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08-12-2010, 12:34 PM | #1 |
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Re: व्याकरण
प्रयोग के आधार पर शब्द-भेद
प्रयोग के आधार पर शब्द के निम्नलिखित आठ भेद है- 1. संज्ञा 2. सर्वनाम 3. विशेषण 4. क्रिया 5. क्रिया-विशेषण 6. संबंधबोधक 7. समुच्चयबोधक 8. विस्मयादिबोधक इन उपर्युक्त आठ प्रकार के शब्दों को भी विकार की दृष्टि से दो भागों में बाँटा जा सकता है- 1. विकारी 2. अविकारी 1. विकारी शब्द जिन शब्दों का रूप-परिवर्तन होता रहता है वे विकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे-कुत्ता, कुत्ते, कुत्तों, मैं मुझे,हमें अच्छा, अच्छे खाता है, खाती है, खाते हैं। इनमें संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया विकारी शब्द हैं। 2. अविकारी शब्द जिन शब्दों के रूप में कभी कोई परिवर्तन नहीं होता है वे अविकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे-यहाँ, किन्तु, नित्य, और, हे अरे आदि। इनमें क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक आदि हैं। |
08-12-2010, 12:34 PM | #2 |
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Re: व्याकरण
अर्थ की दृष्टि से शब्द-भेद
अर्थ की दृष्टि से शब्द के दो भेद हैं- 1. सार्थक 2. निरर्थक 1. सार्थक शब्द जिन शब्दों का कुछ-न-कुछ अर्थ हो वे शब्द सार्थक शब्द कहलाते हैं। जैसे-रोटी, पानी, ममता, डंडा आदि। 2. निरर्थक शब्द जिन शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता है वे शब्द निरर्थक कहलाते हैं। जैसे-रोटी-वोटी, पानी-वानी, डंडा-वंडा इनमें वोटी, वानी, वंडा आदि निरर्थक शब्द हैं। विशेष- निरर्थक शब्दों पर व्याकरण में कोई विचार नहीं किया जाता है। |
08-12-2010, 12:36 PM | #3 |
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Re: व्याकरण
अध्याय 4
पद-विचार सार्थक वर्ण-समूह शब्द कहलाता है, पर जब इसका प्रयोग वाक्य में होता है तो वह स्वतंत्र नहीं रहता बल्कि व्याकरण के नियमों में बँध जाता है और प्रायः इसका रूप भी बदल जाता है। जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे शब्द न कहकर पद कहा जाता है। हिन्दी में पद पाँच प्रकार के होते हैं- 1. संज्ञा 2. सर्वनाम 3. विशेषण 4. क्रिया 5. अव्यय 1. संज्ञा किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु आदि तथा नाम के गुण, धर्म, स्वभाव का बोध कराने वाले शब्द संज्ञा कहलाते हैं। जैसे-श्याम, आम, मिठास, हाथी आदि। संज्ञा के प्रकार- संज्ञा के तीन भेद हैं- 1. व्यक्तिवाचक संज्ञा। 2. जातिवाचक संज्ञा। 3. भाववाचक संज्ञा। 1. व्यक्तिवाचक संज्ञा जिस संज्ञा शब्द से किसी विशेष, व्यक्ति, प्राणी, वस्तु अथवा स्थान का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-जयप्रकाश नारायण, श्रीकृष्ण, रामायण, ताजमहल, कुतुबमीनार, लालकिला हिमालय आदि। |
08-12-2010, 12:37 PM | #4 |
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Re: व्याकरण
2. जातिवाचक संज्ञा
