03-12-2012, 07:10 AM | #1 |
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मेरी रचनाएँ- दीपक खत्री 'रौनक'
आदतन निसार हो रहा मै तेरे ख्याल पर, है लाजवाब ये दिल नज़र के सवाल पर भटक रहे है लब पैमाने की तलाश मे, छलके है जाम तेरी आमद के ख्याल पर बिसरा रहा है दिल कारनामे इश्क के, जीना हुआ मुहाल वफ़ा के सवाल पर कट ही रहे है रास्ते गुबार-ए-धूल मे, महकता है दिल बीते पलों के ख्याल पर फैली है ख़ुशी इर्द गिर्द दिखाने भर को, गमगीन हूँ तेरे बिन जीने के सवाल पर वजूद है मेरा यहाँ तेरी ही याद से 'रौनक', हो गया हूँ खाक जुदाई के ख्याल पर..... -दीपक खत्री 'रौनक' Last edited by Dark Saint Alaick; 03-12-2012 at 11:56 AM. |
03-12-2012, 07:32 AM | #2 |
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मेरी रचनाएँ-2, दीपक खत्री 'रौनक'
2.
दर्द है जिगर मे बेइंतिहा जो छलकता है, है खबर क्या उसकी जो इश्क मे तड़पता है गर्द के मंज़र से डराता है कोई गर तुझको, है खाक वो हौंसला जो दिल मे फड़कता है आने जाने का सबब जरुर रखना मालूम तू, जान का चौकीदार हर कदम पर कड़कता है मालुम रखना हर किसी की हरेक बात यहाँ, जीत का यही मन्तर हर दिल मे धड़कता है गुज़ारिश कर दू तेरे लबों को गर मे छूने की, ये आसमां ना जाने क्यों मुझ पे भड़कता है मत सुनाना किसी को गम की कहानी 'रौनक' यहाँ गम हरेक सीने मे बैखौफ धड़कता है -दीपकखत्री 'रौनक' Last edited by Dark Saint Alaick; 03-12-2012 at 12:01 PM. |
03-12-2012, 11:57 AM | #3 |
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Re: मेरी रचनाएँ- दीपक खत्री 'रौनक'
3.
तेरी मेहरबानियों का सिला मुझे चुका लेने दे, टूटे हुए ख्वाबों को अपने हाथों मिटा लेने दे, येवक्त यूहीं गुजर ना जाए मुझ पर हँसता हुआ 'रौनक' इसने आजमाया है बहोत जरा मुझे भी इसे आजमा लेने दे....... -दीपक खत्री 'रौनक'
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु Last edited by Dark Saint Alaick; 03-12-2012 at 12:02 PM. |
03-12-2012, 11:57 AM | #4 |
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Re: मेरी रचनाएँ- दीपक खत्री 'रौनक'
4.
हर लुत्फ वो शिद्दत से उठाते है तेरी तड़प का, बरसते है बेपनाह अश्क भी तेरे दर्द के सवाल पर, उनसे ज्यादा मोहब्बत तुझे करेगा भी कौन 'रौनक' है बारिश का फ़ज़ा मेहरबान तेरे इश्क के ख्याल पर.... -दीपक खत्री 'रौनक'
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03-12-2012, 11:58 AM | #5 |
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Re: मेरी रचनाएँ- दीपक खत्री 'रौनक'
5.
ये तो कत्ल करने वालों की अदा ठहरी, तेरे मेरे दिल से जुदा ठहरी....... अफसोस ना कर उसके जाने का 'रौनक' कर तस्सली कि उसकी मोहब्बत जुबानी ठहरी...... -दीपक खत्री 'रौनक'
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03-12-2012, 11:59 AM | #6 |
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Re: मेरी रचनाएँ- दीपक खत्री 'रौनक'
ख्याल
ख्याल आते है..... रातभर तेरे खनखते से सवाल पर मुझे आवारगी से मोड़कर कर देते है तनहा..... बहुत कुछ कह जाते है अकेले मे बस किसी को नहीं....कहे जाते ये ख्याल....ये ख्याल -दीपकखत्री 'रौनक'
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03-12-2012, 12:04 PM | #7 |
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Re: मेरी रचनाएँ- दीपक खत्री 'रौनक'
मुस्कान....
मुस्कान बहुत कम नज़र है आजकल तलाश लाजमी है नसीब है कितनो को ये सवाल है कहाँ खोई है जहाँ मे बेशकीमती है अरसे से गायब है मिल क्यों नहीं जाती दुनिया तो नहीं छोड़ दी कहीं ये ख्याल है मिल जा मुझे तो संवर जाऊ करदे आबाद मुझे मिल जाऐ मुस्कान -दीपकखत्री 'रौनक'
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03-12-2012, 12:05 PM | #8 |
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Re: मेरी रचनाएँ- दीपक खत्री 'रौनक'
8.
मोहब्बत का यकीन, उस बारिश की फुहार मेरे जहन मे है तुझसे पहला मिलन, और उसकी छुअन मेरे जहन मे है भूल जाऊ अगर तू कहे, छोड़ दूँ जीना तेरी आह पर 'रौनक' निशाँ लबों के तेरे, इश्क़िया बरखा की बुँदे मेरे जहन मे है -दीपक खत्री 'रौनक'
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03-12-2012, 12:05 PM | #9 |
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Re: मेरी रचनाएँ- दीपक खत्री 'रौनक'
9.
ये वाकया उनसे मुलाकात का है ना हो सकी उस मुकालात का है वो कहते रहे मत रहो खुश इतना 'रौनक' दौर टिप्पणी के जरिये हवालात का है -दीपक खत्री 'रौनक'
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03-12-2012, 12:06 PM | #10 |
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Re: मेरी रचनाएँ- दीपक खत्री 'रौनक'
कतार
कतार के मायने खास है जीस्त मे चूँकि ये नहीं टूटती उम्र भर फिर चाहे वो हो घनी धुप मे या शीतल छांव मे राशन की बिजली, पानी का हो बिल चाहे हो गुजरते पल किसी भी दशा मे पंक्तिबद्ध यकीन है मुझे मिलेगी जरुर शिवधाम मे भी लकड़ियों के लिए एक लम्बी सी कतार -दीपक खत्री 'रौनक'
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