My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Miscellaneous > Healthy Body
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Closed Thread
 
Thread Tools Display Modes
Old 29-06-2013, 12:07 PM   #121
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

  • कच्चे दूध में रूई का फाहा भिगोकर चेहरा साफ़ करने से कील मुहाँसे और झाँई दूर होकर त्वचा स्वस्थ बनती है।
  • हल्दी और चंदन का चूर्ण दूध में भिगोकर चेहरे पर लगाने से थकी और मुरझाई त्वचा स्वस्थ होती है।
  • तरबूज़ के रस को चेहरे पर लगाएँ और सूख जाने पर धो दें। इससे दाग धब्बे दूर होते हैं तथा त्वचा साफ़ होकर निखर जाती है।
  • मसूर की दाल और दूध के उबटन में घी मिलाकर शरीर पर लगाने से त्वचा नर्म और चमकदार बन जाती है।
VARSHNEY.009 is offline  
Old 29-06-2013, 12:08 PM   #122
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

  • छह चम्मच पेट्रोलियम जेली, दो चम्मच ग्लीसरीन और दो चम्मच नीबू के रस को मिलाकर फ्रिज में एक जार में रख दें। सप्ताह में दो बार हाथ पैर में इसकी मालिश करने से रूखी त्वचा को आराम मिलता है।
  • मेथी की पत्तियों का लेप बनाकर चेहरे पर लगाने से कील मुँहासे और झाँई दूर हो जाते हैं।
  • त्वचा का रूखापन दूर करने के लिये जैतून का तेल, दूध और शहद बराबर मात्र में मिलाकर चेहरे पर लगाएँ और २० मिनट बाद गुनगुने पानी से धो दे।
  • चेहरे, हाथों और पैरों पर थोड़ा सा एरंड तैल (कैस्टर ऑयल) लगा कर हल्की मालिश करने से झुर्रियाँ दूर होती हैं।
VARSHNEY.009 is offline  
Old 29-06-2013, 12:08 PM   #123
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

