23-01-2011, 10:07 AM | #1 |
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स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
आज मैं लेकर आई हूँ iPod और iPhone बनाने वाली कंपनी Apple के founder Steve Jobs के जीवन की तीन कहानिया जो आपकी जिंदगी भी बदल सकती हैं. जब कभी दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपति का नाम लिया जाता है तो उसमे कोई और नाम भले हो न हो, एक नाम ज़रूर होता है. और वो नाम है स्टीव जोब्स का. apple नामक विशाल कम्पनी के संस्थापक स्टीव जोब्स को पूरी दुनिया एक महान अभियंता, उद्योगपति, शानदार स्पीकर और दूरदर्शी के रूप में जानती है. आज जो स्पीच आप यहाँ पढने जा रहे है वो उन्होंने स्तान्फोर्ड विश्वविद्यालय के दिक्शंथ समारोह में १२ जून २००५ को दिया था. Last edited by amit_tiwari; 25-02-2011 at 02:33 AM. |
23-01-2011, 10:10 AM | #2 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
steve jobs convocation speech at stanford university धन्यवाद; आज विश्व के सबसे शानदार कॉलेज में से एक के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पर मैं खुद को गौरवान्वित मह्सुश कर रहा हूँ. मैं आपको एक सच बता दूं ; मैं कभी किसी कॉलेज से पास नहीं हुआ; और आज पहली बार मैं किसी कॉलेज के दीक्षांत समारोह के इतना करीब पहुंचा हूँ. आज मैं आपको अपने जीवन की तीन कहानिया सुनाना चाहूँगा... ज्यादा कुछ नहीं बस तीन कहानिया. |
23-01-2011, 10:11 AM | #3 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
मेरी पहली कहानी, डोट्स जोड़ने के बारे में है. रीड कॉलेज में दाखिला लेने के ६ महीने के अंदर ही मैंने पढाई छोड़ दी, पर मैं उसके १८ महीने बाद तक वहाँ किसी तरह आता-जाता रहा. तो सवाल उठता है कि मैंने कॉलेज क्यों छोड़ा? ....असल में, इसकी शुरुआत मेरे जन्म से पहले की है.
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23-01-2011, 10:13 AM | #4 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
मुझे जन्म देने वाली माँ एक जवान, अविवाहित कॉलेज स्टुडेंट थी, और वह मुझे किसी और को गोद देना चाहती थी. पर उनकी एक ख्वाईश थी की कोई कॉलेज स्नाथक ही मुझे गोद ले. सबकुछ बिलकुल निश्चित था और मैं एक वकील और उसकी पत्नी के द्वारा गोद किया जाने वाला था कि अचानक उस दंपत्ति ने अपना विचार बदल दिया और निर्णय किया कि उन्हें एक लड़की चाहिए. इसलिए तब आधी-रात को मेरे वर्तमान माता पिता, जो तब कतार में थे, को फ़ोन करके बोला गया कि , “हमारे पास एक बच्चा है, क्या आप उसे गोद लेना चाहेंगे?” और उन्होंने झट से हाँ कर दी. बाद में मुझे जन्म देने वाली माँ को पता चला कि मेरी माँ कॉलेज पास नहीं हैं और पिता तो हाई स्कूल भी पास नहीं हैं तो उन्होंने गोद देने वाले कागज़ पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया; पर कुछ महीनो बाद मेरे होने वाले माता पिता के मुझे कॉलेज भेजने के आश्वाशन के बाद वो मान गयीं. तो मेरी जिंदगी कि शुरुआत कुछ इस तरह हुई और सत्रह साल बाद मैं कॉलेज गया..पर गलती से मैंने स्तान्फोर्ड जितना ही महंगा कॉलेज चुन लिया. मेरे काम काजी माता पिता की सारी जमा-पूँजी मेरी पढाई में जाने लगी. 6 महीने बाद मुझे इस पढाई में कोई value नहीं दिखी.मुझे कुछ आईडिया नहीं था कि मैं अपनी जिंदगी में क्या करना चाहता हूँ, और कॉलेज मुझे किस तरह से इसमें मदद करेगा..और ऊपर से मैं अपने माता पिता के जीवन भर कि कमाई खर्च करता जा रहा था. इसलिए मैंने कॉलेज छोड़ने का निर्णय लिए...और सोचा जो होगा अच्छा होगा. उस समय तो यह सब-कुछ मेरे लिए काफी डरावना था पर जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो मुझे लगता है ये मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा निर्णय था.
