12-06-2012, 05:29 PM | #1 |
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History of Sikh Gurus
थैंक्स, तेजी |
12-06-2012, 05:33 PM | #2 |
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Re: History of Sikh Gurus
# नाम जन्मतीथि गुरु बनने की तीथि निर्वाण तीथि आयु
1 गुरु नानक देव, 15 अप्रैल 1469, 20 अगस्त 1507, 22 सितम्बर 1539, 69 2 गुरु अंगद देव, 31 मार्च 1504, 7 सितम्बर 1539, 29 मार्च 1552, 48 3 गुरु अमर दास, 5 मई 1479, 26 मार्च 1552, 1 सितम्बर 1574, 95 4 गुरु राम दास, 24 सितम्बर 1534, 1 सितम्बर 1574, 1 सितम्बर 1581, 46 5 गुरु अर्जुन देव, 15 अप्रैल 1563, 1 सितम्बर 1581, 30 मई 1606, 43 6 गुरु हरगोबिन्द सिंह, 19 जून 1595, 25 मई 1606, 28 फरवरी 1644, 48 7 गुरु हर राय, 16 जनवरी 1630, 3 मार्च 1644, 6 अक्तूबर 1661, 31 8 गुरु हर किशन सिंह, 7 जुलाई 1656, 6 अक्तूबर 1661, 30 मार्च 1664, 7 9 गुरु तेग बहादुर सिंह, 1 अप्रैल 1621, 20 मार्च 1665, 11 नवंबर 1675, 54 10 गुरु गोबिंद सिंह, 22 दिसंबर 1666, 11 नवंबर 1675, 7 अक्तूबर 1708, 41 Last edited by teji; 12-06-2012 at 05:35 PM. |
12-06-2012, 05:37 PM | #3 |
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Re: History of Sikh Gurus
गुरू नानक देव
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12-06-2012, 05:37 PM | #4 |
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Re: History of Sikh Gurus
गुरू नानक देव सिखों के प्रथम गुरू थे । गुरु नानक देवजी का प्रकाश (जन्म) 15 अप्रैल 1469 ई. (वैशाख सुदी 3, संवत्* 1526 विक्रमी) में तलवंडी रायभोय नामक स्थान पर हुआ। सुविधा की दृष्टि से गुरु नानक का प्रकाश उत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। तलवंडी अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। तलवंडी पाकिस्तान के लाहौर जिले से 30 मील दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
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12-06-2012, 05:38 PM | #5 | |
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Re: History of Sikh Gurus
नानकदेवजी के जन्म के समय प्रसूति गृह अलौकिक ज्योत से भर उठा। शिशु के मस्तक के आसपास तेज आभा फैली हुई थी, चेहरे पर अद्भुत शांति थी। पिता बाबा कालूचंद्र बेदी और माता त्रिपाता ने बालक का नाम नानक रखा। गाँव के पुरोहित पंडित हरदयाल ने जब बालक के बारे में सुना तो उन्हें समझने में देर न लगी कि इसमें जरूर ईश्वर का कोई रहस्य छुपा हुआ है।
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12-06-2012, 05:39 PM | #6 |
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Re: History of Sikh Gurus
उन्हें अहसास हो गया कि नानक को स्वयं ईश्वर ने पढ़ाकर संसार में भेजा है। इसके उपरांत नानक को मौलवी कुतुबुद्दीन के पास पढ़ने के लिए बिठाया गया। नानक के प्रश्न से मौलवी भी निरुत्तर हो गए तो उन्होंने अलफ, बे की सीफहीं के अर्थ सुना दिए। मौलवी भी नानकदेवजी की विद्वता से प्रभावित हुए।
विद्यालय की दीवारें नानक को बाँधकर न रख सकीं। गुरु द्वारा दिया गया पाठ उन्हें नीरस और व्यर्थ प्रतीत हुआ। अंतर्मुखी प्रवृत्ति और विरक्ति उनके स्वभाव के अंग बन गए। एक बार पिता ने उन्हें भैंस चराने के लिए जंगल में भेजा। जंगल में भैसों की फिक्र छोड़ वे आँख बंद कर अपनी मस्ती में लीन हो गए। भैंसें पास के खेत में घुस गईं और सारा खेत चर डाला। खेत का मालिक नानकदेव के पास जाकर शिकायत करने लगा। |
12-06-2012, 05:40 PM | #7 |
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Re: History of Sikh Gurus