  • सख्त नींबू या संतरे को अगर गरम पानी में कुछ देर के लिए रख दिया जाये तो उसमें से आसानी से अधिक रस निकाला जा सकता है।
  • आलू उबालते समय पानी में थोड़ा-सा नमक मिला दें तो आलू फटेंगे नहीं और आसानी से छिल जाएँगे।
  • करेले और अरबी को बनाने से पहले काटकर नमक के पानी में भिगो दें। करेले की कड़वाहट और अरबी की चिकनाहट निकल जाएगी।
  • मेथी के साग की कड़वाहट हटाने के लिये उसे काटें, नमक मिलाकर, थोड़ी देर के लिये अलग रखें और दबाकर थोड़ा रस निकाल दें।
  • फूलगोभी की सब्जी में एक छोटा चम्मच दूध या सिरका डालें तो फूलगोभी का सफ़ेद रंग पीला नहीं पड़ेगा।
  • हरी मिर्च को फ्रिज में अधिक दिनों तक ताज़ा रखने के लिए उसके डंठल तोड़कर हवाबंद डिब्बे में रखें।
  • आलू और प्याज को एक ही टोकरी में एक साथ न रखें। ऐसा करने से आलू जल्दी खराब हो जाते हैं।
  • यदि दूध फटने की संभावना हो, तो थोड़ा बेकिंग पाउडर डालकर उबालें, दूध नहीं फटेगा।
  • आटा गूँधते समय पानी के साथ थोड़ा दूध मिला दें तो रोटी या पराठे अधिक नर्म और स्वादिष्ट बनते हैं।
  • बेसन, नीबू, हल्दी और नारियल के तेल को मिलाकर बनाए गए लेप से होली के रंग आसानी से छूटते हैं और त्वचा भी स्वस्थ रहती है।
  • पालक को पकाते समय उसमें एक चुटकी चीनी मिला दी जाए तो उसका रंग और स्वाद दोनों बढ़ जाते हैं।
  • एक छोटे चम्मच शक्कर को भूरा होने तक गरम करके केक के मिश्रण में मिला देने पर केक का रंग और स्वाद बढ़ जाता है।
  • स्वादिष्ट शोरबा बनाने के लिए प्याज, लहसुन, अदरक, पोस्ता और दो-चार दाने भुने हुए बादाम महीन पीसें और मसाले के साथ भूनें।
  • बादाम का छिलका आसानी से उतारने के लिए उसे १५-२० मिनट के लिए गरम पानी में भिगो दें।
  • बर्तन से खाना जलने की महक और चिपकन छुड़ाने के लिए उसमें कटे प्याज और उबला पानी डालकर पाँच मिनट तक रखें। बर्तन आसानी से साफ हो जाएगा।
  • कच्चे नारियल की बर्फी को जल्दी और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए ताज़े दूध के स्थान पर मिल्क पाउडर का प्रयोग करें।
  • पुराने पापड़ के छोटे टुकड़े करें, पानी में उबालें, छानें, राई का छौंक लगाकर टमाटर और दही मसाले के साथ स्वादिष्ट सब्जी बनाएँ।
  • दही खट्टा हो तो उसमें दो प्याले ठंडा पानी डालें, आधे घंटे बाद धीरे धीरे पानी गिरा दें खटास निकल जाएगी।
  • मिर्च के डिब्बे में थोड़ी सी हींग डाल दें तो मिर्च लम्बे समय तक ख़राब नही होगी।
  • चीनी के डिब्बे में ५-६ लौंग डाल दी जायें तो उसमें चींटिया नही आयेंगी।
  • कढ़ी में दही मिलाने से पहले उसमें थोड़ा बेसन डालकर फेंट लें। इससे कढ़ी नरम बनेगी दही के दाने दिखाई नहीं देंगे।
  • नूडल्स का चिपचिपापन दूर करने के लिए उबालते समय उसमें थोड़ा सा तेल डालें और उबालने के बाद ठंडा पानी।
  • अंडे को उबालने से पहले उसमें पिन से एक छेद कर दें। इसके छिलके आसानी से उतर जाएँगे।
  • नारियल की छिलका आराम से निकालने के लिए छिलका निकालने से पहले उसे आधे घंटे तक पानी में डालकर रखें।
  • अंडे की ताज़गी की पहचान के लिए उसे नमक मिले ठंडे पानी में रखें। यदि डूब जाए तो ताज़ा है और यदि ऊपर आ जाए तो पुराना।
  • बची हुई इडली और डोसे के घोल को अधिक देर तक ताज़ा रखने के लिए उस पर पान का एक पत्ता रख दें।