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23-01-2011, 10:17 AM | #5 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
जैसे ही मैंने कॉलेज छोड़ा मेरे ऊपर से ज़रूरी क्लास करने की बाध्यता खत्म हो गयी. और मैं चुप-चाप सिर्फ अपने मतलब की क्लास करने लगा. ये सब कुछ इतना आसान नहीं था. मेरे पास रहने के लिए कोई कमरा भी नहीं था , इसलिए मुझे दोस्तों के कमरे में फर्श पे सोना पड़ता था. मैं काके की बोतल को लौटाने से मिलने वाले पैसों से खाना खता था. मैं हर इतवार 7 मील पैदल चल कर हरे कृष्ण मंदिर जाता था, ताकि कम से कम हफ्ते में एक दिन पेट भर कर खाना खा सकूं. यह मुझे काफी अच्छा लगता था. |
23-01-2011, 10:19 AM | #6 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
मैंने अपने जीवन में जो भी अपनी कौतुहल और अन्तर्ज्ञान की वजह से किया वह बाद में मेरे लिए अमूल्य साबित हुआ. मैं आपको एक उदहारण देता हूँ. उस समय रीड कॉलेज शायद दुनिया की सबसे अच्छी जगह थी जहाँ सुलेखन सिखाई जाती थी. पूरे कॉलेज में हर एक पोस्टर, हर एक लेबल बड़ी खूबसूरती से हांथों से सुलेख किया होता था. चूँकि मैं कॉलेज से निकल चुका था इसलिए मुझे साधारण क्लास करने की कोई ज़रूरत नहीं थी. मैंने तय किया की मैं सुलेखन की क्लास करूँगा और इसे अछ्छी तरह से सीखूंगा. मैंने serif और sans-serif type-faces के बारे में सीखा.; अलग-अलग अक्षरो के मेल के बीच में space बदली करना और किसी अच्छी मुद्रण कला को क्या चीज अच्छा बनाती है , यह भी सीखा . यह खूबसूरत था, इतना कलात्मक था कि इसे विज्ञानं द्वारा हासिल नहीं किया जा सकता था, और ये मुझे बेहद अच्छा लगता था. उस समय ज़रा सी भी उम्मीद नहीं थी कि मैं इन चीजों का इस्तेमाल कभी अपने जीवन में करूँगा. लेकिन जब दस साल बाद हम पहला Macintosh कंप्यूटर बना रहे थे तब मैंने इसे Mac में डिजाईन कर दिया. और Mac खूबसूरत मुद्रण कला युक्त दुनिया का पहला कंप्यूटर बन गया. अगर मैंने कॉलेज से नहीं निकलता तो Mac मैं कभी multiple-typefaces या proportionally spaced fonts नहीं होते, और चूँकि Windows ने Mac की नक़ल की थी तो शायद ये किसी भी कंप्यूटर में ये चीजें नहीं होतीं. अगर मैंने कभी कॉलेज नहीं छोड़ा होता तो मैं कभी सुलेखन की वो क्लास नहीं कर पाता और फिर शायद कंप्यूटर में जो फॉन्ट होते हैं, वो होते ही नहीं. |
23-01-2011, 10:21 AM | #7 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
जब मैं कॉलेज में था तब भविष्य में देख कर इन बिन्दुओ को जोड़ना असंभव था; लेकिन दस साल बाद जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो सब कुछ बिलकुल साफ़ नज़र आता है. आप कभी भी भविष्य में झांक कर बिन्दुओ को जोड़ नहीं सकते हैं. आप सिर्फ भूत में ही देखकर ही बिन्दुओ को जोड़ सकते हैं; इसलिए आपको यकीन करना होगा की अभी जो हो रहा है वह आगे चल कर किसी न किसी तरह आपके भविष्य से जुड़ जायेगा. आपको किसी न किसी चीज में विश्ववास करना ही होगा ---अपने साहस पर, अपनी क़िस्मत में, अपनी जिंदगी या फिर अपने कर्म में...किसी न किसी चीज मैं विश्वास करना ही होगा...क्योंकि इस बात में विश्वास करना की आगे चल कर बिंदु जुड़ेंगे आपको अपने दिल की आवाज़ सुनने की हिम्मत देगा...तब भी जब आप बिलकुल अलग रास्ते पर चल रहे होंगे... |
