01-01-2013, 05:35 PM | #1 |
VIP Member
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144 |
गहरे पानी पैठ
जिन खोजा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैठ |
मैं बौरी ढूडन गयी ,रही किनारे बैठ || अर्थात जिसने खोजा , उसने गहरे पानी में उतरकर ही पाया |मैं ऐसी पागल की ढूंडने गयी तो किनारे बैठ कर ही रह गई || जितना सोचते जाईये , गहरे उतरते जाईये , उतना ही अर्थ और मर्म उजागर होता जाएगा | धर्म , कर्म, अध्ययन , भोग और योग सबकी सफलता की कुंजी एक ही है --गहरे पानी पैठ
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
Bookmarks |
Tags |
बोध कथाएं, लघु कहानियाँ, संस्मरण आख्यान |
|
|