  • आलू की कचौड़ी बनाते समय मसाले में थोड़ा बेसन भूनकर डाल दें। इससे कचौड़ी को बेलना आसान होता है और स्वाद भी बढ़ता है।
  • पनीर को नर्म रखने के लिए उसे तलने के बाद गरम पानी में डालें। इसके बाद ही उसे सब्ज़ी में मिलाएँ और हल्का पकाएँ।
  • उबले अंडों को आसानी से सफ़ाई के साथ छीलने के लिए उन्हें उबलने के बाद पाँच मिनट के लिए ठंडे पानी में डाल दें।
  • चना, मटर जैसे चीज जल्दी गलाने के लिए उबालतले समय पानी में नमक और रिफाइड तेल की कुछ बूंदे डाल दें।
  • स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मेहमानों के स्वागत के लिए तिरंगी बर्फी और तिरंगे सैंडविच से बेहतर और कुछ नहीं।
  • पालक पनीर बनाने से पहले पालक की पत्तियों को एक चम्मच चीनी वाले पानी में आधे घंटे तक भिगोकर रखें, अधिक स्वादिष्ट बनेगा।
  • अगर आलू को छीलकर काटें और पानी में एक चम्मच सिरका डालकर उबालें तो आलू अपेक्षाकृत जल्दी उबलेंगे और टूटेंगे नहीं।
  • केले, बैंगन या आलू काटकर तुरंत पानी में रख दें, फिर चाहें जितनी देर बाद पकाएँ वे काले नहीं पड़ेंगे, न उनका स्वाद खराब होगा।
  • तरबूज़ के छिलके सुखाकर पीस लें। ये पाउडर सोडा बाई कार्ब की जगह प्रयोग किया जा सकता है।
  • संतरे का सूखा छिलका सुखाकर डिब्बे में बंद करके रखें। सुगंधित चाय बनाने के लिए चाय का पानी उबालते समय थोड़ा सा डाल दें।
  • पनीर को तलने के बाद यदि तुरंत उबलते नमकीन पानी या सब्ज़ी के शोरबे में डाल दिया जाय तो वह अधिक नर्म और स्पंजी होता है।
  • धनिये और पुदीने की चटनी को पीसने के बाद उसमें दो तीन चम्मच दही मिला दिया जाए तो वह अधिक स्वादिष्ट बनती है।
  • दीपावली सुझाव--मिट्टी के दीये अच्छी तरह जलें और तेल अधिक न सोखें इसके लिए उन्हें तीन घंटे तक पानी में भिगोने के बाद सुखाकर प्रयोग करें।
  • पराठे के आटे में मोयन के लिए एक चम्मच तेल के स्थान पर दो बड़े चम्मच दही डालने से पराठे अधिक नर्म व स्वादिष्ट बनते हैं।
  • जमाने से पहले अगर दूध में पिसी हुई बड़ी इलायची और केसर डालकर दो तीन उबाल दिए जाएँ तो ऐसा दही खाने से सर्दी नहीं होती।
  • व्यंजन के उबलते ही गैस को धीमा करने और जहाँ तक संभव हो छोटे बर्नर के प्रयोग से ईंधन की बचत की जा सकती है।
  • दोसे के घोल में एक चम्मच चीनी मिला देने से दोसे अधिक कुरकुरे, गहरे सुनहरे और ज्यादा स्वादिष्ट बनते हैं।
  • सूजी को हल्का भूनने के बाद ठंडा कर के हवाबंद डिब्बों में रख दिया जाए तो उसमें कीड़े नहीं लगते।
  • पूरी का आटा माड़ते समय पानी के साथ थोड़ा दूध मिला दिया जाए तो पूरियाँ नर्म और अगर घी या तेल मिला दिया जाए तो कुरकुरी बनती हैं।
  • जले हुए बर्तन को आसानी से साफ़ करने के लिए उसमें एक प्याला पानी, एक बूँद बर्तन धोने वाले साबुन के साथ उबालें, फिर धोएँ।
  • केक की ५०० ग्राम आइसिंग में अगर एक चाय का चम्मच ग्लीसरीन मिला दी जाय तो आइसिंग सूखती नहीं और देर तक ताज़ी रहती है।
  • बेसन को प्लास्टिक के थैले में रबरबैंड से मुँह बंद कर के फ्रिज में रखें तो बहुत दिनों तक ताज़ा रहेगा और उसमें कीड़े भी नहीं पड़ेंगे।
VARSHNEY.009 is offline  
Old 29-06-2013, 12:15 PM   #124
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

