14-05-2012, 10:28 AM | #551 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
लंदन। हर नवजात शिशु के माता-पिता की रातों की नींद गायब हो जाती है लेकिन एक पीड़ित पिता ने इस समस्या को सुलझाने के लिए एक फोन एप्लीकेशन तैयार की है । इस फोन एप्लीकेशन को इजाद करने वाले 33 वर्षीय मैथ्यू नीफिल्ड ने इसे ‘व्हाइट नोयज एम्बीऐंस ’ नाम दिया है । इसकी मदद से वह अपनी जुड़वां बेटियों मैडी और गेवान को सुकून पहुंचाने वाली धुनें सुनाते हैं जिससे वे आराम से सो जाती हैं। विश्व स्तर पर इसकी काफी मांग हो रही है और ढाई लाख से अधिक माता-पिता इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। संडे एक्सप्रेस ने यह रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस फोन एप्लीकेशन ने न केवल नए माता- पिता की काफी मदद की है बल्कि खुद मैथ्यू हर साल 60 हजार पाउंड कमा रहे हैं। अब वह कार्डिफ से सिलिकोन वैली जा बसे हैं जहां वह और इस प्रकार के उत्पाद तैयार कर रहे हैं।
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17-05-2012, 09:36 AM | #552 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
खरीदारी में मनमुटाव से परहेज के लिए मर्द अक्सर बोलते हैं झूठ
लंदन। पुरुष कृपया ध्यान दें : इस समाचार के बाद हो सकता है कि अगली बार आप जब खरीदारी पर जाएं, तो अपने साथ की महिला को आप यह गाते पाएं, ‘सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है।’ हाल ही हुए एक सर्वे में यह खुलासा किया गया है कि खरीदारी के वक्त मनमुटाव से परहेज के लिए मर्द अक्सर अपनी महिला साथी से झूठ बोलते हैं। सर्वे के मुताबिक, दो तिहाई मर्दों ने स्वीकार किया कि जब उनसे ऐसे सवाल किए जाते हैं कि ‘क्या मेरे नितंब इस परिधान में बड़े लग रहे हैं’ तो वे सच बोलने से परहेज करने की कोशिश करते हैं। ब्रिटेन में हुए इस सर्वेक्षण में पाया गया कि महिला के साथ खरीदारी करने गए ज्यादातर मर्द सफेद झूठ आराम से बोल जाते हैं, जबकि 70 फीसदी महिलाओं को लगता है कि उनके साथी ईमानदारी से अपनी राय रख रहे हैं।
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17-05-2012, 09:37 AM | #553 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
खून के थक्कों के खतरे को दोगुना करता है आफिस में घंटों बैठना
लंदन। युवा पेशेवर कृपया ध्यान दें - आफिस में घंटों बैठना और फिर घर आकर टेलीविजन या कम्प्यूटर के सामने सारा समय गुजारना आपके स्वास्थ्य को चौपट कर सकता है। लाइफब्लड ने अपने सर्वे में पाया है कि युवा पेशेवरों में जानलेवा खून के थक्के होने का खतरा दोगुना हो गया है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि वे काम के दौरान लगातार तीन घंटे बैठते हैं, वहीं बैठे-बैठे अपना भोजन करते हैं और फिर घर जाकर सोफे पर बैठ जाते हैं। सर्वे में कहा गया है कि अस्वास्थ्यकारी जीवनशैली से मोटापा, मधुमेह और हृदयरोग जुड़ा हुआ है, लेकिन लंबे समय तक बैठे रहने से खून के थक्के बनने का खतरा भी बढ़ जाता है। डेली टेलीग्राफ के मुताबिक, डीप वेन थ्रॉमबोसिस नाम की खून के थक्के की बीमारी उन सभी को प्रभावित कर सकती है, जो काफी देर तक बैठते हैं।
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17-05-2012, 09:38 AM | #554 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मछली का पेट बताएगा, कौन-कौन सी प्रजातियां कर लेंगी जलवायु परिवर्तन का सामना
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने पाया है कि मछली का जठरांत्र प्रणाली (गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम) तापमान परिवर्तन को लेकर पहले के अनुमान की तुलना में ज्यादा संवेदनशील होता है। उनका दावा है कि यह खोज इस बात का पुर्वानुमान कर पाने में मदद करेगा कि कौन कौन सी प्रजातियां जलवायु परिवर्तन का सामना कर लेंगी और कौन नहीं कर पाएंगी। लाइव साइंस ने अध्ययन दल के अगुवा और यूनिवर्सिटी आफ गोथेनबर्ग के एल्बिन ग्रांस के हवाले से बताया कि हमने यह जानने की कोशिश की कि शरीर का कौन सा भाग पहले नाकाम होगा - दिल या फिर पेट, कौन सा सबसे संवेदनशील हिस्सा है। वैज्ञानिकों ने मछलियों की विभिन्न प्रजातियों का अध्ययन किया और यह समझने की कोशिश की कि जलवायु परिवर्तन का उनपर क्या असर होगा। उन्होंने पाया कि तापमान को लेकर पेट सबसे ज्यादा संवेदनशील अंग है।
