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Old 31-07-2015, 09:27 PM   #1
Rajat Vynar
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Default भजन—कीर्तन

रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम।
सीता राम सीता राम
भज प्यारे तू सीता राम।।
रघुपति...
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम
सबको सन्मति दे भगवान।।
रघुपति...
रात को निंदिया दिन तो काम
कभी भजोगे प्रभु का नाम।।
रघुपति...
करते रहिए अपने काम
लेते रहिए हरि का नाम।।
रघुपति राघव राजा राम
रघुपति राघव राजा राम।।
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Old 31-07-2015, 09:30 PM   #2
Rajat Vynar
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Default Re: भजन—कीर्तन

राम नाम, घनश्याम नाम,
शिव नाम सिमर दिन रात .
हरि नाम सिमर दिन रात ..

राम नाम घनश्याम नाम
शिव नाम सिमर दिन रात
हरि नाम सिमर दिन रात,
जनम सफल तू कर ले अपना,
जनम सफल तू कर ले अपना
मान ले मेरी बात,
हरि नाम सिमर दिन रात

राम नाम घनश्याम नाम
शिव नाम सिमर दिन रात
हरि नाम सिमर दिन रात

धन्य धन्य वो भूमि प्रभु ने
लिया जहाँ अवतार
धन्य है वो स्थान जहाँ प्रभु-
प्रेम का हो परचार (प्रचार)
धन्य है तीरथ जिनकी यात्रा
मुक्ति की है बात
हरि नाम सिमर दिन रात

राम नाम घनश्याम नाम
शिव नाम सिमर दिन रात
हरि नाम सिमर दिन रात

काम क्रोध मोह लोभ छोड़ कर
नाम प्रभु का गा ले
मानुष तन जो पाया उसका
सच्चा लाभ उठा ले
जीवन ये अनमोल तिहारा
पल पल बीतत जात
हरि नाम सिमर
राम नाम सिमर
शिव नाम सिमर दिन रात
हरि नाम सिमर दिन रात

राम नाम घनश्याम नाम
शिव नाम सिमर दिन रात
हरि नाम सिमर दिन रात

पांच पाण्डवों ने जिस पथ पे
किया महा प्रस्थान
उस पथ पे चले जो भी प्राणी
उसका हो कल्याण
भूल जा तू जग की सब बातें
भूल न पर ये बात

हरि नाम सिमर
राम नाम सिमर
शिव नाम सिमर दिन रात
हरि नाम सिमर दिन रात

राम नाम घनश्याम नाम
शिव नाम सिमर दिन रात
हरि नाम सिमर दिन रात
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Old 31-07-2015, 09:34 PM   #3
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Default Re: भजन—कीर्तन

प्रभु तेरो नाम
जो ध्याये फल पाये,
सुख लाये तेरो नाम
प्रभु तेरो नाम
जो ध्याये फल पाये,
सुख लाये तेरो नाम

तेरी दया हो जाये तो दाता
तेरी दया हो जाये तो दाता
जीवन धन मिल जाये, मिल जाये
मिल जाये, सुख लाये तेरो नाम
जो ध्याये फल पाये,
सुख दायी तेरो नाम

तू दानी तू अन्तरयामी
तू दानी
तू दानी तू अन्तरयामी
तेरी कृपा हो जाये तो स्वामी
हर बिगड़ी बन जाये
जीवन धन मिल जाये, मिल जाये
मिल जाये, सुख लाये तेरो नाम
जो ध्याये फल पाये,
सुख लाये तेरो नाम

बस जाये मोरा सूना अंगना
बस जाये
बस जाये मोरा सूना अंगना
खिल जाये मुरझाया सपना
जीवन में रस आये
जीवन धन मिल जाये, मिल जाये
मिल जाये, सुख लाये तेरो नाम

जो ध्याये फल पाये, सुख लाये तेरो नाम
जो ध्याये फल पाये, सुख लाये तेरो नाम
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Old 31-07-2015, 09:37 PM   #4
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Default Re: भजन—कीर्तन

राम से बड़ा राम का नाम ..