  • टमाटर की लुगदी को चेहरे पर लगाकर लगभग बीस मिनट बाद धो देने से मुँहासे व अन्य धब्बे दूर होते है।
  • बालों से रूसी दूर करने और उन्हें चमकदार बनाने के लिए १ एक नीबू का रस बालों में माँग बनाकर लगाएँ और दस मिनट बाद धो दें।
  • रात में सोने से पहले नाभि में तीन बूँद जैतून का तेल डालें तो सर्दियों में ओंठ नहीं फटते और सामान्य त्वचा भी स्वस्थ होती है।
  • रोज़ रात में सोने से पहले आँखों में एक-एक बूँद गुलाबजल डालने से आँखें स्वस्थ और सुंदर बनी रहती हैं।
फरवरी २०१०
  • एक गिलास पानी में एक चाय का चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन बिना मुँह धोए पीने से पेट साफ होता है और चेहरे पर निखार आता है।
  • तैलीय त्वचा से मुक्ति के लिए एक बड़ा चम्मच बेसन, एक छोटा चम्मच गुलाबजल, और चुटकी भर हल्दी में आधा नीबू मिलाकर बनाए गए लेप को चेहरे पर बीस मिनट तक लगाएँ और सादे पानी से धो दें।
  • चाय के पानी में चुकंदर का रस मिलाकर ओंठों पर लगाने से उनका रंग गुलाबी होता है और वे फटते नहीं।
  • १० लीटर पानी में दो बड़े चम्मच गुलाबजल मिलाकर नहाने से त्वचा स्वस्थ और सुंदर बनती है।
मार्च २०१०
  • होली खेलने से पहले बालों में अगर तेल लगा लिया जाए और चेहरे पर क्रीम तो होली का रंग आसानी से छूट जाता है।
  • एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नीबू और दो चम्मच शहद मिलाकर रोज़ सुबह खाली पेट पीने से पेट ठीक रहता है, रक्त शुद्ध होता है और चेहरे पर निखार आता है।
  • टमाटर के रस को मट्ठे में मिलाकर लगाने से धूप में जली हुई त्वचा को आराम मिलता है और वह जल्दी स्वस्थ हो जाती है।
  • पिसी हुई दो बड़े चम्मच मसूर की दाल में चुटकी भर हल्दी और दस बूँद नीबू मिलाकर दूध में बनाया गया उबटन चेहरे पर लगाने से मुहाँसे और उसके दाग दूर होते हैं।
  • एक बाल्टी पानी में चुटकी भर पिसी हुई फिटकरी मिलाकर नहाएँ तो त्वचा से पसीने की गंध दूर रहती है।
अप्रैल २०१०
  • रोज़ दोपहर में खाने के साथ एक गाजर सलाद की तरह कच्ची खाने से आँखों के चारों और पड़े काले निशान दूर हो जाते हैं।
  • कच्चे आलू को पीसकर चेहर पर दस मिनट तक लगाएँ और फिर सादे पानी से धो दें। इससे हर प्रकार के दाग धब्बे और झांईं दूर हो कर त्वचा पर निखार आता है।
  • टमाटर के गूदे में मट्ठा मिलाकर लगाने से धूप से जली हुई त्वचा को आराम मिलता है और वह जल्दी स्वस्थ हो जाती है।
  • एक गिलास पानी में दो चम्मच चाय डालकर अच्छी तरह उबालें और छानकर ठंडा होने के बाद फ्रिज में रखें। धूप में बाहर निकलने पहले चेहरे और हाथों-पैरों में यह पानी लगा लेने से त्वचा झुलसेगी नहीं।
मई २०१०
  • गेंदे और गुलाब की पंखुड़ियाँ व नीम की पत्तियों को एक कटोरी पानी में उबालकर चेहरे पर लगाने से मुहाँसे दूर होते हैं।
  • प्रतिदिन एक बाल्टी पानी (दस लीटर) में दो बड़े चम्मच गुलाबजल मिलाकर नहाने से त्वचा स्वस्थ व सुंदर होती है।
  • नारियल के तेल में नीबू का रस मिलाकर सिर में लगाएँ और एक घंटे बाद धो दें। इससे सिर की खुश्की को आराम मिलता है।
  • तुलसी के पत्तों का रस निकाल कर उसमें बराबर मात्रा मे नीबू का रस मिला कर चेहरे पर लगाने से झाईं दूर होती है।
  • दो चम्मच सोयाबीन का आटा, एक बड़ा चम्मच दही व शहद मिलाकर बनाए गए लेप को चेहर पर लगाने से झुर्रियाँ कम होती हैं।
जून २०१०
  • प्रतिदिन नाखूनों पर जैतून के तेल की हल्की मालिश करने से नाखूनों का टूटना रुक जाता है।
  • आँखों के काले घेरों से छुटकारा पाने के लिए मिल्क पाउडर में नीबू का रस मिलाकर आँखों के चारों ओर हल्की मालिश करें।
  • कमल की पत्तियों को पीस कर झुलसी त्वचा पर लगाने से त्वचा की जलन दूर होती है और झुलसने का निशान भी चला जाता है।
  • उड़द की छिलके वाली दाल को उबालकर उसके पानी से बाल धोने पर वे सुंदर और आकर्षक दिखाई देते हैं।
जुलाई २०१०
  • एक एक-एक चम्मच ग्लिसरीन, गुलाबजल और नींबू का रस मिलाकर हाथों से मलें और सूख जाने पर धो दें। इससे सख्त हाथ मुलायम हो जाएँगे।
  • उँगलियों पर ज़रा-सा बादाम या जैतून का तेल लेकर नियमित रूप से भौंहों और बरौनियों पर लगाने से वे घनी और चमकदार बन जाती हैं।
  • बालों में चमक लाने के लिए १ प्याला पानी मे ३ बडे चम्मच सफेद सिरका मिलाकर लगाएँ और १५ मिनट बाद धो दें।
  • आँखों के पास गहरे घेरों और सूजन के लिए खीरे के पतले टुकड़ों को आँखों पर रखकर बीस मिनट आराम करें, फिर चेहरा धो दें।
अगस्त २०१०
  • मुहाँसों से मुक्ति पाने के लिये चुटकी भर कपूर में पुदीने और तुलसी की पत्तियों का रस मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएँ।
  • कोमल हाथों के लिये तून के तेल से हाथों की मालिश करें, फिर इन्हें दो से पाँच मिनट तक नमक मिले पानी में भिगोकर रखें।
  • सुंदर चेहरे के लिये बदाम, गुलाब के फूल, चिरौंजी और पिसा जायफल रात को दूध में भिगोएँ और सुबह पीसकर मुख पर लगाएँ।
  • नारियल को कसकर निकाले गए ताज़े दूध को चेहरे पर लगाने से त्वचा स्वस्थ व आकर्षक बनती है।
  • बराबर मात्रा में गाजर और खीरे का एक गिलास रस नियमित रूप से लेने पर बाल, नाखून और त्वचा स्वस्थ रहते हैं।
सितंबर २०१०
  • कच्चे दूध में रूई का फाहा भिगोकर चेहरा साफ़ करने से कील मुहाँसे और झाँई दूर होकर त्वचा स्वस्थ बनती है।
  • हल्दी और चंदन का चूर्ण दूध में भिगोकर चेहरे पर लगाने से थकी और मुरझाई त्वचा स्वस्थ होती है।
  • तरबूज़ के रस को चेहरे पर लगाएँ और सूख जाने पर धो दें। इससे दाग धब्बे दूर होते हैं तथा त्वचा साफ़ होकर निखर जाती है।
  • मसूर की दाल और दूध के उबटन में घी मिलाकर शरीर पर लगाने से त्वचा नर्म और चमकदार बन जाती है।
अक्तूबर २०१०
  • छह चम्मच पेट्रोलियम जेली, दो चम्मच ग्लीसरीन और दो चम्मच नीबू के रस को मिलाकर फ्रिज में एक जार में रख दें। सप्ताह में दो बार हाथ पैर में इसकी मालिश करने से रूखी त्वचा को आराम मिलता है।
  • मेथी की पत्तियों का लेप बनाकर चेहरे पर लगाने से कील मुँहासे और झाँई दूर हो जाते हैं।
  • त्वचा का रूखापन दूर करने के लिये जैतून का तेल, दूध और शहद बराबर मात्र में मिलाकर चेहरे पर लगाएँ और २० मिनट बाद गुनगुने पानी से धो दे।
  • चेहरे, हाथों और पैरों पर थोड़ा सा एरंड तैल (कैस्टर ऑयल) लगा कर हल्की मालिश करने से झुर्रियाँ दूर होती हैं।
VARSHNEY.009 is offline  
Old 29-06-2013, 12:16 PM   #125
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

