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15-05-2011, 09:10 PM | #1 |
Diligent Member
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
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01-10-2011, 09:46 PM | #2 |
Exclusive Member
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
बहुत अच्छा चिंतन क्या गया हे कुनाल ठाकुर के द्वारा
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01-10-2011, 09:50 PM | #3 |
Administrator
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
मैंने इस फोरम का पता उनको भेज दिया है, जल्द ही वो फोरम पर नज़र आयेंगे...
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02-10-2011, 09:09 AM | #4 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
ये तो हमारे लिए बड़ी खुशी की बात है हम उनके इस्तकबाल के लिए खड़े हैँ |
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15-10-2011, 10:15 AM | #5 |
Administrator
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
स्टीव जोब्स और उनके विचार.
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15-10-2011, 06:42 PM | #6 |
Administrator
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
स्टीव जोब्स आज दुनिया में नहीं हैं. लेकिन उन्होंने जो रास्ता तकनीकी दुनिया को दिखाया है उसके लिए विश्व हमेशा उनका ऋणी रहेगा. स्टीव दुनिया के चाँद लोगो में एक हैं जिन्होंने आम लोगो के जीवन पर जबदरस्त असर डाला है. उनके जैसे मानव मित्र का अल्पायु में जाना दुखद है पर एक सार्थक जीवन , चाहे कितना भी छोटा हो, दुर्लभ है, जो उन्हों ने भरपूर जिया. वे कुछ ऐसा दे गए जो औरों से अलग और दुनिया को अनूठा उपहार रहा.
आज मैं समस्त फोरम की तरफ से उनको श्रद्धा सुमन अप्रित करता हूँ. और उनके कुछ अमर वाक्य और तस्वीरे पेश कर रहा हूँ.
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16-10-2011, 09:41 PM | #7 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
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05-11-2011, 10:21 PM | #8 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
भारत में अभी भी इन्साफ जिंदा है. जो सबसे महत्वपूर्ण खबर इस हफ्ते आई वो यह है की कोर्ट ने 2G के आठों आरोपियों को बेल देने से मना कर दिया. क्यों मना किया गया, क्या दलील है, सीबीआई का रोल कैसा रहा, सरकार क्या चाह रही थी. बहुत सारे सवाल हैं. जिनको समझना है और इनके अन्दर की कहानी को भी जानना है. मीडिया में कुछ दिन पहले से, आप देख रहे होंगे की एक बहस चल रही थी जिसमे कहा जा रहा था की हमारे सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक़ बेल रुल है और जेल exception है, मतलब यह समझाया गया है मीडिया के द्वारा देश को लोगो को की भाई चार्ज शीट तयार हो गया है. ११ नवम्बर से इसकी सुनवाई होगी, जो होना था हो गया, इसलिए नियम के मुताबिक़ राजा और कानिमोनी को बेल मिल जानी चाहिए. सब लोग यही कह रहे थे. दिल्ली से करूणानिधि आते है सोनिया जी से मिलते हैं. सीबीआई ने भी कोर्ट में कानिमोनी के बेल के ऊपर कोर्ट में विरोध नहीं करने का फैसला किया था. इससे क्या शाबित हो रहा था की सीबीआई सरकार की कटपुतली मात्र है और अन्ना जी का सही कहना है सीबीआई को लोकपाल के नीचे लाओ तभी कुछ हो सकता है. भ्रस्टाचार एक मुद्दा है यह कोर्ट भी जान रही है, सरकार को भी पता है और देश की जनता भी इससे त्रस्त है. फिर कोर्ट में फैसला आया, कोर्ट ने कहा किसी को जमानत नहीं मिलेगी. यह विश्वासघात का मामला, यह एक षड़यंत्र है, यह एक ठन्डे दिमाग से क्या एक अपराध है, लोगो के पैसे को लुटा गया है. इसलिए इसपर जमानत नहीं दी जा सकती. अब यह सवाल उठ खड़ा हुआ है की सीबीआई ने जमानत का विरोध क्यों नहीं किया. ऐसा पक्षपात क्यों हुआ की राजा को बेल मत दो और कानिमोनी को दे दो. ऐसा सीबीआई ने कोर्ट में क्यों कहा. इस मामले में जस्टिस सैनी को सलाम करना चाहिए. उन्होंने केवल फैसला ही नहीं सुनाया है और इस फैसले में जो उन्होंने logic दिया है वो बहुत ही अच्छी है और दोषी को सजा देने में काफी कारगर होगी.
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11-12-2011, 08:45 AM | #9 |
Administrator
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
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25-12-2011, 11:45 AM | #10 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
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