My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

 
 
Thread Tools Display Modes
Prev Previous Post   Next Post Next
Old 12-07-2013, 01:36 PM   #1
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default व्यंग्य सतसई

मैं आ रही हूँ
राजकिशोर








बहन माया आज बहुत खुश थीं। खुश थीं या खुश दिखाई पड़ रही थीं, यह बता पाना मुश्किल है। जो राजनीति में है उसके करीबी भी इसका अंदाजा नहीं लगा सकते। इस मामले में मनमोहन सिंह सबसे अधिक विश्वसनीय हैं। ठीक भारत सरकार की तरह, जिसका चेहरा नितांत अपारदर्शी है। सोनिया गांधी ने भी इस दिशा में अच्छी प्रगति की है। पर उनमें एक कमी है। उन्हें मुस्कराते हुए शायद ही किसी ने देखा हो, पर जब वे वीर या रौद्र रस में होती हैं, तो अपने को अप्रकट नहीं रख पातीं। मुझे विश्वास है कि राहुल गांधी इस कमी को दूर करने में पूरी तरह सफल होंगे।
बहरहाल, बात माया मेमसाहब की हो रही थी। पिछले दिनों वे काफी परेशान नजर आ रही थीं। उन्हें लगता था कि केन्द्र की सरकार जेल और उनके बीच की दूरी को कम करने की कोशिश में लगी हुई है। यह कोशिश करते-करते जब वाजपेयी प्रधानमंत्री के रूप में भूतपूर्व हो गए, तब मनमोहन सिंह की सरकार ने इस मिशन को अपना लिया। लेकिन अभी तक तो माया बहन ताज कॉरिडोर से दूर रह पाने में सफल रही हैं। अब आगे कोई खतरा दिखाई नहीं पड़ता, क्योंकि लखनऊ उन्हें चीख-चीख कर अपने पास बुला रहा है।
जो लखनऊ को प्यारा हो गया, आगरा और फैजाबाद जैसे शहर उसके सामने पानी भरने लगते हैं। गद्दी पर आने का सबसे बड़ा फायदा यही है। जैसे गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप कट जाते हैं, वैसे ही सत्ता में जाने के बाद आदमी कानून की सभी धाराओं से ऊपर उठ जाता है। कानून शासितों के लिए होता है, शासकों के लिए नहीं। इसीलिए मायावती को अपने तीसरे मुख्यमंत्रित्व की आहट से बहुत प्रसन्नता हो रही थी। खुशी का भार इतना ज्यादा था कि पैर जमीन पर एक जगह टिक नहीं रहे थे। इसी मूड में वे संवाददाता सम्मेलन में पधारीं।
मायावती न केवल अच्छे मूड में थीं, बल्कि अच्छा दिखने के लिए उन्होंने कोई पत्थर उठाए बिना नहीं छोड़ा था (अंग्रेजी के एक पुराने, घिसे-पिटे मुहावरे का समकालीन घटिया अनुवाद)। वे इस विचारधारा से गहराई से प्रभावित नजर आ रही थीं कि गरीब भारत के नेता को गरीब नहीं दिखना चाहिए। माया के संक्षिप्त शब्दकोश में गरीब का अर्थ है दलित। अतः उनका स्वाभाविक आग्रह रहता है कि वे आम दलित की तरह न दिखें। उन्हें दलितों का गांधी नहीं, जवाहर बनना है। गांधी तो दलित-विरोधी थे। जवाहर ने आंबेडकर को अपने पहले मंत्रिमंडल में स्थान दिया था। लेकिन आंबेडकर ज्यादा दिन सत्ता में नहीं रह सके, क्योंकि उन्हें सत्ता की बजाय अपने सिद्धान्त प्यारे थे।
यह घटना जितने ऐतिहासिक महत्त्व की थी, इससे माया बहन ने उतनी ही ऐतिहासिक सीख ली थी। चूँकि सत्ता में आए बगैर दलितों के लिए कुछ नहीं किया जा सकता, इसलिए उन्होंने विचारधारा को लम्बी छुट्टी दे दी थी। कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने विचारधारा को छुट्टी पर नहीं भेजा है, बल्कि सदा के लिए रिटायर कर दिया है। सचाई जो भी हो, विचारधारा न भी रह जाए, विचार तो बना ही रहता है। एक समय कहा जाता था कि खादी वस्त्र नहीं, विचार है। इसी तरह माया बहन के कीमती कपड़ों, हीरे आदि के माध्यम से उनके विचार प्रकट हो रहे थे। इन विचारों में काफी समृद्धि थी।
एक संवाददाता ने पहला सवाल दागा : क्या आपको आभास है कि मुलायम सिंह के बाद आप ही आ रही हैं?
माया : हाँ, मैं आ रही हूँ।
दूसरा संवाददाता : सत्ता में आने के बाद आपका एजेंडा क्या होगा?
माया : तब की तब देखी जाएगी। अभी तो मैं आ रही हूँ।
तीसरा संवाददाता : मुलायम सिंह की सरकार का मूल्यांकन आप किस तरह करती हैं?
माया : कहा न, मैं आ रही हूँ।
चौथा संवाददाता : क्या बहुजन समाज पार्टी को अकेले बहुमत मिल सकेगा?
माया : यह इस बात से स्पष्ट है कि मैं आ रही हूँ।
पाँचवाँ संवाददाता : सत्ता में आने के लिए आप किन दलों का सहयोग लेना चाहेंगी?
माया : क्या इतना काफी नहीं है कि मैं आ रही हूँ?
छठा संवाददाता : कांग्रेस के प्रति आपका नजरिया क्या रहेगा?
माया : वे जानते हैं कि मैं आ रही हूँ।
सातवाँ संवाददाता : उत्तर प्रदेश के प्रशासन के लिए आपका संदेश क्या है?
माया : वे यह न भूलें कि मैं आ रही हूँ।
आठवाँ संवाददाता : सत्ता में आने के बाद कौन-कौन-से परिवर्तन करना चाहेंगी?
माया : फिलहाल इतना परिवर्तन काफी है कि मैं आ रही हूँ।
नौवाँ संवाददाता : दलित वर्ग के लिए आपका संदेश?
माया : उन्हें कुछ करने की जरूरत नहीं है, मैं आ रही हूँ।
दसवीं संवाददाता एक लड़की थी, जो अंग्रेजी स्कूल से निकल कर सीधे एक प्रसिद्ध टीवी चैनल में घुस गई थी। उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। विजुअल तो उसे मिल गए थे, पर ऑडियो जरा भी नहीं जम रहा था। अब तक उसका पेशेंस जवाब दे चुका था। उसने अपने साथियों से कहा, मैं जा रही हूँ।
__________________
Disclamer :- Above Post are Free Available On INTERNET Posted By Somebody Else, I'm Not VIOLATING Any COPYRIGHTED LAW. If Anything Is Against LAW, Please Notify So That It Can Be Removed.
VARSHNEY.009 is offline   Reply With Quote
 

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 11:23 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.