बाएँ से दाएँ १. प्रभाव में आया हुआ (४) ३. समय की छूट (४) ६. किले की चार दीवारी (३) ७. समानार्थक (५) ८. प्रतिष्ठा (२) ९. साधु (२) १०. लीपना पोतना (३) १३. राजा (४) १५. दूल्हा (२) १७. मस्सा (२) १८. कुरूप एवं कुविचार वाली स्त्री (४) २०. जिससे मिलकर शब्द बनते हैं (३) २२. मीठा पेय (४) २३. तहत, के आधीन (५) 1 १ २
३ ४ ५









१० ११ १२
१३ १४
१५
१६


१७

१८ १९
२० २१

२२
२३ ऊपर से नीचे- १. तेजस्वी (५) २. इंद्रिय सुख (३) ३. जूता सीने वाला (२) ४. प्रति (२) ५. गर्मी, सूर्य (३) ६. पुरातन (३) ८. धूप (३) ९. समझौता (२) ११. वर्षा ऋतु (३) १२. ऊँगली का एक भाग (२) १४. तिलक लगा कर उत्तराधिकारी निश्चित करना (५) १६. चोटी (३) १७. शिव (३) १९. नाई (३) २०. वर्तमान में, तत्काल बाद (२) २१. घायल (२
VARSHNEY.009 is offline  
Old 02-07-2013, 10:27 AM   #126
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

अच्छे स्वास्थ्य का आधार अंकुरित आहार
  • अंकुरित दानों का सेवन केवल सुबह नाश्ते के समय ही करना चाहिये।
  • अंकुरित आहार शरीर को नवजीवन देने वाला अमृतमय आहार कहा गया है।
  • अंकुरित भोजन क्लोरोफिल, विटामिन (`ए´, `बी´, `सी´, `डी´ और `के´) कैल्शियम, फास्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम, आयरन, जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत होता है।
  • अंकुरीकरण की प्रक्रिया में अनाज/दालों में पाए जाने वाले कार्बोहाइट्रेड व प्रोटीन और अधिक सुपाच्य हो जाते हैं।
अंकुरित आहार को अमृताहर कहा गया है अंकुरित आहार भोजन की सप्राण खाद्यों की श्रेणी में आता है। यह पोषक तत्वों का श्रोत मन गया है । अंकुरित आहार न सिर्फ हमें उन्नत रोग प्रतिरोधी व उर्जावान बनाता है बल्कि शरीर का आंतरिक शुद्धिकरण कर रोग मुक्त भी करता है । अंकुरित आहार अनाज या दालों के वे बीज होते जिनमें अंकुर निकल आता हैं इन बीजों की अंकुरण की प्रक्रिया से इनमें रोग मुक्ति एवं नव जीवन प्रदान करने के गुण प्राकृतिक रूप से आ जाते हैं।
अंकुरित भोजन क्लोरोफिल, विटामिन (`ए´, `बी´, `सी´, `डी´ और `के´) कैल्शियम, फास्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम, आयरन, जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत होता है। अंकुरित भोजन से काया कल्प करने वाला अमृत आहार कहा गया है अर्थात् यह मनुष्य को पुनर्युवा, सुन्दर स्वस्थ और रोगमुक्त बनाता है। यह महँगे फलों और सब्जियों की अपेक्षा सस्ता है, इसे बनाना खाना बनाने की तुलना में आसान है इसलिये यह कम समय में कम श्रम से तैयार हो जाता है। बीजों के अंकुरित होने के पश्चात् इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है।
खड़े अनाजों व दालों के अंकुरण से उनमें उपस्थित अनेक पोषक तत्वों की मात्रा दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती है, मसलन सूखे बीजों में विटामिन 'सी' की मात्रा लगभग नहीं के बराबर होती है लेकिन अंकुरित होने पर लगभग दोगुना विटामिन सी इनसे पाया जा सकता है। अंकुरण की प्रक्रिया से विटामिन बी कॉम्प्लेक्स खासतौर पर थायमिन यानी विटामिन बी१, राइबोप्लेविन यानी विटामिन बी२ व नायसिन की मात्रा दोगुनी हो जाती है। इसके अतिरिक्त 'केरोटीन' नामक पदार्थ की मात्रा भी बढ़ जाती है, जो शरीर में विटामिन ए का निर्माण करता है। अंकुरीकरण की प्रक्रिया में अनाज/दालों में पाए जाने वाले कार्बोहाइट्रेड व प्रोटीन और अधिक सुपाच्य हो जाते हैं। अंकुरित करने की प्रक्रिया में अनाज पानी सोखकर फूल जाते हैं, जिनसे उनकी ऊपरी परत फट जाती है व इनका रेशा नरम हो जाता है। परिणामस्वरूप पकाने में कम समय लगता है और वे बच्चों व वृद्धों की पाचन क्षमता के अनुकूल बन जाते हैं।
अंकुरित करने के लिये चना, मूँग, गेंहू, मोठ, सोयाबीन, मूँगफली, मक्का, तिल, अल्फाल्फा, अन्न, दालें और बीजों आदि का प्रयोग होता है। अंकुरित भोजन को कच्चा, अधपका और बिना नमक आदि के प्रयोग करने से अधिक लाभ होता है। एक दलीय अंकुरित (गेहूं, बाजरा, ज्वार, मक्का आदि) के साथ मीठी खाद्य (खजूर, किशमिश, मुनक्का तथा शहद आदि) एवं फल लिए जा सकते हैं।