जब नानक ने नहीं सुना तो जमींदार रायबुलार के पास पहुँचा। नानक से पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि घबराओ मत, उसके ही जानवर हैं, उसका ही खेत है, उसने ही चरवाया है। उसने एक बार फसल उगाई है तो हजार बार उगा सकता है। मुझे नहीं लगता कोई नुकसान हुआ है। वे लोग खेत पर गए और वहाँ देखा तो दंग रह गए, खेत तो पहले की तरह ही लहलहा रहा था।
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12-06-2012, 05:40 PM | #8 |
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Re: History of Sikh Gurus
एक बार जब वे भैंस चराते समय ध्यान में लीन हो गए तो खुले में ही लेट गए। सूरज तप रहा था जिसकी रोशनी सीधे बालक के चेहरे पर पड़ रही थी। तभी अचानक एक साँप आया और बालक नानक के चेहरे पर फन फैलाकर खड़ा हो गया। जमींदार रायबुलार वहाँ से गुजरे। उन्होंने इस अद्भुत दृश्य को देखा तो आश्चर्य का ठिकाना न रहा। उन्होंने नानक को मन ही मन प्रणाम किया। इस घटना की स्मृति में उस स्थल पर गुरुद्वारा मालजी साहिब का निर्माण किया गया।
उस समय अंधविश्वास जन-जन में व्याप्त थे। आडंबरों का बोलबाला था और धार्मिक कट्टरता तेजी से बढ़ रही थी। नानकदेव इन सबके विरोधी थे। जब नानक का जनेऊ संस्कार होने वाला था तो उन्होंने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि अगर सूत के डालने से मेरा दूसरा जन्म हो जाएगा, मैं नया हो जाऊँगा, तो ठीक है। लेकिन अगर जनेऊ टूट गया तो? |
12-06-2012, 05:41 PM | #9 |
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Re: History of Sikh Gurus
पंडित ने कहा कि बाजार से दूसरा खरीद लेना। इस पर नानक बोल उठे- 'तो फिर इसे रहने दीजिए। जो खुद टूट जाता है, जो बाजार में बिकता है, जो दो पैसे में मिल जाता है, उससे उस परमात्मा की खोज क्या होगी। मुझे जिस जनेऊ की आवश्यकता है उसके लिए दया की कपास हो, संतोष का सूत हो, संयम की गाँठ हो और उस जनेऊ सत्य की पूरन हो। यही जीव के लिए आध्यात्मिक जनेऊ है। यह न टूटता है, न इसमें मैल लगता है, न ही जलता है और न ही खोता है।'
एक बार पिता ने सोचा कि नानक आलसी हो गया है तो उन्होंने खेती करने की सलाह दी। इस पर नानकजी ने कहा कि वह सिर्फ सच्ची खेती-बाड़ी ही करेंगे, जिसमें मन को हलवाहा, शुभ कर्मों को कृषि, श्रम को पानी तथा शरीर को खेत बनाकर नाम को बीज तथा संतोष को अपना भाग्य बनाना चाहिए। नम्रता को ही रक्षक बाड़ बनाने पर भावपूर्ण कार्य करने से जो बीज जमेगा, उससे ही घर-बार संपन्न होगा। |
12-06-2012, 05:43 PM | #10 |
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Re: History of Sikh Gurus
गुरूनानक देव जी ने अपने अनुयायियों को जीवन के दस सिद्धांत दिए थे। यह सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है।
1. ईश्वर एक है। 2. सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो। 3. जगत का कर्ता सब जगह और सब प्राणी मात्र में मौजूद है। 4. सर्वशक्तिमान ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता। 5. ईमानदारी से मेहनत करके उदरपूर्ति करना चाहिए। 6. बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएँ। 7. सदा प्रसन्न रहना चाहिए। ईश्वर से सदा अपने को क्षमाशीलता माँगना चाहिए। 8. मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके उसमें से जरूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए। 9. सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं। 10. भोजन शरीर को जिंदा रखने के लिए जरूरी है पर लोभ-लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है। |
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