23-01-2011, 10:23 AM | #8 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
मेरी दूसरी कहानी, प्यार और नुक्सान के बारे में है. मैं जिस चीज को चाहता था वह मुझे जल्दी ही मिल गयी. Woz और मैंने अपने माता पिता के गैराज से Apple कम्पनी की शुरुआत की तब मैं 20 साल का था. हमने बहुत मेहनत की और 10 साल में Apple दो लोगों से बढ़ कर $2 Billion और 4000 लोगों की कम्पनी बन गयी. हमने अभी एक साल पहले ही अपना सबसे अच्छा प्रोडक्ट Macintosh रिलीज़ किया था, मैं तीस का हो गया था और मुझे कम्पनी से निकाल दिया गया.
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23-01-2011, 10:27 AM | #9 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
आप अपनी बनायीं हुई कम्पनी से कैसे निकला जा सकता है? जैसे जैसे कम्पनी बढ़ी, हमने एक ऐसे गुणी आदमी को कम्पनी में रखा, जिसे मैंने सोचा कि वो मेरे साथ कम्पनी अच्छी रन करेगा, पहले एक साल सब-कुछ ठीक-ठाक चला लेकिन फिर कंपनी के भविष्य को लेके हम दोनों में मतभेद होने लगे. बात निदेशक मंडल तक पहुँच गयी, और उन लोगों ने उसका साथ दिया, तब मैं ३० साल का था और उस वक़्त मुझे मेरी ही कंपनी से निकाल दिया गया...सरेआम निकाल दिया गया. जो मेरी पूड़े व्यस्क जीवन का केंद्र बिंदु था वह अब खत्म हो चुका था, और ये बिलकुल ही तबाह करने वाला था. मुझे सचमुच अगले कुछ महीनो तक समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं. |
23-01-2011, 10:29 AM | #10 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
मुझे महसूस हुआ कि ये सबकुछ इतनी आसानी से मान के मैंने अपने पीढ़ी के उद्योगपतियों को नीचा दिखाया है. मैं David Packard और Bob Noyce से मिला और उनसे सबकुछ ऐसे हो जाने पर माफ़ी मांगी. मैं एक बहुत बड़ा सार्वजनिक विफलता थी, एक बार तो मैंने valley छोड़ कर जाने की भी सोची. पर धीरे – धीरे मुझे अहसास हुआ की मैं जो काम करता हूं, उसके लिए मैं अभी भी passionate हूँ. Apple में जो कुछ हुआ उसकी वजह से मेरे जोश में ज़रा भी कमी नहीं आई है....मुझे खारिज कर दिया गया, पर मैं अभी भी अपने काम से प्यार करता था. इसलिए मैंने एक बार फिर से शुरुआत करने की सोची. मैंने तब नहीं सोचा पर अब मुझे लगता है की Apple से निकाले जाने से अच्छी चीज मेरे साथ हो ही नहीं सकती थी. सफल होने का बोझ अब नवागत होने के हल्केपन में बदल चूका था, मैं एक बार फिर खुद को बहुत ही आजाद महसूस कर रहा था...इस स्वछंदता की वज़ह से मैं अपने जीवन की सबसे रचनात्मक पलो में जा पाया. |
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