13-12-2012, 08:52 PM | #11 |
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Re: मेरी रचनाएँ-3- दीपक खत्री 'रौनक'
किया जो गैर उसने मैंने हर पल कई हादसे जिये हर आँख रोने लगी हर दिल तड़प उठा 'रौनक' कलम से ब्यान जो मैंने जीस्त के हादसे किये दीपक खत्री 'रौनक' |
13-12-2012, 08:53 PM | #12 |
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Re: मेरी रचनाएँ-3- दीपक खत्री 'रौनक'
गुज़र जाये अगर आराम से तो क्या बात है
मिल जाये अगर मकाम से तो क्या बात है तेरा ही फ़साना रुला गया ए जिंदगी मुझे 'रौनक' से गर तू रूठ जाये तो क्या बात है दीपक खत्री 'रौनक' |
13-12-2012, 08:54 PM | #13 |
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Re: मेरी रचनाएँ-3- दीपक खत्री 'रौनक'
वो कहते है ये जीस्त कितनी हसीन है
हमे लगता है ये तो स्वचालित मशीन है वो कहते है यहाँ हर लम्हा बड़ा अजीज है हमें लगता है यहाँ हर लम्हा ग़मगीन है वो कहते है हल्के हल्के मे गुजार दो इसे हमें लगता है इसे जीना जुर्म संगीन है वो कहते है मजा तो इन्तेजार मे ही है हमें लगता है ये सजा बहुत हसीन है वो कहते है हुश्न को हक है सताने का हमे लगता है ये बहाना-ए-गम बेहतरीन है वो कहते है नुमाइश जरुरत है जीस्त की 'रौनक' हमें लगता है उनका दिमाग बड़ा ज़हीन है दीपक खत्री 'रौनक' |
13-12-2012, 08:55 PM | #14 |
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Re: मेरी रचनाएँ-3- दीपक खत्री 'रौनक'
आँखों से कत्लेआम का शौंक है तुझे
हुश्न तेरे ने तुझे मगरूर कर दिया बहुत आम सी जिन्दगी थी मेरी 'रौनक' नाम तेरे ने मुझे मशहूर कर दिया दीपक खत्री 'रौनक' |
13-12-2012, 08:56 PM | #15 |
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Re: मेरी रचनाएँ-3- दीपक खत्री 'रौनक'
मेरी जान ने कुछ ऐसे मेरी जान छीन ली
जैसे नाविक से मझधार मे पतवार छीन ली किश्ती तो अरमानो की डूबनी ही थी 'रौनक' महबूब ने ही मोहब्बत की पहचान छीन ली दीपक खत्री 'रौनक' |
13-12-2012, 08:57 PM | #16 |
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Re: मेरी रचनाएँ-3- दीपक खत्री 'रौनक'
नज़र
=== नज़र है हर किसी की हर नजर पर याकि हर नज़र को है ...इंतज़ार एक नजर का फिर है भी तो ये खेल भी तो बस नज़र नजर का मीठी सी कसक एक प्यारी सी नजर है सबकी नज़र कि चाहे हो वो तेरी या फिर के मेरी बस हो जरुर यंहा वहां इस पर उस पर सब पर सबकी एक नज़र दीपक खत्री 'रौनक' |
13-12-2012, 08:59 PM | #17 |
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Re: मेरी रचनाएँ-3- दीपक खत्री 'रौनक'
कर ले वो गर कबूल तो मुश्किलें आसान है
इश्क का मौल जैसे जवाहरातों की खान है कोई भुला ही दे तो क्या कहे उस खूबी को ना याद हो उसे कि वो किसी कि जान है बहुत दिल फरेब है उसके हुश्न के जलवे जानलेवा है अदाए लेकिन वो अनजान है देती है इशारा वो क्या खूब मेरी बर्बादी का हो भी जाऊ बर्बाद उसका मुझपे अहसान है वो औरों से बहुत मुखातिब है मुझे जलाने को जानती है मगर कि ये कोशिश राएगान (बेकार) है चमक का दारोमदार है हुनर पर 'रौनक' परतों से आफ़ताब के जर्रे मे जान है दीपक खत्री 'रौनक' |
13-12-2012, 09:08 PM | #18 | |
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Re: मेरी रचनाएँ-3- दीपक खत्री 'रौनक'
Quote:
आपका बहुत आभार दीपक जी ....... |
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13-12-2012, 10:59 PM | #19 |
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Re: मेरी रचनाएँ-3- दीपक खत्री 'रौनक'
वाकई रत्नों के ढेर से आपने सबसे कीमती नगीना चुना है मलेठियाजी। मेरी ओर से भी बधाई स्वीकार करें दीपूजी।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
14-12-2012, 09:10 PM | #20 |
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Re: मेरी रचनाएँ-3- दीपक खत्री 'रौनक'
aapka bahut bahut sukrguzar hun is hausla afjahi ke liye........... aabhaar
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