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Old 17-07-2014, 04:12 PM   #161
VARSHNEY.009
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डीडीई का इस्तेमाल करें ह्यूस्ए डडश्र् ह्य:हृ हृ इस क्षेत्र का इस्तेमाल उन अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है जो डायनॉमिक डाटा एक्सचेंज का इस्तेमाल करते हैं। यदि आपको अपने अनुप्रयोग के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है कि यह डीडीई इस्तेमाल करता है या नहीं, तो इसे जैसा है वैसा ही रहने दें।
इसी तरह, आप चाहे जितने अतिरिक्त कॉन्टैक्स्ट मैन्यू जोड़ सकते हैं - 'एडिट' फ़ाइल टाइप संवाद में हर बार 'नया' यानी "ण्एद्ध" को चुन कर। परंतु प्रत्येक फ़ाइल टाइप के लिए तथा प्रत्येक फ़ाइल के प्रत्येक कॉन्टैक्स्ट मैन्यू के लिए आपको हर बार यह लंबी, उबाऊ प्रक्रिया दुहरानी होगी। परंतु, धन्यवाद, कंप्यूटरों की दुनिया में हर कार्य को बेहतर ढंग से, ज़्यादा आसानी से कर लेने के और भी आसान विकल्प होते हैं। आप तीसरे निर्माताआें द्वारा बनाए गए औज़ारों (थर्ड पार्टी टूल्स) का बखूबी इस्तेमाल कर सकते हैं। नीचे दिए गए ऐसे ही कुछ औज़ारों में से आप अपने लिए कुछ चुन सकते हैं जिनसे आप अपने दाएं क्लिक में ढेरों कलात्मकताएं जोड़ सकते हैं।
कॉन्टैक्स्ट मैजिक
जैसा कि इसके नाम से प्रतीत होता है, यह आपके विंडोज़ कॉन्टैक्स्ट मैन्यू में जादुई प्रबंधन की क्षमता प्रदान करता है। कॉन्टैक्स्ट मैजिक दो स्वरूपों में मिलता है। मुफ़्त तथा प्रोफ़ेशनल। कॉन्टैक्स्ट मैजिक के मुफ़्त संस्करण में एक आम कंप्यूटर उपयोक्ता के काम लायक लगभग सभी प्रकार के विशेषताआें का समावेश होता है जबकि प्रोफ़ेशनल संस्करण में बहुत से उन्नत विशेषताआें का भी समावेश किया गया है। इसकी संस्थापना के पश्चात यह कॉन्टैक्स्ट मैन्यू में एक अतिरिक्त मैन्यू - 'कॉन्टैक्स्ट मैजिक' जोड़ता है, जिसमें आपको फ़ाइल तथा फ़ोल्डरों को प्रबंधित करने के बहुत सारे अतिरिक्त उप-मैन्यू प्राप्त होते हैं। उदाहरण के लिए, जब आप किसी वर्ड दस्तावेज़ फ़ाइल पर दायां क्लिक करते हैं तो कॉन्टैक्स्ट मैजिक के ज़रिए आपके कॉन्टैक्स्ट मैन्यू में आपको आधा दर्जन से अधिक विकल्प प्राप्त होते हैं कि आप उस दस्तावेज़ को इनमें से किससे खोलना चाहेंगे - नोटपैड, वर्डपैड, पेंट, मीडियाप्लेयर, इंटरनेट एक्सप्लोरर, माइक्रोसॉफ़्ट वर्ड, और माइक्रोसॉफ़्ट एक्सेल। यदि आपको लगता है कि यहां भी आपका वाला कार्य नहीं है जिससे उस फ़ाइल को किया जाना है तो एक विकल्प - 'प्रोग्राम चुनें' का भी होता है जो कि विंडोज़ के 'के साथ खोलें' ह्यैपएन् द्धतिह...हृ मैन्यू सरीखा ही होता है। आपको कुछ मजेद़ार किस्म के कॉन्टैक्स्ट मैन्यू भी मिलेंगे, जैसे कि 'चयनित फ़ाइलों को ईमेल से भेजें' तथा 'चयनित फ़ाइलों की नकल कर खिसकाएं' इत्यादि, जिन्हें आप कॉन्टैक्स्ट मैजिक द्वारा उपलब्ध कराए गए कॉन्टैक्स्ट मैन्यू के उप-उप-मैन्यू द्वारा चुन सकते हैं। कुल मिलाकर, कॉन्टैक्स्ट मैजिक उन कंप्यूटर उपयोक्ताआें के लिए बहुत ही काम का है जो फ़ाइलों को विविध डिरेक्ट्रीज़ में नकल/चिपकाने/खिसकाने का कार्य बहुलता से करते हैं। इस औज़ार को आप यहां - हततप:्र्रद्धद्धद्ध।छेन्तएक्ष्तंागिच्।च्ेम् से डाउनलोड कर इस्तेमाल कर सकते हैं।
कॉन्टैक्स्ट एडिट
कॉन्टैक्स्ट एडिट आपको आपके विंडोज़ कंप्यूटर में पंजीकृत समस्त फ़ाइल प्रकारों के लिए कॉन्टैक्स्ट मैन्यू को प्रबंधित करने की आसान सुविधा देता है। आप कॉन्टैक्स्ट मैन्यू के किसी भी अवयव को सक्षम, अक्षम कर सकते हैं या मिटा सकते हैं या फिर नये, नायाब अवयव जोड़ सकते हैं। विंडोज़ कॉन्टैक्स्ट मैन्यू के डिफॉल्ट क्रियाआें को भी आप इसके ज़रिए बदल सकते हैं। यह आपको फ़ाइल किस्मों की संबद्धता को स्वचालित पुनर्स्थापित करता है तथा टूटी संबद्धताआें को सुधारता है। इसी प्रकार, बहुत से नये कॉन्टैक्स्ट मैन्यू भी आप अतिरिक्त रूप से जोड़ सकते हैं। कॉन्टैक्स्ट एडिट आपको विंडोज़ एक्सप्लोरर में कार्य करने के लिए बहुत से अतिरिक्त विकल्पों को भी प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, किसी मैन्यू को पूरी तरह मिटाए बगैर उसे आप अक्षम बना सकते हैं। कॉन्टैक्स्ट एडिट मुफ़्त औज़ार के स्र्प में उपलब्ध है और इसे संस्थापित करने की आवश्यकता भी नहीं है। आपको सिऱ्फ छेन्तएक्ष्तश्र्दति।एक्ष्ए नाम की एक फ़ाइल को चलाना होता है जो आपके कंप्यूटर पर उपलब्ध समस्त फ़ाइल प्रकारों को स्कैन करता है तथा उन्हें एक विशिष्ट विंडो में प्रदर्शित करता है। किसी विशिष्ट फ़ाइल किस्म के कॉन्टैक्स्ट मैन्यू को देखने, उसमें कोई अवयव जोड़ने, मिटाने या परिवर्धित करने के लिए बाएं खंड में ब्राउज़ करें तथा उस फ़ाइल किस्म को चुनें। आपको वर्तमान में निर्धारित प्रत्येक मैन्यू अवयव के लिए एक प्रविष्टि विंडो के दाएं भाग में दिखाई देगी तथा प्रत्येक अवयव के लिए एक चेक-बक्सा भी दिया हुआ होता है। किसी अवयव को अक्षम बनाने के लिए उस पर से सही का निशान हटाएं। उसे मिटाने के लिए पहले अक्षम बनाएं फिर 'मिटाएं' टैब को क्लिक करें। इस अवयव को संपादित करने के लिए इसे चुनकर 'संपादन' को क्लिक करें। और यदि आप कोई नया अवयव कॉन्टैक्स्ट मैन्यू में जोड़ना चाहते हैं तो 'नया' टैब पर क्लिक करें तथा नये कॉन्टैक्स्ट मैन्यू अवयव के लिए वांछित जानकारी भरें। एक बार सेट हो जाने के बाद आप इस अनुप्रयोग से बाहर हो सकते हैं। जब आप इस अनुप्रयोग से बाहर होते हैं तो यह प्रोग्राम किए गए परिवर्तनों को विंडोज़ रजिस्ट्री में स्थाई स्र्प से दर्ज कर देता है तथा फिर दुबारा इस अनुप्रयोग को चलाने की आवश्यकता नहीं होती। आपके द्वारा किए गए परिवर्तन विंडोज़ एक्सप्लोरर में अंतर्निहित हो जाते हैं और इस प्रकार तंत्र के एक भाग के स्र्प में कार्य करते हैं। यह औज़ार विशेष रूप से अवांछित, छूटे-गुमे कॉन्टैक्स्ट मैन्यू को मिटाने व संपादित करने हेतु अच्छा ख़ासा काम आता है।
सीसीएम विज़ार्ड
सीसीएम विज़ॉर्ड आपके विंडोज़ तंत्र के फ़ाइलों व फ़ोल्डरों पर कार्य करने हेतु बहुत से बहुमूल्य कॉन्टैक्स्ट मैन्यू जोड़ता है - जिन्हें समयानुसार परिवर्धित करने की भी सुविधा होती है। वैसे, यह कार्य निष्पादन में ऊपर बताए गए कॉन्टैक्स्ट मैजिक औज़ार की तरह ही है। विंडोज़ कॉन्टैक्स्ट मैन्यू में यह अपना स्वयं का 'सीसीएम विज़ॉर्ड कॉन्टैक्स्ट मैन्यू' जोड़ता है जिसमें परिस्थितिनुसार बहुत से उपयोगी उप-मैन्यू प्रकट होते हैं, और जो फ़ाइल किस्मों पर निर्भर होते हैं। इसमें एक अत्यंत ही उपयोगी मैन्यू होता है - 'चुनें (एक जैसे फ़ाइल एक्सटेंशन)' जिसके ज़रिए विभिन्न फ़ाइल एक्सटेंशन युक्त सैकड़ों फ़ाइलों वाली किसी डिरेक्ट्री में आप एक जैसे फ़ाइल क़िस्म वाली समस्त फ़ाइलों को एक बार के दाएं क्लिक से चुन सकते हैं। इस औजार को यहां से डाउनलोड करें - हततप:्र्रदन्तस्ेफत।च्ेम्
१२ घोस्ट शैल-एक्स
यह 'सुपरगी पावरटूल्स फ़ॉर विंडोज़' का एक उपयोगी औज़ार है। १२ घोस्ट शैल-एक्स कॉन्टैक्स्ट मैन्यू के ज़रिए आप अपने विंडोज़ कॉन्टैक्स्ट मैन्यू में बहुत से उपयोगी अवयव जोड़ सकते हैं। उदाहरण के लिए, यह आपके फ़ाइल गुणों - यथा फ़ाइल/फ़ोल्डर आकार, सृजन/परिवर्धन का दिनांक इत्यादि को सीधे ही कॉन्टैक्स्ट मैन्यू में दिखा सकता है। यह किसी डिरेक्ट्री में मौजूद समस्त फ़ाइलों के आकारों का योग भी कॉन्टैक्स्ट मैन्यू में बता सकता है। १२ घोस्ट शैल-एक्स कॉन्टैक्स्ट मैन्यू के द्वारा आप अन्य, बहुत से उपयोगी कमांड प्राप्त कर सकते हैं जैसे कि - डिरेक्ट्री सूची को किसी फ़ाइल में सहेजना, मौजूदा अथवा चयनित पथ को क्लिपबोर्ड में नकल करना ताकि अन्य प्रोग्राम में इसका इस्तेमाल हो सके। किसी अवांछित, अप्रायोगिक अनुप्रयोग की मैन्यू प्रविष्टियों को भी आप इस औज़ार के ज़रिए मिटा सकते हैं, अक्षम बना सकते हैं या संपादित कर सकते हैं। १२ घोस्ट कॉन्टैक्स्ट मैन्यू आपको मैन्यू स्थितियों को भी निर्धारित करने की सुविधा देता है। जैसे कि यदि किसी विशिष्ट कॉन्टैक्स्ट मैन्यू को आप चाहते हैं कि वह हमेशा सबसे ऊपर उपलब्ध हो, तो भी यह कार्य आप इस औज़ार के ज़रिए आसानी से कर सकते हैं। यह औज़ार मुफ्त उपलब्ध नहीं है। इसके मूल्यांकन किए जा सकने वाले संस्करण को आप यहां हततप:्र्रद्धद्धद्ध।१२ग्हेस्तस्।च्ेम् से डाउनलोड कर सकते हैं।
आरजेएच एक्सटेंशन
यह मुफ़्त उपलब्ध औज़ार आपके विंडोज़ एक्सप्लोरर में बहुत से उपयोगी कॉन्टैक्स्ट मैन्यू जोड़ने की सुविधा प्रदान करता है। इसके ज़रिए आप अपने विंडोज़ एक्सप्लोरर में बहुत से नायाब, अन्यत्र आसानी से नहीं पाए जा सकने वाले
कमांड शामिल कर सकते हैं। ऐसा ही एक उपयोगी कॉन्टैक्स्ट मैन्यू आपको मिलता है - फ़ाइल कतरन का। किसी भी फ़ाइल या फ़ोल्डर का नामोनिशान हार्ड डिस्क से पूरी तरह मिटा डालने के लिए इस औज़ार द्वारा उपलब्ध कराए गए फ़ाइल श्रेडर का इस्तेमाल इस कार्य हेतु किया जा सकता है। इसी प्रकार आप अपने फ़ाइल व फ़ोल्डरों को पासवर्ड के ज़रिए इसके द्वारा उपलब्ध कराए गए कॉन्टैक्स्ट मैन्यू से सुरक्षित कर सकते हैं। किसी भी फ़ाइल या फ़ोल्डर में दायां क्लिक कर 'एनक्रिप्ट फ़ाइल' का विकल्प चुनें। आपको पासवर्ड के लिए पूछा जाएगा। कोई पासवर्ड दें, और 'ओके' (ठीक है) को क्लिक करें। आपकी फ़ाइलें व फ़ोल्डर मज़बूत ब्लोफ़िश एनक्रिप्शन अल्गोरिद्म के ज़रिए एनक्रिप्ट हो जाती हैं। इन्हें वापस खोलने के लिए इन पर दायां क्लिक करें व चुनें - 'डीक्रिप्ट फ़ाइल' वह पासवर्ड भरें जो आपने फ़ाइलों को एनक्रिप्ट करते समय दिया था। पासवर्ड सही होने पर आपकी फ़ाइल आपके कार्य के लिए तत्काल खुल जाती है। विंडोज़ तंत्र में पारदर्शी और उपयोगी स्र्प से पूरी तरह जुड़ जाने वाले इस उपयोगी औज़ार को यहां हततप:्र्रद्धद्धद्ध।रज्हस्ेफतद्धारए।च्ेम् से डाउनलोड करें।
ऐसा लगता नहीं कि आपने अपने दाएं क्लिक में अब तक बहुत-सा कमाल शामिल कर लिया है? तो चलें दाएं क्लिक की कुछ कारगुज़ारियां दिखाने?
