My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 15-06-2022, 04:27 PM   #1
आकाश महेशपुरी
Diligent Member
 
आकाश महेशपुरी's Avatar
 
Join Date: May 2013
Location: कुशीनगर, यू पी
Posts: 918
Rep Power: 23
आकाश महेशपुरी has much to be proud ofआकाश महेशपुरी has much to be proud ofआकाश महेशपुरी has much to be proud ofआकाश महेशपुरी has much to be proud ofआकाश महेशपुरी has much to be proud ofआकाश महेशपुरी has much to be proud ofआकाश महेशपुरी has much to be proud ofआकाश महेशपुरी has much to be proud ofआकाश महेशपुरी has much to be proud of
Send a message via AIM to आकाश महेशपुरी
Default लिट्टी छोला (संस्मरण)

लिट्टी छोला (संस्मरण)

पडरौना के एगो कवि सम्मेलन से हम आ हमार कवि मित्र अवधकिशोर अवधू जी लवटल रहनी जाँ। हमनी के भूख तऽ ना रहे बाकिर कवनो चटपटा व्यंजन के खूशबू जब नाक के जरिये मस्तिष्क में पहुँचल तऽ मन आ जीभ दूनू चटपटाये लागल। अवधू जी कहनी कि 'ये आकाश जी! चलीं कहीं लिट्टी छोला खाइल जा!' हम कहनी 'रउवा से हमहूँ इहे कहल चाहत रहनी हईं।' हम मोटरसाइकिल एगो लिट्टी चोखा के दोकान के सामने रोक दिहनी। दूनू जाने दोकान में जा के देखनी जाँ तऽ लिट्टी ठंड्हा गइल रहे। अवधू जी कहनी कि 'रुकीं हम दोसर दोकान देख के आवत बानी।' कुछ देर बाद ऊहाँ के एगो दोकान देख के अइनी आ कहनी कि 'चलीं होइजा खाइल जा। काहें कि ओइजा बड़ी भीड़ बा, लोग खाये खातिर तारा-उपरी चढ़ल बा। जरूर बहुते स्वादिष्ट लिट्टी छोला खिआवत होई।'
दूनू जाने वो दोकान पर पहुँच गइनी जाँ बाकिर अन्दर बइठे के तनिको जगहि ना रहे। खाये खातिर अपना बारी के लोग इन्तजार करत रहे, हमनियो के पन्दरे बीस मिनट खड़ा रहेके परल। येह दौरान हमनी के जीव एकदमे चटपटा गइल रहे। आखिरकार जब अवधू जी कई बार कहनी कि 'हमनी के एकहन पलेट दे दऽ हमनी के येहिजा खड़े खड़े खा लेब जाँ।' तब जा के कुछ देर बाद हमनी के नसीब में लिट्टी छोला आइल, बाकिर अफसोस कि पहिला चम्मच मुँह में डालते बेहतरीन स्वाद के कल्पना धराशायी हो गइल। छोला में येतना तेल मसाला आ मरिचा रहे कि पूरा मुँह भाम्हाये लागल। अब पछतइला से का होइत, कवनो तरे सुसकार सुसकार के सधवनी जाँ आ मजबूरी में आरो के बोतल में रखल बदबूदार पानी पिअनी जाँ। अइसन हतेयार छोला रहे कि मुँह से ले के पेट तक ले धँधोर फूँकि दिहलस। अवधू जी दोकानदार के पइसा तऽ दे दिहनी, बाकिर हमरा मन में एके गो सवाल गूँजत रहे कि जब येइजा के छोला कवनो गत के नइखे तऽ आखिर येतना भीड़ काहें बा? जब बरदास ना भइल तऽ हम दोकानदार से पुछिये दिहनी कि 'तहरी दोकान पर येतना भीड़ काहें बा भाई!' जवाब मिलल- 'ई सब बुलडोजर बाबा के आशिर्वाद हवे। जहिया से मेन रोड के दूनू बगल के खाये पिये वाला दोकान तुराइल बाड़ी सन तहिये से हमनी के बिक्री कई गुना बढ़ गइल बा।'

संस्मरण- आकाश महेशपुरी
दिनांक- 05/06/2022

Last edited by आकाश महेशपुरी; 15-06-2022 at 11:20 PM.
आकाश महेशपुरी is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Thread Tools
Display Modes

Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 11:38 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.