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Old 19-07-2015, 04:00 PM   #1
Rajat Vynar
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Talking जोरू का गुलाम

करीना कपूर ने यदि यह कहा कि 'शाहिद कपूर बनेंगे अच्छे पति' तो इसमें गलत क्या है और जले पर नमक छिड़कने वाली बात क्या है? अमूमन एक्स गर्ल फ्रेण्डें इतना अच्छा सर्टिफिकेट देती कहाँ है? थोड़ा सा मनमुटाव हुआ नहीं कि एक-दूसरे पर कीचड़ उछालना शुरू! इतना अच्छा सकारात्मक बयान जारी करने के लिए तो करीना कपूर की जितनी तारीफ़ की जाए उतना कम है।

हास्य के रूप में हमने अपनी कुछ रचनाओं में 'पत्नीव्रत' जैसे शब्द का प्रयोग किया है। प्रस्तुत है उस हास्य रचना से कहानी का एक संवाद-

-"कब तक तुम 'पत्नीव्रत' बने रहोगे? मुझे भी 'पतिव्रता' बनने दो न, डियर।"

-"मेहरबानी करके रहने दो, डार्लिंग। मैं 'पत्नीव्रत' ही अच्छा लगता हूँ!"

सूत्र में 'जोरू के गुलाम' पर अच्छी मनोरंजक चर्चा छेड़ी गई है। पहले ध्यान नहीं गया इस बात पर। अतः इस विषय पर लिखने से रह गया। खेद है। इस विषय पर हमारा हास्य लेख 'कैसे बनें जोरू के गुलाम?' शीघ्र ही अन्तर्जाल में आ रहा है और हमें आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि हमारा ज्ञानवर्धक लेख पढ़कर आपका मन जोरू का गुलाम बनने के लिए तड़पने लगेगा। फिलहाल अभी तो यहाँ पर इस बात पर चर्चा हो ही सकती है कि ऐसे कौन से विशिष्ट कार्य हैं जिनके करने पर एक व्यक्ति को 'जोरू का गुलाम' जैसी विशिष्ट उपाधि से नवाजा जाता है? एक क्लू के लिए हम यहाँ पर यह बता दें कि पत्नी यदि पति का सिर दबाए तो यह कहा जाता है कि 'सेवा कर रही है', पति यदि पत्नी का सिर दबाए तो 'साला, जोरू का गुलाम है!' कहने का चलन है। इसके अतिरिक्त यहाँ पर इस बात पर भी चर्चा आगे बढ़ाई जा सकती है कि 'जोरू का गुलाम' बनने के क्या-क्या फायदे हैं और क्या-क्या नुकसान है? अतः सभी 'जोरू के गुलामों' से निवेदन है कि इस सूत्र पर आकर अपना-अपना अनमोल विचार व्यक्त करें। क्या कहा? 'वैसे ही हम 'जोरू के गुलामों' का समुदाय समाज में बहुत बदनाम है। ऐसे में मंच पर आकर बताते बड़ी शर्म आ रही है।' तो इसमें शर्माने की क्या बात है? आप अपनी घरवाली की गुलामी कर रहे हैं, किसी बाहरवाली की नहीं। वैसे तो हमने बहुत से 'घर के शेरों' को घर के बाहर किसी न किसी बाहरवाली की 'गुलामी' करते देखा है और यह बात हास्यास्पद ही है कि 'घरवाली' की कॉल आ जाए तो डपटकर काट दिया। 'बाहरवाली' की कॉल आ जाए तो कार लेकर दौड़ गए। अब क्या आप यह जानना चाहते हैं कि आप 'जोरू के गुलाम' हैं या नहीं तो नीचे 'सर्वजनहिताय, सर्वजनसुखाय' एक छोटा सा परीक्षण दिया जा रहा है। नीचे लिखे संवादों को पढ़िए। पढ़ने के बाद यदि आपको हँसी आती है तो आप 'जोरू के गुलाम' बिल्कुल नहीं है। यदि आपको क्रोध आता है तो आप बुजुर्ग हो चुके हैं और आपके लिए भजन और भक्ति-गीत गाने की संस्तुति की जाती है। पढ़ने के बाद यदि आपको बहुत अच्छा लगता है, न हँसी आती है और न ही क्रोध आता है तो यदि आप विवाहित हैं तो आप 'जोरू के गुलाम' हैं और यदि आप अविवाहित हैं तो आप भविष्य में एक अच्छे 'जोरू का गुलाम' बनने की क्षमता रखते हैं। हार्दिक शुभकामनाएँ! अब आप अपने धक-धक करते दिल को थामकर आगे पढ़िए-

1. हीरो- (मोबाइल पर) क्या कर रही हो? मैं कब से यहाँ तुम्हारा वेट कर रहा हूँ।

हीरोइन- बस आती हूँ। हुक्का पी रही हूँ।

हीरो- हुक्का? अकेले-अकेले?

2. हीरोइन- (मोबाइल पर} मैंने अपने लिए बियर खरीदी है। तुम्हारे लिए क्या खरीदूँ?

हीरो- ह्विस्की लेती आना। कॉकटेल बनाकर पी लेंगे।

3. दोस्त- (हीरो से) कहाँ चले यार? अभी तो आए हो!

हीरो- घर जा रहा हूँ। बीबी दारू की बोतल लिए मेरे आने का इन्तेज़ार कर रही होगी। मेरे बगैर नहीं पीती।

टिप्पणी- क्रमांक 3 में आए हीरो के संवाद को अपने दोस्तों से कहकर देखिए। आपके दोस्तों में जो भी 'फ्रेनमी' अर्थात् मित्रवत् शत्रु होगा वह या तो जलन के मारे आत्महत्या कर लेगा या फिर आपसे दोस्ती तोड़ लेगा। इससे आपको फायदा ही होगा।

अब तो आप समझ ही गए होंगे कि आप 'जोरू के गुलाम' हैं या नहीं?

हमारे देश में 'जोरू के गुलामों' की भारी कमी और भारी माँग को देखते हुए सूत्र-लेखक ने निर्णय लिया है कि वे एक कोचिंग सेण्टर खोलेंगे जिसमें एक अच्छा 'जोरू का गुलाम' बनने की शिक्षा दी जाएगी। कोचिंग सेण्टर खोलने के लिए आवश्यक फण्ड की भारी कमी के चलते देश की सभी महिलाओँ से अनुरोध है कि हमारी सामाजिक संस्था 'जोरू का गुलाम' को भारी मात्रा में चन्दा देकर कार्यक्रम को सफल बनाएँ। हमने प्रतिवर्ष दस लाख 'जोरू का गुलाम' बनाने का महान लक्ष्य निर्धारित किया है।
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