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17-05-2012, 09:43 AM | #555 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
जीन थेरेपी से 24 फीसदी तक बढ़ती है चूहों की उम्र
लंदन। एक अनोखे प्रयोग के बारे में स्पेनिश वैज्ञानिकों का दावा है कि एकल जीन थेरेपी से चूहों की उम्र में 24 फीसदी तक इजाफा होता है। ‘ईएमबीओ मॉलिक्यूलर मेडिसिन’ पत्रिका में प्रकाशित स्पेनिश राष्ट्रीय कैंसर शोध केंद्र की एक टीम की ओर से किए गए इस अध्ययन में कहा गया है कि यदि यह प्रयोग सफल रहता है तो इससे इंसानी उम्र में इजाफे के नुस्खे भी ईजाद किए जा सकते हैं। पहले के अध्ययनों में दिखाया गया है कि स्तनधारियों सहित कई प्रजातियों की औसत उम्र में इजाफा किया जा सकता है। खास जीन से जुड़े इलाज के जरिए ऐसा मुमकिन हो सकता है। हालांकि, इंसानों के लिए ऐसा करने में अब तक कामयाबी हासिल नहीं की जा सकी है। मारिया ब्लास्को की अगुवाई वाली स्पेनिश वैज्ञानिकों की टीम ने दिखाया है कि जीन थेरेपी के इस्तेमाल से चूहों की औसत उम्र में 24 फीसदी तक इजाफा किया जा सकता है।
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17-05-2012, 10:11 AM | #556 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक वजन प्रसूति के लिए नुकसानदेह
वाशिंगटन। गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक वजन बढ़ना आपकी संतान के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है और उसे बाद की जिंदगी में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान महिला के ज्यादा वजनी हो जाने से उनके बच्चों के मोटे होने की जानकारी तो पहले से थी, लेकिन एक नए अनुसंधान में पाया गया कि गर्भावस्था से पहले और उसके दौरान बढ़े वजन के दीर्घकालीक स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं। अध्ययन में माता के वजन में वृद्धि और उनके संतान के मोटे होने की प्रवृत्ति, उच्च रक्ताचाप होने और 32 की उम्र में उनमें अत्यधिक वसा और शर्करा होने के बीच सीधा संपर्क पाया गया। अध्ययन दल के अगुवा और यरूशलम स्थित हिबू्र यूनिवर्सिटी के ओरली मानोर ने बताया कि ऐसे समय में जब मोटापा दुनियाभर में महामारी है, उन वजहों को जानना जरूरी है, जिनसे मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।
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17-05-2012, 12:13 PM | #557 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
प्लायोसोर्स को था अर्थराइट्स
लंदन। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि आज से 15 करोड़ साल पहले पाए जाने वाले समुद्री सरीसृपों प्लायोसोर्स (डायनासोर्स नहीं) में अर्थराइट्स की बीमारी थी। इस शोध ने पहली बार अवशेषों के रूप में मौजूद ज्यूरासिक सरीसृपों में इस तरह की बीमारी के लक्षण दर्शाए हैं। यह शोध ब्रिसोल विश्वविद्यालय में एक शोध दल ने किया। वैज्ञानिकों ने पुरातन ज्यूरासिक (ज्यूरासिक युग का सबसे पुराना युग) के प्लायोसोर्स की एक बड़ी संख्या पर शोध किया। शोध के दौरान उन्होंने प्लायोसोर्स के जबड़े में मानवीय अर्थराइट्स जैसे ही लक्षण देखे। ‘पलांईटोलॉजी’ नामक पत्रिका के मुताबिक, आठ मीटर लंबा प्लायोसोर्स एक भयावह प्राणी था, जिसका सिर मगरमच्छ जैसा लंबा, गर्दन छोटी, व्हेल मछली जैसा शरीर और पानी में शिकार पकड़ने में मदद करने वाले चार मजबूत गलफड़े होते थे। इसके जबड़े काफी बड़े और दांत 20 सेंटीमीटर तक लंबे थे, जिससे यह दूसरे जलीय सरीसृपों या डायनासोर्स को आसानी से टुकड़ों में काट सकता था, लेकिन यह प्रजाति खुद अर्थराइट्स की शिकार हो गई। इस शोध के प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर ज्यूदेथ सैसून कहती हैं कि उन्होंने संग्रहालयों में रखे इन अवशेषों के अध्ययन से इनमें इंसानों जैसी अर्थराइट्स बीमारी के लक्षण देखे हैं। इसने उनके बांए जबड़े के जोड़ा को नुकसान पहुंचाया है और नीचे वाले जबड़े को एक ओर कर दिया है। यह जानवर अपने टेढ़े जबड़े के साथ ही कई