28-11-2010, 09:47 AM | #431 | |
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Re: साक्षात्कार
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वैसे तो कोई खास फैसले ऐसे नहीं हैं जो मैं बदलना चाहूंगा. आज से करीब बीस साल पहले मेरी नौकरी स्टील ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया में लग गयी थी और उन्होंने मझे दुर्गापुर स्टील प्लांट में ज्वाइन करने के लिए १५ दिन का समय दिया था. मैंने अपने गुरु सी.ए. से बात करके अपने इस जॉब के साक्षात्कार वाले दिन sail के अधिकारीयों को बता दिया था कि मुझे अपने वर्तमान कार्य को निष्पादित करके आपको ज्वाइन करने के लिए एक एक माह का वक़्त चाहिए. मैंने अपने गुरु को दिया हुआ वचन निभाने के लिए वो जॉब छोड़ दी. और आज कभी कभी सोचता हूँ कि अगर मैं अपने गुरु को थोडा समझाने की कोशिश करता तो शायद वो मेरी स्थिति को समझ कर मुझे पहले छोड़ देते पर उस समय उनके सामने ये बात दोबारा रखने की हिम्मत नहीं कर सका बल्कि उलटे sail को ही मैंने एक माह का समय देने के लिए पत्र लिख दिया और वहां से जवाब आया कि साक्षात्कार के दौरान कही गयी बातें कोई भी मायने नहीं रखती और आपको १५ दिन के अन्दर ही ज्वाइन करना पड़ेगा. और मैं वो संस्थान का हिस्सा बनने से रह गया. कभी कभी मन को संतोष भी होता है कि आज हम एक स्वतंत्र जिंदगी जी रहे हैं और गुरु को दिए गए वचन को निभाने का सुख भी महसूस होता है पर कभी कभी मन में आ ही जाता है कि काश ! मैंने sail को ज्वाइन कर लिया होता. ?????? पर होता तो वही है जो किस्मत को मंजूर होता है. वर्ना आज मेनेजर ( अकान्ट्स एंड फाइनांस ) से आज मैं जरूर उनके बोर्ड ऑफ़ डाइरेक्टर के आस पास होता. पर क्योंकि मैं ज्यादा महत्वाकांक्षी भी नहीं हूँ इसलिए जो भी हुआ उसे एक वरदान ही मानता हूँ ...
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28-11-2010, 09:52 AM | #432 |
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Re: साक्षात्कार
आपको अपने काम के अलावा और क्या क्या शौक हैँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
28-11-2010, 11:01 AM | #433 |
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Re: साक्षात्कार
अनुज खालिद जिन लोगों के काम ही शौक होते हैं वो लोग अपने अपने फील्ड में बहुत ही तरक्की कर पाते हैं. तो सबसे पहली बात तो यही है कि मेरा काम मेरा शौक नहीं है. मेरा शौक है नियमित रूप से मोर्निंग वाक् करना. जहाँ भी जाता हूँ ये करता ही हूँ कई बार मेजबान को बड़ा ही अजीब लगता है. दूसरा शौक है पढ़ाने का. कास्ट अकाउंट और फायनैन्सिअल मैनेजमेंट मेरे प्रिय सब्जेक्ट हैं. निरुद्धेश्य धूमना फिरना भी मुझे अच्छा लगता है. सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना भी मुझे पसंद है. इंटरनेट पर फोरम पर आना और आप जैसे मित्रों को सुनना भी मुझे खासा पसंद है. फिल्में देखना, घर में खाना बनाना और घर के छोटे मोटे काम करने का भी शौक है.
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28-11-2010, 11:32 AM | #434 |
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Re: साक्षात्कार
आपके ख्वाब किया थे
आप बन्ना किया चाहते थे
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28-11-2010, 12:29 PM | #435 |
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Re: साक्षात्कार
अब तक मैंने आपके answers पढ़े है आप ने लिखा है आप ५०० रुपैये fine दे देंगे लेकिन १०० रुपैये रिश्वत नहीं देंगे.
इस तरह के answer मुझे राम राज्य और राजश्री की फिल्मो की याद दिलाते है जिसमे अधिकतर समय सब कुछ अच्छा ही अच्छा होता है क्या आपको नहीं लगता आपकी विचारधारा के लोग समाज से कम होते जा रहे है? आपको इस तरह की सोच के लिए तो करियर में, या जीवन में कभी भी नुक्सान नहीं उठाना पड़ा?
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
28-11-2010, 12:29 PM | #436 |
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Re: साक्षात्कार
मेरे ख्वाब कुछ खास नहीं थे. बचपन में पढाई से दूर भागता था फिर एक दिन ऐसा कुछ हुआ जो की साक्षात चमत्कार से कम नहीं है की मैं अपनी पढाई को काफी गंभीरता से लेने लगा और अपनी पढाई की जरिये एक अच्छी जिंदगी जीने के ख्वाब देखा करता था.
मैं चित्रकार या फिर आर्किटेक्ट बनना चाहता था पर ऊपर वाले की मर्जी नहीं थी और मैं धीरे धीरे ca, icwa और cs की तरफ आकर्षित हुआ और ये बन गया अब यही मेरी पहचान है. बचपन में मैं बहुत ही अच्छे चित्र बनाया करता था अगर कभी मिल गए तो आपके साथ भी वो चित्र शेयर करूंगा.
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28-11-2010, 01:48 PM | #437 |
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Re: साक्षात्कार
जो आपके अधुरे सपने हैँ
क्या आप चाहेगेँ आपके बच्चे पुरा करे या उनको आजादी दिए हैँ करियर चुन्ने के लिए
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28-11-2010, 02:52 PM | #438 | |
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Re: साक्षात्कार
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(अगर आप केलकुलेटर पर इसे रुपयों में बदलेंगे तो एरर आ जायेगा ) इन रुपयों को देश में लाने के लिए आप क्या करेंगे? एक बात और ये rupaye अगर आप लाने में सफल हो गए तो अपने देश की अर्थ वयवस्था संसार में सब से अची हो जाएगी
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तोडना टूटे दिलों का बुरा होता है जिसका कोई नहीं उस का तो खुदा होता है |
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28-11-2010, 03:45 PM | #439 | |
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Re: साक्षात्कार
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हमारे अनिल भाई समाज के लिए धरोहर की तरह हैं, इनको बहुत सहेज कर रखना पड़ेगा ताकि हमारे आने वाली पीढियां ये देख सके की समाज में ऐसे व्यक्ति भी होते हैं
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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29-11-2010, 01:32 AM | #440 | |
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Re: साक्षात्कार
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क्या आप नहीं चाहते कि देश से भ्रष्टाचार कम हो ? अगर चाहते हो तो अपना तात्कालिक फायदा सोचना छोडो और देश के भविष्य की बात करो. दर असल हम सभी उतना ही भ्रष्टाचार चाहते हैं जितना कि हम ख़ुशी ख़ुशी सहन कर सकें और उसको भ्रष्टाचार भी नही कहना चाहते. हम लोगों के लिए भ्रष्टाचार अगर उस सीमा को क्रोस करे तब हमें भ्रष्टाचार लगता है. अब क्योकि हम खुद ही भ्रष्टाचार को कुछ हद तक सही मानने लगे हैं तो हम कैसे कह सकते हैं कि हम सभी भ्रष्टाचार को ख़त्म करना चाहते हैं. ऐसी विचार धरा के कुछ तात्कालिक नुक्सान हो सकते हैं पर कुल मिला कर देश का और देश वासियों का फायदा ही है.
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