17-09-2016, 09:02 PM | #1 |
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kidney ke bare me jankariyan
*क्या है किड़नी फेल्युअरi*
============ किड़नी फेल्युअर - किड़नी का ब्लड़ (खून) से यूरिन (पेशाब) को छानना या अलग करना बंद कर देती है। *कैसे होती है शुरुआत* जब लम्बे समय से किसी व्यक्ति की पेशाब में प्रोट्रीन सामान्य से अधिक जाता रहता है (पेशाब करते समय पेशाब में झाग बनना दिखायी दे) जिसके चलते उसे कमजोरी महसूस होना,कमर में दर्द बने रहना, बार-बार पेशाब आना, वजन का घटना, पैरों में सूजन आना जैसे लक्षण शुरुआत में दिखाई देते है। यही से वास्तविक किड़नी फेल्युअर बीमारी की शुरुआत हो जाती है। व्यक्ति इन सभी को अनदेखा कर सिर्फ ताकत या कमजोरी की दवा लेता रहता है इस तरह व्यक्ति 5-6 माह निकाल देता है जितनी तेजी या मात्रा से प्रोट्रीन निकलता है ठीक उतनी ही तेजी से रोग की तीव्रता बढ़ती है लम्बे समय से प्रोट्रीन लॉस (कमी) के चलते किड़नी की कार्य क्षमता कम होने लगती है जिसके चलते किड़नी में बदलाब आने लगते है जैसे पेशाब में क्रियटिनिन कम जाना या खून से क्रियटिनिन को अलग न कर पाना, जिसके चलते क्रियटिनिन खून में ही बने रहने लगता है जिससे सीरम में क्रियटिनिन की मात्रा बढ़ने लगती है लम्बे समय तक ऐसा होने से धीरे धीरे किड़नी का साइज भी घटने (कम) लगता है। नोट - लोग क्रियटिनिन के बढ़ने को किड़नी फेल्युअर का मुख्य कारण मानते है जो की पूर्णत: गलत है। दवाओं से या अन्य प्रकार से क्रियटिनिन कम करना किड़नी रोग का पूर्ण निदान नही है। अगर किड़नी को ठीक करना है तो उसके लिये प्रोट्रीन का जाना रोकना होगा जोकि स्थाई और सही समाधान है सिर्फ क्रियटिनन को कम करने से किड़नी कभी भी ठीक नहीं होगी यह एक कटु सत्य है। >>> Last edited by rajnish manga; 19-11-2016 at 03:08 PM. |
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