है - ड्रामा को कितना अच्छी रीती पकडना पड़ता है - बाप जादूगर भी है - समझाते है मैं भी ड्रामा के वश में हूँ - बाप को बच्चे मीठे लगते है - मैं कल्प कल्प आकर तुम बच्चों को पढाता हूँ - निराकार भगवानुवाच शरीर से वाच करेंगे ना - अब बाप कहते है अशरीरी भव - समझना है मैं आत्मा अविनाशी हूँ .... मेरी आत्मा में ८४ जन्मों का पार्ट भरा हुआ है - बाप खुद कहते है मेरी आत्मा जो एक्ट करती है वह पार्ट सारा भरा हुआ है - ज्ञान से ही सद्गति होती है - बाप कहते है मैं सर्व का सद्गति दाता हूँ - सर्व पर दया करें वाला है शिवबाबा - सर्वोदया लीडर्स है - बाप तो सारी दुनिया को सतोप्रधान बनाते है - उसमे तत्व भी आ जाते है - यह काम एक परमपिता परमात्मा का है - श्रीमत से ही हम श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनेगे -

ज्वाला पॉइंट :- सतगुरुवार - ज्ञान का दिन - ज्ञान सागर की सन्तान मास्टर ज्ञान का सागर -ज्ञानस्वरूप आत्मा - ज्ञानमूर्त - ज्ञानसूर्य की सन्तान मास्टर ज्ञानसूर्य - ज्ञानसूर्यस्वरूप आत्मा - ज्ञानसूर्य स्थिति स्वरूप आत्मा - सतगुरु के सबंध में बाप का सम्पूर्ण समर्पित फोलोअर अशरीर बच्चा - सतगुरु के सबंध की सर्वप्राप्ति स्वरूप अशरीरी आत्मा -
ट्रिपल तीव्र पुरुषार्थ वाली देहिअभिमानी आत्माआभिमानी रूहानीअभिमानी परमात्मज्ञानी परमात्मभाग्यवान परमात्माअभिमानी समर्थ सफल समान सम्पन्न सम्पूर्ण विजयी का विजयीस्वरूप वाली विशेषतास्वरूप योग्यतास्वरूप - नवीनतास्वरूप महिमास्वरूप वाली सर्वगुण सम्पन्न सोलेकलासम्पूर्ण सम्पूर्ण निर्विकारी मर्यादापुरुसोत्तम डबलअह्सिंक डबलताजधारी जलतीज्वाला ज्वालामुखी ज्वालास्वरूप ज्वालाअग्नि ज्वालामूर्त ज्वालाबिंदी - आत्मा देवता पूज्य ब्राहमण फरिश्ता - अनादी स्वरूप में हम आत्मायें भाई भाई - सूक्ष्मवतन में हम सब फरिश्ता - साकार में एक पिता की सन्तान आपस में हम भाई बहन है - सर्व को याद प्यार नमस्ते मुबारक बधाई दुआयें वरदान शुभभावना शुभकामना सर्व कल्याण गुडमोर्निग गुडनाईट शिवबाबा - शुक्रिया बाबा शुक्रिया आप का लाख गुणा पदमगुणा सुक्रिया -

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - ऐसी कोई गफ़लत मत करो जिससे माया को थप्पड़ लगाने का चान्स मिले, अगर श्रीमत पर नहीं चलेंगे तो माया थप्पड़ मार मुँह फेर देगी।
प्रश्न:- सूर्यवंशी राजधानी में एयरकंडीशन टिकेट लेने का आधार क्या है, वह किन्हें प्राप्त होती है?
उत्तर:- सूर्यवंशी राजधानी में एयरकन्डीशन टिकेट लेने के लिए हर कदम श्रीमत पर चलना पड़े। अपना सब कुछ बाप पर अर्पण करना पड़े। जो पूरे अर्पण होते हैं वही साहूकार बनते हैं। सूर्यवंशी राजधानी है ही एयरकन्डीशन। तुम्हारी एम आबजेक्ट ही है सूर्यवंशी पद प्राप्त करना। बाकी नम्बरवार पद तो हैं ही।
गीत:- वह बड़ा खुशनसीब है.....
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) हर एक इस ड्रामा के वश है, इस ड्रामा की किसी भी सीन को देखते संशय नहीं उठाना है। ड्रामा के हर राज़ को अच्छी रीति समझकर अडोल रहना है।
2) अपने को अविनाशी आत्मा समझ इस शरीर से डिटैच हो अशरीरी बनने का अभ्यास करना है।
वरदान:- सर्व खजानों की सम्पन्नता द्वारा सम्पूर्णता का अनुभव करने वाले प्राप्ति स्वरूप भव
जैसे चन्द्रमा जब सम्पन्न होता है तो सम्पन्नता उसके सम्पूर्णता की निशानी होती है, इससे और आगे नहीं बढ़ेगा, बस इतनी ही सम्पूर्णता है, जरा भी किनारी कम नहीं होती है। ऐसे आप बच्चे जब ज्ञान, योग, धारणा और सेवा अर्थात् सभी खजानों से सम्पन्न होते हो, तो इस सम्पन्नता को ही सम्पूर्णता कहा जाता है। ऐसी सम्पन्न आत्मायें प्राप्ति स्वरूप होने के कारण स्थिति में भी सदा समीप रहती हैं।
स्लोगन:- दिव्य बुद्धि द्वारा सर्व सिद्धियों को प्राप्त करना ही सिद्धि स्वरूप बनना है।



Essence: Sweet children, don't make any mistakes through which Maya would have a chance to slap you. If you don't follow shrimat, Maya slaps you and turns your face away.
Question: What is the basis of claiming an air-conditioned ticket in the sun-dynasty kingdom? Which children can attain that?
Answer: In order to claim an air-conditioned ticket in the sun-dynasty kingdom, you have to follow shrimat at every step. You have to surrender everything you have to the Father. Those who surrender themselves completely are the ones who become wealthy. The sun-dynasty kingdom is air-conditioned. Your aim and objective is to attain a sun-dynasty status. However, status is numberwise anyway.
Song: The ones to whom You are close are very fortunate.

Essence for dharna:
1. Each one is under the control of this drama. Do not have doubts while seeing any scene of this drama. Understand every secret of the drama very well and remain unshakeable.
2. Consider yourself to be an imperishable soul, become detached from your body and practise being bodiless.

Blessing: May you be an embodiment of attainment and experience perfection with the fullness of all treasures.
When it is full moon, that fullness is a sign of its perfection. It will not get any bigger than that – that is its perfection. There isn’t anything missing. In the same way, when you children are full of all treasures, that is, filled with gyan, yoga, dharna and service, this fullness is called perfection. Because such full souls are embodiments of attainment, they always remain close in their stage too.
Slogan: To attain all success with a divine intellect is to be an embodiment of success.

