11-10-2015, 11:31 PM | #36721 | |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
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दूसरी बात ये है, रजनीशाजी- इस दुनिया में दो किस्म के लोग होते हैं- मज़ा देने वाले और मज़ा लेने वाले। मज़ा देने वालों में रचनाकार, लेखक, कवि, चित्रकार और सभी प्रकार के कलाकार आते हैं। मज़ा लेने वालों में दर्शक, श्रोता और पाठक आते हैं। दुर्भाग्यवश इस दुनिया में मज़ा देने वालों की तादाद बहुत कम है और मज़ा लेने वालों की तादाद बहुत अधिक है। हम लोग मज़ा लुटाते हैं और दूसरे लोग मज़ा लूट ले जाते हैं। मज़ा लूटने वालों से मज़ा लुटाने की अपेक्षा करना निरर्थक है, क्योंकि मज़ा लुटाना एक अभूतपूर्व कला है और यह कला सभी के अन्दर नहीं होती। हर आदमी नहीं लिख सकता है न! कुछ लोग लिखना जानते हुए भी आलस्यवश सिर्फ़ इस भावना से नहीं लिखते कि 'हम तो मज़ा लूटने वाले हैं, मज़ा लुटाना हमारा काम नहीं। अपने काम से काम रखो, मज़ा लूटो और चलते बनो!' संक्षेप में मंच को लोग ऑनलाइन नॉवेल समझकर पढ़ने लगे हैं।
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12-10-2015, 09:21 AM | #36722 | |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
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क्या डिश है भाई? एक शेर अर्ज किया है - "इगो का इशु" वो डिश है गालिब, जिसके वजह से जलेबी आजतक सीधा नहीं हुआ। नोट: ये शेर चचा गालिब का नहीं है। उनका नाम सिर्फ तुकबंदी के लिए उपयोग किया गया है। |
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12-10-2015, 08:44 PM | #36723 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
मित्रों ओवर आल — बीती ताही बिसार दे आगे की सुधी लेहु !! मौलिक और रोचक लेखन के लिए समय देने की जरूरत है !!
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12-10-2015, 09:25 PM | #36724 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
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12-10-2015, 10:02 PM | #36725 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
मौलिक लेखन क्या होता है ? २०२० सन तक बता देना और आज के समय समीक्षा की जाये तो १००० लोगों में से ३ लोग ही पसंद करते है ९९७ लोग रोचक लेखन खोजते है जो मनोरंजन और काम का हो (आज के लोग इतने ब्यस्त है की किसने लिखा कब लिखा क्यों लिखा ) से मतलब नही रखते
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बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है। |
13-10-2015, 10:51 PM | #36726 | |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
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और आपकी दूजी बात तो कोई मेटर कितना ही रोचक और काम का क्यों ना हो वो पहली बार के लिए ही होता है !! दूसरी बार सामने आता है तो वो कचरा ही साबित होता है !! यहां फोरम पर कहीं और से जुगाड़ा हुआ मेटर ऐसा ही कचरा साबित होता है !! इसी लिए मौलिक और रोचक दोनों बाते एक साथ कही है मेने ....!!!!! |
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13-10-2015, 11:06 PM | #36727 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
परस्पर विचार विमर्श हमारी योजना एवम् प्रगति का आधार होना चाहिए. यही रवि शर्मा जी के कथन और अरविंद शाह जी के उत्तर से स्पष्ट होता है. आप दोनों महानुभाव का हार्दिक धन्यवाद.
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14-10-2015, 10:58 AM | #36728 | |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
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बाकी सब की क्या राय है?
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14-10-2015, 05:26 PM | #36729 | |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
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नोट - ये वाली पोस्ट भी 100% मौलिक है। क्वालिटी आप लोग बताये, खाली क्वान्टिटी 1 है, जो कम है। |
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14-10-2015, 05:28 PM | #36730 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
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