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VARSHNEY.009
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गांव में बना हिंदी ब्राउज़र
डांगीसाफ़्ट आई-ब्राऊज़र++
--रविशंकर श्रीवास्तव
कौन कहता है कि आसमान में सूराख़ नहीं हो सकता,
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों।


मध्य प्रदेश के एक छोटे से क़स्बे, गंजबसौदा के रहने वाले जगदीप सिंह डांगी ने कंप्यूटर जगत के आसमान पर वो पत्थर उछाला है, जिसके फलस्वरूप प्रकाश की जो किरणें फूट रही हैं, वे भारतीय कंप्यूटर उपयोक्ताओं के कार्य के माहौल को आने वाले दिनों में न सिऱ्फ ख़ासा प्रभावित करेंगी, आम ग्रामीण जन तक कंप्यूटरों तथा जालघर की पहुँच को अति आसान भी बनाएँगी और ग़ज़ब बात यह है कि एक साधारण से किसान के बेटे जगदीप के संगी-सहपाठी इंजीनियर बंधु तक यह स्वीकार करते हैं कि जहां वे विभिन्न एमएनसीज में अपना भविष्य बनाने में लगे हैं, निपट देहात में जन्मे-जमे जगदीश निस्वार्थ भाव से जन-कल्याण के साफ़्टवेयर विकसित करने में लगे हैं। जगदीप का सपना है हिंदी में ऑपरेटिंग सिस्टम तैयार करने का।
जगदीप ने गंजबसौदा जैसी छोटी सी जगह में रहते हुए ही तीन वर्षों के अथक परिश्रम से हिंदी भाषा इंटरफेस युक्त एक वेब ब्राउज़र तथा हिंदी के कुछ अन्य अनुप्रयोग - हिंदी वर्तनी जाँचक, डिजिटल शब्दकोश, हिंदी सरल संपादक इत्यादि बनाए हैं। हिंदी ब्राउज़र - डांगी सॉफ्ट आई-ब्राउज़र++ का संपूर्ण इंटरफेस हिंदी भाषा में है। इसके अलावा इसमें अन्य ख़ूबियाँ भी हैं। उदाहरण के लिए, यह इंटरनेट एक्सप्लोरर के शक्तिशाली इंजन से तो चलता है, पर इसमें कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जो इंटरनेट एक्सप्लोरर में उपलब्ध नहीं हैं जैसे कि अंग्रेज़ी तथा हिंदी के अलग-अलग सर्च बार तथा स्वचालित हिस्ट्री प्रदर्शक। इस वेब ब्राउज़र में उपयोक्ता को हिंदी शब्द रूपांतरण की सुविधा तो मिलती ही है, २०,३२० शब्दों का शब्दकोश भी इसमें अंतर्निर्मित है, जिसकी सहायता से उपयोक्ता को अंग्रेज़ी भाषा के जाल पृष्ठों को हिंदी में समझने में सहायता मिलती है। अँग्रेज़ी शब्दों के अर्थ के साथ-साथ उनके उच्चारण भी दिए गए हैं। साथ ही हिंदी के समानार्थी शब्दों को देकर इसे और भी समृद्ध बनाया गया है।
यही नहीं, इसका शब्दकोश परिवर्तनीय, परिवर्धनीय भी है जिसे उपयोक्ता अपने अतिरिक्त शब्दों को सम्मिलित कर और भी समृद्ध बना सकता है। हिंदी ब्राउज़र के वर्ड ट्रांसलेटर की मज़ेदार खूबी यह है कि यह दोनों दिशाओं में कार्य करता है यानी हिंदी से अंग्रेज़ी तथा अँग्रेज़ी से हिंदी। इसका उपयोग आप स्थानीय रूप से आई-ब्राउज़र के भीतर तो कर ही सकते हैं, वैश्विक रूप से विंडोज़ के अन्य किसी भी अनुप्रयोगों में भी इसका उपयोग किया जा सकता है। अगर आपको हिंदी टाइप करने में दिक्कत आती है, तो जगदीप ने उसका भी इंतज़ाम कर रखा है। इस हेतु वे ऑन स्क्रीन हिंदी कुंजी पटल प्रस्तुत करते हैं जिसकी सहायता से माउस क्लिक करके किसी भी विंडोज़ अनुप्रयोग में हिंदी भाषा में टाइप किया जा सकता है। आई-ब्राउज़र++ विंडोज़ 98 से ऊपर के सभी संस्करणों पर चल सकता है।
आई-ब्राउज़र++ के हिंदी अनुप्रयोग उपयोग में आसान हैं। उदाहरण के लिए, ब्राउज़र के भीतर ही किसी भी अंग्रेज़ी/हिंदी के शब्दों को दायां क्लिक करने पर यह उसका उपलब्ध अर्थ, उच्चारण सहित तत्काल प्रदर्शित करता है। यह ब्राउज़र पारंपरिक हिंदी उपयोक्ताओं के लिए बहुत काम का है चूँकि यह फ़ॉंन्ट एनकोडिंग के द्वारा कार्य करता है, अत: आप अपने एचटीएमएल/पाठ दस्तावेज़ों में इसके हिंदी सर्च फ़ील्ड में हिंदी शब्दों के आधार पर ही शब्दों को ढूंढ/बदल सकते हैं। यह लगभग सभी प्रकार के हिंदी फ़ॉन्ट्स जैसे नई दुनिया, शुशा, आकृति इत्यादि पर कार्य कर सकता है। हालांकि आई-ब्राउज़र हिंदी में हैं परंतु यूनिकोड हिंदी में कार्य कर सकने की उपलब्धता विंडोज़ २००० या विंड़ोज़ एक्सपी में ही उपलब्ध हो सकेगी।
इस ब्राउज़र की एक ख़ामी यह भी है कि विजुअल बेसिक की सहायता से बना होने के कारण वर्तमान में यह सिऱ्फ विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए उपलब्ध है। लिनक्स तथा अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए नहीं। जगदीप ने इस सॉफ़्टवेयर को अभी आम उपयोग के लिए जारी नहीं किया है। वे इसे जारी करने हेतु उचित प्लेटफॉर्म की तलाश में हैं ताकि उनका प्रयास अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सके तथा कंप्यूटरों का प्रयोग अंग्रेज़ी नहीं जानने वाले हिंदी भाषी भी आसानी से कर सकें।
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हिंदी सॉफ्टवेयर उपकरण
कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा
संचार और सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय (http://www.ildc.in) द्वारा आम जनता के लिए मुफ़्त में इस्तेमाल के लिए हाल ही में जारी किए गए हिंदी सॉफ़्टवेयर उपकरण पर पहले पहल उत्साहित नज़र डाली विनय जैन ने। जिनके अनुभव कुछ अप्रिय से रहे। इन्हें आप यूनिकोड हिंदी में यहाँ पढ़ सकते हैं (इस लिंक को पढ़ने के लिए पृष्ठ को नीचे की ओर स्क्रोल करें)। दरअसल, खूब हो हल्ला करके, ओछी राजनीतिक लोकप्रियता हासिल करने के चक्कर में कहीं का ईंट और कहीं का रोड़ा मिलाकर इन सॉफ़्टवेयर उपकरणों को आम जनता के मु़फ़्त इस्तेमाल हेतु जारी किया गया है। इन उपकरणों में कुछ तो बिलकुल बेकार से हैं और कुछ को कुछ मायनों में काम में लिया जा सकता है। वैसे, कुल मिलाकर ये उपकरण हिंदी उपयोगकर्ताओं का कुछ भला कर पाएँगे, इसमें संदेह है।
मैंने इनमें से प्राय: सभी उपकरणों को विंडोज़ एक्सपी के वातावरण में चलाकर जाँचने की कोशिश की। यों तो अनुभव लगभग वैसे ही रहे जैसे कि विनय ने पाए। परंतु फिर भी कुछ अनुप्रयोग हिंदी कंप्यूटर प्रयोक्ताओं के काम तो आ ही सकते हैं। ऐसे काम लायक कुछ अनुप्रयोगों के बारे में संक्षिप्त विवरण निम्न हैं। इन अनुप्रयोगों को आप यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं।
आसान हिंदी टाइपिंग टयूटर: अगर आप विंडोज़ / लिनक्स का ड़िफॉल्ट हिंदी कुंजी पट इनस्क्रिप्ट सीखना चाहते हैं तो यह आपके बड़े काम का है। जैसा कि इसका नाम है, यह टाइपिंग शिक्षक इस्तेमाल में बड़ा आसान है। इसका इंटरफेस मज़ेदार किस्म का है। शिक्षण पाठ और परीक्षाओं को अलग-अलग श्रेणियों में सुंदर तरीके से बाँट कर रखा गया है। शिक्षण पाठ में हिंदी के अंतर्निर्मित पाठ भी हैं जिन्हें बाएँ विंडो में प्रदर्शित किया जाता है और आपको दाएँ विंडो में टंकित करना होता है। आपकी टाइपिंग ग़लतियों को लाल अक्षरों से तथा आवाज़ से बताया जाता है। टाइप सीखना मज़ेदार और आसान बनाने के लिए कुछ खेल भी हैं। हिंदी के अतिरिक्त यह आपको अंग्रेज़ी भी सिखा सकता है।
जनरल डिक्शनरी - सीडॅक द्वारा प्रस्तुत अंग्रेज़ी हिंदी शब्दकोश यूनिकोड हिंदी में है। दरअसल, वर्तमान में यूनिकोड हिंदी का संभवत यह एक मात्र शब्दकोश है। परंतु यह शब्दकोश अभी अपनी शैशवावस्था में ही है लगता है और लगता है कि इसे हड़बड़ी में जारी किया गया है। इसमें शब्दों को ढूँढने की सुविधा गतिमय नहीं है। आपको अंग्रेज़ी के पूरे शब्द लिखकर उसे ड्रापडाउन सूची में से क्लिक करना पड़ता है तब कहीं उसका हिंदी का अर्थ प्रकट होता है। इसका शब्द भंडार अत्यंत सीमित है। उदाहरण के लिए, अंग्रेज़ी अक्षर वाई तथा जेड के लिए क्रमश: मात्र 40 और 15 प्रविष्टियाँ ही है। फिर भी, अगर आपके कंप्यूटर में पहले से ही कोई शब्दकोश संस्थापित नहीं है, तो मुफ़्त का यह आधारभूत शब्दकोश आपके कुछ तो काम आएगा ही। हाँ, इस बात का ख़ास ध्यान रखें कि यह प्रारंभ होने में काफ़ी समय लेता है।