जिस संज्ञा शब्द से उसकी संपूर्ण जाति का बोध हो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-मनुष्य, नदी, नगर, पर्वत, पशु, पक्षी, लड़का, कुत्ता, गाय, घोड़ा, भैंस, बकरी, नारी, गाँव आदि। 3. भाववाचक संज्ञा जिस संज्ञा शब्द से पदार्थों की अवस्था, गुण-दोष, धर्म आदि का बोध हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-बुढ़ापा, मिठास, बचपन, मोटापा, चढ़ाई, थकावट आदि। विशेष वक्तव्य- कुछ विद्वान अंग्रेजी व्याकरण के प्रभाव के कारण संज्ञा शब्द के दो भेद और बतलाते हैं- 1. समुदायवाचक संज्ञा। 2. द्रव्यवाचक संज्ञा। 1. समुदायवाचक संज्ञा जिन संज्ञा शब्दों से व्यक्तियों, वस्तुओं आदि के समूह का बोध हो उन्हें समुदायवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-सभा, कक्षा, सेना, भीड़, पुस्तकालय दल आदि। 2. द्रव्यवाचक संज्ञा जिन संज्ञा-शब्दों से किसी धातु, द्रव्य आदि पदार्थों का बोध हो उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-घी, तेल, सोना, चाँदी,पीतल, चावल, गेहूँ, कोयला, लोहा आदि। इस प्रकार संज्ञा के पाँच भेद हो गए, किन्तु अनेक विद्वान समुदायवाचक और द्रव्यवाचक संज्ञाओं को जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत ही मानते हैं, और यही उचित भी प्रतीत होता है। भाववाचक संज्ञा बनाना- भाववाचक संज्ञाएँ चार प्रकार के शब्दों से बनती हैं। जैसे- 1. जातिवाचक संज्ञाओं से दास दासता पंडित पांडित्य बंधु बंधुत्व क्षत्रिय क्षत्रियत्व पुरुष पुरुषत्व प्रभु प्रभुता पशु पशुता,पशुत्व ब्राह्मण ब्राह्मणत्व मित्र मित्रता बालक बालकपन बच्चा बचपन नारी नारीत्व |
08-12-2010, 12:39 PM | #5 |
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Re: व्याकरण
2. सर्वनाम से
अपना अपनापन, अपनत्व निज निजत्व,निजता पराया परायापन स्व स्वत्व सर्व सर्वस्व अहं अहंकार मम ममत्व,ममता 3. विशेषण से मीठा मिठास चतुर चातुर्य, चतुराई मधुर माधुर्य सुंदर सौंदर्य, सुंदरता निर्बल निर्बलता सफेद सफेदी हरा हरियाली सफल सफलता प्रवीण प्रवीणता मैला मैल निपुण निपुणता खट्टा खटास 4. क्रिया से खेलना खेल थकना थकावट लिखना लेख, लिखाई हँसना हँसी लेना-देना लेन-देन पढ़ना पढ़ाई मिलना मेल चढ़ना चढ़ाई मुसकाना मुसकान कमाना कमाई उतरना उतराई उड़ना उड़ान रहना-सहना रहन-सहन देखना-भालना देख-भाल |
08-12-2010, 12:41 PM | #6 |
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Re: व्याकरण
पुल्लिंग की पहचान
1. आ, आव, पा, पन न ये प्रत्यय जिन शब्दों के अंत में हों वे प्रायः पुल्लिंग होते हैं। जैसे- मोटा, चढ़ाव, बुढ़ापा, लड़कपन लेन-देन। 2. पर्वत, मास, वार और कुछ ग्रहों के नाम पुल्लिंग होते हैं जैसे-विंध्याचल, हिमालय, वैशाख, सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, राहु, केतु (ग्रह)। 3. पेड़ों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे-पीपल, नीम, आम, शीशम, सागौन, जामुन, बरगद आदि। 4. अनाजों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे-बाजरा, गेहूँ, चावल, चना, मटर, जौ, उड़द आदि। 5. द्रव पदार्थों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे-पानी, सोना, ताँबा, लोहा, घी, तेल आदि। 6. रत्नों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे-हीरा, पन्ना, मूँगा, मोती माणिक आदि। 7. देह के अवयवों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे-सिर, मस्तक, दाँत, मुख, कान, गला, हाथ, पाँव, होंठ, तालु, नख, रोम आदि। 8. जल, स्थान और भूमंडल के भागों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे-समुद्र, भारत, देश, नगर, द्वीप, आकाश, पाताल, घर, सरोवर आदि। 9. वर्णमाला के अनेक अक्षरों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे-अ,उ,ए,ओ,क,ख,ग,घ, च,छ,य,र,ल,व,श आदि। स्त्रीलिंग की पहचान 1. जिन संज्ञा शब्दों के अंत में ख होते है, वे स्त्रीलिंग कहलाते हैं। जैसे-ईख, भूख, चोख, राख, कोख, लाख, देखरेख आदि। 