13-03-2015, 12:30 PM | #1 |
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मेलजोल
सन्त कबीरदास यदि आज जीवित होते तो यह दोहा ज़रूर कहते-
‘कबीरा मेल बढ़ाय के, कबहुँ न करै लड़ाई। पत्रकार पोलीस नेता गुण्डा वकील हैं भाई।।’ अर्थ स्पष्ट है- पत्रकार, पुलिस, नेता, क्रिमिनल और वकील आपस में भाई-भाई समान होते हैं, अर्थात् इनमें आपस में बड़ी मिलीभगत होती है। इसलिए इनसे कभी लड़ाई नहीं करनी चाहिए और इनसे मेलजोल बढ़ा लेना चाहिए। सन्त कबीरदास की बात सुनकर रहीम क्यों चुप बैठते? वह भी सन्त कबीरदास की टक्कर में यह दोहा ज़रूर कहते- ‘रहिमन लडि़ए बूझकर, बचा सकै ना कोय। पत्रकार पुलिस नेता, गुण्डा वकील हैं भोय।।’ अर्थ स्पष्ट है- पत्रकार, पुलिस, नेता, क्रिमिनल और वकील आपस में भाई-भाई समान होते हैं, अर्थात् इनमें आपस में बड़ी मिलीभगत होती है। इसलिए इनसे समझबूझकर लड़ाई करनी चाहिए, क्योंकि इनसे लड़ने पर बचाने वाला कोई नहीं मिलता। (अभी और है)
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