शब्दिका - तकनीकी शब्दावली संग्रह - यह संग्रह दो खंडों में पुस्तक रूप में प्रकाशित वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली का इलेक्ट्रानिक संस्करण है। इसका इंटरफेस बेकार किस्म का है जो इसके उपयोग में बार-बार खटकता है। यह बगी भी है। इसके प्रशासन तथा बैंकिंग शब्दकोश के फ़ॉन्ट कृतिदेव है तो आईटी शब्दावली के शुषा फ़ॉन्ट हैं। अत: जब तक दोनों ही प्रकार के फ़ॉन्ट स्थापित न हो जाएँ, यह हिंदी अर्थों को प्रदर्शित नहीं कर पाता। वैसे, इसका शब्दभंडार विशाल है और यह ख़ासा उपयोगी भी है।
पाठ से वार्ता - आई.आई.आई.टी हैदराबाद का डेमो संस्करण कुछ आशा जगाता है। अगर इसके बिलकुल रद्दी और एकदम आधारभूत इंटरफेस को माफ़ कर सकते हों, तो हिंदी पाठ से वार्ता का यह शानदार और जानदार अनुप्रयोग है। जानदार इसलिए कि इसमें जो आवाज़ सुनाई देती है वह रोबॉटिक और मशीनी न होकर मानवी लगती है, जो सुनने में कर्णप्रिय आनंददायी है। अभी यह सिर्फ़ यूनिकोड पाठ फ़ाइलों में से हिंदी पाठ को ही पढ़ पाता है। उम्मीद है इसके पूर्ण संस्करण में हमें बहुत कुछ नया और मिले।
चित्रांकन - हिंदी के लिए ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन ( ओ.सी.आर) सॉफ्टवेयर की बहुत ज़रूरत है। परंतु खेद का विषय है कि काम लायक ऐसा सॉफ़्टवेयर नज़र नहीं आता। चित्रांकन नाम का यह उपकरण ख़ास हिंदी के लिए जारी किया गया है। वैसे तो यह उपकरण उपयोग में उन्नत प्रतीत होता है और प्राय: सभी तरह की फंक्शनलिटीज़ को इसमें खूबसूरती से पिरोया गया है, परंतु इसको कई तरह से चलाकर, तथा इसे कई तरह से ट्रेन करने के उपरांत चलाकर देखने के बावजूद इसका परिणाम संतोषप्रद नहीं रहा। अगर इसे और डेवलप किया जाता है तो भारत के अथाह साहित्य भंडार को कंप्यूटरीकृत करने में बहुत सुविधा होगी।
परिवर्तन - हिंदी भाषा के दर्जनों फ़ॉन्ट को एक दूसरे में परिवर्तन करने के लिए यह उपकरण ख़ासा काम का है। अगर इसे माइक्रोसॉफ़्ट वर्ड के साथ उपयोग किया जाए तो यह बहुत शुद्ध परिणाम देता है। मगर इसका इंटरफेस बहुत ही बेकार किस्म का है और आपको हर फ़ाइल के लिए बार-बार वही चरण दोहराने होते हैं, जो काफ़ी ऊबाऊ होता है। कहीं-कहीं यह अत्यंत धीमा भी हो जाता है और बड़ी फ़ाइलों को परिवर्तित करते समय क्रैश भी हो जाता है। वैसे, इक्का दुक्का फ़ाइलों को परिवर्तित करने के लिए यह अच्छा है। वैसे भी, रिच टैक्स्ट फ़ाइल या एमएस वर्ड डाकुमेंट जैसे प्रोप्राइटरी फ़ाइल फ़ॉर्मेट के फ़ॉन्ट को एक दूसरे में परिवर्तित करने में यह एकमात्र मुफ़्त सॉफ़्टवेयर है। अन्य सॉफ़्टवेयर प्रमुखत: पाठ फ़ाइलों में ही काम कर पाते हैं। इसको यहाँ से डाउनलोड करें।
ऑफ़िस सूट के नाम पर हिंदी इंटरफेस युक्त ओपन ऑफ़िस.ऑर्ग सम्मिलित है जिसकी विस्तृत चर्चा पहले ही इस जालस्थल पर की जा चुकी है। इसमें नया कुछ नहीं है। वही पुराना - गलतियों भरा अनुवाद युक्त हिंदी इंटरफेस। आश्चर्यजनक रूप से, सीडॅक का लीप ऑफ़िस सूट और प्रकाशन उपकरण जारी नहीं किया गया है, जिसे मुफ़्त इस्तेमाल हेतु जारी किया जा सकता था। शायद वे यूनिकोड संपन्न नहीं होने की वजह से शामिल नहीं किए गए हैं, परंतु अगर ऐसा होता तो अन्य उपकरण जो यूनिकोड के नहीं हैं जैसे कि शब्दिका उन्हें भी तो जारी किया गया है और, लीप ऑफ़िस में हिंदी में दस्तावेज़ तैयार कर यूनिकोड में तो परिवर्तित किया ही जा सकता है। इससे कहा जा सकता है कि हिंदी के लिए यह प्रस्तुति आधी अधूरी ही रही।
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माउस में छुपा कलाकार
—rivaSaMkr EaIvaastva
कहावत है कि कलाकार के लिए श्रमसाध्य रियाज़ की ज़रूरत होती है। पर अब शायद नहीं। अब तो कंप्यूटर आ चुके हैं आपकी सेवा में, जहाँ रियाज़ को एक तरफ़ रख कर प्रयोगों और (कंप्यूटर) अनुप्रयोगों के ज़रिए अपनी कला में कुछ उस किस्म का निख़ार लाया जा सकता है जो पिकासो-हुसैन की टक्कर का-सा हो सकता है।
और, वह भी सिर्फ़ कुछ ही माउस क्लिकों की सहायता से! - जी हाँ, आपने सही पढ़ा- सिर्फ़ कुछ ही माउस क्लिकों की सहायता से - आप अपने अंदर के कलाकार को नया आयाम दे सकते हैं। यहाँ आपको गंदे रंगों घिसते ब्रशों से भी जूझने की ज़रूरत नहीं होगी। किसी महँगे कैनवस की आवश्यकता नहीं होगी। बस आपका कंप्यूटर स्क्रीन और माउस - या यदि आप थोडे ज़्यादा एडवेंचरिस्ट हैं और थोड़े से खर्चे को ज़्यादा महत्व नहीं देते हैं तो डिज़िटल पेन की सहायता से ऐसी-ऐसी कलाकृतियाँ बना सकते हैं - जिसे देख कर दर्शकों की 'उँगलियाँ अपने आप उनके दाँतों तले पहुँच जाएँगीं।
आइए, आज हम आपको सिखाने की कोशिश करते हैं कि आप देखते ही देखते डिजिटल आर्टिस्ट कैसे बन सकते हैं-
आवश्यक सामग्रियाँ :
कैनवस, रंग, तूलिका तथा रंगदानी पर बेकार का पैसा खर्च करने के बजाए अब आप अपने कंप्यूटर स्क्रीन और माउस पर भरोसा करना प्रारंभ कर दीजिए। ये आपके लिए नए, नायाब अत्यंत आश्चर्यजनक परिणाम लेकर आएँगे। ऐसे परिणाम जो आप अपने ब्रश और कैनवस से किसी सूरत पैदा नहीं कर सकते। और यदि कभी आपको अपनी कला में कोई नुक्स नज़र आता भी है तो उसे चुटकियों में ठीक भी कर सकते हैं, और यदि पूरी की पूरी कलाकृति मज़ेदार नहीं लगती हो तो उसे तत्काल ही अपने कंप्यूटर की कचरा पेटी में डाल सकते हैं - बिना किसी नुकसान के - और आप तत्काल तैयार हो जाते हैं एक नई कलाकृति तैयार करने के लिए - बिना किसी खर्च के।

कंप्यूटर के मॉनीटर और माउस के अलावा आपको कुछ प्रोग्रामों की आवश्यकता भी होगी। यदि आप अपनी उँगलियों और अपनी कल्पनाशक्ति पर भरोसा करते हैं तो आप फ़ोटोशॉप, पेंटशॉप-प्रो जैसे व्यावसायिक उत्पाद या आर्टरेज (http://www.ambientdesign.com) जैसे मुक्त उत्पाद का इस्तेमाल स्क्रीन पर बढ़िया कलाकृति बनाने हेतु कर सकते हैं। फ़ोटोशॉप में सैकड़ों तरह के फ़िल्टरों का इस्तेमाल कर आप अपनी कलाकृतियों में नए रंग, नई आकृतियाँ, नई कल्पनाएँ डाल सकते हैं।
यदि आप ड्राइंग बनाने में मेरी तरह कच्चे हैं, आम की जगह आमतौर पर अमरूद बन जाता है, तो भी कोई बात नहीं। एक सच्चे और अच्छे डिजिटल आर्टिस्ट बनने के लिए तो यह एक प्रकार का गुण है। ऐसे मामलों में आपको कुछ ऐसे प्रोग्रामों की आवश्यकता होगी जो स्क्रीन पर स्वयंमेव दृश्य, झाँकी, ड़िज़ाइन और कलाकृतियाँ बनाते हैं। इसके लिए आपको कहीं दूर जाने की भी ज़रूरत नहीं। आपके विंडोज़ मीडिया प्लेयर (http://go.microsoft.com/fwlink/?LinkId=28176) और विनएम्प (http://www.winamp.com) के ढेरों विजुअलाइजेश़न प्लगइन ही अनंत प्रकार की लुभावनी, सुंदर, अलौकिक किस्म की कलाकृतियाँ तैयार करने में सक्षम हैं। आपको ग्रेब-इट (http://www.costech.com) या प्रिंट-की (http://www.geocities.com/~gigaman) जैसे एक स्क्रीन कैप्चर औज़ार की भी आवश्यकता होगी जिसके ज़रिए आप विजुअलाइजेश़न प्लगइन द्वारा प्रतिपल ड्रा किए जा रहे कलाकृतियों में से चुनकर उन्हें सहेज सकें।
आपकी सहायता के लिए कई ऐसे सारे प्रोग्राम भी हैं, जो आपके लिए दृश्य, झाँकी तथा अन्य कलाकृतियाँ स्वचालित तरीके से तैयार करते हैं - आपको सिर्फ़ दो-चार माउस क्लिकों का इस्तेमाल रंग-दृश्य इत्यादि चुनने के लिए करना होता है, बस। और, कौन जाने कब, किसी दिन, ऐसा ही बेतरतीबी से, स्वचालित रूप से तैयार की गई आपकी कोई डिजिटल कलाकृति किसी आर्ट क्रिटिक की निगाह में चढ़ जाए, किसी क्रिस्टी-आर्ट टुडे गैलरी में चढ़ जाए, तो आप तो बन गए करोड़पति कलाकार! आपको भरोसा नहीं हो रहा है? कोई बात नहीं। यह जो कलाकृति आप देख रहे हैं, वह सिर्फ़ कुछ ही माउस क्लिकों की सहायता से पेंटशॉप-प्रो (http://www.jasc.com) की सहायता से बनाई गई है। आप भी एक बार काम करना शुरू करेंगे तो भरोसा हो जाएगा- अपनी कलाकृतियों पर, और आप पाएँगे कि वे लोगों का ध्यान खींचने में सचमुच सफल हो रही हैं!
