08-01-2015, 07:40 PM | #1 |
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कुछ बेहतरीन व्यंग कथाएं
कुछ बेहतरीन व्यंग कथाएं
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************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* |
08-01-2015, 07:50 PM | #2 |
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Re: कुछ बेहतरीन व्यंग कथाएं
मोबाइल : जीवन के साथ भी-जीवन के बाद भी
मोबाइल हर आयु,वर्ग,और लिंग के लोगों के लिए अति आवश्यक वस्तु बन चुका है। व्यक्ति भोजन के बिना दिन आसानी से बिता सकता है किंतु मोबाइल के बगैर तो एक पल भी नहीं गुजार सकता है। यह हर व्यक्ति के लिए रोटी, कपड़ा और मकान के साथ चौथी आधारभूत जरुरत बन चुका है। जितना बड़ा मोबाइल उतनी ही बड़ी समाज में उसकी इज्जत। एक समय था इसे भी जीरो फीगर के रुप में पसंद किया जाता था किंतु अब इसका फिग़र चप्पल का रुप ले चुका है। जीवन के हर कदम पर इसकी आवश्यकता महसूस की जाती है। इसके डयूटी सुबह मूर्गे की बांग के समान अलार्म बजा कर उठाने से प्रारम्भ होती है। भजन सुनाना, योग क्रियाएं करवाना, फेस बुक के जाने अनजाने फ्रेंड्स से मिलवाना, गुड मार्निंग के मैसेज दिलवाना, एक से एक उपदेशात्मक संदेश पंहुचाना, गुगल के माध्यम से अनेक वेबसाइट्स की यात्रा के साथ रात को मां की तरह लोरी सुना कर सपनों की दुनिया तक ले जाने का काम ये बड़ी बखूबी से निभा रहा है।
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08-01-2015, 07:51 PM | #3 |
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Re: कुछ बेहतरीन व्यंग कथाएं
यदि हम कहे कि ये हमारे जीवन का मार्गदर्शक है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। हम फेस बुक और व्हाट्स एप के संदेशों को लाइक कर, शेअर कर और कमेंटस कर कई लोगों के दिल में स्थान बना चुके हैं। हमारा पूरा समाजशास्त्र मोबाइल के भीतर समा गया है। सारे रिश्ते इसी के माध्यम से निभाए जा रहे हैं। इसके प्रति प्रेम पागलपन की हद तक पहुंच गया है। एक समाचार के अनुसार एक लड़्की मोबाइल से बात करने में इतनी मगन हो गई थी कि वो रेल से कट गई तो एक नाले में गिर गई। एक लड़्की सेल्फी लेते लेते छ्त पर इतनी पीछे हट गई कि वह नीचे गिर गई। रोड़ पर भी आपने देखा होगा कई लोग मन ही मन बड़्बड़ाते हुए चलते हैं जैसे कोई मानसिक विक्षिप्त हो। कई लोगों की तो सिर और कंधों के बीच इसे दबा कर गाड़ी पर बतियाने से गरदन ही तिरछी हो गई।
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08-01-2015, 07:52 PM | #4 |
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Re: कुछ बेहतरीन व्यंग कथाएं
कुछ लोगों का सोचना है कि जब से मोबाइल आया है तब से लोग लैंडलाइन को भूल गए हैं। लैंडलाइन भी गधे के सिंग और घर के रेडियो की तरह गायब हो चुका है। इसी बात की चिंता करते हुए एक कंपनी ने उसकी बैटरी को इतना कमजोर बनाया है कि आपको अक्सर मोबाइल चार्जिंग पर लगा कर रखना पड़्ता है ताकि लैंडलाइन का आभास होता रहे।
इसकी तारीफ में एक डाक्टर ने तो कुछ शब्द ईजाद किए हैं। जैसे यदि मोबाइल चार्जिंग पर लगा है तो कहते है सलाइन लगी हुई है, यदि मोबाइल हेंग हो जाता है तो कहते है इसका ई.सी.जी ठीक नहीं है, इसमें वायरल इंफेक्शन हो चुका है इसे एंटी वायरल (वायरस) ड्रीप लगाना होगी। इसका कीडनी (सॉफ्टवेअर) ठीक से काम नहीं कर रहा है इसे शीघ्र ही डायलसिस (फार्मेट) करना होगा ।