अव्यक्त मुरली होम वर्क २०१२ - १३ -
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Dhanyawad …
Tera Tujko Arpan
Divya Tarane
Essence of Murli 11-04-2013 - YouTube


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naina
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मातपिता समान गदीनशीन स्वर्ग का मालिक

पवित्रता में सम्पन सम्पूर्ण गद्दी नशीन राजाओं का राजा - दोनों तरफ तोड़ निभाने वाला - पढाई पूरा ध्यान देन वाला - माया से खबरदार रह सम्पूर्ण श्रीमत पर चलने वाला ट्रष्टी माना बाप पर बलिहार - द्रष्टि द्वरा शक्ति लेने और देन वाला महादानी महावरदानी - सुख शांति खुशी के चहेरे से अनेक आत्माओं का श्रेष्ठ बनाने वाला त्रिनेत्री त्रिकालदर्शी जीवनमुक्त अजर अमर अविनाशी आत्मा


शिवमहिमा -- रूहानीमीठा मातपिता बापदादा बन्धुसखा स्वामीमालिक खुदादोस्त बालकवारिस – सतबाप सतटीचर सतगुरु सदगुर - मेरेबाबा प्यारेबाबा मीठेबाबा दयालुबाबा कृपालुबाबा - गीता ज्ञान दाता परमपिता परमात्मा निराकार शिव - पवित्रता का सागर , सुख का सागर – शांति का सागर – ज्ञान का सागर - आनंद का सागर - प्रेम का सागर – सर्वगुणों का सागर – सर्वशक्तिवान – सर्वकल्याणी - सर्वज्ञ- निष्काम निष्पक्ष अविनाशी सर्व सबंध सम्पर्क अंग संग सत्संग का समर्थ साथी शिवबाबा ऊँचे ते ऊँचा परम पूज्य परमपिता परमात्मा निराकार शिव - गोड फादर - नोलेजफूल बिल्सफूल - सुप्रीम सोल - कालों का काल - जीवनमुक्ति दाता -
ज्ञान :- आदि मध्य अन्त की नोलेज वाला त्रिनेत्री - अच्छी रति राजाई की पढाई पढ़ने वाला गोड फादरली स्टूडेंट - शिवबाबा का वारिस बच्चा - ईश्वरीय औलाद - योग :- योग :- सम्पूर्ण योग वाला आयुष्वान - पावन - माया से खबरदार रहने वाला पूरा बुद्धियोगी - सम्पूर्ण पवित्र पावन हल्दी वेल्दी हेपी - अजर अमर अविनाशी आत्मा स्टार - धारणा :- कदम कदम श्रीमत पर चलने वाला सर्वश्रेष्ठ राजयोगी राजा - बाप को ट्रष्टी और वारिस बनाने वाला बाप पर बलिहार - श्रीमत पर शरीर और आत्मा को पवित्र बनाकर राजाइ पद की प्राप्ति वाला जीवनमुक्त - भारतवासी स्वर्गवासी पूज्य राजाओं का राजा - सतयुग सूर्यवंशी डीनायसटी का - देवता कुल का - पावन देवता - स्वर्ग के पासपोर्ट वाला सम्पूर्ण निर्विकारी - मातपिता समान गदीनशीन स्वर्ग का मालिक - कमल फूल समान दिव्य देवता - भारत की सेवा करें वाला ब्राहमण चोटी - शिवसन्देश :- भारत परमपिता परमात्मा का बर्थप्लेस है - उसका असुल नाम शिव है - स्वर्ग की स्थापना करें वाला हेवन्ली गोड फादर - भगवानुवाच मैं तुमको राजयोग सिखाता हूँ - श्रीमत भगवान गीता है मुख्य - श्री अर्थात श्रेष्ठ मत से अब तुमको बुद्धिवान बनाया जाता है - दिव्य चक्षु अर्थात ज्ञान का तीसरा नेत्र माना डिवाइन इन्साईट - परमात्मा है परम पूज्य - सबको पूज्य बनाने वाला - उनको कहा जाता है परम पूज्य परमपिता परमात्मा शिव - निराकार गोड को ही सब गोड फादर कहते है, इसलिए उनको परमपिता परमात्मा कहा जाता है - आत्मा और परमात्मा का रूप एक ही है - वह भी आत्मा , परन्तु परम है इसलिए उनको परमपिता परमात्मा कहा जाता है - आत्मा और परम आत्मा सदैव परमधाम में रहने वाले है - वह है सुप्रीम सोल - बाप बैठ के समझाते है तुम भारतवासी स्वर्गवासी , पूज्य थे - बाप कहते है मैं संगम पर ही आकर राजयोग सिखाता हूँ नई दुनिया के लिए - भगवान है निराकार - परमात्मा कहते है मेरा शारीरिक नाम नही है - मेरा नाम शिव ही है - मैं सिर्फ बूढ़े वानप्रस्थ तन का आधार लेता हूँ - शिवबाबा है ऊँचे ते ऊँचा - बाप कल्प कल्प भारतवासियों को स्वर्गवासी बनाते है - भगवानुवाच __ अब मैं तुमको ज्ञान का तीसरा नेत्र देता हूँ - तुम फिर से राजाओं का राजा बनेगे - शिवबाबा जन्म मरण में नही आते - सिर्फ आकर भारत को स्वर्ग बनाते है - बाप बैठ आत्माओं से बात करते है - हम है ब्राहमण चोटी - इस समय हम है ईश्वरीय औलाद प्रक्टिकल में - राजयोग से सुख धनेरे मिलते है - योग से आयु बढती है , विकर्म विनाश होते है - और कोई उपाय नही है पावन बनने का - बाप कहते हा मैं आता ही हूँ भारत में - यह मेरा बर्थप्लेस है - बाप आकर भारत को हिरे तुल्य बनाते है - सम्पूर्ण निर्विकारी रह अपना स्वर्ग के पासपोर्ट की सम्भाल करनी है - ऐसा पुरुषार्थ करना बाबा मम्मा के समान गद्दी नशीन बन सके - पवित्रता से हेल्थ वेल्थ हेपीनेस को प्राप्त करना है - पूरा बुद्धियोग से ही ज्ञान की धारणा होगी - पवित्रता से नोलेज पढ़ी जाती है - कमल फूल समान पवित्र रहेना है - मैं कालों का कालों सब को वापिस ले जाने वाला हूँ - जो अच्छी रीती पढेंगे वही स्वर्ग के मालिक बनेगे - यह है पढाई है राजाई के लिए - यहाँ तुमको भगवान पढाते है तो उनसे योग लगाना है - बाप कहते है मैं परमधाम बहुत दूर से आता हूँ - आकर जीवनमुक्ति देता हूँ - आत्मा अमर है उनको पार्ट भी अमर मिला हुआ है - आत्मा है ही स्टार - आत्मा बड़ी छोटी नही हो सकती - अब तुम ही गोड फादरली स्टूडेंट - गोड फादर नोलेजफूल बिल्सफूल है - इस पढाई से हम देवी देवता बनते है - तुम भारत की सेवा कर रहे हो - बाप का बच्चा बनना है - बाप कहते है मुझ पर बलि चढ़ मुझे ट्रस्टी वारसी बनाकर मेरी श्रीमत पर चलों तो मैं तुमको २१ जन्म तुमको वारिस बनाता हूँ - माया से खबरदार रहेना है - कदम कदम श्रीमत पर चलना है तो श्रेष्ठ बनेगे - बाप तो दाता है - यह है राजयोग - श्रीमत से ही श्रेष्ठ राजा बनेगे - ज्वालापॉइंट :- पवित्रता का दिन - पवित्रता के सागर की सन्तान मास्टर पवित्रता का सागर - पवित्रस्वरूप - पवित्रमूर्त - परम सद्गुरु के सबंध में सर्व प्राप्तिस्वरूप वाला - परम पवित्र पूज्य स्वरूप आत्मा - सम्पन सम्पूर्ण स्वरूप आत्मा - वारिस के सबंध में सर्व प्राप्ति वाला सर्वअधिकारी आत्मा - ट्रिपल तीव्र पुरुषार्थ वाली देहिअभिमानी आत्माआभिमानी रूहानीअभिमानी परमात्मज्ञानी परमात्मभाग्यवान परमात्माअभिमानी समर्थ सफल समान सम्पन्न सम्पूर्ण विजयी का विजयीस्वरूप वाली विशेषतास्वरूप योग्यतास्वरूप - नवीनतास्वरूप महिमास्वरूप वाली सर्वगुण सम्पन्न सोलेकलासम्पूर्ण सम्पूर्ण निर्विकारी मर्यादापुरुसोत्तम डबलअह्सिंक डबलताजधारी जलतीज्वाला ज्वालामुखी ज्वालास्वरूप ज्वालाअग्नि ज्वालामूर्त ज्वालाबिंदी - आत्मा देवता पूज्य ब्राहमण फरिश्ता - अनादी स्वरूप में हम आत्मायें भाई भाई - सूक्ष्मवतन में हम सब फरिश्ता - साकार में एक पिता की सन्तान आपस में हम भाई बहन है - सर्व को याद प्यार नमस्ते मुबारक बधाई दुआयें वरदान शुभभावना शुभकामना सर्व कल्याण गुडमोर्निग गुडनाईट शिवबाबा - शुक्रिया बाबा शुक्रिया आप का लाख गुणा पदमगुणा सुक्रिया - Welcome to Learn Meditation - Gita Ka Bhagwan | Home


