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Old 14-12-2014, 02:44 PM   #81
DevRaj80
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उनका आपा पृथक् बना रहता है, किन्तु जब वे स्वयं को उसी स्तर और आकार का बना लेते हैं, तो दोनों के बीच की पृथकता समाप्त हो जाती है, दोनों एक आकार और स्वभाव के बन जाते हैं। इहलोक और परलोक के बीच का अंतर सिर्फ इसलिए है कि हम अपनी स्थूलता त्यागना नहीं चाहते, अपने को धुलाई और रंगाई कर निखारना नहीं चाहते, अन्यथा जिस दिन ऐसा हुआ, उस दिन हम उस विभाजन भित्ति को भी बेधने में समर्थ हो सकेंगे, जो स्थूल−सूक्ष्म, दृश्य−अदृश्य व्यक्त−अव्यक्त के दो लोकों के बीच अठल चट्टान की तरह अड़ी हुई है।
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .

तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...

तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..

एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,

बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..

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Old 14-12-2014, 02:48 PM   #82
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मृत्यु एक रहस्य की तरह जो आज भी है बरकरार





कहते हैं कि साधना का अभ्यास इस प्रकार करना चाहिए जिससे जीवित स्थिति में ही मृत्यु के भय से छुटकारा मिल सके। जो लोग जीते जी मौत से भयभीत नहीं होते वे ही मुक्ति की अवस्था प्राप्त करते हैं। पूर्ण सत्य की अनुभूति किए बगैर मृत्यु के भय को जीता नहीं जा सकता।
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Old 14-12-2014, 02:49 PM   #83
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Default Re: अनसुलझे रहस्य

जो व्यक्ति जीवनकाल में पूर्ण सत्य की अनुभूति कर सकने में सक्षम हो जाते हैं, मृत्यु काल में ईश-कृपा से उनकी वह उपलब्धि अपने-आप अनायास हो जाती है। गीता में भी कहा गया है कि मनुष्य जिस भाव का स्मरण करता हुआ अंतकाल में देह त्याग करता है, उसी भाव से भावित होकर वह सदा उसी भाव को प्राप्त होता है। इसीलिए लोग मृत्यु के मुहाने पर बैठे व्यक्ति के चित्त में सात्विक भावों को उत्पन्न करने के लिए कई धार्मिक विधि-विधान करते हैं, किंतु ऐसे सद्भाव व्यक्ति की मृत्यु के पूर्व किए गए सतत अभ्यास से ही चित्त में जागृत होते हैं।
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Old 14-12-2014, 02:49 PM   #84
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Default Re: अनसुलझे रहस्य

मृत्यु के बाद दो प्रकार की गति होती है। जिस गति में पुनरावर्तन नहीं होता वह 'परा' गति है, जिस गति में कर्मफल भोगने के बाद पुन: मृत्युलोक में आना पड़ता है वह 'अपरा' गति है। परा गति के एक होने पर भी उसमें विभेद है। एक में मृत्यु के साथ ही भगवान के परमधाम में प्रवेश मिल जाता है तो दूसरे में मृत्यु के बाद कई स्तरों से होते हुए परम धाम में पहुंचा जाता है।
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Old 14-12-2014, 02:50 PM   #85
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Default Re: अनसुलझे रहस्य

हां, इस स्तर पर अधोगति नहीं होती, क्रमश: ऊ*र्ध्व गति ही होती है। इस विभेद में पहली गति मृत्यु के बाद सद्योमुक्ति है और दूसरी गतिक्रम मुक्ति है।

एक अवस्था और है, जिसमें गति नहीं रहती। इस अवस्था में जीवनकाल में ही परमेश्वर का साक्षात्कार हो जाता है। यही जीवनकाल में सद्योमुक्ति यानी 'जीवन मुक्ति' है। जो पुरुष इस अवस्था को प्राप्त कर लेते हैं उनके लिए कुछ भी प्राप्त करना शेष नहीं रहता।

प्रारब्धवश शरीर चलता है और कर्मक्षय होने पर देहावसान हो जाता है। निधन के वक्त अंत:करण, वाह्यकरण और प्राणादि सभी अव्यक्त ईश्वरीय शक्ति में लीन हो जाते हैं। देहत्याग के साथ ही विदेह-मुक्ति का लाभ प्राप्त होता है।
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Old 14-12-2014, 02:54 PM   #86
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Default Re: अनसुलझे रहस्य

