06-02-2013, 02:44 AM | #11 |
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Shivsandesh 5th 2013
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06-02-2013, 02:47 AM | #12 |
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दिव्य शक्ति
दिव्यशक्यियाँ ------ १ विस्तार को संकीर्ण करने की शक्ति - २ समेट ने की शक्ति - ३ सहन शक्ति - ४ समाने की शक्ति - ५ परखने की शक्ति - ६ निर्णय शांति - ७ सामना करने की शक्ति - ८ सहयोग शक्ति - ९ - संग्राम करने की शक्ति - १० संग्रह करने की शक्ति - ११ निवारण शक्ति - १२ समाधान की शक्ति - १३ एकता शक्ति - १४ एकाग्रता की शक्ति - १५ द्रढता की शक्ति - १६ मोल्ड होने की शक्ति - १७ १८ परिवर्तन शक्ति - १९ महेसुसुता की शक्ति - २० कंट्रोलिंग पावर - २१ रूलिंग पावर - २२ एस्जेस्ट पावर - २३ टचिंग पावन - २४ केचिंग पावर - २५ मंथन शक्ति - २६ मगन शक्ति - २७ धारणा शक्ति - २८ पवित्रता की शक्ति - २९ निर्भयता की शक्ति - ३० शांति की शक्ति - ३१ संकल्प शक्ति - ३२ बुद्धि की शक्ति - ३३ संगठन शक्ति - ३४ प्रेम की शक्ति - ३५ नियत्रण शक्ति - ३६ ३७ निश्चय शक्ति - ३८ परमात्मा शक्ति - ३९ ईश्वरीय शक्ति - ४० आघ्यात्मिक शक्ति - ४१ पुण्य शक्ति - ४२ मंत्र शक्ति ( मंत्रशक्ति माना शुद्ध शुभ सात्विक सतोगुणी सतोप्रधान श्रेष्ठ सर्व कल्याणी मंत्रशक्ति __नो काला जादू नो रिद्धि सिद्धि ) - ४३ कर्म की शक्ति - ४४ बोल की शक्ति - ४५ स्नेह की शक्ति -४६ त्याग शक्ति - ४७ दिव्यता की शक्ति - ४८ अनुभव की शक्ति - ४९ प्रशासन शक्ति - ५० ओल इन वन माना ज्ञान शक्ति ----------------------
मैं कर्मेन्द्रियो का राजा हूँ ... मेरे नाम है मास्टर सर्वशक्तिमान ... मुझ महावीर का रूप है ... अस्त्र - शस्त्रधारी शक्तिरूप .... गुणों में सहन शीलता का देवता हूँ .... समाने में सम्पन हूँ .... विस्तार को संकीर्ण कर .... सार में स्थित बिंदी रूप हूँ .... सब कुछ समेट कर उपराम और साक्षी द्रष्टा हूँ .... अवगुणों को समाने वाली ..... सहनशीलता को धारण कर नबरवन लेनेवाली ..... निर्णय ने और परखने में बाप समान हूँ ..... हर परिस्थियों का , हर मुस्किलो का सामना करने में महीन हूँ ..... सहयोग की जेब मेरी सदा भरपूर है .... विकारो और आसूरी वुर्तियो का संग्राम करने वाली .... ज्ञान रतनो का संग्रह करने वाली ..... हर कारण का निवारण कर समाधान करने वाली ... समय व्यक्ति वातावरण को देख मोल्ड होने वाली .... मेरा कर्तव्य है .... हर मुश्किल को सहज कर परिवर्तन करने वाला करता धर्ता धर्म का प्रतिक हूँ .... एकता , एकाग्रता और द्रढ़ता से सफलता की शिखर पर पहुँचने वाली .... परमात्मा संगठन में रह स्वय को सर्वश्रेष्ठ बनाने वाली .... टचिंग और केचिंग पावर से शुद्ध वुर्तिया को शुद्ध वायुमंडल और आदि मध्य अन्त की त्रिकालदर्शी हूँ .... अपनी कर्मेन्द्रियो के ऊपर रुल करने वाली स्वराज्य अधिकारी हूँ .... महेसूसता की शक्ति से अपनी कमी कमजोरी को परख कर गुणों में परिवतन करने वाली..... सेकण्ड में निराकारी और सेकण्ड में साकारी के अभ्यास वाला कंट्रोलर हूँ ... धारणा में फूल मार्क लेनेवाली .... एडजेस्ट होकर सेवा का चांस लेने वाला हूँ .... ज्ञान का मनन कर मंथन कर बाप की याद में मगन रहेने वाली .... सब कुछ समेट कर सार रूप स्थित हूँ .... मेरा बुद्धि रूपी निवास स्थान सदा एकरस एकटिक एक स्थित निश्चय बुद्धि साक्षी द्रष्टा हूँ ... निश्चिन्त हूँ ... मैं आत्मा हर कर्म और हर संकल्प से ड्रामा को ढाल समजकर , ड्रामा के पट्टे पर चलने वाला साक्षी सो द्रष्टा हूँ .... मैं आत्मा सम्मान लेने