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Old 26-11-2010, 07:41 PM   #11
Kumar Anil
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Default Re: भारतीय स्त्री की व्यथा

गताँक से आगे
कहानी है उस औरत की जो इन्सान की कतार मेँ भटकी हुई एक मुसाफिर है जिसका एक एक अँग दुःख की अनुभूति से सचेत है । वह आवश्यक है परन्तु अपने लिए नहीँ , समाज के लिए नितान्त आवश्यक ।अनेक युगोँ के लिए उसके सेवाधर्म के विधान बन गये । उसका आचरण उसकी अपनी स्वतन्त्र इच्छा का परिणाम तो किँचित भी नहीँ होता क्योँकि उसे कर्म करना ही सिखाया जाता है , फल को भोगना नहीँ ।
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Old 28-11-2010, 05:18 PM   #12
kamesh
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Default Re: भारतीय स्त्री की व्यथा

अनिल भेइया आप की लेखनी के धार से में परिचित हूँ
आप तो सुरु करे गडपति बाप्पा का नाम ले के
सब को सभी काल की बातें पता है कुछ नयी बातों की जानकारी आप के इस गुढ विषय में मिल सकती है
मित्रों बहोत कुछ नहीं बदला है जरुरत और हिम्मत हो तो हमें अपने आस पास के माहोल को बारीक़ से देखने की जरुरत है अपनी अंतर आत्मा की आवाज को सुनना है कितने जाने ली गयी गोत्र के नाम पे इसी २१वि सदी में ,आज बलात्कार का संख्या को धयान दे जब की सभी जगह वेश्या वृति के स्तन तय है थोड़ी बहोत बदलाव को बदलाव नहीं कहते
ओह अनिल भेइया सोरी
आप के सूत्र की सफलता की अग्रिम बधाई
में भी कुछ आप की आज्ञान से इस में चिपकाने की कोशीश करूँगा
इन्कलाब जिंदाबाद
__________________
तोडना टूटे दिलों का बुरा होता है

जिसका कोई नहीं उस का तो खुदा होता है
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Old 29-11-2010, 06:19 PM   #13
Kumar Anil
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Default Re: भारतीय स्त्री की व्यथा

गताँक से आगे
हाँ यह कहानी प्रारम्भिक सभ्यता की कहानी है जिसके दौरान का एक सिरा आजतक उस औरत को छू रहा है जिसने सदियोँ के झँझावात झेले हैँ , पुरुषोँ की मार खायी है , आतंक देखा , क्रोध सहा , उस पशु के सम्मुख पशुवत हो गयी - वह बेदम हो गयी परन्तु उसका दम न निकला ।
यह कहानी है टूटी इन्सानियत की अटूट कहानी ।
वह आरम्भ से अन्त तक शासित - भिन्न भिन्न लोगोँ से - पर सबके सब नर । बाबुल की तंग गलियोँ से निकल कर पति से शासित और अन्त मेँ पुत्रोँ से जिन्हेँ उसने जन्म दिया था , नियन्त्रित हुई । प्रत्येक अवस्था मेँ उसे चाहिए , नर का नाम - अपने परिचय के लिए ।उसका अपना कोई अस्तित्व नहीँ , परिचय नहीँ और न ही कोई स्वतन्त्र व्यक्तित्व । वह पुरुष की परछाई मात्र समझी जाती । उसका दर्पण पुरुष था जिसमेँ झाँक वह स्वयँ को देखा करती ।
उसका जनक उसे घर ( ? ) की चारदीवारी मेँ कैद रखता , उसे असूर्यपश्या बनाकर । आज के आधुनिक युग के सन्दर्भ मेँ भी मुस्लिम जगत एवँ ग्रामीण अँचल की स्त्रियोँ की कमोबेश यही स्थिति उनकी तथाकथित समानता पर प्रश्नचिन्ह लगाये समाज को आईना दिखा रही है । उसका जनक उसके सत् की रक्षा सजग व सशँकित रहकर करता रहता मानो वह कोई वस्तु है और अगर उसकी सील टूट गयी तो उसका कोरापन खो जायेगा फिर वह समाजरूपी बाजार मेँ चलाये जाने के काबिल नहीँ बचेगी जबकि उसके सहोदर भ्राता बड़े खुशकिस्मत रहे जिनके साथ ऐसे किसी कोरेपन की सील नहीँ लगी थी ।
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Old 23-12-2010, 10:23 AM   #14
lalit1234
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lalit1234 is on a distinguished road
Default Re: भारतीय स्त्री की व्यथा

इस गीत में औरत के बारे में सबकी संवेदना ज़रूर जागेगी

औरत ने जनम दिया मर्दों को , मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जब जी चाहा मसला कुचला , जब जी चाहा दुत्कार दिया
औरत ने जनम दिया मर्दों को

तुलती है कहीं दीनारों में , बिकती है कहीं बाज़ारों में
नंगी नचवाई जाती है , ऐय्याशों के दरबारों में
ये वो बे -इज्ज़त चीज़ है जो , बंट जाती है इज्ज़तदारों में
औरत ने जनम दिया मर्दों को

मर्दों के लिए हर ज़ुल्म रवां , औरत के लिए रोना भी खता
मर्दों के लिए लाखों सजें , औरत के लिए बस एक चिता
मर्दों के लिए हर ऐश का हक , औरत के लिए जीना भी सज़ा
औरत ने जनम दिया मर्दों को

जिन होटों ने इनको प्यार किया , उन हो तहों का व्योपार किया
जिस कोख में इनका जिस्म ढला , उस कोख का कारोबार किया
जिस तन से उगे कोपल बन कर , उस तन को ज़लील -ओ -खार किया
औरत ने जनम दिया मर्दों को

मर्दों ने बनायी जो रस्में , उनको हक का फरमान कहा
औरत के ज़िंदा जलने को , कुर्बानी और बलिदान कहा
किस्मत के बदले रोटी दी , और उसको भी एहसान कहा
औरत ने जनम दिया मर्दों को

संसार की हर इक बेशर्मी , घुर्बत की गोद में पलती है
चकलों ही में आ के रूकती है , फाकों में जो राह निकलती है
मर्दों की हवस है जो अक्सर , औरत के पाप में ढलती है
औरत ने जनम दिया मर्दों को

औरत संसार की किस्मत है , फिर भी तकदीर की हेती है
अवतार पयम्बर जानती है , फिर भी शैतान की बेटी है
ये वो बदकिस्मत मां है जो , बेटों की सेज पे लेटी है
औरत ने जनम दिया मर्दों को
lalit1234 is offline   Reply With Quote
Old 23-12-2010, 10:37 AM   #15
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Default Re: भारतीय स्त्री की व्यथा

भारतीय स्त्री = रानी लक्ष्मी बाई
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Old 23-12-2010, 01:07 PM   #16
arvind
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Default Re: भारतीय स्त्री की व्यथा

अनिल भाई, कृपया इस सूत्र को गति प्रदान करे।
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