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-बाप आये हैं तुम्हें ज्ञान का तीसरा नेत्र देने, जिससे तुम सृष्टि के आदि, मध्य, अन्त को जान बुद्धिवान बने हो''
प्रश्न:- आत्मा और शरीर दोनों को पवित्र बनाने तथा राजाई पद का अधिकार लेने की सहज विधि क्या है?
उत्तर:- तुम्हारे पास देह सहित जो भी पुराना कखपन है उसे एक्सचेन्ज करो। बाप के हवाले कर दो। पूरा बलि चढ़ो, बाप को ट्रस्टी बनाओ। श्रीमत पर चलते रहो तो आत्मा और शरीर दोनों पवित्र बन जायेंगे। राजाई पद प्राप्त हो जायेगा। जनक भी बलि चढ़ा तो उनको जीवनमुक्ति मिली, तुम बच्चे भी बाप को वारिस बनाओ तो 21 जन्मों का अधिकार मिल जायेगा।
गीत:- नयनहीन को राह दिखाओ प्रभु...
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) मात-पिता के गद्दी नशीन बनने के लिए पवित्रता की धारणा करनी है। दोनों तरफ़ निभाते हुए पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है।
2) कोई भी विकर्म नहीं करना है। बहुत खबरदार हो श्रीमत पर चलते रहना है। ट्रस्टी जरूर बनना है।
वरदान:- दृष्टि द्वारा शक्ति लेने और शक्ति देने वाले महादानी, वरदानी मूर्त भव
आगे चलकर जब वाणी द्वारा सेवा करने का समय वा सरकमस्टांश नहीं होगा तब वरदानी, महादानी दृष्टि द्वारा ही शान्ति की शक्ति, प्रेम, सुख वा आनंद की शक्ति का अनुभव करा सकेंगे। जैसे जड़ मूर्तियों के सामने जाते हैं तो फेस (चेहरे) द्वारा वायब्रेशन मिलते हैं, नयनों से दिव्यता की अनुभूति होती है। तो आपने जब चैतन्य में यह सेवा की है तब जड़ मूर्तियां बनी हैं इसलिए दृष्टि द्वारा शक्ति लेने और देने का अभ्यास करो तब महादानी, वरदानी मूर्त बनेंगे।
स्लोगन:- फीचर्स में सुख-शान्ति और खुशी की झलक हो तो अनेक आत्माओं का फ्यूचर श्रेष्ठ बना सकते हो।




Essence: Sweet children, the Father has come to give you the third eye of knowledge through which you become wise and come to know the beginning, the middle and the end of the world.
Question: What is the easy way to make both the soul and the body pure and claim a right to a royal status?
Answer: Exchange everything worth straws that you have, including your body. Hand everything over to the Father. Fully sacrifice yourself. Make the Father your Trustee. Continue to follow shrimat and both the soul and the body will become pure and you will claim a royal status. Janak surrendered himself and received liberation-in-life. When you children make the Father your Heir, you will receive all rights for 21 births.
Song: Show the path to the blind ones, dear God!

Essence for dharna:
1. In order to be seated on the throne of the mother and father, you have to imbibe purity. Fulfil your responsibility to both sides and pay full attention to the study.
2. Do not commit any sins. Remain very cautious and continue to follow shrimat. Definitely become a trustee.

Blessing: May you be a great donor and an image that grants blessings who gives and receives power through drishti.
As you progress further, when there won’t be the time or the circumstances to serve through words, you will then be able to give the experience of the powers of peace, love, happiness and bliss through your drishti as a great donor and an image that grants blessings. When you go in front of non-living idols, you receive vibrations through their face and experience divinity through their eyes. It is because you have done this service in the living form that these non-living idols have been created. Therefore, practise giving and receiving power through drishti and only then will you become a great donor and an image that grants blessings.
Slogan: When you have the sparkle of happiness and peace in your features, you will be able to make the future of many souls elevated.
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Old 16-04-2013, 07:35 PM   #144
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Old 16-04-2013, 07:43 PM   #145
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Essence: Sweet children, each one has a burden of the sins of many births on their head and the suffering of these

karmic accounts definitely has to be settled with the power of yoga.


Question: In which aspect do you have to become a detached observer like the Father?
Answer: The Father doesn't have any regrets about anything. Even if a child falls ill or something else happens to
him, the Father observes it as the detached Observer. In the same way, you children also have to become detached
observers. Remove your attachment from this old world. Each one's suffering of karma is his or her own. Souls
have to suffer for the wrong actions they have performed. Therefore, continue to watch as detached observers.

Song: Time is passing by…


Essence for dharna:


1. In order to remove the burden of sins of many births from your head, remember the Almighty Authority
Father and take power from Him.


2. Give happiness to everyone and receive blessings. Follow the elevated directions of Shri Shri and renounce
everything completely. At this time of settlement, remove your intellect's yoga from everyone else.


Blessing: May you be a great renunciate who renounces the respect and position received from service and
who attains imperishable fortune.


The practical fruit of the elevated actions and service that you children do is to be praised by everyone. A server
receives the seat of elevated praise. You receive a seat of honour and status; you definitely attain this success.
However, this success is a step on the way, it is not the final destination. Therefore, renounce it and claim fortune
through that. This is known as being a great renunciate. The speciality of an incognito renunciate is someone who
renounces even any trace of renunciation.


Slogan: In order to become an angel, see the part of every soul as a detached observer and give a current of power.


Essence: Sweet children, the study that the Father is teaching you is His mercy for you. You have awakened your fortune
and come here in order to become deities in the future new world.


Question: What promise have you children made in front of the Father?
Answer: You have promised: Baba, You have come to make Bharat into heaven. We will follow Your shrimat and become
Your helpers to change Bharat into heaven. We will become pure and make Bharat pure.


Song: I have come having awakened my fortune…


Essence for dharna:


1. Do spiritual social service through your body, mind and wealth. Conquer Ravan and make Bharat into heaven.


2. In order to receive limitless happiness, make a promise of purity, break away from everyone else and remain in
remembrance of the one Father.


Blessing: May you be the knower of all secrets by remaining free from any attraction and make your family content
and also earn a Godly income.


Some children, while doing their worldly work, living with their family and fulfilling their responsibilities to their
relatives and contacts, make everyone content through their unlimited intellect; they know the secret of a Godly
income and so also put aside a special share. The children who belong to One and who are economical are free from
attractions and temptations use all their treasures – their time, powers and physical wealth – economically and
generously for a spiritual task. Such children who are yuktiyukt and knowers of all secrets (raazyukt) are praiseworthy.