वाला सम्मान देने वाला विश्व का मालिक हूँ .... हर सेवा व् हर संकल्प में पदम् गुणा कमाई करने वाला सगमयुगी श्रेष्ठ काल का सर्व श्रेष्ठ ब्रह्मा मुख वंशावली मरजीवा ब्राहमण हूँ ..... मैं आत्मा सेवा स्नेह और सहयोग में बाप समान फोलो फाधर करने वाला हूँ ..... अनेको को कल्याण करनेवाला .... और सर्व को सम्पन सम्पूर्ण भरपूर करने वाला सर्व खजानों का मालिकहूँ..... सक्सेसफूल हूँ .... फूल पास हूँ ..... पास विद ओनर .... एवररेडी मास्टर ज्ञानसूर्य .... मास्टर रचयिता .... मास्टर महाकाल .... मास्टर सर्वशक्तिमान ... मास्टर सर्वशक्तिवान ..... शिवशक्ति ..... शिवमइ शक्ति .... शिवशक्ति कम्बाइन .... शिवमूर्त .... बापमूर्त .... समानमूर्त .... मास्टर ओलमाइटी अथोरिटी ... अकालतख्तनशीं ..... अकालमूर्त .... महारथी .... महावीर ... मनजीत जगतजीत .... मायाजीत प्रकुर्तीजीत ... अष्ट इष्ट महान सर्वश्रेष्ठ विजयी रत्न हूँ ..... |
06-02-2013, 02:48 AM | #13 |
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निराकार परमपिता परमात्मा शिव की महिमा
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06-02-2013, 05:00 PM | #14 |
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Shivsandesh 6th 2013
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07-02-2013, 06:59 AM | #15 |
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7th Feb 2013 Shivsandesh
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07-02-2013, 10:21 AM | #16 |
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Re: 7th Feb 2013 Shivsandesh
har har mahadev.....
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07-02-2013, 05:30 PM | #17 |
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ग्रहण ग्रहचारी से मुक्त बनने के लिए स्वदरî
ग्रहण ग्रहचारी से मुक्त बनने के लिए स्वदर्शन चक्र का अभ्यास ------- स्वदर्शन चक्रधारी ही भविष्य में चक्रवर्ती राज्य भाग्य अधिकारी बनते है - स्वदर्शन चक्रधारी अर्थात अपने सारे चक्र के अंदर सर्व भिन्न भिन्न ८४ जन्म के पार्ट को जानने वाले - हम सब इस चक्र के अंदर हीरो पार्ट बजाने वाली विशेष आत्मायें है - इस अंतिम जन्म में हीरे तुल्य जीवन बनाने से सारे कल्प के अंदर हीरो पार्ट बजाने वाले है - स्वदर्शन चक्रधारी अर्थात मास्टर नोलेजफूल त्रिकालदर्शी - पाँच हजार वर्ष का चक्र - ओनली ८४ जन्म का चक्र - यह है ८४ जन्म की जन्म की जन्मपत्री - सुष्टि चक्र के आदि मध्य अन्त तक पार्ट बजानेवाली आत्मा - ब्रह्मा बाप बाप के साथ सुष्टि के आदि पिता और आदि माता के साथ सारे कल्प में भिन्न भिन्न पार्ट बजाने वाला - इस चक्र की याद से नशा और खुशी रहेगी - इस चक्र से देव आत्मा , पूज्य आत्मा बनते है - स्वदर्शन से आधा कल्प सतयुग स्वर्ग का राज्य अधिकारी बनते हो - स्वदर्शन चक्रधारी बनने से आधा कल्प मानीयय पूजनीय श्रेष्ठ आत्मा बनते है - सदा स्वदर्शन चक्रधारी की स्मुर्ती स्वरूप में स्थित रहने से जीवन में हिलेंगे डोलेंगे नही - सदा एकरस स्थित रहेंगे - इस चक्र की याद विकर्म विनाश होते है - इस चक्र की याद से उमंग उत्साह सदा बना रहेता है - इस चक्र से ग्रहण ग्राहाचारी से मुक्त बनते है - दिव्य गुणों की धारणा होती है - और दिव्य गुण धारण करें से इस जन्म और भविष्य जन्म धनवान साहूकार सुखी बनते है - पाँच स्वरूप माना स्वदर्शन चक् की याद से आत्मा दशा ग्रहण ग्र्हाचारी से मुक्त बनती है - विध्न से मुक्त बनते है - विकार से जीवन में विध्न आते है - स्वदर्शन चक्र से