08-11-2016, 08:16 PM | #1 |
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तुम्हारे सिवा कोई सूरत ही याद नहीं
इश्क़ बदहवास करने लगा है अब तुम्हारे और पास करने लगा है अब (बदहवास —— बेसुध) तुम बिन तो ये इक – इक पल जा’ना बहुत ही उदास करने लगा है अब Shayar: #SunnySinghAkash एडिट नोट: पूरी ग़ज़ल यहाँ प्रस्तुत करें. बाहर के लिंक की अनुमति नहीं है. Last edited by rajnish manga; 13-11-2016 at 08:51 PM. |
13-11-2016, 08:52 PM | #2 |
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Re: तुम्हारे सिवा कोई सूरत ही याद नहीं
निश्चय ही यह एक उत्तम कविता है. धन्यवाद.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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