19-10-2014, 05:26 PM | #1 |
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घंटा हिला-हिला के!
ओ जिसका साथी है भगवान.. उसको क्या रोकेगा आँधी और तूफ़ान.. गगन चूर हो जाए ज़मीं चाहे धरती में धंस जाए.. तूफ़ानों की गोद में चाहे सारा जग खो जाए.. पाँव न रुकने पाए.. ओ जिसका साथी है भगवान.. उसको क्या रोकेगा आँधी और तूफ़ान.. जिसके शीश पे हाथ हज़ारों छू ना कोई पाएगा.. हरि नाम से पर्वत तिनका बन जाएगा.. धूल में मिल जाएगा.. ओ जिसका साथी है भगवान.. उसको क्या रोकेगा आँधी और तूफ़ान.. भक्त-हरि का बन्धन तो ज्यों दीपक और बाती.. उसी ज्योति से ये जलती है उसमें ही मिल जाती.. ओ जिसका साथी है भगवान.. उसको क्या रोकेगा आँधी और तूफ़ान.. (घंटा हिला-हिला के) ओ जिसका साथी है भगवान.. ओ जिसका साथी है भगवान.. ओ जिसका साथी है भगवान.. ओ जिसका साथी है भगवान.. ओ जिसका साथी है भगवान.. ओ जिसका साथी है भगवान.. गीत के अंत में नायक ‘ओ जिसका साथी है भगवान..’ की पंक्तियों पर इतनी जोर-जोर से मंदिर का घंटा हिलाता था कि भगवान की शक्ति से नायिका को पूर्वजन्म की याद आ जाया करती थी. अब पूर्वजन्म की कहानियाँ आती कहाँ हैं!
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