विकारों से मुक्ति मिलती है - स्वदर्शन चक्रधारी ही विश्व दिव्य दर्शनीय बनते है - हर कदम में , हर संकल्प में स्वदर्शन से ही दिव्य दर्शन करा सकते है - स्वदर्शन स्थिति में स्थित रहने वाले चलते फिरते नेचरल रूप में अपने दिव्य संकल्प , दिव्य द्रष्टि , दिव्य बोल , दिव्य कर्म द्वरा अन्य आत्माओं को भी दिव्य मूर्त अनुभव होंगे - दिव्यता दिखाई देगी - साधारण नही दिखाई देगी - स्व दर्शन से विजय चक्र प्राप्त होता है - स्वदर्शन चक्रधरी बनने से चक्रधारी राज बनेगे - स्वदर्शन चक्र चलाने से व्यर्थ चक्र से मुक्ति माना व्यर्थ संकल्प , व्यर्थ बोल , व्यर्थ कर्म , व्यर्थ सबंध समपर्क से मुक्ति मिलती है - स्वदर्शन चक्र चलाने से अनेक जन्मों की मिलकियत जमा होगी - स्वदर्शन चक्र चलाने से ग्रहाचारी खत्म होती है - स्वदर्शन चलाने से हेल्थ वेल्थ मिलती है - स्वदर्शन चक्र चलाने से उडती कला आएगी और मन सदा खुश रहेगा - स्वदर्शन चक्र से नोलेजफूल पावरफूल स्थिति आएगी - स्वदर्शन चक्र से माया का गला काट शकेंगे - माया माना पाँच विकार - स्वदर्शन चक्र से ज्ञान के लाइट बन जायेंगे - नोलेज इज लाइट - माना फरिश्ता स्वरूप बनेगे माना दिव्यता आती जायेगी मान दिव्यता माना देवता - माना देवता स्वरूप अलौकिक स्वरूप दिखाई देगा माना साधारण समाप्त होती जायेगी - स्वदर्शन चक्रधारी बनने से राजा रानी बनते है -
स्वदर्शन चक्र का अभ्यास ------ १) अनादी स्वरूप - मैं चमकती हुई ज्योति हूँ .- मुझ से शक्तियों की किरणें चारों फैल रही है - मैं परमधाम में हूँ ...... मुक्त अवस्था में हूँ - ज्ञान सूर्य शिवबाबा के सन्मुख हूँ - अपने दिव्य स्वरूप को देख रही हूँ -२ ) आदि स्वरूप - मैं देवी हूँ - मैं देवता हूँ - दिव्य वा पवित्र देह में हूँ - स्वर्ग में हूँ - सोने के महेलों में हूँ - सिहासन पर बिराजमान हूँ - मेरे सिर पर डबलताज है - मैं सर्वगुणसम्पन - सोलेकलासम्पन -सम्पूर्णनिर्विकारी - मर्यादापुरुसोत्तम - डबलअहिंसक हूँ - ३ ) पूज्य स्वरूप - मैं अष्ट भुजाधारी दुर्गा हूँ - मैं असुर सहारिनी हूँ - पाप - नाशिनी हूँ - जग उद्धारक हूँ - मैं मन्दिर मैं हूँ - सर्व भक्तों को नजर से निहाल हो रहे है - सर्व की मनोकामनायें पूर्ण हो रही हूँ - मैं विघ्नविनाशक सिद्धि विनायक गणेश हूँ - सर्व को सुख शांति शक्ति रहम दिव्यबुद्धि की सकाश दे रहा हूँ - ४ ) संगमयुगी ब्राहमण स्वरूप - मुझे स्वयं भगवान ने चुना - मेरे जैसा भाग्य वान और कोई नहीं - क्युकी मैं परमात्म पालना में पलने वाली आत्मा हूँ - मैं पूज्य और पूर्वज हूँ - मैं मास्टरसर्वशक्तिवान विजयी रतन हूँ - मैं सर्व खजानों वरदानों और छत्रछाया में पल रही हूँ -परमात्मा का मीठा प्यार रूहानी लाडला सफल संम्पन सम्पूर्ण भरपूर विजयी बच्चा हूँ - ५ ) फ़रिश्ता स्वरूप - मैं आत्मा प्रकाश के चमकीले शरीर में बिराजमान हूँ- मरे अंग अंग से प्रकाश फैल रहा हूँ - मैं सम्पूर्णतया मुक्त हूँ - परम पवित्र हूँ - अनाशक्त हूँ - उपराम हूँ - मैं पूर्ण स्वतंत्र हूँ - एक सेकण्ड में कही भी आ जा शकता हूँ - मैं फ़रिश्ता हूँ - कमल आसन पर बिराजमान हूँ - बाबा की सफेद पवित्र की किरणें मुझ पर पड रही है ---------- योग कोमेंट्री - चक्र अभ्यास - स्वमान अभ्यास -हिन्दी five form --- 1. Conciousness of Being your Eternal Embodiment self - I am a Master All-Mighty sparkling soul point of light through me, powerful rays are spreading in all four directions - I am in Paramdham, I am free... close to ShivBaba - The Sun of Knowledge - I continue to observe my Divine form - 2. Conciousness of