2. जिन भाववाचक संज्ञाओं के अंत में ट, वट, या हट होता है, वे स्त्रीलिंग कहलाती हैं। जैसे-झंझट, आहट, चिकनाहट, बनावट, सजावट आदि। 3. अनुस्वारांत, ईकारांत, ऊकारांत, तकारांत, सकारांत संज्ञाएँ स्त्रीलिंग कहलाती है। जैसे-रोटी, टोपी, नदी, चिट्ठी, उदासी, रात, बात, छत, भीत, लू, बालू, दारू, सरसों, खड़ाऊँ, प्यास, वास, साँस आदि। 4. भाषा, बोली और लिपियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे-हिन्दी, संस्कृत, देवनागरी, पहाड़ी, तेलुगु पंजाबी गुरुमुखी। 5. जिन शब्दों के अंत में इया आता है वे स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे-कुटिया, खटिया, चिड़िया आदि। 6. नदियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे-गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती आदि। 7. तारीखों और तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे-पहली, दूसरी, प्रतिपदा, पूर्णिमा आदि। 8. पृथ्वी ग्रह स्त्रीलिंग होते हैं। 9. नक्षत्रों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे-अश्विनी, भरणी, रोहिणी आदि। |
08-12-2010, 12:52 PM | #10 |
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Re: व्याकरण
अध्याय 6
वचन परिभाषा-शब्द के जिस रूप से उसके एक अथवा अनेक होने का बोध हो उसे वचन कहते हैं। हिन्दी में वचन दो होते हैं- 1. एकवचन 2. बहुवचन एकवचन शब्द के जिस रूप से एक ही वस्तु का बोध हो, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे-लड़का, गाय, सिपाही, बच्चा, कपड़ा, माता, माला, पुस्तक, स्त्री, टोपी बंदर, मोर आदि। बहुवचन शब्द के जिस रूप से अनेकता का बोध हो उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे-लड़के, गायें, कपड़े, टोपियाँ, मालाएँ, माताएँ, पुस्तकें, वधुएँ, गुरुजन, रोटियाँ, स्त्रियाँ, लताएँ, बेटे आदि। एकवचन के स्थान पर बहुवचन का प्रयोग (क) आदर के लिए भी बहुवचन का प्रयोग होता है। जैसे- (1) भीष्म पितामह तो ब्रह्मचारी थे। (2) गुरुजी आज नहीं आये। (3) शिवाजी सच्चे वीर थे। (ख) बड़प्पन दर्शाने के लिए कुछ लोग वह के स्थान पर वे और मैं के स्थान हम का प्रयोग करते हैं जैसे- (1) मालिक ने कर्मचारी से कहा, हम मीटिंग में जा रहे हैं। (2) आज गुरुजी आए तो वे प्रसन्न दिखाई दे रहे थे। (ग) केश, रोम, अश्रु, प्राण, दर्शन, लोग, दर्शक, समाचार, दाम, होश, भाग्य आदि ऐसे शब्द हैं जिनका प्रयोग बहुधा बहुवचन में ही होता है। जैसे- (1) तुम्हारे केश बड़े सुन्दर हैं। (2) लोग कहते हैं। बहुवचन के स्थान पर एकवचन का प्रयोग (क) तू एकवचन है जिसका बहुवचन है तुम किन्तु सभ्य लोग आजकल लोक-व्यवहार में एकवचन के लिए तुम का ही प्रयोग करते हैं जैसे- (1) मित्र, तुम कब आए। (2) क्या तुमने खाना खा लिया। (ख) वर्ग, वृंद, दल, गण, जाति आदि शब्द अनेकता को प्रकट करने वाले हैं, किन्तु इनका व्यवहार एकवचन के समान होता है। जैसे- (1) सैनिक दल शत्रु का दमन कर रहा है। (2) स्त्री जाति संघर्ष कर रही है। (ग) जातिवाचक शब्दों का प्रयोग एकवचन में किया जा सकता है। जैसे- (1) सोना बहुमूल्य वस्तु है। (2) मुंबई का आम स्वादिष्ट होता है। बहुवचन बनाने के नियम (1) अकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के अंतिम अ को एँ कर देने से शब्द बहुवचन में बदल जाते हैं। जैसे- |
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