कलाकृति सृजक प्रोग्रामों द्वारा कलाकृतियाँ :
आप सभी ने फ्रेक्टल प्रोग्रामों द्वारा तैयार, सुंदर, रंगबिरंगी कलाकृतियों को गाहे-बगाहे कहीं-न-कहीं देखा होगा। और शायद कुछ ने इन्हें चलाकर रंगीन कलाकृतियाँ भी तैयार किया होगा। ये फ्रेक्टल प्रोग्राम कठिन गणितीय गणनाएँ करके ऊटपटांग, परंतु लयकारी युक्त सुंदर, रंगीन कलाकृतियाँ बनाते हैं। प्रोग्रामरों ने तमाम तरह के दर्जनों फ्रेक्टल प्रोग्राम बना रखे हैं, जो बेतरतीब तरीके से आपके स्क्रीन पर कलाकृतियों की रचना करते रहते हैं। एक ऐसा ही, बढ़िया प्रोग्राम है WinCIG (विंडोज़ चाओस इमेज जनरेटर) जो चलने में तेज़ तो है ही, फ्रेक्टल चित्रों को पूर्ण स्क्रीन मोड में भी दिखाता है। इसके अलावा, इस प्रोग्राम के ज़रिए आप विविध रंगों का चयन कर अपनी कलाकृति बना सकते हैं - जैसे कि श्वेत-श्याम या अग्नि रंग। यह प्रोग्राम आपको कलाकृतियों को बिटमैप फ़ॉर्मेट में सहेजने की सुविधा भी देता है जिससे आपको अलग से स्क्रीन कैप्चर औज़ार की आवश्यकता नहीं होती।
इस प्रोग्राम को आप यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं- http://www.hoevel.de/a एक अन्य चित्र सृजक प्रोग्राम ग्लिफ़्टिक है जिसे आप यहाँ से डाउनलोड कर इस्तेमाल कर सकते हैं- http://www.gliftic.com/ । ग्लिफ़्टिक के ज़रिए आप चित्रों को स्वचालित सृजित कर सकते हैं। इसके लिए बस, आपको प्रारंभ में कुछ इनपुट देने होंगे जैसे कि रंग योजना इत्यादि और ग्लिफ़्टिक कलाकृतियाँ बनाने के लिए तैयार हो जाता है। इसमें- ड्रा मी ए पिक्चर नाम का एक विज़ॉर्ड भी होता है जिसके ज़रिए एक कलाकृति तैयार होती है। विज़ॉर्ड के ज़रिए उस कलाकृति को अनंत मर्तबा टिकल कर सकते हैं जिससे वह उस चित्र को अपने पहले से मौजूद डाटाबैंक में से कुछ चित्रों-रंगों को बाहर निकाल कर उन्हें उल्टा-पुल्टा मिला-जुला कर हर बार कुछ नया रूप-रंग देता है - जब तक कि आप उसे पसंद न कर लें। और, चित्रों में स्वचालित परिवर्तन माउस क्लिकों के ज़रिए ही कर सकते हैं। अत: आप यह भी कर सकते हैं कि इस प्रोग्राम के इस विज़ॉर्ड के ज़रिए माउस-क्लिकों की तूफ़ान ले आएँ, और कोई तूफ़ानी-सी कलाकृति तैयार कर लें।
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सावधान! फिर आया वायरस
--रविशंकर श्रीवास्तव
इस स्क्रीनशॉट को ध्यान से देखें। ऐसे ई-मेल से सावधान रहें। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक किया नहीं कि फँस गए आप वायरस के जाल में।
हाल ही में मेरे एक मित्र ने मुझे ख़बर की कि मेरे ई-मेल पते से उसे वायरस युक्त ई-मेल प्राप्त हो रहे हैं। मैं चौंका। मेरे कंप्यूटर पर एंटीवायरस समेत फ़ॉयरवाल इत्यादि की समस्त सुरक्षा सुविधाएँ हैं, जिसके फलस्वरूप ऐसी किसी वायरस की सक्रियता पर अचरज प्रतीत हुआ। मैंने अनुनाद से उस ई-मेल को वापस मुझे भेजने को कहा ताकि उसके आईपी एड्रेस इत्यादि का एनॅलिसिस कर सकूँ कि क्या वह सचमुच मेरे ही कंप्यूटर से निकला है। जाँच से मुझे राहत मिली कि यह काम मेरे ईमेल पते से किसी अन्य के कंप्यूटर से हो रहा है! यह आलेख इसीलिए प्रकाशित किया जा रहा है ताकि इस प्रकार के इंटरनेट के ख़तरों से भिज्ञ रहें और किसी भी मित्र- जी हाँ दोहरा रहा हूँ किसी भी मित्र के पते से प्राप्त ई-मेल पर कतई-कतई भरोसा न करें, यदि उसमें अवांछित संलग्नक ( अटैचमेंट) हो। साथ ही अपने ईमेल क्लाएंट को सादा पाठ (एचटीएमएल डिसेबल्ड) भेजने व पढ़ने के लिए ही सेट कर रखें।)
हज़ारों लाखों की संख्या में इंटरनेट उपयोक्ता, इन दिनों नेटस्काई वायरस और इसके आधे दर्जन से अधिक संस्करणों की कृपा से ऐसे संकट में फँसे हुए हैं जिसका निदान हाल फिलहाल नज़र नहीं आ रहा है। हर रोज़ इंटरनेट के उपयोक्ता अपने मेल बॉक्स पर दर्जनों की संख्या में ऐसे ई-मेल प्राप्त करते हैं जिनके प्रेषक के बारे में न तो वे जानते हैं, न उनसे किसी प्रकार के ई-मेल की उम्मीद ही होती है। यह तो ठीक है, परंतु उस बात का क्या जब आपको ऐसा ई-मेल प्राप्त होता है जो यह बताता है कि आपने जो ईमेल फलाँ व्यक्ति को भेजा था, उसमें वायरस था अत: उसे आपको वापस कर दिया गया है। जबकि आपने उस पते पर कभी भी कोई ई-मेल भेजा ही नहीं था।
दरअसल, नेटस्काई जैसे किस्म के वायरस इस तरह से डिज़ाइन किए गए हैं कि वे आपके ई-मेल पते का इस्तेमाल, अपने आप को अन्य कंप्यूटरों में फैलाने और उन्हें प्रदूषित करने के लिए करते हैं। कई तरीकों से वे आपका ई-मेल पता हासिल करते हैं और इसे अपने द्वारा स्वचालित सृजित ईमेल के प्रेषक खंड में रख कर तमाम ऐसे लोगों को ई-मेल भेजते हैं, जिनका ई-मेल पता वे हासिल कर चुके होते हैं। ऐसे ई-मेल में वे अपने ही वायरस की एक प्रति विविध तरीकों से संलग्न कर भेजते हैं। इनके लिए आपका ई-मेल पता हासिल करना बहुत ही आसान होता है। वे ऐसे बॉट (रोबॉट) का इस्तेमाल करते हैं जो इंटरनेट के पन्नों में से ई-मेल पता ढूँढ कर उन्हें जमा करते रहते हैं। या फिर आउटलुक जैसे मेल क्लाएंट के एड्रेस बुक में उपलब्ध सारे ई-मेल पते का इस्तेमाल अपने आप को फैलाने में करते हैं। कुछ वायरस ऐसे बनाए गए हैं जो कुछ ज्ञात-अज्ञात किस्म के डोमेन नाम का इस्तेमाल कर बेतरतीब तरीके से अनुमान के आधार पर उपयोक्ता नाम सृजित कर वायरस संक्रमित ई-मेल भेजते हैं। और यदि वह ई-मेल पता सही निकलता है तो वह डिलीवर हो जाता है, अन्यथा वापस लौट जाता है। ये वायरस इतने चालाकी से सृजित किए गए हैं कि इनके भीतर इनका अपना ही एसएमटीपी सर्वर बना हुआ होता है और ये अपने संक्रमित ई-मेल को प्रेषित करने के लिए किसी अन्य सर्वर पर निर्भर भी नहीं होते। इन्हें सिर्फ़ इंटरनेट कनेक्शन चाहिए होता है। अब अगर यह प्रेषक को डिलीवर हो गया तब तो ठीक है, अन्यथा यदि पता गल़त है या फ़ॉयरवॉल द्वारा स्वीकार नहीं होता है तो फिर यह आपके डाक डब्बे में वापस आ जाता है, चूँकि इसके प्रेषक फ़ील्ड में आपका ई-मेल पता दिया गया होता है। अब भले ही आपने उसे नहीं भेजा है।
जब कोई अन्य व्यक्ति किसी अन्य का ई-मेल पता अनाधिकृत रूप से इस्तेमाल ई-मेल भेजने या प्राप्त करने के लिए करता है, तो उसे ई-मेल स्पूफ़िंग कहा जाता है। स्पूफ़िंग की वजह से ही आपका इनबॉक्स अवांछित, वायरस संक्रमित, तमाम # @ % ^ प्रकारों के ईमेल से भरा रहता है।
आपका ई-मेल पता तो हर कहीं है
अगर आप इंटरनेट का इस्तेमाल करते रहते हैं तो आप नियमित रूप से ई-मेल भेजते और प्राप्त करते होंगे। इन प्रत्येक ई-मेल में आपका ई-मेल पता अंकित होता है। इसी प्रकार कुछ ऐसे वेब पृष्ठ भी होंगे जिनमें आपका ई-मेल पता अंकित होगा। ऐसे ई-मेल पते इंटरनेट पर बहुत से स्थानों पर, सारे विश्व में, वेब पृष्ठों के साथ ही सिस्टम कैश में, अस्थाई इंटरनेट फ़ाइलों में भंडारित हो जाते हैं। पहले के वायरस आपके ई-मेल क्लाएंट के एड्रेस बुक में भंडारित ई-मेल पतों के द्वारा संक्रमण फैलाते थे। परंतु अब उनमें यह क्षमता आ गई है कि वे कंप्यूटरों के हार्ड डिस्क को स्कैन कर तमाम ई-मेल पतों को ढूँढ निकालते हैं और उन प्रत्येक ई-मेल पते पर अपने आपको ई-मेल के ज़रिए फैलाते हैं। इन वायरसों में उनका अपना स्वयं का नन्हा एसएमटीपी सर्वर होता है। जिसके कारण इन्हें फैलने के लिए आपके ई-मेल क्लाएंट की ज़रूरत नहीं होती। इनके कार्य करने के लिए सिर्फ़ जीवित इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता होती है और आपको पता ही नहीं चलता कि आपका संक्रमित कंप्यूटर हज़ारों लाखों की संख्या में वायरस फैला रहा है। परिस्थितियाँ दिनों-दिन गंभीर होती जा रही हैं। पहले ही, हमें प्राप्त होने वाले 80 प्रतिशत ई-मेल स्पॉम और अवांछित होते हैं और नेटस्काई/लवगेट/सॉसर जैसे वायरस इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं।
बेवकूफ़ बनाने के लिए हर संभव युक्तियाँ
वायरसों एवं वार्म को इन दिनों इस चतुराई से लिखा जा रहा है कि उन्हें फैलने के लिए उपयोक्ताओं से किसी प्रकार के इंटरेक्शन की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। उदाहरण के लिए, ब्लास्टर और सासर किस्म के वायरस इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों के आईपी पतों को बेतरतीब तरीके से स्कैन करते हैं तथा असुरक्षित कंप्यूटरों को अपने आप ही संक्रमित कर देते हैं। उस संक्रमित कंप्यूटर से यह सिलसिला नए सिरे से फिर चलने लगता है। यह कास्केड प्रभाव इतना भयंकर होता है कि ब्लास्टर जैसे वायरस जारी होने के 24 घंटों के भीतर ही समस्त विश्व के 50 लाख कंप्यूटरों को अपना निशाना बना चुके होते हैं। वायरस के कुछ प्रकार एचटीएमएल पृष्ठों में डिज़ाइन किए जाते हैं जिनमें उनका लिंक छुपाया गया होता है और चेहरा दूसरा लगाया गया होता है। ऐसे छुपाए लिंक में उपयोक्ता किसी वजह से क्लिक करता है तो पाता है कि उसने अनजाने में ही अपने कंप्यूटर को संक्रमित कर डाला है। उदाहरण के लिए, नेटस्काई वायरस का एक किस्म एचटीएमएल मेल के द्वारा फैलने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह एचटीएमएल पृष्ठ यों प्रतीत होता है जैसे कि वह एक सादा पाठ पृष्ठ हो। एक उदाहरण जो प्राय: आम है, नीचे दिए अनुसार उपयोक्ता को ईमेल द्वारा मिलता है :
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If the message will not displayed automatically,
follow the link to read the delivered message.
