25-08-2022, 08:28 PM | #1 |
Diligent Member
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हुनर भरपूर है लेकिन...
■■■■■■■■■■ मुझे क्यूँ ये जमाना बेवजह जाहिल समझता है हुनर भरपूर है लेकिन नहीं काबिल समझता है कभी मालिक हुआ करता था अब नौकर सरीखा हूँ समुंदर से भी गहरे दर्द को बस दिल समझता है मुक्तक- आकाश महेशपुरी दिनांक- 24/08/2022 ■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274309 मो- 9919080399 |
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