17-08-2022, 04:04 AM | #1 |
Diligent Member
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क्यों मनुष्य ही मनुष्य को नहीं स्वीकारता
■■■■■■■■■■■■■■■■■■ भेदभाव रखना तो धर्म का स्वभाव नहीं, फिर भी मनुष्य ऊँच नीच क्यों पुकारता। पशुओं से मेलजोल रखता है किंतु हाय, क्यों मनुष्य ही मनुष्य को नहीं स्वीकारता। श्वान को लगाता गले और चूमता है रोज, हेतु उसके मनुष्य रखता उदारता। किंतु क्यों मनुष्य को मनुष्य ही अछूत कहे, हैं सभी समान यहाँ क्यों नहीं विचारता। घनाक्षरी- आकाश महेशपुरी दिनांक- 16/08/2022 ■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274309 मो- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 19-08-2022 at 01:18 PM. |
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