10-01-2013, 06:40 PM | #31 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
10-01-2013, 06:41 PM | #32 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
QUOTE=jai_bhardwaj;206972]
खिलौनों की जगह दिल टूटता है कि गुडिया अब बड़ी होने लगी है [/QUOTE]
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10-01-2013, 06:46 PM | #33 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
तेरे दिल में कोई यूँ ही बस जाएगा अहिस्ता अहिस्ता ...
हमसे ऐसे मिलती रही तो रोग -इ -मोहब्बत लग जायेगा अहिस्ता अहिस्ता . अभी तो बहाने से नज़र झुकाती हो इस तरह ... गिरा कर फिट बहाने से नज़र मिलोगी अहिस्ता अहिस्ता . अब बेशक तुम न सोचो हमारे बारे में मगर देखना ... जो कभी न सोचा , वोह ख्याल भी तेरे मन में आयेगा अहिस्ता अहिस्ता . आग कब भड़केगी तेरे दिल की , हमे खबर नहीं ... सुना है शोला भी सुलाघ्ता है देर तक अहिस्ता अहिस्ता . इंतज़ार है हमे उस दिन का , तुम जब डौगी आवाज़ ... अब आ जा जल्दी , और हम कहेंगे अहिस्ता अहिस्ता .
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11-01-2013, 06:27 PM | #34 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
एक दो बार सही हर बार इनकार नहीं चलता.
इस कमर तोड़ महंगाई में उधार नहीं चलता. माना की बहूत फ़िक्र है तुझे, अपनों के वास्ते, पर महज फ़िक्र से ही,घर-परिवार नहीं चलता. कभी धुप,कभी छाव,कभी बदली,कभी बारिश, सदा एक जैसा मौसम का किरदार नहीं चलता. अब छोड़ दे इरादा तू कातिल बनने का ज़माने में, दिल में दया हो तो हाथो से तलवार नही चलता. हरदम मत तौलो रिश्तों को दौलत की तराजू में, खाली पैसों के बदौलत ही ब्यवहार नहीं चलता. "नूरैन" सब कुछ पूछ मत ये पूछ,हाले-बिजिनस मेरी, अन्धो के शहर में आईने का कारोबार नहीं चलता.
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11-01-2013, 06:28 PM | #35 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
समा जाते है लोग दिल में ऐतबार बनकर.
फिर लूट लेते है ख़ज़ाना पहरेदार बनकर, यकीं करता है इन्सान जिनपे हद से ज्यादा, डुबों देते है वो ही कश्ती मझदार बनकर, रिश्तों की अहमियत खूब समझती है दुनिया, पर लालच आ जाती है बिच में दिवार बनकर. दौरे-मुश्किल में वसूलों पे चलते है बहूत लोग, पर भूला देते है वसूलों को मालदार बनकर. झूठ बिक जाती है पलभर में हजारों के बिच, सच रह जाता है तन्हा गुनाहगार बनकर, इंसानियत हो गयी हैं गूंगी,मजहब के नारों से, लोग,खुदा को बाटते है,धर्म का ठेकेदार बनकर,
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11-01-2013, 06:28 PM | #36 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
भले ही अपनी नज़रों में,औरों के बाद रखना तुम.
भूल जाना मेरी हस्ती को, मत याद रखना तुम. बस एक इल्तिजा है मेरी,तुम से रुखसत होते-होते, होंठों पे मुस्कराहट की दौलत,आबाद रखना तुम. हम तो किस्मत के मारे है,आज यहाँ और कल कहा, बस मुहब्बत ना मिटे दिल से,येही फ़रियाद रखना तुम. हर एक उम्मीद इंसान की, कभी होती कहा है पूरी, बिछड़ के फिर कभी ना मिलने का,मुराद रखना तुम. माना की बहूत दर्द दिया है, हमको दुनिया वालों ने, पर आँखे नम ना करना दिल को सदा,फौलाद रखना तुम. कल का हाल तो कल जाने,पर आज ये मेरी ख्वाहिस है, जहा भी रहना नाम वफ़ा का, जिंदाबाद रखना तुम.
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11-01-2013, 06:31 PM | #37 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
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13-01-2013, 11:32 AM | #38 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
मुझसे मिलने के वो करता था बहाने कितने,
अब गुजारेगा मेरे साथ ज़माने कितने, मैं गिरा था तो बहुत लोग रुके थे लेकिन, सोचता हूँ मुझे आए थे उठाने कितने, जिस तरह मैंने तुझे अपना बना रखा है, सोचते होंगे यही बात न जाने कितने, तुम नया ज़ख्म लगाओ तुम्हे इससे क्या है, भरने वाले है अभी ज़ख्म पुराने कितने
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13-01-2013, 11:33 AM | #39 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
हम तो हैं परदेस में देश में निकला होगा चाँद,
अपनी रात की छत पर कितना तन्हा होगा चाँद, जिन आंखों में काजल बनकर तैरी काली रात, उन आंखों में आंसू का इक कतरा होगा चाँद, रात ने ऐसा पेच लगाया टूटी हाथ से डोर, आँगन वाले नीम में जाकर अटका होगा चाँद, चाँद बिना हर दिन यूँ बीता जैसे युग बीते, मेरे बिना किस हाल में होगा कैसा होगा चाँद,
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13-01-2013, 11:34 AM | #40 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
दिल के उजले कागज़ पर हम कैसा गीत लिखें,
बोलो तुमको गैर लिखें या अपना मीत लिखें, नीले अम्बर की अंगनाई में तारों के फूल, मेरे प्यासे होटों पर है अंगारों के फूल, इन फूलों को आख़िर अपनी हार या जीत लिखें, कोई पुराना सपना दे दो और कुछ मीठे बोल, लेकर हम निकले है अपनी आखों के कश खोल, हम बंजारे प्रीत के मारे क्या संगीत लिखें, शाम खड़ी है एक चमेली के प्याले में शबनम, जमुना जी के ऊंगली पकड़े खेल रहा है मधुबन, ऐसे में गंगा जल से राधा की प्रीत लिखें
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