11-06-2022, 10:45 AM | #1 |
Diligent Member
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ग़ज़ल- बाप का पैसा उड़ाओ इश्क़ में
■■■■■■■■■■■■■■■ बाप का पैसा उड़ाओ इश्क़ में रोज सैंडिल खा के आओ इश्क़ में तुम रसायन, भौतिकी या मैथ के सूत्र सारे भूल जाओ इश्क़ में रोब तेरा हर तरफ कायम रहे तेज बाइक यूँ चलाओ इश्क़ में फिर न मौका ये मिलेगा इसलिए रोज ख़ुशबू से नहाओ इश्क़ में सिर्फ तुम सिगरेट मत फूँका करो फेफड़ों को भी जलाओ इश्क़ में हो परीक्षा ज़िंदगी या बोर्ड की फेल होकर मुस्कुराओ इश्क़ में पढ़ के वो 'आकाश' है अफ़सर बना और तुम घंटा बजाओ इश्क़ में ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 09/06/2022 ■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274309 मो- 9919080399 |
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