अंत में निकला ये परिणाम,
राम से बड़ा राम का नाम ..

सुमिरिये नाम रूप बिनु देखे,
कौड़ी लगे ना दाम .
नाम के बाँधे खिंचे आयेंगे,
आखिर एक दिन राम .
राम से बड़ा राम का नाम ..

जिस सागर को बिना सेतु के,
लाँघ सके ना राम .
कूद गये हनुमान उसी को,
लेकर राम का नाम .
राम से बड़ा राम का नाम ..

राम से बड़ा राम का नाम ....

बोलो राम, बोलो राम,
बोलो राम राम राम ....

जय जय राम, जय जय राम,
जय जय राम राम राम ....

राम से बड़ा राम का नाम ..
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Old 31-07-2015, 09:39 PM   #5
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जगन्मात जगदम्बे तेरे जयकारे ।

तू शक्ति भगवती भवानी ।
महिमामयी महामाया बखानी ।
विश्व रचे पाले संहारे ॥१॥

शांति करी मंगल सुख रूपा ।
तू वरदा है दिव्य अनूपा ।
शरणागत के काज संवारे ॥२॥

निज जन त्राण-परायण देवी ।
असुर हरि दुर्गा सुर सेवी ।
श्री लक्ष्मी जन तुझे पुकारे ॥३॥
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Old 31-07-2015, 09:43 PM   #6
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तू ढूँढता है जिसको, बस्ती में या कि बन में वो साँवरा सलोना रहता है, रहता है तेरे मन में ... मस्जिद में, मंदिरों में, पर्वत के कन्दरों में (२) नदियों के पानियों में, गहरे समंदरों में, लहरा रहा है वो ही (२), खुद अपने बाँकपन में वो साँवरा सलोना रहता है, रहता है तेरे मन में तू ढूँढता है ... हर ज़र्रे में रमा है, हर फूल में बसा है (२) हर चीज़ में उसी का जलवा झलक रहा है हरकत वो कर रहा है (२), हर इक के तन बदन में वो साँवरा सलोना रहता है, रहता है तेरे मन में तू ढूँढता है ... क्या खोया क्या था पाया, क्यूँ भाया क्यूँ न भाया क्यूँ सोचे जा रहा है, क्या पाया क्या न पाया सब छोड़ दे उसी पर (२), बस्ती में रहे कि बन में वो साँवरा सलोना रहता है, रहता है तेरे मन में तू ढूँढता है ...
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Old 26-08-2015, 06:01 PM   #7
soni pushpa
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Originally Posted by rajat vynar View Post
तू ढूँढता है जिसको, बस्ती में या कि बन में वो साँवरा सलोना रहता है, रहता है तेरे मन में ... मस्जिद में, मंदिरों में, पर्वत के कन्दरों में (२) नदियों के पानियों में, गहरे समंदरों में, लहरा रहा है वो ही (२), खुद अपने बाँकपन में वो साँवरा सलोना रहता है, रहता है तेरे मन में तू ढूँढता है ... हर ज़र्रे में रमा है, हर फूल में बसा है (२) हर चीज़ में उसी का जलवा झलक रहा है हरकत वो कर रहा है (२), हर इक के तन बदन में वो साँवरा सलोना रहता है, रहता है तेरे मन में तू ढूँढता है ... क्या खोया क्या था पाया, क्यूँ भाया क्यूँ न भाया क्यूँ सोचे जा रहा है, क्या पाया क्या न पाया सब छोड़ दे उसी पर (२), बस्ती में रहे कि बन में वो साँवरा सलोना रहता है, रहता है तेरे मन में तू ढूँढता है ...



भक्तिभाव से परिपूर्ण तीनो भजन बहुत अछे हैं रजत जी ... धन्यवाद
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