08-12-2010, 07:43 PM | #151 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है.. दरवाजे पर आहट सुनके उसकी तरफ़ ध्यान क्यूं गया.. आने वाली सिर्फ़ हवा हो.. ऐसा भी हो सकता है.. वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है.. अर्ज़-ए-तलब पे उसकी चुप से ज़ाहिर है इंकार मगर.. शायद वो कुछ सोच रहा हो.. ऐसा भी हो सकता है.. वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है.. खून-ए-तमन्ना करना उसका शेवा है मंज़ूर मगर.. हांथ मे उसके रंग-ए-हिना हो.. ऐसा भी हो सकता है.. वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है.. करके मोहब्बत अपनी खता हो.. ऐसा भी हो सकता है.. वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है.. |
08-12-2010, 07:44 PM | #152 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
बे-ज़मीं लोगों को..
बे-करार आंखों को.. बद-नसीब कदमों को.. जिस तरफ़ भी ले जायें.. रास्तों की मर्ज़ी है.. बे-निशां जज़ीरों पर.. बद-गुमा शहरों में.. बे-ज़ुबां मुसाफ़िर को.. जिस तरफ़ भी भटकायें.. रस्तों की मर्ज़ी है.. रोक लें या बढने दें.. थाम लें या गिरने दें.. वस्ल की लकीरों को.. तोड दें या मिलने दें.. रास्तों की मर्ज़ी है.. अजनबी कोई लाकर.. हमसफ़र बना डालें.. साथ चलने वालों की.. राह जुदा बना डालें.. या मुसाफ़तें सारी.. खाक मे मिला डालें.. रास्तों की मर्ज़ी है.. |
08-12-2010, 07:44 PM | #153 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
आंख जब भी बंद किया करते हैं..
सामने आप हुआ करते हैं.. आप जैसा ही मुझे लगता है.. ख्वाब मे जिससे मिला करते हैं.. तू अगर छोडके जाता है तो क्या.. हादसे रोज़ हुआ करते हैं.. नाम उनका ना, कोई उनका पता.. लोग जो दिलमे रहा करते हैं.. हमने “राही” का चलन सीखा है.. हम अकेले ही चला करते हैं.. |
08-12-2010, 07:44 PM | #154 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
पता नहीं कौन से मोड पर..
ज़िन्दगी हम से तुम्हारा साथ मांगेगी.. रास्तों के पत्थर ना गिरादें मुझे.. इन लडखडाती राहों से डर के तुम्हारा हांथ मांगेगी.. उजाले भी ऐसे मिले कि रोशनी से जल गये हम.. इन उजालों से छिप कर कोई हसीन रात मांगेगी.. आज़मायेगी लम्हा-लम्हा दोस्ती ये हमारी.. वक्त की कोई घडी, वादे भरी बात मांगेगी.. हम अकेले रहें, या रहे भीड में.. आरज़ू दिल की तो बस तेरी मुलाकात मांगेगी.. ज़िन्दगी के सफ़र मे, ओ मेरे हमसफ़र.. ना जाने किस वक्त मोहब्बत, तुझसे अपने जज़बात मांगेगी.. |
08-12-2010, 07:45 PM | #155 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
ये जो ज़िन्दगी की किताब है..
ये किताब भी क्या खिताब है.. कहीं एक हसीं सा ख्वाब है.. कही जान-लेवा अज़ाब है.. कहीं आंसू की है दास्तान.. कहीं मुस्कुराहटों का है बयान.. कई चेहरे हैं इसमे छिपे हुये.. एक अजीब सा ये निकाब है.. कहीं खो दिया, कहीं पा लिया.. कहीं रो लिया.. कहीं गा लिया.. कहीं छीन लेती है हर खुशी.. कहीं मेहरबान ला-ज़वाब है.. कहीं छांव है, कहीं धूप है.. कहीं बरकतों की हैं बारिशें.. तो कहीं, और ही कोई रूप है.. ये जो ज़िन्दगी की किताब है.. ये खिताब लाजवाब है.. |
08-12-2010, 07:46 PM | #156 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
वो दिल ही क्या जो तेरे मिलने की दुआ ना करे..
