17-01-2011, 09:48 PM | #2691 |
Exclusive Member
|
Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
बन्ता- पता नहीं यार … सन्ता - ओए घर से निकला कर, कुछ पता चले? बन्ता - ये सन्ते तू राम लाल को जानता है, कौन है वो? सन्ता - नहीं तो, कौन है वो? बन्ता - ओए कभी घर भी रहा करो तो पता चले
__________________
ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
17-01-2011, 09:48 PM | #2692 |
Exclusive Member
|
Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
देर से घर आए संता से पत्नी ने पूछा : तुम इतनी देर कहां रहे?
फिर वही बात. अक्लमंद औरतें अपने पतियों से ऐसी बातें नहीं पूछा करतीं. अक्लमंद मर्द ही कब पत्नियों से ऐसी बातें छिपाया करते हैं ? संता कहता है बस, अब रहने भी दो. अक्लमंद मर्द की पत्नी होती ही नहीं.
__________________
ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
17-01-2011, 09:50 PM | #2693 |
Exclusive Member
|
Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
एक पहलवान की शादी हुई. सुहागरात को धीरे से बीबी के कमरे में घुसे. बीबी घूँघट काढे हुए सम्भल कर पलंग पर बैठी रही. पहलवान जी को कुछ भी नही सूझा. उन्होने पलंग का एक चक्कर लगाया, फिर दूसरा चक्कर लगाया, फिर तीसरा चक्कर लगाया, और फिर चौथा लगाया; पर कुछ भी नही हुआ.
पाँचवाँ चक्कर लगाने के बाद पहलवान जी बोले, “पंजा लडायेगी ?”
__________________
ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
17-01-2011, 09:51 PM | #2694 |
Exclusive Member
|
Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
एक पहलवान की शादी हुई. सुहागरात को धीरे से बीबी के कमरे में घुसे. बीबी घूँघट काढे हुए सम्भल कर पलंग पर बैठी रही. पहलवान जी को कुछ भी नही सूझा. उन्होने पलंग का एक चक्कर लगाया, फिर दूसरा चक्कर लगाया, फिर तीसरा चक्कर लगाया, और फिर चौथा लगाया; पर कुछ भी नही हुआ.
पाँचवाँ चक्कर लगाने के बाद पहलवान जी बोले, “पंजा लडायेगी ?”
__________________
ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
17-01-2011, 09:51 PM | #2695 |
Exclusive Member
|
Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
ग्राहक चिल्लाया , “वेटर”, मैंने आलू का परांठा ऑर्डर किया था, लेकिन इस परांठे में तो आलू का एक भी टुकड़ा नजर नहीं आ रहा.
वेटर बोला : नाम पर मत जाइए सर. अगर आप कश्मीरी पुलाव मांगते तो फिर आप कहते कि उसमें कश्मीर नजर नहीं आता
__________________
ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
17-01-2011, 09:52 PM | #2696 |
Exclusive Member
|
Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
बंता: मेरी बीवी मुझे छोड़ के चली गई.
संता: तू उसका ख्याल नही रखता होगा. बंता: अरे यार, सगी बहन की तरह रखता था.
__________________
ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
17-01-2011, 09:53 PM | #2697 |
Exclusive Member
|
Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
जीतो संता से: ऐसे लड़कियों को देखना बंद करो, अब तुम शादी-शुदा हो.
संता: तुम्हारा मतलब हैं की में अभी diet पर हूँ, और मैं मीनू कार्ड भी नही देख सकता हूँ?
__________________
ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
17-01-2011, 09:54 PM | #2698 |
Exclusive Member
|
Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
संता (पुलिस स्टेशन में): ये फोटो किसकी हैं?
पुलिस: यह मुजरिमों की है जिनको अर्रेस्ट करना हैं! संता: जब फोटो ली थी तब अर्रेस्ट कर लेना था न
__________________
ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
17-01-2011, 09:57 PM | #2699 |
Exclusive Member
|
Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
पापा का नामकरण
एक बच्चे से एक आदमी ने पूछा- बेटे आपके पापा का क्या नाम है? बच्चा- अंकल अभी उनका नाम नहीं रखा, बस प्यार से पापा-पापा कहता हूं.
__________________
ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
17-01-2011, 09:57 PM | #2700 |
Exclusive Member
|
Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
कंजूस बाप (बेटे से)- मेरी दिली ख्वाहिश है कि तुम बड़े होकर वकील बनो.
बेटा- वो क्यों? कंजूस बाप- ताकि मेरा काला कोट तुम्हारे काम आ जाए
__________________
ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
Bookmarks |
Tags |
संता बंता, cool jokes, fun, funny hindi jokes, hindi jokes, hot jokes, indian jokes, jokes, santa banta, shayari |
|
|