14-02-2015, 03:18 AM | #1 |
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तुम देना साथ मेरा ओ हम नवां (velentines day)
" तुम देना साथ मेरा ओ हम नवां "कितने प्यारे शब्द है यदि इसे ध्यान से सुना जाय .. अपनों के प्रति विश्वास श्रध्धा और प्रेम की अथाह गहराई है इन शब्दों में जो आज के प्यार के दिन एक दूजे से लोग कहा करते है और याद किया करते हैं
.. ग़र सच कहू तो जो सबसे प्यारा रिश्ता होता है , उसे याद करना ही नही पड़ता क्यूंकि इंसानी जहन में से ये रिश्ता कभी दूर होता ही नही क्यूंकि उस रिश्ते की वजह से तो इंसान जीता है, मरता है , जीना चाहता है, अपना सर्वस्व समर्पित करता है अपने प्यारे से प्यार को . और जो भुलाया जाय उसे ही तो याद करना पड़ता है किन्तु जो हरपल हमारे साथ हो उसे हम इंसान भूल ही नही सकते .इसलिए उसे याद करने की भी जरुरत ही नही ... एइसे प्यारे रिश्तों को हम जीते हैं, न की सिरफ़ निभाते हैं . अब बात करे velentine डे की, इससे पहले की मै बात आगे की लिखूं आपको बताना चाहूंगी की मैंने velentine डे पर लोगो को गुलाब के फूल एकदूजे को देते देखा , तोहफे के जरिये अपना प्यार जताते देखा है , ये बात अच्छी भी है की साल में एक दिन एइसा भी है जब लोग अपने प्यार को दर्शाते हैं . एकदूजे के लिए प्यार बढे इस दुनिया में ये तो बहुत अच्छी बात है क्यूंकि वैमनस्य , दुश्मनी की भावना लोगों को अपनो से दूर ले जाती है ... अब हम देखेंगे velentine डे की ऐतिहासिक कहानी ......... ... रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था। उसके अनुसार विवाह करने से पुरूषों की शक्ति और बुद्धि कम होती है। उसने आज्ञा जारी की कि उसका कोई सैनिक या अधिकारी विवाह नहीं करेगा। संत वेलेंटाइन ने इस क्रूर आदेश का विरोध किया। उन्हीं के आह्वान पर अनेक सैनिकों और अधिकारियों ने विवाह किए। आखिर क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन् 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया। तब से उनकी स्मृति में प्रेम दिवस मनाया जाता है मै सहमत हूँ इन बातो से और संत velentine जी का आदर सम्मान करती हूँ . किन्तु मैकहना चाहूंगी की संत velentine जी के पहले भी सबसे बड़े velentine और प्यार के गुरु थे जिन्होंने सारी दुनिया को सच्चे प्यार के दर्शन कराये थे.प्यार का सन्देश दिया था इस जहाँ को उनका जिक्र यहाँ जरुर करना चाहूंगी ,, और जिनका जिक्र मै करना चहती हूँ वो थे भाग्वान कृष्ण मेरे ख्याल से भगवन कृष्ण से बड़ा कोई दुनिया में सच्चा प्यार करने वाला नही हो सकता , क्यूंकि उनके सच्चे प्यार को हम इन्सान आज भी पूजते हैं. उनकी आराधना करते है, मंदिर में राधा कृष्णा की स्थापना करते हैं कृष्णा और राधा अपने जीवन में नही मिल सके .. अगाध अथाह प्यार था उनके बीच और अपने प्यार का उदहारण उन्होंने दुनिया के सामने रखा की भले कितने भी दूर क्यूँ न हो . भले ही दो प्रेमी मिले या न मिले किन्तु अगर उनका प्यार सच्चा है तो वो जरुर पूजा जायेगा , कोई उसे गलत नही कहेगा क्यूंकि, प्रेम शब्द ही एइसा है की इसे बोलते ही इंसान के अंदर एक सकारात्मक अनुभूति होती है अपनापन होता है जो मानव मस्तिष्क को एक nai उर्जा प्रदान करता है .. किन्तु बड़े दुर्भाग्य की बात आज के ज़माने में ये है की लोगो ने इस अनमोल भावना को बहुत सस्ता और ओछा बना दिया है. प्यार शब्द आते ही girl फ्रेंड बॉय फ्रेंड वाली मानसिकता और नजर लोगो में पाई जा सकती है जो एक बार की लड़ाई में i हेट यू में बदल जाती है क्या इसे प्यार कहा जा सकता है? अरे प्यार वो है जो खुद के लिए जीना नही सिखाता जिसमे बस त्याग ही त्याग है . क्यों हम भूल गए है प्यार की ओजस्विता को ?? क्यों हम भूल गए है प्यार में बसने वाले त्याग को? क्यों अब प्यार शब्द को वासना से जोड़ दिया जाता है ? ये तो वो निर्मल , पवित्र भावना है जिसकी गहराई को मापा नही जा सकता ... प्यार के इस दिन को हम सबसे पहले सम्मान देना सीखे... आकर्षण और वासना को प्यार न समझकर प्यार महानता को प्यार की गहराई को समझे ... यदि प्यार की ये भावना रहेगी तो इसकी उत्कृष्टता बनी रहेगी वर्ना प्यार शब्द से आने वाले वाले समय में लोग दूर भाग जायेंगे और बची रहेगी तो सिरफ़ नफ़रत . दोस्तों आज के दिन की धमाल को देखकर फूलों और तोहफों के व्यापार को देखकर मेरा भी मन किया की कुछ बातें हो जाय इस प्यारे से त्यौहार के बारे में अपने विचार प्रकट किये हैं मैंने .बस इतना ही .... |
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