Received message is available at:
www.mantrafreenet.com/inbox/raviratlami/read.php?sessionid-21509
यदि आप इसके ट्रिक में फँस जाते हैं और उस लिंक को क्लिक करते हैं तो ऊपरी तौर पर तो आपको कुछ नज़र नहीं आता, परंतु आप पाते हैं कि आपने अनजाने में ही वायरस को चला दिया है जो कि एचटीएमएल पृष्ठ में शून्य आयाम में अंतर्निर्मित किया गया है। अब वह आपके कंप्यूटर को तो संक्रमित कर ही चुका है, आपके कंप्यूटर से अब और भी सैकड़ों कंप्यूटरों में संक्रमण फैलाने के लिए तैयार हो चुका है। ऐसे संदेशों का स्रोत अगर आप देखेंगे तो पाएंगे कि वहां पर तो पूरा का पूरा वायरस का कोड लिखा हुआ है! ऐसे किसी ईमेल का एचटीएमएल स्रोत आपको कुछ ऐसा दिखाई देगा :
<!DOCTYPE HTML PUBLIC
"-//W3C//DTD HTML 4.0 Transitional//EN">
<HTML><HEAD>
<META content=3D"text/html; charset=3Diso-8859-1" =http-equiv=3DContent-Type>
<META content=3D"MSHTML 5.00.2920.0" name=3DGENERATOR>
<STYLE></STYLE>
</HEAD>

<BODY bgColor=3D#ffffff>If the message will not displayed automatically,<br>
follow the link to read the delivered message.<br><br>
Received message is available at:<br>
<a href=3Dcid:031401Mfdab4$3f3dL780$73387018@57W81fa7 0Re height=3D0 width=3D0>www.mantrafreenet.com/inbox/raviratlami/read.php?sessionid-21509</a>

<iframe
src=3Dcid:031401Mfdab4$3f3dL780$73387018@57W81fa70 Re height=3D0 width=3D0></iframe>
<DIV>&nbsp;</DIV></BODY></HTML>
——=_NextPart_001_001C_01C0CA80.6B015D10–
——=_NextPart_000_001B_01C0CA80.6B015D10
Content-Type: audio/x-wav;
name="message.scr"
Content-Transfer-Encoding:
base64
Content-ID:<031401Mfdab4$3f3dL780$73387018@57W81fa70Re>
TVqQAAMAAAAEAAAA//8AALgAAAAAAAAAQAAAAAAAAA4fug4AtAnNIbgBTM0hV

(बाकी का भाग जो कि वायरस का स्रोत कोड है, मिटा दिया गया है)
यहाँ पर जो पीले रंग से पाठ दर्शाया गया है, यह वह कड़ी है जिसे आपको संदेश देखने के लिए क्लिक करने को कहा गया है। हरे रंग का पाठ कड़ी का स्रोत है जो शून्य आयाम परिभाषित कर छुपाया गया है। लाल रंग से दिखाया गया पाठ वायरस का नाम है message.scr जिसे कि बड़ी ही चतुराई से एचटीएमएल में अंतर्निर्मित कर दिया गया है। यहाँ तो फिर भी आपको कड़ी को क्लिक करने के लिए कहा गया है, जो कि इस वायरस को चलाने के लिए आवश्यक है। अन्य तरह के ऐसे ही एचटीएमएल पृष्ठों में इस वायरस फ़ाइल की परिभाषा ऑडियो/वेव फ़ाइल की बता कर इसे स्वचालित चलने हेतु पारिभाषित कर दिया जाता है, जिससे इस मेल को खोलते ही एचटीएमएल पृष्ठ लोड हो जाता है और वायरस अपने आप चल जाता है और आपके कंप्यूटर को संक्रमित कर देता है। इसी तरह के कुछ ई-मेल आपको प्राप्त होते हैं जो यह बताते हैं कि वे एंटी वायरस कंपनी जैसे कि पांडा या मॅकएफ़ी सॉफ्टवेयर से स्कैन कर भेजे गए हैं और उनमें कोई वायरस नहीं है। जबकि वे वायरस संक्रमण के लिए ही वायरस द्वारा भेजे गए होते हैं। ऐसे संदेशों में प्राय: बेतरतीब तरीके से चुने गए विषय होते हैं जैसे कि Hi, Hello, Request, Important, Request, Re इत्यादि।
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ऐसे ई-मेल से बचने-बचाने की युक्तियाँ
जब तक कि संपूर्ण ई-मेल तंत्र को पूरी तरह नवीकृत नहीं किया जाता, जिसमें यह आवश्यक हो कि प्रत्येक ई-मेल उपयोक्ता को आवश्यक रूप से अपने भौतिक पते सहित पंजीकृत होना पड़े और प्रत्येक ई-मेल के भेजने और प्राप्त करने के लिए एक टोकन फीस न रख दी जाए, ताकि कोई ई-मेल पतों को स्पूफ न कर पाए व उसका दुरुपयोग न कर पाए, तब तक आपके इनबॉक्स में अधिकतर संख्या में स्पॉम, अवांछित डाक और वायरसों द्वारा भेजी गई ई-मेल ही भरी रहेंगीं। याहू! तथा माइक्रोसॉफ्ट दोनों ही अपने-अपने तरीके से इस समस्या का हल निकालने में जुटे हैं। हाल ही में अमेरिका में, जहाँ इंटरनेट के अधिकतर सर्वर स्थित हैं, यह कानून बनाया गया है कि जिस इंटरनेट प्रदाता के कंप्यूटर से जु़डे हुए कंप्यूटर से वायरस का संक्रमण फैलता है, उसे अनिवार्य रूप से इंटरनेट से अलग-थलग किया जाए ताकि और संक्रमण रोका जा सके। इसकी पूरी ज़िम्मेदारी इंटरनेट प्रदाता की ही होगी, चूँकि प्राय: उपयोक्ता तकनीकी रूप से उतना सक्षम नहीं हो पाता है कि वह वायरसों की पहचान कर सके और उन्हें रोकने के उपाय कर सके। हालाँकि ऐसे प्रयासों के प्रतिफल मिलने में अभी कुछ समय लग सकता है। परंतु तब तक के लिए नीचे दिए गए कुछ सुरक्षा के उपायों को अपनाकर कुछ सीमित संख्या में ऐसे संक्रमणों से तो अपने कंप्यूटर को तो बचाया ही जा सकता है, दूसरे के कंप्यूटरों को भी संक्रमणों से बचाया जा सकता है :
विविध प्रकार के कार्यों के लिए विभिन्न, अलग-अलग ई-मेल खातों का इस्तेमाल कीजिए। उदाहरण के लिए व्यक्तिगत उपयोग के लिए अलग, व्यवसाय-व्यापार के लिए अलग, अपने समूह के लिए अलग। वेब के पृष्ठों पर अपने व्यक्तिगत उपयोग के ई-मेल पतों को न भरें। यदि संभव हो तो जीपीजी/पीजीपी एनक्रिप्शन का इस्तेमाल अपने ई-मेल खाते में करें। यह ई-मेल भेजने और प्राप्त करने की सबसे सुरक्षित विधि है। अवांछित ई-मेल को सिरे से ख़ारिज कर दें। एक तरीका यह भी है कि ई-मेल को डाउनलोड करने से पहले सर्वर से सिर्फ़ हेडर और विषय डाउनलोड करें, फिर अनावश्यक ई-मेल सर्वर से ही मिटाकर, शेष डाउनलोड कर लें। ई-मेल फ़िल्टरों का प्रयोग करें जो अवांछित मेल को आपके इनबॉक्स में आने ही नहीं देंगे।
  • अपने कार्य और व्यवसाय के लिए प्राप्त ई-मेल में आप पहले से यह निर्धारित नहीं कर सकते हैं कि कौन-सा ई-मेल अवांछित है जब तक कि आप उसे पढ़ न लें। ऐसी परिस्थिति में आप अपने मेल क्लाएंट को किसी भी संलग्नक को खोलने/दिखाने में अक्षम बना दें ताकि वायरसों को भूले से भी चलाया न जा सके।
  • आप अपने ई-मेल क्लाएंट को कॉन्फ़िगर करें कि वह सिर्फ़ सादा पाठ ही पढ़े-लिखे व दिखाए। एचटीएमएल को अक्षम कर दें। इस तरीके से एचटीएमएल के ज़रिए फैलने वाले वायरसों में कुछ हद तक रोक लगेगी।
  • यदि आपको अपना ई-मेल पता इंटरनेट के पृष्ठों पर लिखना है, उन्हें प्रदर्शित करना है, तो आपको सलाह दी जाती है कि आप इसके लिए चित्र फ़ाइल का इस्तेमाल करें। या फिर उसे ravi@prabhasakshi.com के बजाए ऐसा लिखें : "RAVI AT PRABHASAKSHI DOT COM"। इससे होगा यह कि ई-मेल चूसने वाले बॉट आपके ई-मेल पता के बारे में अंदाज़ा नहीं लगा पाएँगे, परंतु जिस वास्तविक उपयोक्ता को आपसे संपर्क करना होगा उसे कोई परेशानी नहीं होगी।
  • आप ई-मेल एक्सट्रेक्टर प्रोग्रामों को कुछ अन्य तरीके से भी बेवकू़फ बना सकते हैं जैसे कि अपना ई-मेल पता ravi@prabhasakshi.com को ऐसा लिखें : raviNOSPAM@prabhasakshi.com (NOSPAM) को हटा दें यदि आप रोबॉट नहीं हैं और मुझे मेल भेजना चाहते हैं)" इससे आपका ई-मेल पता कुछ हद तक स्वचालित ई-मेल का पता लगाने वाले प्रोग्रामों की पहुँच से दूर रहेगा और आपका इनबॉक्स भी स्पॉम और अवांछित ई-मेल से खाली रहेगा।
  • ई-मेल प्रयोक्ताओं के उन्नत सेवाओं का प्रयोग करें। उदाहरण के लिए याहू! का उन्नत ई-मेल खाता आपको स्पॉम तथा वायरस युक्त मेल से निपटने के लिए उन्नत औज़ार मुहैया कराता है।
  • किसी भी हालत में अगर आप इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो उचित प्रकार से कॉन्फ़िगर किए फायरवॉल के बगैर इसे न चलाएँ। लिनक्स के प्राय: सभी नए संस्करणों में अंतर्निर्मित फ़ायरवॉल की सुविधा है। विंडोज़ एक्स पी में भी यह सुविधा है, परंतु व्यक्तिगत उपयोग हेतु विंडोज़ के लिए जोन अलार्म फ़ायरवॉल का इस्तेमाल ज़्यादा प्रभावी होगा। इसके अतिरिक्त विंडोज़ सिस्टमों में एंटीवायरस प्रोग्राम भी आवश्यक रूप से स्थापित करें और उसे नित्यप्रति अद्यतन करते रहें। अधिकतर वायरस विंडोज़ सिस्टमों पर ही हमला करने के लिए बनाए गए हैं। एंटीवीर, एवीजी जैसे एंटीवायरस तथा जोन अलार्म फ़ायरवॉल निजी और व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए मुफ़्त उपलब्ध हैं और ये आपके कंप्यूटर की वायरसों से रक्षा करने में आमतौर पर पूरी तरह सक्षम हैं।
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लिनक्स आया हिंदी में
--रविशंकर श्रीवास्तव
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम को उसके तमाम अनुप्रयोगों सहित हिंदी भाषा में लाने के प्रयासों से जुड़े रविशंकर श्रीवास्तव बता रहे हैं अपनी यात्रा की रोमांचक कहानी :-