Slogan: Those who perform every action as an embodiment of remembrance become a lighthouse.




The fast effort for the present last period.


Blessing: May you be a great soul who constantly keeps with you the blessing of happiness in your Brahmin life.


Happiness in Brahmin life is your birthright and to remain constantly happy is greatness. Those who constantly
keep this blessing of happiness with themselves are great. Therefore, never lose your happiness. Problems will
come and go, but your happiness should not disappear because problems are external situations which have come
from others and they will come and go. Happiness is your own property and you always keep whatever is yours
with you. Therefore, even if you shed your body, your happiness should not disappear. You will shed your body
happily and receive a beautiful new one.


Slogan: In order to receive congratulations from BapDada’s heart, see none of the many things, but remain
tirelessly engaged in service.








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Old 18-04-2013, 07:42 AM   #146
naina
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18 04 2013 - Shivsandesh
Om Shanti


बाप के समीप सन्मुख अंग संग सत्सगं वाला बाप पर बलिहार अशरीर आत्मा - सेवा में सदा सहयोगी बन सहजयोगी सो आठ घंटे का योगी बन वरदान प्राप्त करने वाली विशेषता सम्पन स्वरूप आत्मा - मस्तकमणी द्वरा स्वस्वरूप और श्रेष्ठ मंजिल का साक्षात्कार कराने वाला लाइटहाउस - सम्पूर्ण श्रीमत वाला पवित्र पावन सतोप्रधान देवता -

शिवमहिमा -- रूहानीमीठा मातपिता बापदादा बन्धुसखा स्वामीमालिक खुदादोस्त बालकवारिस – सतबाप सतटीचर सतगुरु सदगुर - मेरेबाबा प्यारेबाबा मीठेबाबा दयालुबाबा कृपालुबाबा - गीता ज्ञान दाता परमपिता परमात्मा निराकार शिव - पवित्रता का सागर , सुख का सागर – शांति का सागर – ज्ञान का सागर - आनंद का सागर - प्रेम का सागर – सर्वगुणों का सागर – सर्वशक्तिवान – सर्वकल्याणी - सर्वज्ञ- निष्काम निष्पक्ष अविनाशी सर्व सबंध सम्पर्क अंग संग सत्संग का समर्थ साथी शिवबाबा -परमपिता परमात्मा - बेहद का बाप - बेहद का सेठ - शिव साजन - ज्ञान :- परमपिता परमात्मा बेहद के बाप के समीप सन्मुख साथ बैठ राजयोग की पढाई पढ़ने वाला - बाप से बेहद का वर्सा लेने वाला - ज्ञान अमुर्त से पावन बन विश्व वा स्वर्ग का मालिक बनने वा पूरा वर्सा लेने का पुरुषार्थी - नम्बरवन जाने का लक्ष्य वाल सतोप्रधान पुरुषार्थी - योग :- याद की रेस का पुरुषार्थी - बाप और सुखधाम की याद वाला - बाप और वर्से की याद वाला - बाप का वारिस बच्चा - घड़ी घड़ी बाप की याद वाला - अमुर्तवेले की याद वाली अशरीरी आत्मा - निरतर यादस्वरूप - योग अग्नि स्वरूप - याद स्वरूप पावन पुण्यात्मा - धारणा :- बाप के अंग संग सत्संग में रहने वाला बाप पर बलिहार - मायाजित जगतजीत - सम्पूर्ण श्रीमत वाला सर्वश्रेष्ठ देवता - सतोप्रधान पवित्र पावन पुण्यात्मा - सेवा :- सुष्टि को स्वर्ग बनाने की भारी सर्विस में आठ घंटा देन वाला - कर्मयोगी बन सर्विस करने वाला सतोप्रधान पुरुषार्थी - शिवसन्देश :- भगवान है निराकर जो ब्रह्मा तन से राजयोग सिखाते है - याद से पावन पुण्यात्मा बनना है - यह है बेहद का यज्ञ जो बेहद के सेठ ने रचा है - भगवानुवाच ___ मुझ बाप को याद करो - बाप कहते है अब तुमको वापिस जाना है - ज्ञान अमुर्त पीकर पावन स्वर्ग का मालिक बनना है - यह साजन तुम सजनियों को पावन बनाने आये है - श्री अर्थात श्रेष्ठ मत है बाप की - अब बाप कहते है __ मैं तुमको वर अर्थात वर्सा देता हूँ - सिर्फ तुम निरंतर मुझे याद करो - श्रीमत से ही तुम श्रेष्ठ बनेगे - यह भूलों मत - यह लक्ष्मी नारायण का चित्र भी घर में रख दो - सुष्टि को स्वर्ग बनाने की भारी सर्विस में आठ घंटा देना है - बाप को याद करो सुखधाम को याद करो - बस आठ धंटा सर्विस की तो पूरा वर्सा पायेंगे - घड़ी घड़ी बाप को याद वाला - ज्ञानी आत्माओं की नीद चार धंटा होती है - बाकि समय कर्मयोगी बन सर्विस करनी है - सुबह २ या ३ या ४ बजे उठ शिवबाबा को याद कर सारे दिन के लिए शक्ति भरनी है - सेवर उठ याद कर कमाई जमा करनी है - सतगुरुवार - ज्ञान का दिन - ज्ञान सागर की सन्तान मास्टर ज्ञान का सागर - ज्ञानस्वरूप ज्ञानमूर्त - ज्ञानसूर्य की संतान मास्टर ज्ञानसूर्य - परमपिता परमात्मा के साथ सतगुरु के सबंध में सर्व प्राप्तिस्वरूप - परमपिता परमात्मा से शिक्षक के सबंध में सर्व प्राप्तिस्वरूप वाली ज्ञानी तू आत्मा - ट्रिपल तीव्र पुरुषार्थ वाली देहिअभिमानी आत्माआभिमानी रूहानीअभिमानी परमात्मज्ञानी परमात्मभाग्यवान परमात्माअभिमानी समर्थ सफल समान सम्पन्न सम्पूर्ण विजयी का विजयीस्वरूप वाली विशेषतास्वरूप योग्यतास्वरूप - नवीनतास्वरूप महिमास्वरूप वाली सर्वगुण सम्पन्न सोलेकलासम्पूर्ण सम्पूर्ण निर्विकारी मर्यादापुरुसोत्तम डबलअह्सिंक डबलताजधारी जलतीज्वाला ज्वालामुखी ज्वालास्वरूप ज्वालाअग्नि ज्वालामूर्त ज्वालाबिंदी - आत्मा देवता पूज्य ब्राहमण फरिश्ता - अनादी स्वरूप में हम आत्मायें भाई भाई - सूक्ष्मवतन में हम सब फरिश्ता - साकार में एक पिता की सन्तान आपस में हम भाई बहन है - सर्व को याद प्यार नमस्ते मुबारक बधाई दुआयें वरदान शुभभावना शुभकामना सर्व कल्याण गुडमोर्निग गुडनाईट शिवबाबा - शुक्रिया बाबा शुक्रिया आप का लाख गुणा पदमगुणा सुक्रिया Gita Ka Bhagwan | Home to Learn Meditation

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-श्रीमत ही श्रेष्ठ बनायेगी, परमत वा मनमत श्रापित कर देगी,
इसलिए श्रीमत को कभी भी भूलो मत''
प्रश्न:- सतोप्रधान पुरुषार्थी कौन और तमोप्रधान पुरुषार्थी कौन? दोनों का अन्तर क्या होगा?
उत्तर:- सतोप्रधान पुरुषार्थी बाप से पूरा वर्सा लेने का पुरुषार्थ वा प्रतिज्ञा करते हैं,