मैं तुझको भूल के ज़िन्दा रहूं, ये खुदा ना करे.. रहेगा साथ, तेरा प्यार, ज़िन्दगी बन कर.. ये और बात, मेरी ज़िन्दगी अब वफ़ा ना करे.. ये ठीक है माना, नहीं मरता कोई जुदाई में.. खुदा किसी को, किसी से जुदा ना करे.. सुना है उसको मोहब्ब्त दुआयें देती है.. जो दिल पे चोट तो खाये, पर गिला ना करे.. ज़माना देख चुका है, परख चुका है उसे.. “कातिल” जान से जाये, पर इल्तिजा ना करे.. |
08-12-2010, 07:47 PM | #157 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
हां दीवाना हूं मैं.. हां दीवाना हूं मैं..
गम का मारा हुआ.. एक बेगाना हूं मैं.. मांगी खुशियां मगर, गम मिला प्यार में.. दर्द ही भर दिया, दिलके हर तार में.. आज कोई नहीं, मेरा संसार में.. छोड के चल दिये, मुझको मझदार में.. हाय, तीर-ए-नज़र का निशाना हूं, मैं.. हां दीवाना हूं मैं.. हां दीवाना हूं मैं.. गम का मारा हुआ.. एक बेगाना हूं मैं.. हां दीवाना हूं.. मैं.. मै किसी का नहीं, कोई मेरा नहीं.. इस जहां मे कहीं भी, बसेरा नहीं.. मेरे दिन का कहीं भी, अंधेरा नहीं.. मेरी छांव का है सवेरा नहीं.. हाय, भूला हुआ एक फ़साना हूं, मैं.. हां दीवाना हूं मैं.. हां दीवाना हूं मैं.. गम का मारा हुआ.. एक बेगाना हूं मैं.. हां दीवाना हूं.. मैं.. |
08-12-2010, 07:47 PM | #158 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
आंख से आंख मिला, बात बनाता क्यूं है..
तू अगर मुझसे खफ़ा है, तो छिपाता क्यूं है..?? गैर लगता है ना अपनों की तरह मिलता है.. तू ज़माने की तरह मुझको सताता क्यूं है..?? वक्त के साथ हालात बदल जाते हैं.. ये हकीकत है मगर, मुझको सुनाता क्यूं है..?? एक मुद्दत से जहां काफ़िले गुज़रे ही नहीं.. ऐसी राहों पे चिरागों को जलाता क्यूं है..?? |
08-12-2010, 07:48 PM | #159 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
पेहली नज़र में.. कैसा जादू कर दिया..
तेरा बन बैठा है, मेरा जिया.. जाने क्या होगा.. क्या होगा.. क्या पता.. इस पल को मिलके.. आ जी ले ज़रा.. मैं हूं यहां.. तू है यहां.. मेरी बाहों मैं आ.. आ भी जा.. ओ जानेजां.. दोनो जहां.. मेरी बाहों मैं आ.. भूलजा.. हर दुआ मे शामिल तेरा प्यार है.. बिन तेरे लम्हा भी दुशवार है.. धड्कनों को तुझसे ही दरकार है.. तुझसे हैं राहतें.. तुझसे है चाहतें.. तू जो मिली एक दिन मुझे.. मैं कहीं हो गया लापता.. ओ जानेजां.. दोनो जहां.. मेरी बाहों मैं आ.. भूलजा.. कर दिया दीवाना दर्द-ए-कश ने.. चैन छीना इश्क के एह्सास ने.. बेख्याली दी है तेरी प्यास ने.. छाया सुरूर है.. कुछ तो ज़रूर है.. ये दूरियां जीने ना दें.. हाल मेरा तुझे ना पता.. ओ जानेजां.. दोनो जहां.. मेरी बाहों मैं आ.. भूलजा.. |
08-12-2010, 07:48 PM | #160 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
कुछ जीत लिखूँ या हार लिखूँ..
या दिल का सारा प्यार लिखूँ.. कुछ अपनो के ज़ाज़बात लिखूँ या सापनो की सौगात लिखूँ.. मै खिलता सुरज आज लिखूँ या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ.. वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की सांस लिखूँ.. वो पल मे बीते साल लिखूँ या सादियो लम्बी रात लिखूँ.. सागर सा गहरा हो जाऊं या अम्बर का विस्तार लिखूँ.. मै तुमको अपने पास लिखूँ या दूरी का ऐहसास लिखूँ.. वो पहली -पहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ.. सावन की बारिश मेँ भीगूँ या मैं आंखों की बरसात लिखूँ.. कुछ जीत लिखूँ या हार लिखूँ.. या दिल का सारा प्यार लिखूँ.. |
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