Being your Original Embodiment self - I am a Diety... I am in a divine and pure body... sitting on a throne- wearing a Double Crown... surrounded by nature and beauty - I am Complete with all virtues, Completely Vice-Less - Standing before me is a Pushpak viman... and Deities are strolling about - 3. Conciousness of Being your Worship Worthy self - I am the Eight-Armed Goddess Durga... victorious over Demons of Maya, Destroyer of sin... World Benefactor... I am in a temple... in front of are thousands of devotees with various Desires... Light is emanating from my forehead over everyone... and their desires are being fulfilled. ---- I am Ganesh, The Destroyer of Obstacles and An Embodiment of Solutions... Transformer of a Weak Intellect... I am Merciful... I fulfill everyone's Desires.. Devotees are having a vision of my Deity form, they are singing my praise...everyone's obstacles are being destroyed. - 4. Conciousness of Being your Confluence- Aged Brahmin self - God Himself has chosen me... no one is as Fortunate as me... because I am the child that is sustained by the SUPREME FATHER I am The Ancestor Soul, Master of all Powers... a Victorious Jewel... WAH BABA, WAH DRAMA, WAH MY SOUL ! I never Envisioned that God would belong to me... I never Imagined that I would come so close to Him.. He has given me Blessings and countless Treasures. - 5. Conciousness of Being your Angelic self I, the soul, am sitting in a body of Light... Light is radiating from every part of my body.. I am completely Liberated and completely Pure.. I am Loving and Detached... free.. I can go and come anywhere in a second.. I am an Angel... Seated on The Lotus-like Throne... from Up Above, Shiv Baba's Pure white rays are falling on me. ---- चक्र का अभ्यास - अनादीस्वरूप परमधाम में - मैं बाप के साथ साथ विशेष चमकती हुई आत्मा हूँ ... सुष्टि चक्र के सतयुग आदि में - मैं श्रेष्ठ सुख स्वरूप देवता हूँ , सर्व प्राप्ति स्वरूप देवता हूँ , सतोगुणी प्रकुति का मालिक हूँ , हम सो देवता है ... द्रापर में - मैं आत्मा पूज्य स्वरूप हूँ ... भावना से कायदे प्रमाण पूजनीय स्वरूप वाली सर्वश्रेष्ठ मूर्ती हूँ ... संगमयुग पर मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी हूँ .... स्वयम मालिक भगवान पवित्रता की विशेषता भर रहा है ..... पवित्रता सर्व अविनाशी सुखों की खान है .. पवित्रता की जायदाद वाला ब्राह्मण हूँ .... मास्टर सर्वशक्तिवान की अनुभव की अथोरिटी वाला हूँ ....पावरफूल स्वमानधारी बन कर चलने वाला सर्व प्राप्ति स्वरूप हूँ - सूक्ष्मवतन - में आत्मा रिटर्न जरनी वाला फरिश्ता हूँ .... |
07-02-2013, 05:44 PM | #18 |
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निराकार परमपिता परमात्मा शिव की महिमा -
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08-02-2013, 07:38 AM | #19 |
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08 02 2013 Shivsandeh
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08-02-2013, 08:53 PM | #20 |
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Re: 08 02 2013 Shivsandeh
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
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