द्विदलीय अंकुरित (चना, मूंग, मोठ, मटर, मूंगफली, सोयाबीन, आदि) के साथ टमाटर, गाजर, खीरा, ककड़ी, शिमला मिर्च, हरे पत्ते (पालक, पुदीना, धनिया, बथुआ, आदि) और सलाद, नींबू मिलाकर खाना बहुत ही स्वादिष्ट और स्वास्थ्यदायक होता है। इसे कच्चा खाने बेहतर है क्यों कि पकाकर खाने से इसके पोषक तत्वों की मात्रा एवं गुण में कमी आ जाती है। अंकुरित दानों का सेवन केवल सुबह नाश्ते के समय ही करना चाहिये। एक बार में दो या तीन प्रकार के दानों को आपस में मिला लेना अच्छा रहता है। यदि ये अंकुरित दाने कच्चे खाने में अच्छे नहीं लगते तो इन्हें हल्का सा पकाया भी जा सकता है। फिर इसमें कटे हुए प्याज, कटे छोटे टमाटर के टुकड़े, बारीक कटी हुई मिर्च, बारीक कटा हुई धनिया एकसाथ मिलाकर उसमें नींबू का रस मिलाकर खाने से अच्छा स्वाद मिलता है।

अंकुरण की विधि -
  • अंकुरित करने वाले बीजों को कई बार अच्छी तरह पानी से धोकर एक शीशे के जार में भर लें शीशे के जार में बीजों की सतह से लगभग चार गुना पानी भरकर भीगने दें अगले दिन प्रातःकाल बीजों को जार से निकाल कर एक बार पुनः धोकर साफ सूती कपडे में बांधकर उपयुक्त स्थान पर रखें ।
  • गर्मियों में कपडे के ऊपर दिन में कई बार ताजा पानी छिडकें ताकि इसमें नमी बनी रहे।
  • गर्मियों में सामान्यतः २४ घंटे में बीज अंकुरित हो उठते हैं सर्दियों में अंकुरित होने में कुछ अधिक समय लग सकता है । अंकुरित बीजों को खाने से पूर्व एक बार अच्छी तरह से धो लें तत्पश्चात इसमें स्वादानुसार हरी धनियाँ, हरी मिर्च, टमाटर, खीरा, ककड़ी काटकर मिला सकते हैं द्य यथासंभव इसमें नमक न मिलाना ही हितकर है।
ध्यान दें -
  • अंकुरित करने से पूर्व बीजों से मिटटी, कंकड़ पुराने रोगग्रस्त बीज निकलकर साफ कर लें। प्रातः नाश्ते के रूप में अंकुरित अन्न का प्रयोग करें । प्रारंभ में कम मात्रा में लेकर धीरे-धीरे इनकी मात्रा बढ़ाएँ।
  • अंकुरित अन्न अच्छी तरह चबाकर खाएँ।
  • नियमित रूप से इसका प्रयोग करें।
  • वृद्धजन, जो चबाने में असमर्थ हैं वे अंकुरित बीजों को पीसकर इसका पेस्ट बनाकर खा सकते हैं। ध्यान रहे पेस्ट को भी मुख में कुछ देर रखकर चबाएँ ताकि इसमें लार अच्छी तरह से मिल जाय।
VARSHNEY.009 is offline  
Old 02-07-2013, 10:28 AM   #127
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