हिंदी कंप्यूटर की पृष्ठभूमि:
मैं पिछले बीसेक सालों से हिंदी साहित्य लेखन से जुड़ा हुआ हूं और लेखन की यह यात्रा अनवरत जारी है। किसी भी रचना को प्रिंट मीडिया में प्रकाशित करवाने के लिए आपको पहले अच्छी हस्तलिपि में लिख कर या टाइप करवा कर भेजना होता है। मैं इस कार्य को आसान बनाने के तरीकों को हमेशा ढूँढ़ता रहता था। जब मैं अस्सी दशक के उत्तरार्ध में पीसी एटी पर डॉस आधारित हिंदी शब्द संसाधक 'अक्षर' पर कार्य करने में सक्षम हुआ तो मैंने उस वक्त सोचा था कि यह तो किसी भी हिंदी लेखक के लिए अंतिम, निर्णायक उपहार है। लिखना, लिखे को संपादित करना और जब चाहे उसकी प्रति छाप कर निकाल लेना-कितना आसान हो गया था। उसके बाद सीडॅक का जिस्ट आया, जिसमें भारत की कई भाषाओं में कंप्यूटर पर काम किया जा सकता था। परंतु उसके उपयोग हेतु अलग से एक हार्डवेयर कार्ड लगाना होता था जो बहुत महँगा था, और मेरे जैसे आम उपयोक्ताओ की पहुँच से बाहर था। शीघ्र ही विंडोज का पदार्पण हुआ और उसके साथ ही विंडोज आधारित तमाम तरह के अनुप्रयोगों में हिंदी में काम करने के लिए ढेरों शार्टकट्स उपलब्ध हो गए और मेरे साथ तमाम लोग प्रसन्नतापूर्वक कंप्यूटरों में हिंदी में काम करने लगे।

इसी अवधि में मैंने विंडोज़ पर काम करने के लिए उपलब्ध प्राय: सभी प्रकार के औज़ारों को आज़माया। मैंने मुफ़्त उपलब्ध शुषा फ़ॉन्ट को आजमाया, परंतु उसमें हिंदी के एक अक्षर को लिखने के लिए ज़रूरत से ज़्यादा (दो या तीन) कुंजियाँ दबानी पड़ती हैं। मैंने लीप आजमाया, परंतु हिंदी की पोर्टेबिलिटी लीप तक ही सीमित थी और विंडोज के दूसरे अनुप्रयोगों में इसके लिखे को काट-चिपका कर उपयोग नहीं हो सकता था। ऊपर से, लीप से लिखे गए दस्तावेज़ों को अगर आप किसी दूसरे के पास भेजते थे, तो वह तभी उसे पढ़ पाता था, जब उसके पास भी लीप संस्थापित हो। इसी वजह से यह लोकप्रिय नहीं हो पाया। इन्हीं वजहों से मैंने कभी भी श्रीलिपि का भी उपयोग नहीं किया। कंप्यूटर पर हिंदी लेखन के लिए मैं कृतिदेव फ़ॉन्ट पर निर्भर था, जो मूलत: अंग्रेज़ी (ऑस्की) फ़ॉन्ट ही है, परंतु उसका रूप हिंदी के अक्षरों जैसा बना दिया गया था। कृतिदेव अब भी डीटीपी के लिए अत्यंत लोकप्रिय फ़ॉन्ट है, परंतु अन्य दस्तावेज़ों में इसका उपयोग सीमित है।
यह समय डॉट कॉम की दुनिया के फैलाव का था और हर कोई इंटरनेट पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराने में लगा हुआ था। हिंदी अख़बार नई दुनिया ने अपने अख़बार को इंटरनेट पर लाकर इसकी शुरुआत कर दी थी। धीरे से प्राय: सभी मुख्य हिंदी अख़बार इंटरनेट पर उतर आए। परंतु इन अख़बारों में उपयोग किए जा रहे फ़ॉन्ट अलग-अलग, एक दूसरे से भिन्न हैं। एक अख़बार का लिखा उसी अख़बार के फ़ॉन्ट से ही पढ़ा जा सकता है। डायनॉमिक फ़ॉन्ट से कुछ समस्याओं को दूर करने की कोशिशें की गईं, मगर वे सिर्फ़ इंटरनेट एक्सप्लोरर तक सीमित रहीं। अन्य ब्राउज़रों में यह काम नहीं आया। इससे परिस्थितियों पेचीदा होती गईं, चूँकि एक आम कंप्यूटर उपयोक्ता से यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि वह किसी ख़ास साइट को पढ़ने के लिए ख़ास तरह के फ़ॉन्ट को पहले डाउनलोड करे फिर संस्थापित भी करे। इन्हीं कारणों से मैंने इंटरनेट पर अपने हिंदी साहित्य को प्रकाशित करने के लिए अपनी व्यक्तिगत साइट पीडीएफ़ फ़ॉर्मेट में बनाकर प्रकाशित की ताकि पाठकों को फ़ॉन्ट की समस्या से मुक्ति मिले। परंतु इसमें भी झमेला यह था कि जब तक उपयोक्ता के कंप्यूटर पर एक्रोबेट रीडर(या पीडीएफ़ प्रदर्शक) संस्थापित नहीं हो, वह इसे भी नहीं पढ़ पाता था। ऊपर से पीडीएफ़ फ़ाइलें बहुत बड़ी होती हैं, और पढ़ने के लिए इन्हें पहले कंप्यूटर पर डाउनलोड करना होता है। अत: इंटरनेट पर समय अधिक लगता है।
इस तरह से हिंदी के लिए बेहतर समर्थन की मेरी खोज जारी ही रही। ऐसे ही किसी अच्छे दिन जब मैं इंटरनेट पर हिंदी साइटों की खोज कर रहा था, तो इंटरनेट पर सैर के दौरान अचानक इंडलिनक्स से टकरा गया। उसमें यह दिया गया था कि कैसे, यूनिकोड हिंदी फ़ॉन्ट के ज़रिए न सिर्फ़ हिंदी फ़ॉन्ट की समस्या का समाधान हो सकता है, बल्कि हिंदी भाषा में लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का सपना भी साकार हो सकता है। वे स्वयंसेवी अनुवादकों की तलाश में थे। इंडलिनक्स डॉट ऑर्ग की संस्थापना व्यंकटेश (वेंकी) हरिहरण तथा प्रकाश आडवाणी द्वारा की गई थी और उसमें जी करुणाकर कोऑर्डिनेटर सह तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में कार्य कर रहे थे। इंडलिनक्स कोई व्यवसायिक संस्था नहीं थी, बल्कि स्वयंसेवी व्यक्तियों के सहयोग से ओपन सोर्स माहौल में कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध थी। मुझे लगा कि यूनिकोड हिंदी द्वारा आज नहीं तो कल, हिंदी फ़ॉन्ट की समस्याओं का समाधान संभव है। यूनिकोड हिंदी को विंडोज़ का समर्थन भी था और बाद में गूगल में भी यूनिकोड हिंदी समर्थन उपलब्ध हो गया। मैं तुरंत ही इंडलिनक्स में एक स्वयंसेवी सदस्य-हिंदी अनुवादक के रूप में शामिल हो गया।
प्रारंभिक समस्याएँ
जब मैं इंडलिनक्स में स्वयंसेवी अनुवादक के रूप में शामिल हुआ, उस वक्त लिनक्स में सिर्फ़ ग्रोम डेस्कटॉप पर यूनिकोड हिंदी सर्मथन उपलब्ध था। लगभग 4-5 हज़ार वाक्यांशों का अनुवाद मुख्यत: भोपाल के अनुराग सीठा तथा स्वयं जी करुणाकर द्वारा किया गया था, जो उस वक्त तकनीकी समस्याओं, यथा उचित फ़ॉन्ट रेंडरिंग इत्यादि से भी जूझ रहे थे। हमें कुल 20 हज़ार वाक्यांशों का अनुवाद करना था, और कम से कम उसका 80 प्रतिशत अनुवाद तो आवश्यक था ही ताकि हिंदी भाषा का समर्थन ग्रोम लिनक्स पर हासिल हो सके। उन दिनों मैं म.प्र.विद्युत मंडल में अभियंता के रूप में कार्यरत था। कार्य और घर परिवार के बाद बचे खाली समय में मैं अनुवाद का कार्य करता और इस प्रकार प्रत्येक माह लगभग एक हज़ार वाक्यांशों का अनुवाद कर रहा था। उस समय तक मैं हिंदी में कृतिदेव फ़ॉन्ट का अभ्यस्त हो चुका था, और यूनिकोड हिंदी फ़ॉन्ट का इनस्क्रिप्ट कुंजीपट, कृतिदेव के कुंजीपट से बिल्कुल अलग था। उस वक्त हिंदी कुंजीपट-इनस्क्रिप्ट को शून्य से सीखना पड़ा, जो कृतिदेव से, जिसे मैं इस्तेमाल करता था, पूरी तरह भिन्न था। छ: महीने तो मुझे अपने दिमाग़ से कृतिदेव हिंदी को निकालने में लगे और लगभग इतना ही समय इनस्क्रिप्ट हिंदी में महारत हासिल करने में लग गए।
शुरुआती चरणों में हमारे पास कोई आईटी टर्मिनलॉजी नहीं थी। ऑन-लाइन/ पीसी आधारित शब्दकोश भी नहीं थे, जिसके कारण हमारा कार्य अधिक उबाऊ और थका देने वाला हुआ करता था। अनुवादों में संगति की समस्याएँ थीं। उदाहरण के लिए, अंग्रेज़ी के 'सेव' शब्द के लिए संचित करें, सुरक्षित करें, बचाएँ, सहेजें इत्यादि के उपयोग अलग-अलग अनुवादकों ने अपने हिसाब से कर रखे थे। फ़ाइल के लिए फ़ाइल, सूचिका, संचिका और कहीं रेती का उपयोग किया गया था। इस दौरान हिंदी भाषा के प्रति लगाव रखने वाले लोग इंडलिनक्स में बड़े उत्साह से स्वयंसेवी अनुवादकों के रूप में आते, दर्जन दो दर्जन वाक्यों-वाक्यांशों का अनुवाद करते, अपने किए गए कार्य का हल्ला मचाते और जब उन्हें पता चलता कि अनुवाद -असीमित, उबाऊ, थकाऊ, ग्लैमरविहीन, मुद्राहीन, थैंकलेस कार्य है, तो वे उसी तेज़ी और उत्साह से गायब हो जाते जिस तेज़ी और उत्साह से आते थे। कुल मिलाकर हिंदी ऑपरेटिंग सिस्टम का सपना साकार करने के लिए मेरे अलावा जी करुणाकर ही लगातार और निष्ठापूर्वक कार्य कर रहे थे। हमारे हाथों में मात्र कुछ हज़ार वाक्यांशों के अनुवाद थे, जिस वजह से हम किसी को हिंदी ऑपरेटिंग सिस्टम कार्य करता हुआ नहीं दिखा सकते थे। फिर, जो माल हमारे पास था, वह बहुत ही कच्चा था, निहायत असुदंर था और काम के लायक नहीं था। इंडलिनक्स कछुए की रफ़्तार से चल रहा था, सिर्फ़ एक व्यक्ति जी करुणाकर के समर्पित कार्यों से जो तकनीकी पहलुओं को तो देख ही रहे थे, मेरे जैसे स्वयंसेवी अनुवादकों को (हिंदी के इतर अन्य भारतीय भाषाओं के भी) अनुवाद कार्य के लिए आवश्यक तकनीक सिखाने-पढ़ाने का कार्य भी करते थे और इस बीच समय मिलने पर अनुवाद कार्य भी करते थे।
अंतत: पहिया घूम गया-