वह याद में रहने की रेस करते हैं और नम्बरवन जाने का लक्ष्य रखते हैं। तमोप्रधान

पुरुषार्थी कहते-जो तकदीर में होगा, अच्छा, प्रजा बनेंगे तो प्रजा ही सही। उनके आगे

माया का ऐसा विघ्न आता जो रेस से ही बाहर निकल जाते।
गीत:- मुझको सहारा देने वाले..
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सवेरे अमृतवेले उठ अशरीरी बन बाप को याद करने का अभ्यास करना है।
पूरा वर्सा लेने के लिए याद की रेस करनी है। कम से कम 8 घण्टा याद जरूर करना है।

2) एक बाप पर पूरा बलिहार जाना है। परमत व मनमत पर न चल एक बाप की श्रेष्ठ मत पर चलना है।

वरदान:- सेवाओं में सदा सहयोगी बन सहजयोग का वरदान प्राप्त करने वाले विशेषता सम्पन्न भव

ब्राह्मण जीवन विशेषता सम्पन्न जीवन है, ब्राह्मण बनना अर्थात् सहजयोगी भव का वरदान

प्राप्त करना। यही सबसे पहला जन्म का वरदान है। इस वरदान को बुद्धि में सदा याद
रखना-यह है वरदान को जीवन में लाना। वरदान को कायम रखने की सहज विधि है-सर्व
आत्माओं के प्रति वरदान को सेवा में लगाना। सेवा में सहयोगी बनना ही सहजयोगी

बनना है। तो इस वरदान को स्मृति में रख विशेषता सम्पन्न बनो।
स्लोगन:- अपने मस्तक की मणी द्वारा स्वयं का स्वरूप और श्रेष्ठ मंजिल का साक्षात्कार कराना ही लाइट हाउस बनना है।



Essence: Sweet children, it is only shrimat that will make you elevated. Following the dictates of yourself and others brings a curse on you. Therefore, never forget shrimat.

Question: Who is a satopradhan effort-maker and who is a tamopradhan effort-maker? What is the difference between the two?
Answer: A satopradhan effort-maker promises and makes effort to claim the full inheritance from the Father. He races to stay in

remembrance. He has the aim of claiming number one. A tamopradhan effort-maker says, “Whatever is in my fortune is fine!
It is fine if I become a subject.” Maya causes such obstacles for such souls that they drop out of the race.

Song: The heart says thanks to the One who has given me support….

Essence for dharna:


1. Wake up at amrit vela and practise becoming bodiless and remembering the Father. In order to claim your full inheritance,

run the race of remembrance. Definitely stay in remembrance for eight hours.

2. Surrender yourself fully to the one Father. Don’t follow the dictates of yourself or others, but follow the elevated directions of the Father.

Blessing: May you be full of all specialities and claim the blessing of easy yogi by being constantly co-operative in service.


Brahmin life is a life filled with speciality. To be a Brahmin means to claim the blessing of being an easy yogi. This is the first blessing

of this birth. Constantly remember this blessing with your intellect because that is bringing blessing into your life. The easy way to keep
the blessing constantly is to use the blessing for serving all souls. To be co-operative in service is to be an easy yogi. So, keep this blessing
in your awareness and become full of specialities.

Slogan: To grant a vision of your own form and of your elevated destination through the jewel on your forehead is to be a lighthouse.






शुभभवना पॉइंट
http://www.madhubanmurli.net/Purefeelings/Slide003.jpg
ब्रह्मा बाप के १० कदम हिंदी

https://lh3.googleusercontent.com/-2RIx0ffE498/UPF2NAKxDOI/AAAAAAAALz8/pu8IjDZVAA8/s631/2013-01-1
Ten steps of Father Brahma - ho -English
https://lh3.googleusercontent.com/-T...633/2013-01-12
अव्यक्त मुरली होम वर्क २०१२ - १३ -

https://docs.google.com/file/d/1eFWR...it?usp=sharing
https://docs.google.com/file/d/1sO3T...it?usp=sharing








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Old 20-04-2013, 06:41 AM   #147
naina
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Om Shanti

अमर ज्योति बन सर्व को अंधकार से निकाल ठिकाने लगाने वाला ऊँची स्टेज वाला बेहद का स्मुर्तीस्वरूप सो बेहद का बुजुर्ग सो बेहद का पूर्वजपन के आक्युपेशन वाला अनुभवीमूर्त - त्रिमूर्ति के साथ समीप सबंध वाला तना - मौजों का अनुभव करने वाला मस्तयोगी - पवित्र पावन गुल गुल सोले कला सम्पूर्ण सूर्यवंशी - पुण्य आत्मा बन औरों को पुण्यात्मा बनाने वाला पावन पुण्यात्मा




