18-09-2011, 05:59 AM | #31 |
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Re: फुल्ली फालतू शायरी
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18-09-2011, 12:40 PM | #32 |
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Re: फुल्ली फालतू शायरी
इश्कबाज़ी करते करते दिल अधूरा रह गया
इश्कबाज़ी करते करते दिल अधूरा रह गया और जब पड़ी सर पे जूती इश्क पूरा हो गया ....
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ये दिल तो किसी और ही देश का परिंदा है दोस्तों ...सीने में रहता है , मगर बस में नहीं ...
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18-09-2011, 12:41 PM | #33 |
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Re: फुल्ली फालतू शायरी
बहुत खूब.. रणवीर जी..
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
18-09-2011, 06:08 PM | #34 |
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Re: फुल्ली फालतू शायरी
इधर खुदा है
उधर खुदा है इधर उधर बस खुदा ही खुदा है जहां नहीं खुदा है वहाँ कल खुदेगा ....
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ये दिल तो किसी और ही देश का परिंदा है दोस्तों ...सीने में रहता है , मगर बस में नहीं ...
Last edited by Ranveer; 18-09-2011 at 06:17 PM. |
18-09-2011, 06:15 PM | #35 |
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Re: फुल्ली फालतू शायरी
दुरखत के पैमाने पर चिलमन-ए-हुस्न का फुरकत से शर्माना
दुरखत के पैमाने पर चिलमन-ए-हुस्न का फुरकत से शर्माना .. ये लाइन अगर समझ में आ जाए तो मुझे जरुर बताना ....
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ये दिल तो किसी और ही देश का परिंदा है दोस्तों ...सीने में रहता है , मगर बस में नहीं ...
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21-09-2011, 12:08 PM | #36 |
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Re: फुल्ली फालतू शायरी
तुम सा कोई इस जहाँ मेँ दुसरा आया तो रब से शिकायत होगी
एक तो झेला नहीँ जाता दुसरी आगई तो किया हालत होगी
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
21-09-2011, 12:24 PM | #37 |
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Re: फुल्ली फालतू शायरी
मज़ा आ गया /......
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21-09-2011, 12:46 PM | #38 |
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Re: फुल्ली फालतू शायरी
कभी इस चिलमन से ये झांके
वाह वाह कभी उस चिलमन से वो झांके वाह वाह कभी इस चिलमन से ये झांके इरशाद इरशाद कभी उस चिलमन से वो झांके इरशाद इरशाद कभी इस चिलमन से ये झांके ............ (जनता की आवाज) अबे आगे भी तो बढ़ कभी इस चिलमन से ये झांके, कभी उस चिलमन से वो झांके लगा दो आग चिलमन को ना ये झांके ना वो झांके
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
21-09-2011, 11:45 PM | #39 |
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Re: फुल्ली फालतू शायरी
दूर से देखा तो `किताबें` थी;
दूर से देखा तो `किताबें` थी; तो पास जाने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता! |
21-09-2011, 11:48 PM | #40 |
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Re: फुल्ली फालतू शायरी
कितना बेबस है इंसान, किस्मत के आगे!
हर सपना टूट जाता है हकीकत के आगे! जिसने कभी हाथ न फेलाया हो, वो भी हाथ फेलता है `गोलगप्पे वाले` के आगे! |
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