सन 2003 में इंडलिनक्स की गतिविधियों में कुछ तेज़ी आई। इसी वर्ष मैंने नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्रमुखत: अपनी अस्वस्था की वजह से ली और बच्चों को घर पर कंप्यूटर पढ़ाने लगा। मैंने अनुवाद का मासिक दर लगभग 2000 वाक्यांश कर दिया था। अंतत: हमारे पास ग्राम 2.2 / 4.0 के 60-70 प्रतिशत वाक्यांश अनूदित हो चुके थे। करुणाकर ने फरवरी 03 में लिनक्स का प्रथम हिंदी संस्थापक इंडलिनक्स संस्करण मिलन 0.37 जारी कर दिया था। इस संस्करण की लोगों में अच्छी प्रतिक्रिया रही। लोगों ने इसे अपने मौजूदा अंग्रेज़ी लिनक्स के ऊपर संस्थापित कर पहली मर्तबा हिंदी में ऑपरेटिंग सिस्टम के महौल को देखा। इंडलिनक्स के प्रयासों की हर तरफ़ सराहना तो हो ही रही थी, अब लोगों ने इसकी तरफ़ ध्यान देना भी शुरू किया। इस दौरान, सराय के रविकांत ने एक महत्वपूर्ण योगदान हिंदी लिनक्स को दिया। उन्होंने सराय, दिल्ली में एक हिंदी लिनक्स वर्कशॉप का आयोजन किया जिसमें साहित्य, संस्कृति और मीडिया कर्मी सभी ने मिल बैठ कर हिंदी अनुवाद में अशुद्धियों को दूर करने का गंभीर प्रयास किया, जिसके नतीजे बहुत ही अच्छे रहे। बाद में सराय से ही हिंदी अनुवादों के लिए साठ हज़ार रुपयों की एक परियोजना भी स्वीकृत की गई जिसके फलस्वरूप मैं सारा समय अनुवाद कार्य में जुट गया।
रविकांत, सराय की पहल के नतीजे तेज़ी से आने लगे। दिसंबर 03 आते-आते केडीई 3.2 में पूर्ण हिंदी समर्थन प्राप्त हो चुका था अत: मैंने उसका अनुवाद हाथ में लिया। अप्रैल आते-आते केडीई 3.2 के जीयूआई शाखाओं का 90 प्रतिशत से अधिक अनुवाद कार्य मैंने पूरा कर लिया था। इस अनुवाद को चूंकि सराय द्वारा प्रायोजित किया गया था, अत: रविकांत की पहल पर इसकी समीक्षा वर्कशॉप फिर से आयोजित की गई। इस वर्कशॉप में पहले से अधिक लोग शामिल हुए और सबने वास्तविक कार्य माहौल में हिंदी अनुवादों को देखा और सुधार के सुझाव दिए। इसके नतीजे और भी ज़्यादा अच्छे रहे। अनुवाद के 50 हजार वाक्यांशों तथा समीक्षा उपरांत 20 हजार वाक्यांशों के सुधार-कार्य के उपरांत केडीसी डेस्कटॉप इतना अच्छा लगने लगा कि बहुतों ने अपने कंप्यूटर के अंग्रेज़ी माहौल को हटाकर हिंदी में कर लिया जिसमें होमी भाभा साइंस सेंटर मुंबई के डॉ. नागार्जुन भी शामिल हैं। इसकी प्रशंसा पूर्वक घोषणा उन्होंने भारतीय भाषा सम्मेलन में मुंबई में की थी।
एक बार फिर, सराय ने एक अतिरिक्त परियोजना स्वीकृत की जिसके तहत केडीई 3.3/3.4 के हेड शाखाओं के कुल 1.1 लाख वाक्यांशों का 90 प्रतिशत हिंदी-अनुवाद-कार्य मेरे द्वारा पूरा किया गया। इस बीच एक्सएफ़सीई 4.2, गेम, डेबियन संस्थापक, पीसीक्वेस्ट 2005 संस्थापक इत्यादि के अनुवाद कार्यों का कार्य भी किया गया। नतीजतन, अब हमारे पास रेडहेट फेदोरा तथा एंटरप्राइज़ संस्करण, मेनड्रेक, डेबियन, पीसीक्वेस्ट लिनक्स 2005 इत्यादि प्राय: सभी लिनक्स वितरणों में हिंदी पूर्ण समर्थित है। इंडलिनक्स का बहुभाषी, रंगोली जीवंत सीडी भी जारी किया जा चुका है जिसमें हिंदी समेत अन्य भारतीय भाषाओं के वातावरण में लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम है। लिनक्स के आकाश पर हिंदी अब दमक रही है।
अंतत: अब मैं बिना किसी फ़ॉंन्ट समस्या के, विभिन्न अनुप्रयोगों में हिंदी में तो काम कर ही सकता हूँ, मेरे हिंदी के कार्य विश्व के किसी भी कोने में इंटरनेट पर यूनिकोड सक्षम ब्राउज़र द्वारा देखे जा सकते हैं, तथा यूनिकोड सक्षम अनुप्रयोग द्वारा उपयोग में लिए जा सकते हैं।
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विश्वजाल पर शब्दकोश
पढ़ने लिखने के लिए कंप्यूटरों पर हमारी निर्भरता बढ़ती ही जा रही है। निकट भविष्य में अधिसंख्य जन, प्राय: अधिसंख्य कार्यों हेतु, अधिसंख्य समय कंप्यूटरों का ही उपयोग करने लगेंगे। अच्छे लेखन के लिए तथा लिखे हुए को अच्छे ढंग से समझने के लिए प्राय: शब्दकोशों की आवश्यकता होती है। अब चूँकि हम अपने कार्य कंप्यूटर पर ही करने लगे हैं, तो फिर मोटे-मोटे शब्दकोशों के पन्ने पलटने आवश्यकता कतई नहीं है। अब आपके कंप्यूटर पर ही ढेरों, विभिन्न भाषाओं के शब्दकोश और समांतर कोश उपलब्ध है। कंप्यूटर पर उपलब्ध संस्थापन योग्य तथा ऑनलाइन शब्दकोशों के द्वारा शब्दों को ढूँढ़ा जाना न सिर्फ़ आसान होता है, वरन कई प्रकार के सहायक अनुप्रयोगों यथा 'काट तथा चिपका' इत्यादि का उपयोग कर अपने कार्य को और भी आसान बनाया जा सकता है। हिंदी भाषा के लिए कुछ समय पूर्व तक जालघर में तथा कंप्यूटर पर संस्थापन योग्य अंग्रेज़ी-हिंदी-अंग्रेज़ी शब्दकोश इक्का-दुक्का ही उपलब्ध थे। परंतु अब स्थितियाँ तेज़ी से बदली हैं और आज हमारे पास बहुत से विकल्प उपलब्ध हैं, और प्राय: हर प्लेटफॉर्म चाहे विंड़ोज़ 98/विंड़ोज़-एक्सपी हो या लिनक्स, के लिए अंग्रेज़ी-हिंदी शब्दकोश उपलब्ध हैं। आइए कुछ ऐसे ही हिंदी के मुक्त शब्दकोश कंप्यूटर तथा ऑनलाइन औज़ारों के बारे में चर्चा करते हैं और देखते हैं कि अपने लिए क्या उपयुक्त है।
उपयोग के लिए अंग्रेज़ी हिंदी शब्दकोश निम्न रूपों में उपलब्ध है :

1 कंप्यूटर में संस्थापन योग्य प्रोग्राम :
जहाँ कुछ व्यावसायिक अंग्रेज़ी-हिंदी शब्दकोश प्रोग्राम विंड़ोज़ प्लेटफॉर्म में संस्थापन कर उपयोग में लिए जाने हेतु उपलब्ध है, वहीं कुछ ऐसे ही मुक्त प्रोग्राम भी उपलब्ध है। व्यवसायिक प्रोग्राम जहाँ अनेक गुणों से युक्त है तथा उच्चारण, व्याकरण, वाक्य विन्यास इत्यादि भी बताते हैं, मुक्त प्रोग्राम सीधे, सपाट होने के बावजूद अच्छे और उपयुक्त हैं। विंड़ोज़ प्लेटफॉर्म के लिए एक मुक्त प्रोग्राम फ्रीलेंग डिक्शनरी के नाम से उपलब्ध है तथा इसी प्रोग्राम का कुछ अतिरिक्त हिंदी-अंग्रेज़ी शब्दों का डाटाबेस भी मुक्त उपयोग हेतु उपलब्ध है। इस प्रोग्राम में हिंदी अर्थ रोमन लिपि में ही दिए गए हैं। इस प्रोग्राम में यह भी सुविधा है कि आप अपने शब्दकोश के डाटाबेस में सुविधानुसार परिवर्तन/परिवर्धन कर सकते हैं। आम उपयोग के प्राय: सभी शब्द तो इसमें मिल जाते हैं, परंतु फिर भी यह शब्दकोश अभी उतना उन्नत नहीं है।
2 डाउनलोड योग्य शब्दकोश फ़ाइलें :
जालघर में अंग्रेज़ी-हिंदी-अंग्रेज़ी तथा अन्य भाषाओं की शब्दकोश फ़ाइलें डाउनलोड़ कर मुक्त उपयोग में लेने हेतु भिन्न रूपों में उपलब्ध हैं। इन फ़ाइलों की ख़ासियत यह है कि आप इन्हें किसी भी प्लेटफॉर्म में उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए एचटीएमएल, टेक्स्ट तथा पीडीएफ़ शब्दकोश फ़ाइलों को आप क्रमश: किसी भी ब्राउजर, पाठ संपादक या पीडीएफ़ फ़ाइल प्रदर्शक के द्वारा विंड़ोज़/लिनक्स के किसी भी संस्करण में उपयोग में ले सकते हैं। इन फ़ाइलों में शब्दकोश प्रोग्रामों की तरह शब्दों को ढूँढ़ने की ठीक-ठीक सुविधा तो नहीं मिल पाती है, परंतु फिर भी शब्द अकारादि क्रम में होने के कारण उन्हें ढूँढ़ने में ज़्यादा कठिनाई भी नहीं होती। हाँ इतना अवश्य होता है कि ये फ़ाइलें काफ़ी बड़ी होती हैं (300-400 पृष्ठों से अधिक) अत: इन्हें लोड़ होने में आरंभिक समय अधिक लग सकता है। कुछ अच्छे अंग्रेज़ी हिंदी शब्दकोश फ़ाइलों के विवरण निम्न हैं जिन्हें उनके साथ दिए लिंक को क्लिक कर डाउनलोड किया जा सकता है :
हिंदी-अंग्रेज़ी का एक सरल सा शब्दकोश पीडीएफ़-फ़ॉर्मेट में उपलब्ध है जिसे यहाँ से भी डाउनलोड़ किया जा सकता है। पीडीएफ़ फ़ॉर्मेट में आपको यह सुविधा मिलती है कि आपको हिंदी भाषा के फ़ॉन्ट इत्यादि की समस्याओं से जूझना नहीं पड़ता। यही शब्दकोश पोस्टस्क्रिप्ट फ़ॉर्मेट में तथा आईट्रान्स रूप में भी उपलब्ध है जिन्हें सुविधानुसार डाउनलोड कर उपयोग किया जा सकता है। अन्य कई फ़ाइल फ़ॉर्मेट में भी यही शब्दकोश आपकी सुविधा के लिए उपलब्ध किया गया है। यह एक उन्नत शब्दकोश है जो शब्दों से संपन्न है। एक अन्य हिंदी अंग्रेज़ी शब्दकोश शब्दांजलि के नाम से जारी किया गया है जिसमें भी शब्दों का अच्छा-ख़ासा संग्रह है। यह शब्दकोश ऑनलाइन उपयोग हेतु भी उपलब्ध है। परंतु इसे देखने या इसका उपयोग करने हेतु आपको अपने कंप्यूटर पर इसकी प्लगइन तथा आवश्यक फ़ॉन्ट संस्थापित करना होगा, जिनके लिंक शब्दांजलि के जालघर पर उपलब्ध है। बनस्थली के मूल अंग्रेज़ी हिंदी शब्दकोश का यूनिकोड़ हिंदी एचटीएमएल में परिवर्तित शब्दकोश इंडिकट्रांस के जालघर पर भी उपलब्ध है। अगर आप यूनिकोड हिंदी में कार्य करते हैं तो यह शब्दकोश आपके लिए ख़ासा सहायक होगा। यह शब्दकोश अंग्रेज़ी के सही उच्चारणों को भी बताता है। एक अन्य शब्दकोश अंग्रेज़ी-हिंदी-उर्दू शब्दसूची के नाम से उपलब्ध है जिसमें उर्दू शब्दों को भी समाहित किया गया है।
3 ऑनलाइन शब्दकोश :