शिवमहिमा -- रूहानीमीठा मातपिता बापदादा बन्धुसखा स्वामीमालिक खुदादोस्त बालकवारिस – सतबाप सतटीचर सतगुरु सदगुर - मेरेबाबा प्यारेबाबा मीठेबाबा दयालुबाबा कृपालुबाबा - गीता ज्ञान दाता परमपिता परमात्मा निराकार शिव - पवित्रता का सागर , सुख का सागर – शांति का सागर – ज्ञान का सागर - आनंद का सागर - प्रेम का सागर – सर्वगुणों का सागर – सर्वशक्तिवान – सर्वकल्याणी - सर्वज्ञ- निष्काम निष्पक्ष अविनाशी सर्व सबंध सम्पर्क अंग संग सत्संग का समर्थ साथी शिवबाबा
-पारलौकिक परमपिता परमात्मा निराकार सच्चा शिवबाबा - बेहद का बाप -सुखदाता - सुख का सागर - शांति का सागर - ज्ञान का सागर - नोलेजफूल - शिव साजन - शिव साजन - ज्ञान :- बाप के सत संग में रह ज्ञान अमुर्त पीने वाला - ज्ञान रत्न वाला त्रिनेत्री त्रिकालदर्शी रूप बसंत - पुण्य के जमा का खाता का विचार करने वाला रेस्पानिस्बुल ब्राहमण - योग :- शालीम बुद्धियोगी - एक बाप की सुन बाप से योग लगाने वाल देहि अभिमानी - अशरीर देहि विदेही पावन पुण्यात्मा बाप समान सुख का सागर - धारणा :- श्रीमत पर उंच पद वाला स्वर्ग का मालिक - शुभ शुद्ध श्रेष्ठ संकल्प वाला बाप समान - बाप के साथ सदा सच्चा रहने वाला - निराकारी निर्विकल्प कर्मातीत पुण्यआत्मा - गुल गुल पावन पुण्यआत्मा देवात्म धर्मात्मा महात्मा - सेवा :- श्रीमत पर चल बाप का नाम बाला करने वाला दिलतख़्तनशीन - अविनाशी ज्ञान रत्नों की कमाई करने और कराने वाला पुण्यआत्मा - अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान पुण्य करने वाला पुण्यात्मा - शुभ श्रेष्ठ सुखदाई संकल्प से सर्व को सुखी बनाने वाला - पुण्य आत्मा बन औरों को पुण्यात्मा बनाने वाला - आप समान बनाने वाला - पांडव सेना का महारथी - शिवसन्देश :- हम आत्माओं का बाप है निराकार - परमधाम निवासी सच्चा शिवबाबा - हमको सच्चा बनाने वाला - जीतना बाप के साथ हम सच्चे रहेंगे उतना बाप के सच खंड में हमको उंच पद मिलेगा - अभी अविनाशी ज्ञान रत्नों से भंडार भरते हो - वही काम आना है - धारणा कर पुण्य आत्मा बनना है - औरों को भी दान दे पुण्य आत्मा बनाना है - अविनाशी ज्ञान रत्न धारण करने और कराने है- यह है ईश्वरीय बातें - अब ज्ञान के तीसरा नेत्र मिलने से पुण्यात्मा बन रहे हो - बाबा हमको ज्ञान रत्न देते है , जिसे हमको तन मन धन सब कुछ नया मिलता है - बाप आकर हमको सदा सुखी बनाते है - मैं तो तुमको हुबहू आप समान बनाने आता हूँ - हम तुम को गुल गुल बनाते है - मैं तो चाहता हूँ बच्चों को इतना सुखी बनाऊ जो एकदम झूलों में झूले - मुझ एक के साथ बुद्धियोग जोड़ो - मैं तुम्हारा सबकुछ हूँ - मैं तुमको सुख का सागर बनाता हूँ - बाबा है सुख का सागर, शांति का सागर - अपने को देहि अभिमानी समझो - बाप कहते है मेरा ही सुनो ,मेरे साथ योग लगाओं - जैसे मैं ज्ञान का सागर हूँ , सारी रचना को जनता हूँ , ऐसे तुम्हारी बुद्धि में भी यह सुष्टि का चक्र फिरता रहे - अब बाप कहते बीती सो बीती ... ड्रामा अनुसार __अब गुल गुल पवित्र बनो - सतयुग है हेविन वाइसलेस वलर्ड -सोले कला सम्पूर्ण सूर्यवंशी - सबको भूल अशरीर बनो - अपने को देहि समझो - सद्गति करें वाला एक ही बाप है, जो ज्ञान से तुम्हारी सद्गति करते है - इसको ज्ञान अमुर्त भी कहा जाता है - बाप कहते हा बच्चे तुम देहि अभिमानी बनो - रेस्पान्सिबुल बन अपने पुण्य का खाते का विचार करो - बाप की याद , औरों को आप समान बनाने से और सर्व को सुख देन से पुण्य का खाता जमा होगा- शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करते बाप से ज्ञान रत्नों का व्यापार करना और योग बल से पापों को भस्म कर पुण्य आत्मा बनना है - यह है सारा बुद्धि का काम - सालीम बुद्धि में बाप की याद जास्ती रहती है - श्रीमत पर चल उंच पद लेना है - बाप का नाम बाला कर श्रीमत पर चल बाप की दिल पर चढ़ना है - यह है सत का संग - जिसमे एक दो को आप समान बनाए स्वर्ग का मालिक बनाते है - भक्ति मार्ग में सब सजनियाँ है फिर बाप के रूप में अभी तुम बच्चे बने हो - फिर सजनी भी हो ... तो सजनी आत्मा को शिव साजन की कितनी याद रहनी चाहिए ....ज्वालापॉइंट :- शनिवार - सुख का दिन - रहम का दिन - सुख सागर की सन्तान मास्टर सुख का सागर - सुखदेव - सुखदाई - पारलौकिक परमपिता परमात्मा के साथ दोस्ती का सबंध में सर्वप्राप्ति स्वरूप आत्मा - खुदादोस्त - सर्व सबंध एक बाप रख से रखने वाला समीप समान सम्पन सम्पूर्ण ज्वाला - ट्रिपल तीव्र पुरुषार्थ वाली देहिअभिमानी आत्माआभिमानी रूहानीअभिमानी परमात्मज्ञानी परमात्मभाग्यवान परमात्माअभिमानी समर्थ सफल समान सम्पन्न सम्पूर्ण विजयी का विजयीस्वरूप वाली विशेषतास्वरूप योग्यतास्वरूप - नवीनतास्वरूप महिमास्वरूप वाली सर्वगुण सम्पन्न सोलेकलासम्पूर्ण सम्पूर्ण निर्विकारी मर्यादापुरुसोत्तम डबलअह्सिंक डबलताजधारी जलतीज्वाला ज्वालामुखी ज्वालास्वरूप ज्वालाअग्नि ज्वालामूर्त ज्वालाबिंदी - आत्मा देवता पूज्य ब्राहमण फरिश्ता - अनादी स्वरूप में हम आत्मायें भाई भाई - सूक्ष्मवतन में हम सब फरिश्ता - साकार में एक पिता की सन्तान आपस में हम भाई बहन है - सर्व को याद प्यार नमस्ते मुबारक बधाई दुआयें वरदान शुभभावना शुभकामना सर्व कल्याण गुडमोर्निग गुडनाईट शिवबाबा - शुक्रिया बाबा शुक्रिया आप का लाख गुणा पदमगुणा सुक्रिया

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-तुम्हारा कर्तव्य है अविनाशी ज्ञान रत्नों की कमाई करना और कराना,
दान पूछकर नहीं किया जाता, करके दिखाना है''

प्रश्न:- बाप की दिल में कौन सी शुभ आश सदा रहती है? किस बात में बाप आप समान बनाने चाहते हैं?
उत्तर:- बाप की दिल में सदा ही बच्चों को सुख देने की आश रहती है। बेहद के बाप को कभी भी

विकल्प वा बुरा कर्म करने का संकल्प, दु:ख देने का संकल्प नहीं आ सकता क्योंकि वह है सुखदाता।
इसी बात में बाप अपने बच्चों को आप समान बनाना चाहते हैं। बाबा कहते-मीठे बच्चे,
जांच करो मेरे अन्दर सदा शुद्ध संकल्प रहते हैं? विकल्प तो नहीं आते हैं?

गीत:- मुखड़ा देख ले प्राणी..


धारणा के लिए मुख्य सार :-


1) रूप-बसन्त बन मुख से ज्ञान रत्न निकालने हैं। योग से अपनी बुद्धि को सालिम बनाना है।


2) बाप समान सबको सुख दे सुखदाता बनना है। कभी भी दु:ख देने का बुरा संकल्प

वा विकल्प नहीं उठाना है।

वरदान:- बेहद के स्मृति स्वरूप द्वारा हद की बातों को समाप्त करने वाले अनुभवी मूर्त भव


आप श्रेष्ठ आत्मायें डायरेक्ट बीज और मुख्य दो पत्ते, त्रिमूर्ति के साथ समीप संबंध वाले

तना हो। इसी ऊंची स्टेज पर स्थित रहो, बेहद के स्मृति स्वरूप बनो तो हद की व्यर्थ बातें
समाप्त हो जायेंगी। अपने बेहद के बुजुर्गपन में आओ तो सदा सर्व अनुभवीमूर्त हो जायेंगे।
जो बेहद के पूर्वजपन का आक्यूपेशन है, उसको सदा स्मृति में रखो। आप पूर्वजों का काम है
अमर ज्योति बन अंधकार में भटकती हुई आत्माओं को ठिकाने पर लगाना।

स्लोगन:- किसी भी बात में मूंझने के बजाए मौज का अनुभव करना ही मस्त योगी बनना है।





Essence: Sweet children, your duty is to earn the imperishable jewels of knowledge and inspire others to earn them.
You don’t need to ask before making a donation. You have to demonstrate by doing it.

Question: Which pure desire does the Father always have in His heart? In which aspect does the Father want you

to become equal to Himself?
Answer: The Father always has the desire in His heart to give you children happiness. The unlimited Father never
thinks about performing a sinful act or causing anyone sorrow because He is the Bestower of Happiness.
The Father wishes to make His children equal to Himself in this way. Baba says: Sweet children, check:
Do I always have pure thoughts? I don't have any sinful thoughts, do I?