पता स्वास्थ्य का - पत्तागोभी
क्या आप जानते हैं?
  • पत्तागोभी मूल रूप से एशियन सब्जी है जो ईसा से छह सौ वर्ष पूर्व यूरोप पहुँची।
  • बंद गोभी की फसल तीन महीने के समय में ही काटने के लिये तैयार हो जाती हैं।
  • पत्ता गोभी में मोटापा, कैंसर तथा अल्सर से लड़ने के प्राकृतिक तत्त्व पाए जाते हैं।
स्वादिष्ट भारतीय व्यंजन, स्वास्थ्यवर्धक कोल्सलॉ या चटपटे मंचूरियन पकौड़े, पूरे विश्व में पत्तागोभी करीब करीब हर प्रकार के भोजन में छाया रहता है। इसकी पैदावार जितनी आसान है यह पकाने और पचाने में भी उतना ही आसान है।
पत्तागोभी भी कई प्रकार का होता है। सेवोए, बोक चोए औऱ नापा पत्तागोभी चीनी व्यंजन में काम आता है, इसकी पत्तियाँ गहरे हरे रंग की और ढीली बँधी होती हैं। सेलेरी पत्तागोभी भी बोक चोए प्रकार में शामिल होता है। हरा पत्तागोभी विशेष रूप से भारतीय भोजन में प्रयोग किया जाता है। एक लाल, जामुनी रंग का पत्तागोभी भी होता है जो सलाद आदि में काम आता है। ब्रोकोली, फूलगोभी और गाँठ गोभी, ये सभी पत्तागोभी के परिवार के ही सदस्य हैं।

बंद गोभी या पत्तागोभी अनेक पौष्टिक खनिज लवण और विटामिन का स्रोत है। इसमें प्रोटीन, वसा, नमी, फाईबर तथा कर्बोहाइड्रेट भी अच्छी मात्रा में होता है। खनिज लवण तथा विटामिन की बात करें तो पत्तागोभी में कैल्सियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन तथा विटामिन सी भी प्रचुर मात्रा में होता है। इसमें क्लोरीन तथा सल्फर भी पाया जाता है और अपेक्षाकृत आयोडीन का प्रतिशत भी अधिक होता है। सल्फर, क्लोरीन तथा आयोडीन साथ में मिल कर आँतों और आमाशय की म्यूकस परत को साफ करने में मदद करते हैं। इसके लिए कच्चै पत्तागोभी को नमक लगा कर खाना चाहिए।

अपच या कब्ज की परेशानी में पत्तागोभी एक बेजोड़ इलाज की तरह काम करता है। अपने भोजन में सिर्फ कच्चे पत्तागोभी को बारीक काट लें और उस पर नमक, नींबू का रस और काली मिर्च लगा कर खाएँ। यह बिना किसी दुष्प्रभाव के आराम देगी।

पत्तागोभी में अलसर से बचाव के गुण होते हैं। पत्तागोभी के १८०-३६० मिली रस को दिन में तीन बार लेने से पाचन तंत्र के ड्यूडेनम भाग में अल्सर की शिकायत दूर होती है। पत्तागोभी में विटामिन यू होता हैं जो कि अल्सर अवरोधक माना जाता है। यह विटामिन पकाने से नष्ट हो जाता है इसलिए बहुत सी तकलीफों में प्राकृतिक रूप में पत्तागोभी का सेव
न ही लाभ पहुँचा सकता है।

पत्तागोभी में टारट्रोनिक अम्ल होता है, जो शरीर में शर्करा और कार्बोहाइड्रेट को वसा में बदलने से रोकता है। इसमें विटामिन सी और विटामिन बी की मात्रा भी होती है। विटामिन सी मोटापे को कम करता है और विटामिन बी शरीर के चयअपचय दर को बढ़ाए रखता है। इसलिए वजन कम करना हो तो पत्तागोभी का सेवन अधिक करना चाहिए। अपने भोजन का एक भाग पत्तागोभी के नाम कर दिया जाए तो वजन कम करने में बड़ी ही सहायता रहेगी। १०० ग्राम पत्तागोभी में करीब २७ कैलोरी होती है। देखा जाए तो १०० ग्राम आटे की रोटी से २४० कैलोरी मिलती हैं। इसे खाने से पेट तो भरेगा ही और साथ में कैलोरी भी कम जाएगी। पत्तागोभी में कम कैलोरी के साथ बहुत अधिक जैविक गुण होते
हैं। इसमें निहित विटामिन बी तंत्रिका तंत्र को आराम पहुँचाने में सहायक होता है।