कंप्यूटर में संस्थापन योग्य/फ़ाइल शब्दकोशों में यह सुविधा मिलती हैं कि इंटरनेट से कनेक्ट हुए बिना ही उनका उपयोग किया जा सकता है। परंतु अगर आपके पास इंटरनेट कनेक्टिविटी की अच्छी सुविधा है, तो ऑनलाइन शब्दकोशों का उपयोग अधिक उपयुक्त होगा। ऑनलाइन शब्दकोश नित्य नए-नए शब्दों का समावेश तो करते ही हैं, आपको नई सुविधाएँ, नए सरल तरीके भी प्रदान करते हैं। अंग्रेज़ी-हिंदी-अंग्रेज़ी के कई अच्छे ऑनलाइन शब्दकोश आपके उपयोग के लिए उपलब्ध हैं। जिसमें कुछ प्रमुख हैं वर्डएनीव्हेयर जहाँ आप एक साथ कई भाषाओं के शब्दकोशों का लाभ ले सकते हैं। इसका इंटरफेस आसान है। बस वांछित शब्द को इसके इनपुट बक्से में भरिए, भाषाएँ नियत करिए और 'गो' बटन पर क्लिक करिए। थोड़े से अंतराल में वांछित शब्द का अर्थ प्रकट हो जाएगा। अभी यह हिंदी को रोमन में प्रदर्शित करता है। संभवत: हिंदी के फ़ॉन्ट इत्यादि समस्या से बचने तथा प्लेटफ़ॉर्म उपयुक्तता के लिए एक अन्य ऑनलाइन शब्दकोश डिजिटल डिक्शनरीज़ ऑफ साउथ एशिया के नाम से हैं, जो आपको शब्दों को भिन्न प्रकार से ढूँढ़ने में भी सहायता प्रदान करता है। यहाँ आप शब्दों को उसके प्रारंभिक अंतिम या मिश्रित अक्षरों द्वारा ढूँढ़ सकते हैं। इस साइट पर यूनिकोड (तथा उसके बगैर भी) पर काम करने की सुविधा है। एक ऑनलाइन अंग्रेज़ी-हिंदी शब्दकोश यूनिवर्सल वर्ड हिंदी लेक्सिकन आईआईटी मुंबई के द्वारा उपलब्ध कराया गया है जिसे कि मूलत: मशीन आधारित हिंदी से अंग्रेज़ी में अनुवाद हेतु तैयार किया गया है। इसे हिंदी भाषा के विश्वकोष के रूप में हिंदी शब्दतंत्र के नाम से विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान में इसके शब्दकोश में 91 हज़ार से भी ज़्यादा अंग्रेज़ी शब्दों के हिंदी में अर्थ दिए गए हैं। व्यवसायिक रूप में जारी अक्षरमाला अंग्रेज़ी-हिंदी शब्दकोश का मुक्त ऑनलाइन संस्करण भी उपलब्ध है। शब्दकोश डॉट कॉम के नाम से एक विशुद्ध अंग्रेज़ी-हिंदी ऑनलाइन शब्दकोश भी अपने सरल इंटरफेस सहित जालघर में आपके मुक्त उपयोग हेतु उपलब्ध है।
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नगर-नगर कंप्यूटर
-संकलित
भारत के लगभग 12 प्रतिशत घरों में कम से कम 1 निजी कंप्यूटर है। एशिया इंटरनेट आडियंस मेजरमेंट सर्विस की एक रिपोर्ट 'ग्लोबल इंटरनेट ट्रेंड' में बताया गया कि कंप्यूटर प्रयोग करने के मामले में भारत दूसरे एशियाई देशों के मुकाबले बहुत पीछे हैं। लेकिन यह ख़बर दो साल पुरानी है।
दुनिया भर में 80 बिलियन डॉलर का व्यापार करने वाली कंप्यूटर कंपनी आई बी एम के प्रमुख जे माईकल लॉरी के अनुसार वैश्विक स्तर पर भारत तेज़ी से आई टी क्षेत्र का महत्वपूर्ण शोध एवं विकास केंद्र बनता जा रहा है। सिर्फ़ इतना ही नहीं आज भारत के हर प्रदेश में कंप्यूटरीकरण की होड़ लगी है।
मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है जिसने परिवहन विभाग की समूची कार्यप्रणाली को पूरी तरह कंप्यूटरीकृत कर दिया है जिससे यहाँ आर टी ओ एजेंट की भूमिका अब शून्य हो गई है। विश्व की अत्याधुनिक डिजिटल तकनीक से मध्यप्रदेश के खंडवा सहित 30 ज़िलों में जब ड्रायविंग लाइसेंस तथा वाहनों के पंजीयन के स्मार्ट कार्ड बनाए जा रहे थे उस समय यह सुविधा दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता, हैदराबाद जैसे शहरों में भी नहीं थी। मध्यप्रदेश में परिवहन विभाग ने जनता को सुविधाएँ देने के लिए अपनी नीतियों में आमूलचूल परिवर्तन किए हैं और यह विभाग अब सकारात्मक कार्यप्रणाली से जनता में अपनी छवि बदल रहा है।
पहले जहाँ लाइसेंस बनवाना टेढ़ी खीर हुआ करता था वहीं अब परिवहन विभाग युवा वर्ग के लिए महाविद्यालयों में जाकर लाइसेंस बनाने की स्वत: पेशकश कर रहा है। इसी तरह किसानों के लिए भी लाइसेंस शिविर लगाए जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि एक वर्ष में पूरे प्रदेश में एक लाख 27 हज़ार विद्यार्थियों और 58 हज़ार किसानों के ड्रायविंग लाइसेंस बनाए गए। प्रदेश के 30 जिलों में स्मार्ट कार्ड बनाने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है जिसमें डिजिटल फ़ोटो के साथ ही डिजिटल हस्ताक्षर व अँगूठा निशानी भी है। मध्यप्रदेश के धार जिले में गाँवों के लोग न केवल अपना आवेदन कंप्यूटर द्वारा भेज सकते हैं बल्कि वह कहाँ तक पहुँचा और संबंधित अधिकारी उसमें क्या नोट लिख रहे हैं, यह भी कंप्यूटर पर देख सकते हैं।
उत्तर प्रदेश आगामी तीन वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश का अग्रणी प्रदेश होगा। अभी तक धारणा थी कि आंध्र प्रदेश व कर्नाटक ही इस क्षेत्र में आगे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि सॉफ्टवेयर के निर्यात में आज उत्तर प्रदेश देश का अग्रणी प्रदेश है। राज्य से 3500 करोड़ रुपए से ज़्यादा का साफ्टवेयर निर्यात किया जाता है। यह निर्यात मुख्य रूप से नोएडा स्थित विभिन्न कंपनियों द्वारा किया जाता है।
'बिहार भले ही विकास के दौड़ में काफ़ी पीछे छूट गया हो और जंगलराज की उपाधि से नवाज़ा जा रहा हो, किंतु कंप्यूटर के मामले में देखें तो यह देश के कई राज्यों से बेहतर स्थिति में नज़र आएगा। पटना में ही कंप्यूटर सेटों की बिक्री को देखें तो यह स्पष्ट हो जाएगा। कंप्यूटर बनाने वाली कंपनियाँ भी बिहार को अपना मुख्य केंद्र मानती हैं।
पटना के युवावर्ग, विद्यार्थियों, पेशेवर व्यक्तियों में इंटरनेट काफ़ी लोकप्रिय हो रहा है। हर पंद्रह दिनों में एक नया साइबर कैफे खुल रहा है। उसके बाद भी इन साइबर कैफों में इतनी भीड़ रहती है कि अपनी बारी आने के लिए लोगों को प्रतीक्षा करनी पड़ती है। पटना के युवा अपना वेब पेज तैयार कर रहे हैं और वेब पेज डिज़ायनिंग कर रहे हैं। पटना में इंटरनेट कितना लोकप्रिय है, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जितने लोगों के पास कंप्यूटर है उनमें 90 प्रतिशत लोगों ने इंटरनेट कनेक्शन ले रखा है। पटना में इंटरनेट यूज़र्स एसोसिएशन 'बीआईएचआईएनईटी' भी बना हुआ है।
विद्यार्थियों को तो इससे बहुत सारी सुविधाएँ एक ही साथ मिल गई है। बुज़ुर्गों के लिए यह मनोरंजन और जानकारी लाती है। विद्यार्थियों को यह नवीनतम सूचनाएँ और जानकारी देता है। किशोरों को मनोरंजन, ई-मेल, ई-कॉमर्स, सूचनाओं का आदान-प्रदान क्या कुछ नहीं है? इसमें अपार संभावनाएँ हैं। 'इग्नू' इंटरनेट पर है। आई.आई.टी जैसे संस्थानों की सूचनाएँ भी इंटरनेट पर उपलब्ध है। यह विद्यार्थियों की परेशानियों को दूर कर दे रही हैं। जहाँ पहले इसके लिए महीनों का इंतज़ार करना पड़ता था। अब वे उसे बटन दबा कर देख सकते हैं। बहुत सारी लाइब्रेरियों के इंटरनेट पर आ जाने से रिसर्च स्कॉलर इसका भरपूर फ़ायदा उठा रहे हैं। ई-मेल और इंटरनेट चैटिंग भी काफ़ी लोकप्रिय हो गए है।'
ई-प्रशासन आज भारत में तेज़ी से विकसित हो रहा है। इसके प्रारंभिक प्रयोग धमाकेदार शुरुआत के साथ सफल रहे हैं। आंध्र प्रदेश की सरकार ने यह सुविधा दी है कि उसके नागरिक इंटरनेट पर ही सरकारी फॉर्म डाउन-लोड कर सकते हैं और बिना किसी बाबू की मुठ्ठी ग़र्म किए इंटरनेट पर फॉर्म भरकर जमा भी कर सकते हैं। जिलों में ज़मीन, जुताई, बुताई के तमाम दस्तावेज़ नेट पर उपलब्ध हैं। राज्य के सचिवालय में मंत्री से लेकर सेक्शन आफ़िसर तक फ़ाइलों को इलेक्ट्रिक प्रणाली से निपटा रहे हैं। यह सब काम नेटवर्क पर ऑन लाइन होता है। इस प्रणाली का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सेक्शन आफ़िसर से लेकर मंत्री तक को किसी एक वियय पर संबंधित अधुनातन जानकारी चाहिए तो वह पल भर में ही आसानी से मिल जाएगी साथ ही टर्मिनल का बटन दबाते ही उन फ़ाइलों की सूची उपलब्ध हो जाएगी जिन्हें लोक महत्व की दृष्टि से वरीयता के आधार पर निपटाया जाना है।
महाराष्ट्र के कोल्हापुर और सांगली जिले के 70 गाँवों में किसान साइबर कैफे में जाकर अपनी भाषा में ही अनाज के रोज़ाना के भाव पता कर सकते हैं और मराठी में यह भी सुन सकते हैं कि फ़सलों की कैसी बीमारी पर, किस कीटनाशक का छिड़काव करें। भारत में जो सूचना क्रांति का ज़ोर आया है उससे भारत की तेज़ प्रगति का ज़बरदस्त वातावरण बना है। हाल ही में एक विचारक ने कहा था कि कल तक वे पिछड़े कहे जाते थे जो औद्योगिक क्रांति की दौड़ में कदम मिलाकर नहीं चल पाए थे लेकिन आने वाले कल में वे पिछड़े कहलाएँगे जो सूचना क्रांति में पिछड़ जाएँगे।
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