Song: Look at your face in the mirror of your heart, o man!…

Essence for dharna:


1. Become rup and basant and let jewels of knowledge emerge through your lips. Make your intellect good,

strong and healthy with yoga.

2. Give everyone happiness in the same way as the Father does and become bestowers of happiness.

Never have any bad or sinful thought of causing anyone sorrow!

Blessing: May you be an experienced image who finishes all limited matters by being an embodiment of

unlimited remembrance.

You elevated souls are the trunk that is directly related to the Trimurti of the Seed and two main leaves.

Remain stable in this elevated stage, be an embodiment of unlimited remembrance and all limited wasteful
matters will finish. Come into your stage of unlimited maturity and you will constantly be an image of all
experiences. Constantly keep in your awareness your occupation of being an unlimited ancestor. It is the
duty of you ancestors to be an immortal light and enable souls who are wandering in darkness to reach
their destination.

Slogan: Instead of becoming confused in any situation, to experience pleasure is to be an intoxicated yogi.




http://www.madhubanmurli.net/Purefeelings/Slide005.jpg
ब्रह्मा बाप के १० कदम हिंदी


https://lh3.googleusercontent.com/-2RIx0ffE498/UPF2NAKxDOI/AAAAAAAALz8/pu8IjDZVAA8/s631/2013-01-1
Ten steps of Father Brahma - ho -English
https://lh3.googleusercontent.com/-T...633/2013-01-12
अव्यक्त मुरली होम वर्क २०१२ - १३ -


https://docs.google.com/file/d/1eFWR...it?usp=sharing
https://docs.google.com/file/d/1sO3T...it?usp=sharing
naina is offline   Reply With Quote
Old 20-04-2013, 06:43 AM   #148
naina
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naina is on a distinguished road
Default 19 04 2013 Shivsandesh

19 04 2013 - Shivsandesh Om Shanti



अपनी शुभभावना द्वरा रूहानी वायुमंडल बनाने वाला मास्टर दाता .... प्रकुर्तीजीत सदा सहयोगी सहजयोगी - सर्व मनसा वाचा कर्मणा द्वरा सदा सहयोगी सो सहजयोगी प्रकुर्तीजीत आत्मा - सर्व की इच्छा पूर्ण करें वाली कामधेनु - इच्छा मातरम अविद्या वाली विदेही आत्मा - आठ घंटे की याद आठ घंटे की सर्विस की श्रीमत पर चल बाप का नाम करने वाला बाप का आज्ञाकारी वफादार ईमानदार फरमानबरदार सच्चा सपूत ब्राहमण कुल भूषण - सर्व दिव्यगुणधरी देवता - पावन प्रिन्स
शिवमहिमा -- रूहानीमीठा मातपिता बापदादा बन्धुसखा स्वामीमालिक खुदादोस्त बालकवारिस – सतबाप सतटीचर सतगुरु सदगुर - मेरेबाबा प्यारेबाबा मीठेबाबा दयालुबाबा कृपालुबाबा - गीता ज्ञान दाता परमपिता परमात्मा निराकार शिव - पवित्रता का सागर , सुख का सागर – शांति का सागर – ज्ञान का सागर - आनंद का सागर - प्रेम का सागर – सर्वगुणों का सागर – सर्वशक्तिवान – सर्वकल्याणी - सर्वज्ञ- निष्काम निष्पक्ष अविनाशी सर्व सबंध सम्पर्क अंग संग सत्संग का समर्थ साथी शिवबाबा- श्री श्री शिवबाबा - परमपिता परमात्मा - शिव साजन - देहि बाप - पतित पावन - ज्ञान :- भविष्य प्रिन्स प्रिन्सेज बने के लिए भगवान बाप से राजयोग की पढाई पढ़ने वाला - भविष्य उंच पद के लिए पढाई - गुल गुल बनने के पढाई - ज्ञान योग की पढाई से बाप के साथ जाना वाला - विजय माला का दाना बनने की रेस वाला अथक - पढाई पर पूरा ध्यान देन वाला - राजाई की पढाई - श्रीमत का पुरुषार्थी - रूद्र माला में जाने का पुरुषार्थी - महान भाग्यशाली - गोडली बुल बुल - ब्राहमण कुल भूषण स्वदर्शन चक्रधारी ब्राहमण - योग :- रूहानी यात्रा की रूहानी रूह - आठ घंटे की याद वाला यादस्वरूप - निराकरी बाप का निराकारी बच्चा - विदेही बाप की याद वाला विदेही - देहि बाप की याद वाला देहि अभिमानी - आत्मा समझ बाप की याद वाला देहि - धारणा :- उमग उत्साह अथक हिम्मत से चलने वाला - दैवी चलन _ दैवी मैनर्स _ दैवी चाल_वाला आज्ञाकारी वफादार ईमानदार फरमानबरदार शांत शीतल शुभ सपूत पावन प्रिन्स - मातपिता समान - ज्ञान की पूरी धारणा - स्वर्ग का मालिक - स्वर्ग की महारानी - सम्पूर्ण श्रीमत सम्पुर्ण देवता - सर्वदिव्यगुणधारी देवता - सेवा :- श्रीमत पर चल लायक बन लायक बनाने वाला - आठ घंटे की सर्विस कर श्री शिव की मत पर चल सपूत बन बाप का नाम बाला कर दिखाना वाला सच्चा सपूत सर्विसएबुल गोडली दिलतख्तनशीं -शिवसन्देश :- परमात्मा है ही एक जिसको शिव , सोमनाथ कहते है , वह आकर बच्चों को कहते है __ मीठे मीठे बच्चे मुझे अपने उस घर में याद करो - मैं परमधाम का निवासी हूँ - मैं यहाँ आया हूँ तुम बच्चों का बुद्धियोग वहाँ लगाने के लिए - मुझे अपने परमधाम घर में याद करो - पढाई से उंच चढना है - हम भविष्य उंच पद पाने के लिए पढ़ रहे है - श्रीमत पर चल लायक बन लायक बनाना है - मातपिता समान - योग से आत्मा में सुधार आता है - श्रीमत से आत्मा उंच अविनाशी बन जाये - बाबा की याद से आत्मा में ताकत आती है - देहि अभिमानी बनो - देहि बाप को याद करो - बाप कहते है तुम देहि आत्मा हो - परमपिता परमात्मा बैठ तुम बच्चों को समझाते है - सपूत बच्चे तो शिवबाबा के आज्ञाकारी वफादार होते है - श्रीमत से ही देवता बनेगे - मुख्य है दैवी चलन - बाप कहते है अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो तो तुम मेरे पास आ जायेंगे - पतित पावन बाप के सिवाय तो कोई पावन निराकारी दुनिया में ले जा नही सकते - न पावन साकारी दुनिया में आ सकते है - तुम जानते हो हम भगवान से पढते है - पढकर स्वर्ग के मालिक बन रहे है - तुम बच्चों को दैवीगुण धारण करें है - श्रीमत पर चलना है , नही तो पंख टूट जायेंगे - ज्ञान की पूरी धारणा होगी तो दैवी मैनर्स आयेंगे - भगवानुवाच __ कहते है मैं तुमको पढाने आया हूँ - मैं स्वर्ग का रचयिता हूँ - मैं कल्प कल्प आकर तुम बच्चों को स्वर्ग का मालिक बनाता हूँ - तुम इस समय महान भाग्यशाली बन रहे हो - ख्याल रखना चाहिए __ हम को रूद्र माला में नम्बरवन पिरोना है - यहीं पढकर तुम आत्मायें रूद्र माला में नम्बरवार पिरोयेंगी - फिर विष्णु की विजय माला में - शिव साजन अर्थात भक्तों का भगवान आकर गुल गुल बनाने की लिए पढाते है - बाप कहते है मैं तुम्हारा साजन तुमको स्वर्ग की महारानी बनाने आया हूँ - अब तुमको ले चलते है रूहानी यात्रा पर - सर्विस कर सपूत बनना है और शिवबाबा की दिल पर चढ़ना है - ८ घंटे याद और ८ घंटे सर्विस कर बाप की दिल पर चढना है - यह शिवबाबा तुम्हारा बाप है हम निराकारी आत्मायें उनके बच्चे है - बाप कहते है मैं इन द्वरा आत्माओं को पवित्र बनाने राजाई के लिए ज्ञान और योग सिखलाए साथ ले जाऊंगा - श्रीमत से ही लक्ष्मी नारायण जैसा देवता बनेगे - सपूत बच्चा वह , जो श्रीमत पर चल पूरा पुरुषार्थ करे और बाप का नाम बाला कर दिखाएँ - ब्राहमण कुल भूषण स्वदर्शन चक्रधारी बन उमग उत्साह अथक से चलना है - भविष्य प्रिन्स प्रिन्सेज बने के लिए तुमको राजयोग सिखला रहा हूँ - श्री शिव की मत पर चल सपूत बन बाप का नाम बाला कर दिखाना है .... ज्वालापॉइंट :- शुक्रवार - पवित्र का दिन - पवित्रता के सागर की सन्तान मास्टर पवित्रता का सागर , पवित्रस्वरूप , पवित्रमूर्त - परमपिता परमात्मा के साथ साजन के सबंध सर्व प्राप्तिस्वरूप वाला सम्पुर्ण पवित्र पावन - एकव्रता एकबल एकभरोषा एकनामी एकांतप्रिय अशरीर आत्मा -
ट्रिपल तीव्र पुरुषार्थ वाली देहिअभिमानी आत्माआभिमानी रूहानीअभिमानी परमात्मज्ञानी परमात्मभाग्यवान परमात्माअभिमानी समर्थ सफल समान सम्पन्न सम्पूर्ण विजयी का विजयीस्वरूप वाली विशेषतास्वरूप योग्यतास्वरूप - नवीनतास्वरूप महिमास्वरूप वाली सर्वगुण सम्पन्न सोलेकलासम्पूर्ण सम्पूर्ण निर्विकारी मर्यादापुरुसोत्तम डबलअह्सिंक डबलताजधारी जलतीज्वाला ज्वालामुखी ज्वालास्वरूप ज्वालाअग्नि ज्वालामूर्त ज्वालाबिंदी - आत्मा देवता पूज्य ब्राहमण फरिश्ता - अनादी स्वरूप में हम आत्मायें भाई भाई - सूक्ष्मवतन में हम सब फरिश्ता - साकार में एक पिता की सन्तान आपस में हम भाई बहन है - सर्व को याद प्यार नमस्ते मुबारक बधाई दुआयें वरदान शुभभावना शुभकामना सर्व कल्याण गुडमोर्निग गुडनाईट शिवबाबा - शुक्रिया बाबा शुक्रिया आप का लाख गुणा पदमगुणा सुक्रिया


