21-01-2012, 02:44 PM | #21 |
Junior Member
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Re: हास्य कहानियाँ
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30-04-2012, 12:26 PM | #22 |
Administrator
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Re: हास्य कहानियाँ
bahut hi acchi कहानिया हैं...
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30-04-2012, 02:50 PM | #23 |
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Re: हास्य कहानियाँ
भई................. मजा आ गया
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
14-06-2012, 05:24 PM | #24 |
Administrator
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Re: हास्य कहानियाँ
malethia ji,, kya aur bhi kahaniya hain..
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08-11-2012, 04:10 PM | #25 |
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Re: हास्य कहानियाँ
जैसे को तैसा
एक जमींदार के लिए उसके कुछ किसान एक भुना हुआ मुर्गा और एक बोतल फल का रस ले आए. जमींदार ने अपने नौकर को बुलाकर चीजें उनके घर ले जाने को कहा. नौकर एक चालाक, शरीर लड़का था. यह जानते हुए जमींदार ने उससे कहा, "देखो, उस कपड़े में जिंदा चिड़िया है और बोतल में जहर है. खबरदार, जो रास्ते में उस कपड़े को हटाया, क्योंकि अगर उसने ऐसा किया तो चिड़िया उड़ जाएगी. और बोतल सूंघ भी ली तो तुम मर जाओगे. समझे?" नौकर भी अपने मालिक को खूब पहचानता था. उसने एक आरामदेह कोना ढूंढा और बैठकर भुना मुर्गा खा गया. उसने बोतल में जो रस था वह भी सारा पी डाला. एक बूंद भी नहीं छोड़ा. उधर जमींदार भोजन के समय घर पहुँचा और पत्नी से भोजन परोसने को कहा. उसकी पत्नी ने कहा, "जरा देर ठहरो. खाना अभी तैयार नहीं है." जमींदार ने कहा, "मैंने जो मुर्गा और रस की बोतल नौकर के हाथ वही दे दो. वही काफी है." उसके गुस्से की सीमा न रही जब उसकी पत्नी ने बताया कि नौकर तो सुबह का गया अभी तक लौटा ही नहीं. बिना कुछ बोले गुस्से से भरा जमींदार अपने काम की जगह वापस गया तो देखा नौकर तान कर सो रहा है. उसने उसे लात मारकर जगाया और किसान द्वारा लाई गई भेंट के बारे में पूछा. लड़के ने कहा, "मालिक, मैं घर जा रहा था तो इतने जोर की हवा चली कि मुर्गे के ऊपर ढका कपड़ा उड़ गया और जैसा आपने कहा था, वह भी उड़ गया. मुझको बहुत डर लगा कि आप सज़ा देंगें और मैंने बचने के लिए बोतल में जो जहर था वह पी लिया. और अब यहाँ लेटा-लेटा मौत के आने का इंतजार कर रहा था."
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08-11-2012, 04:16 PM | #26 |
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Re: हास्य कहानियाँ
अभी भी हैं ऐसे लोग*.....प्रभुदयाल श्रीवास्तव
"एक मीठा पान लगा देना भाई,जरा जल्दी करना आफिस के लिये देर हो रही है। ' मैं अपना मोपेड वाहन साईड स्टेंड पर लगाकर और आदेश देकर पान का इंतजार करने लगा। दुकान में और भी ग्राहक अपनी बारी के इंतजार में खड़े थे मेरी तरफ देखकर मुस्कराने लगे। इधर दूकानदार ने भी एक उचाट सी नज़र मेरी ओर डाली और हँसने लगा। पास में खड़े ग्राहक मुस्करा रहे हैं और दूकानदार हंस रहा है. मैं कुछ सतर्क सा हो गया क्या बात है। मैंने अपने कपड़ों की तरफ दृष्टि पात किया कि शायद गलत या उल्टे सीधे कपड़े तो नहीं पहन रखे हैं। अथवा किसी ने गधा मूरख या पागल जैसा जुमला लिखकर शर्ट अथवा पेंट पर तो नहीं चिपका दिया है। परंतु जब ऐसा कुछ नहीं दिखा तो मैंने पैरों की तरफ देखने का प्रयास किया शायद एक पैरों में बेमेल जूते पहन लिये हों आथवा जुराबें दूसरी दूसरी... पर ऐसा कुछ नहीं था। मैं सोच ही रहा था कि मैं हास्य का केन्द्र बिंदु क्यों बन रहा हूं मुझे दुकान दार की प्रेम सॆ सनी मीठी सी आवाज़ सुनाई दी "भाई साहिब ये मेडिकल स्टोर है, पान की दुकान तीन दुकानें छोड़कर आगे है। "मैंने दुकान की ओर ठीक से निहारा तो जैसे मेरे ऊपर घड़ों पानी पड़ गया। बुरी तरह से झेंप गया। मेडिकल स्टोर में जाकर पान की फरमाइश कर बैठा था। सारी कहकर जैसे ही मैं मुड़ने को हुआ दुकानदार बोला को ई बात नहीं भाई साहब मैं पान यहीं बुलाये देता हूं। इससे पहले मैं कुछ बोल पाता उसने अपने नौकर को पान की दुकान से पान लेने भेज दिया। "दरअसल आपकी दुकान और पानवाले की दुकान का काउंटर एक जैसा है मैं धोखा .... मैंने सफाई देना चाही। 'हो जाता है कभी कभी.........."दुकानदार हंस रहा था। मैं सोच रहा था अभी भी दुनिया में ऐसे लोग हैं जो भावनाओं की कद्र करना....... " भाई साहब आपका पान" नौकर की आवाज़ से मेरी तंद्रा टूटी। मैंने पैसे देना चाहे। "मेडिकल स्टोर से पान खाने पर पैसा नहीं लगता। "
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11-01-2013, 11:03 AM | #27 |
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Re: हास्य कहानियाँ
बहुत ही रोचक कहानियाँ हैं
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With the new day comes new strength and new thoughts.
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25-08-2014, 04:35 PM | #28 |
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Re: हास्य कहानियाँ
हास्य से भरपुर कहानी
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