रहस्यमयी रहस्य की तलाश करना भी होता है एक रहस्य

एक बार ऋर्षि पिप्पलाद के पास कुछ शिष्य आए और उनसे कहा कि - 'हे गुरुदेव हमें जीवन और मृत्यु का रहस्य समझाने की कृपा करें।'

तब ऋर्षि ने कहा कि, 'जीवन के विषय में मैं थोड़ा बहुत बता सकता हूं, क्योंकि मैंने जीवन जिया है, जहां तक मृत्यु के विषय में बात की जाए तो मैं अभी मरा नहीं हूं।'

ऋर्षि ने गंभीरता से कहा कि ऐसे में यह मृत्यु के बारे में कैसे बता सकता हूं। जो मर चुका है उससे यह सवाल किया जाए तो वह इसे काफी अच्छे से इस बारे में बता पाएगा।

कुछ देर बाद चुप रहने के बाद के बाद ऋर्षि पिप्लाद ने कहा कि दूसरा विकल्प यह है कि खुद मर कर देखो। हालांकि तब दूसरे तुम्हारे अनुभव को नहीं जान पाएंगे। इसलिए मृत्यु के रहस्य से इसलिए अब तक पर्दा नहीं उठा है। जो जान लेता है वह यह बताने के लिए जिंदा नहीं रहता है।

संक्षेप में

कुछ रहस्य ऐसे होते है जिन्हें जानने के लिए कुछ कड़े फैसले लेने पड़ते हैं। इसलिए ऐसे रहस्यों को भूल जाना ही बेहतर है।
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Old 14-12-2014, 05:45 PM   #87
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ढेर सारी रोचक बाते बताने के लिए धन्यवाद दीपराज जी!
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Old 16-12-2014, 07:18 PM   #88
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Default Re: अनसुलझे रहस्य


मैं आया हूँ घोड़े पे सवार ...तेज ...तेज ...






सोच रहा हूँ १००० पोस्ट पूरे होने पर एक भी बधाई नहीं दी किसी ने अभी तक







अच्छा भाई ...लोग काम पर बीजी हैं




मैं खुद ही बधाई ...दे लेता हूँ खुद को ....सबकी और से ....

१००० पोस्ट

वो भी इतनी जल्दी

पूरे होने पर

देवराज जी को

हार्दिक बधाइयां
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Old 20-12-2014, 05:32 PM   #89
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Default Re: अनसुलझे रहस्य

550 साल पुराना शव गांव के लोग जिसकी करते हैं पूजा






चंडीगढ़। हिमाचल में लाहुल स्पिती के गीयू गांव में 550 साल पुरानी मृत देह ममी पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और अन्य पड़ोसी राज्यों व विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। सालाना यहां पर देश विदेश के हजारों पर्यटक इस मृत देह को देखने आते हैं, लेकिन आजकल इस मृत देह के बाल और नाखून बढऩे की रफ्तार कम हो गई है।
इस मृत देह की देख-भाल मिश्र में रखी गई ममीज़ की तर्ज पर होनी चाहिए यदि ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले समय में इस पर्यटन स्थल का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। अभी तक यही माना जाता था कि ममी के बाल और नाखुन निरंतर बढ़ते हैं लेकिन गीयू गांव के लोगों के मुताबिक अब ममी के बाल और नाखुन बढऩे कम हो गए हैं। बाल कम होने के कारण ममी का सिर गंजा होने लगा है। कौन है यह मृत देह मम्मी और कहां मिली थी?
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Old 20-12-2014, 05:34 PM   #90
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Default Re: अनसुलझे रहस्य

क्या भारत में भी ममी प्रथा थी !!!!!





हिमाचल के लाहुल स्पिती के गीयू गांव में यह मृत देह आइटीबी के जवानों को खुदाई के दौरान बर्फ में दबी हुई मिली थी। शुरू में इस ममी को गीयू गांव के लोगों ने मिट्टी के एक घर में रखा था।वर्ष 1975 में जब इस क्षेत्र में भूकंप आया तो यह क्षतिग्रस्त हो गई थी। इसे देखते हुए इस धरोहर को सुरक्षित करने के लिए सरकार ने योजना बनाई।देखरेख के आभाव में अब ऐसा नहीं हो रहा है।
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