27-07-2012, 11:49 AM | #1 |
Diligent Member
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सपनो की दुनिया से थोडा बाहर तो आइये ,
कैसा है जनाब का हाल तो सुनाइये ! सपने तो सपने है हकीकत जमीनी है , कदम -कदम पे धोखे देगी जिन्दगी बड़ी कमीनी है , उतार के आसमान से जिन्दगी को जरा धरती पे ले आइये ! उतार के चश्मा आँखों का असलियत को निहारो , जो जमीनी हकीकत है ना तुम उसको ही बिसारो , सच का सामना कीजिये ना सपने हरदम देखे जाइए ! गर होंगे सितारे गर्दिश में तो जमाना साथ खड़ा होगा , वक़्त बुरा जब आएगा तो अकेला कहीं पड़ा होगा , जमीं पर कभी न देख लो ना सदा आसमान को तुम निहारिये ! दो जून की रोटी से जूझना है जिन्दगी तेरी , बे वक़्त मौत से लड़ना है जिन्दगी तेरी , छोड़ के सपनों का बिस्तर '' नामा '' हकीकत की चादर बिछाइये ! Sombir saroya 9321083377 |
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