वर्षों से जी रहा था क्योंकि उसके निचले जबड़े की हड्डी पर ऊपरी जबड़े के दांतों के निशान हैं जो कि खाने के दौरान लग गए होंगे। इससे स्पष्ट है कि अपनी इस खराब स्थिति के बावजूद यह जानवर अपने लिए शिकार करने में समर्थ था। इस कंकाल में मिले लक्षणों के आधार पर वैज्ञानिकों का मानना है कि यह किसी मादा प्लायोसोर्स का कंकाल है, जो उम्र बढ़ने के साथ-साथ विकसित हुई। डाक्टर सैसून कहती हैं कि जिस तरह उम्र बढ़ने पर इंसानों मेंआर्थरिटिक कूल्हे विकसित हो जाते हैं उसी तरह इस व्यस्क प्लायोसोर्स में आर्थरिटिक जबड़ा विकसित हो गया और कुछ समय तक उसके साथ रहा, लेकिन जबड़े पर न भर सका फ्रैक्चर दर्शाता है कि कुछ समय के बाद जबड़ा कमजोर होकर टूट गया था। टूटे जबड़े के साथ प्लायोसोर्स खाने के लायक नहीं रही होगी और अंतत: उसका अंत हो गया होगा। प्लायोसोर्स संभवत: ऐसे शिकारी थे जो कि अपने शिकारों पर छिप कर वार करते थे। ये मुख्यत: मछली, स्क्विड और अन्य जलीय सरीसर्पों पर निर्भर थे। अपनी खाद्य शृंखला में ये शीर्ष पर थे इसलिए ऐसा नहीं है कि कोई दूसरी प्रजाति का जीव इनके कमजोर पड़ने का फायदा ले सकता था।
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17-05-2012, 12:14 PM | #558 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मगरमच्छों और चिड़ियों के करीबी रिश्तेदार हैं कछुए
पेरिस। वैज्ञानिकों ने पशुओं के विकास से जुड़ी सालों पुरानी एक पहेली सुलझाने का दावा किया है। ताजा शोध करने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि कछुए का छिपकलियों और सांपों से ज्यादा मगरमच्छों और चिड़ियों से ज्यादा करीबी रिश्ता है। बीस से तीस करोड़ साल पहले कछुओं के पूर्वजों के विकास से इस बात लेकर काफी वैज्ञानिक विवाद पैदा हुए कि आखिर ये प्रजातियां किस परिवार से नाता रखती हैं। रॉयल सोसाइटी की पत्रिका ‘बायोलॉजी लेटर्स’ में प्रकाशित शोध में वैज्ञानिकों ने लिखा कि कछुओं के विकासवादी मूल ने हड्डियों से सम्बंधित विकास की समझ में नए समीकरण पैदा कर दिए हैं जो अपने आप में अनोखा है। ताजा अध्ययन तक कछुओं को छिपकलियों और सांपों का सबसे करीबी रिश्तेदार माना जाता था ।
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17-05-2012, 06:19 PM | #559 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
शाकाहारी पुरुषों की मर्दानगी को कम कर के आंका जाता है: अध्ययन
वाशिंगटन। एक नए अध्ययन का कहना है कि शाकाहारी पुरुषों की मर्दानगी को कम कर के आंका जाता है। जर्नल आफ कंज्यूमर रिसर्च में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार मांसाहारी खाने को मर्दानगी से जोर कर देखे जाने के कारण अधिकतर पुरुष शाकाहारी खाने के प्रति कम रुचि रखते हैं। ‘लाइवसाइंस’ की रिपोर्ट के अनुसार पेनसिलवेनिया, लुसियाना, नॉर्थ कैरोलिना और कॉरनेल विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के दल ने इस अध्ययन को पूरा किया है। इस अध्ययन को मुख्यत: अमेरिका और ब्रिटेन के लोगों पर पूरा किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि लोग मांसाहारी उत्पाद को शाकाहारी उत्पाद की तुलना में अधिक मर्दाना मानते हैं।
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17-05-2012, 11:12 PM | #560 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
काफी पीने से ज्यादा जिंदा रहने में मिल सकती है मदद : अध्ययन
लंदन। ज्यादा कैफीन सेहत के लिए खराब माना जाता है, लेकिन एक नए अध्ययन का दावा है कि काफी के नियमित सेवन से उम्र लंबी करने में मदद मिल सकती है। इस अध्ययन के तहत चार लाख से ज्यदा बूढ़ों की सेहत और काफी सेवन पर तकरीबन 14 साल तक नजर रखी गई। अध्ययन में पाया गया कि काफी पीने वालों की मौत की आशंका उनके मुकाबले कम थी, जिन्होंने काफी सेवन बंद कर दिया। डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार अध्ययन में पाया गया कि चार से पांच कप रोजाना काफी पीने वाले पुरूषों और महिलाओं में दिल की बीमारियों, श्वसन रोग, हृदयाघात, डायबीटिज, चोट, दुर्घटना और इन्फेक्शन के चलते मौत का खतरा कम है।
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