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08-01-2015, 07:53 PM | #5 |
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Re: कुछ बेहतरीन व्यंग कथाएं
व्हाटसएप, फेसबुक टवीटर और भी बहुत कुछ इसके सगे भाई-बहन है। इन सब को चलाने कि लिए मोबाइल नाम के श्री य्ंत्र का होना ठीक वैसा ही है जैसे शरीर के भीतर आत्मा का । ये हर घर, हाथ, पर्स, और पॉकेट में पाया जाता है। इसके पहुंच शमशान घर तक हो चुकी है। शमशान तक मुर्दे को एक से एक रिंग टोन सुनाई जाती है ताकि उसे इस संसार को छोड़ कर जाने का दुख न हो। जो संगी-साथी, नाते-रिश्तेदार अंतिम क्रिया के समय तक नहीं पहुंच पाए उनको इसके माध्यम से अंतिम दर्शन कराए जाते हैं। अंतिम संस्कार के बाद इसकी भूमिका समाप्त नहीं होती। तेरहवीं की पूजा हो या श्राद्ध पक्ष इसे मृत आत्मा की शांति के लिए, पंडित जी को लालटेन, छाता, चप्प्ल के साथ दान किया जा रहा है। मोबाइल जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी काम आने लगा है।
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12-01-2015, 04:43 PM | #6 |
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Re: कुछ बेहतरीन व्यंग कथाएं
प्रेम के पाँच नियम
एक व्यंग ..... कहते हैं, प्रेम की दुनिया में नियम का क्या काम! यह वह मुकाम है, जहाँ आकर सारे नियम फेल कर जाते हैं। हाल तक मैं भी यही मानता था। लेकिन तब तक एक आदतन प्रेमी से मुलाकात नहीं हुई थी। वह उस नस्ल का आदमी है, जिसके बारे में किसी शायर ने कहा है, मिजाज बचपन से आशिकाना है। फ्रांस के मशहूर दार्शनिक रूसो ने भी बचपन से ही प्रेम करना शुरू कर दिया था। वे जब बच्चे थे, अपनी नर्स को दिल दे बैठे थे। हमारे इस आशिक ने अपने जीवन के इस पहलू पर प्रकाश नहीं डाला। लेकिन उसने जो कुछ बताया, उसके आधार पर प्रेम की एक छोटी-सी नियमावली बनाई जा सकती है।
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12-01-2015, 04:43 PM | #7 |
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Re: कुछ बेहतरीन व्यंग कथाएं
नियम संख्या एक :
प्रेम तुम्हारे लिए है, तुम प्रेम के लिए नहीं हो। यह एक बुनियादी नियम है। जो प्रेम करता है, वह अक्सर प्रेम में खो जाता है। उसे किसी और बात की सुध-बुध नहीं रह जाती। इससे ज्यादा आत्म-संहारक घटना नहीं हो सकती। सवाल यह है कि प्रेम तुम अपने को समृद्ध करने के लिए कर रहे हो या अपने को लुटा देने के लिए? लुटाने के बाद तो फकीरी ही हासिल हो सकती है। यह आत्महत्या है, प्रेम नहीं। सच्चा प्रेमी कभी भी अपने को, अपने हितों को नहीं भूलता। वह किसी पहुँचे हुए सिद्ध की तरह हमेशा जागरूक रहता है। यों भी कह सकते हैं कि जैसे द्रौपदी के स्वयंवर में अर्जुन की नजर मछली की आँख की पुतली पर टिकी हुई थी, वैसे ही प्रेमी भी उस सब पर नजर गड़ाए रहता है जो उसे प्रेम से मिल सकता है। दूसरे शब्दों में, प्रेम साध्य नहीं, साधन है। जो इस भेद को भूल जाता है, वही प्रेम में विफलता हाथ लगने पर टेसुए बहाता है। सच्चा प्रेमी नए शिकार की तलाश में निकल जाता है।
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12-01-2015, 04:44 PM | #8 |
