20-03-2024, 09:50 PM | #1 |
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ग़ज़ल- हर कोना गुलाबों सा...
■■■■■■■■■■■■■■■ हर कोना गुलाबों सा ये महकाए हुए हैं कुछ लोग तेरी बज़्म में जो आए हुए हैं कुछ लोग यहाँ रोज ही लड़ने में हैं मशरूफ वो चैन से हैं जो इन्हें उलझाए हुए हैं देखें कि वो कब प्यार की बरसात करेंगे बादल की तरह ज़ेहन में जो छाए हुए हैं उनको नहीं मालूम क्या जीवन की हक़ीक़त जो कोठियों की चाह में ललचाए हुए हैं आये हैं तो दिल खोल के कहना है जो कहिए दुल्हन की तरह आप तो शरमाए हुए हैं हर ओर नहीं बाग़बाँ का एक सा है घ्यान कुछ फूल तभी बाग़ के मुरझाए हुए हैं कुछ लोग जा के बस गए 'आकाश' नगर में हम गाँव के ही शोर से घबराए हुए हैं ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 20/03/2024 ■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274309 मो- 9919080399 _____________________ मापनी- 221 1221 1221 122 Last edited by आकाश महेशपुरी; 23-03-2024 at 06:19 AM. |
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