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-योग से ही ताकत आयेगी, अनेक जन्मों की पुरानी आदतें मिटेंगी,
सर्वगुण धारण होंगे इसलिए जितना हो सके बाप को याद करो''

प्रश्न:- तुम बच्चे अभी कौन सी रेस कर रहे हो? उस रेस में थकावट कब आती है?
उत्तर:- तुम बच्चे अभी विजय माला का दाना बनने की रेस कर रहे हो। इस रेस में कोई कोई बहुत

अच्छा दौड़ते हैं, कोई कोई थक जाते हैं। थकने का कारण है पढ़ाई पर पूरा ध्यान नहीं। मैनर्स
सुधरते नहीं। ऐसे बच्चों पर शक पड़ता कि यह कल नहीं रह सकेंगे। काम या क्रोध के वशीभूत
होने के कारण ही थकावट आती है फिर कहते अब चढ़ नहीं सकेंगे, जो होना होगा वो देखा जायेगा।
यह भी तो वन्डर है ना।

गीत:- किसी ने अपना बनाके मुझको.....

धारणा के लिए मुख्य सार:-


1) गॉडली बुलबुल बन बाप का नाम बाला करना है। ज्ञान की धारणा कर अपने मैनर्स बहुत अच्छे बनाने हैं।


2) विजय माला में पिरोने की रेस करनी है। कभी भी तंग हो ब्राह्मण जीवन से थकना नहीं है।

श्रीमत पर सदा चलना है।

वरदान:- सहयोग की शुभ भावना द्वारा रूहानी वायुमण्डल बनाने वाले मास्टर दाता भव


जैसे प्रकृति अपने वायुमण्डल के प्रभाव का अनुभव कराती है, कभी गर्मी, कभी सर्दी..ऐसे आप

प्रकृतिजीत सदा सहयोगी, सहजयोगी आत्मायें अपनी शुभ भावनाओं द्वारा रूहानी वायुमण्डल
बनाने में सहयोगी बनो। वह ऐसा है वा ऐसा करता है, यह नहीं सोचो। कैसा भी वायुमण्डल है,
व्यक्ति है, मुझे सहयोग देना है। दाता के बच्चे सदा देते हैं। तो चाहे मन्सा से सहयोगी बनो,
चाहे वाचा से, चाहे सम्बन्ध-सम्पर्क के द्वारा। लेकिन लक्ष्य हो सहयोगी जरूर बनना है।

स्लोगन:- इच्छा मात्रम् अविद्या की स्थिति द्वारा सर्व की इच्छाओं को पूर्ण करना ही कामधेनु बनना है।
Essence: Sweet children, only through yoga will you receive strength: the old habits of many births will be removed and you will imbibe all virtues. Therefore, remember the Father as much as possible.

Question: Which race are you children now running? When do you get tired in this race?
Answer: You children are now running the race to become beads of the rosary of victory. In this race, some children run very well and others

become tired. The reason for becoming tired is because of not paying full attention to the study. Your manners do not become reformed either.
There is doubt as to whether such children will be able to remain here in the future. Because of being influenced by lust or anger, there is
tiredness and you then say that you are unable to climb any more, that you will see what happens. This too is a wonder.

Song: Someone made me belong to Him and taught me how to smile!

Essence for dharna:


1. Become a Godly nightingale and glorify the Father's name. Imbibe knowledge and make your manners very good.


2. Race to be threaded in the rosary of victory. Never become fed up or tired of Brahmin life. Constantly follow shrimat.



Blessing: May you be a master bestower who makes the atmosphere spiritual with your good wishes of co-operation.


Just as matter makes you feel the effect of it through the atmosphere it is sometimes hot and sometimes cold, in the same way,

you souls who are conquerors of matter, easy yogis and co-operative, must become co-operative in making the atmosphere spiritual
with your good wishes. Do not think: This one is like this or is doing this. No matter what the atmosphere or person is like; you have to
give your co-operation. Children of the Bestower constantly give. So, whether you are co-operative through your mind, through words
or through your relationships and connections, you should aim to be constantly co-operative.

Slogan: To fulfil everyone’s desires with your stage of being ignorant of the knowledge of desires is to be Kaamdhenu

(one who fulfils everyone’s desires).







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ब्रह्मा बाप के १० कदम हिंदी


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