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Re: कुछ बेहतरीन व्यंग कथाएं
नियम संख्या दो :
हर प्रेम पहला प्रेम है। बहुत-से लोग अपने पहले प्रेम की कहानियाँ सुनाते हैं। बताते हैं, यह वह प्रेम है जिसकी स्मृति आखिरी साँस तक बनी रहती है। यह प्रेम में भावुकता का दखल है, जिससे हर समझदार प्रेमी को बचना चाहिए। उसे इस तरह अभिनय करना चाहिए जैसे हर प्रेम उसके लिए पहला प्रेम हो। इससे उसके प्रस्तुतीकरण में गहराई आएगी। अगर सचमुच में उसका कोई पहला प्रेम था, तो उसे अपना बचपना मान कर भूल जाना चाहिए। नहीं तो भविष्य में प्रेम करने में मुश्किल पेश आ सकती है। अगर प्रेमिका को संदेह हो जाए कि तुमने पहले भी किसी से प्रेम किया था, तो उसे यह आश्वस्त करना तुम्हारा फर्ज है कि वह आसक्ति थी, प्रेम नहीं। इसके बाद तुम्हें अपनी आसक्ति को प्रेम साबित करने की मशक्कत करनी होगी। यह मशक्कत तभी कामयाब हो सकती है, जब तुम अपने को इस तरह पेश कर सको जैसे तुम्हारी जिंदगी में प्रेम की किरण यह पहली बार उतरी है और तुम महसूस कर रहे हो कि तुम्हारे जैसा भाग्यशाली कोई नहीं है।
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12-01-2015, 04:45 PM | #9 |
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Re: कुछ बेहतरीन व्यंग कथाएं
नियम संख्या तीन :
हर प्रेम आखिरी है। प्रेमी को प्रेमी जैसा दिखने के लिए यह जरूरी है कि वह हर प्रेम को आखिरी मान कर चले, जिसके बाद करने को कुछ बचा नहीं रहेगा। इससे उसके भीतर संघर्ष करने की शक्ति आएगी। वह अपने वर्तमान प्रेम को सफल बनाने के लिए अपने सभी संसाधन झोंक देगा। अगर वह वर्तमान प्रेम को आखिरी नहीं समझेगा, तो उसके प्रेम-व्यापार में शिथिलता आ सकती है। प्रेमिका उसकी गंभीरता में शक कर सकती है। वह सोच सकती है कि उसके प्रेमी ने बहुत कुछ अपने पास बचा रखा है। ऐसे मतलबी आदमी को कोई क्यों अपना सर्वस्व दे? जो युद्ध अधूरे मन से लड़ा जाता है, उसमें सफलता नहीं मिलती। जो प्रेम अधूरे मन से किया जाता है, उसमें फूल भले लग जाएँ, पर फल कभी नहीं लगते।
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12-01-2015, 04:45 PM | #10 |
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Re: कुछ बेहतरीन व्यंग कथाएं
नियम संख्या चार :
एक से दो बेहतर। वे बेवकूफ हैं जो एक समय में एक ही चिड़िया का शिकार करते हैं। इन्हें चिड़ीमार ही मानना चाहिए। सच्चा प्रेमी वह है जो अपने सारे अण्डे एक ही टोकरी में नहीं रखता। कभी टोकरी गिर गई, तो सारे अण्डे चूर-चूर हो जाएँगे। आजकल सभी निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपना सारा पैसा किसी एक कंपनी में या निवेश के किसी एक प्रकार में न लगाएँ। उन्हें अपने निवेश को डाइवर्सीफाइ करना चाहिए, ताकि एक जगह पैसा डूबे तो दूसरी जगह बढ़ जाए। इसलिए भावनात्मक सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि एक समय में कम से कम दो स्थानों पर हाथ आजमाया जाए। इससे अधिक की कोशिश करना लालच है, जिसके लिए प्रेम के शास्त्र में कोई स्थान नहीं है। वैसे, एक ही समय में दो-दो से प्रेम करना मामूली साधना नहीं है। बड़े-बड़ों को पसीना आ जाता है। अतः शुरू-शुरू में एक समय में एक से ही काम चलाना चाहिए।
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