विटामिन ए और ई की उपस्थिति से त्वचा और आँखों से संबंधित तकलीफों में भी पत्तागोभी बहुत लाभ पहुँचाता है। छाले, घाव, फोड़े-फुंसी तथा चकत्तों जैसी परेशानियों में पत्तागोभी के पत्तों की पट्टी लगाने से बहुत आराम मिलता है। इस काम के लिए पत्तागोभी की बाहरी मोटी पत्तियाँ बेहतर रहती हैं। पूरी साबुत पत्तियों को ही पट्टी की तरह काम में लेना चाहिए। इसकी पट्टी बनाने के लिए पत्तियों को गरम पानी से बहुत अच्छी तरह धोकर तौलिये से अच्छी तरह सुखा कर बेलन से बेलते हुए नरम कर लेना चाहिए। इसकी मोटी, उभरी हुई नसों को निकाल कर बेलने से यह नरम हो जाएगा। फिर इसे गरम करके घाव पर समान रूप से लगाना चाहिए। इन पत्तियों को सूती कपड़े में या मुलायम ऊनी कपड़े में डाल कर काम में ले सकते हैं। इससे पूरे दिन भर के लिए या रात भर सिकाई कर सकते हैं। जले हुए पत्तागोभी की राख भी त्वचा की बहुत सी बीमारियों में आराम पहुँचाता है।

पत्तागोभी में विभिन्न प्रकार के ऐसे तत्व होते हैं जो उम्र के साथ शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों से निजात दिला सकते हैं। बढ़ती उम्र की परेशानियाँ घटाने में बंदगोभी मदद कर सकती हैं। रक्त वाहिनी में जमाव को रोकने में, गाल ब्लैडर में पथरी की शिकायत में बंदगोभी में बंद विटामिन सी तथा विटामिन बी की जोड़ी बहुत सहायता कर सकती है। रक्त
वाहिनियों को ताकत भी पहुँचाता है।

इसके अनेक गुणों का शरीर पर सकारात्मक असर लाने के लिए इसका सही प्रकार से सेवन करना बहुत ज़रूरी है। इसे सलाद की तरह कच्चा खाया जा सकता है या फिर हल्का सा उबाल कर। चाहें तो इसे पका सकते हैं। पर बेहतर असर पाना चाहते हों तो पत्तागोभी को इसके प्राकृतिक रूप में ही खाएँ, क्योंकि इसमें बहुत से ऐसे तत्व होते हैं जो कि पकाने के बाद नष्ट हो जाते हैं। कच्चा खाने से यह जल्दी हजम भी होती है।

पत्तागोभी का रस पेट में गैस कर सकता है जिसके कारण बदहजमी हो सकती है। इसलिए सलाह दी जाती है कि पत्तागोभी के रस में थोड़ी सी गाजर का रस मिला कर पीना चाहिए। इससे पेट में गैस या अन्य समस्याएँ नहीं होंगी। पका हुआ पत्तागोभी या पत्तागोभी की सब्जी खाने से भी यदि तकलीफ हो तो इसमे थोड़ी हींग मिला कर पकाएँ। बारिश के समय पत्तागोभी पर कीड़े भी हो सकते हैं इसलिए पत्तागोभी को अच्छी प्रकार से धोकर, साफ करके ही काम में लें।

सूप, सब्जी, सलाद या पास्ता, पुलाव, बर्गर, नूडल किसी भी खाने में इसे डालें। इसकी परतों को खोलते जाएँ, इसके गुणों को परखते जाएँ और सेहत के लिए बेहतर पत्तागोभी को अपनाएँ।
VARSHNEY.009 is offline  
Old 02-07-2013, 10:30 AM   #128
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

सेहत का नगीना पुदीना
क्या आप जानते हैं?
  • पुदीने के विषय में प्रकाशित एक ताजे शोध से यह पता चला है कि पुदीने में कुछ ऐसे एंजाइम होते हैं, जो कैंसर से बचा सकते हैं।
  • इसकी विभिन्न प्रजातियाँ यूरोप, अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया मे पाई जाती हैं।
  • भारत, इंडोनेशिया और पश्चिमी अफ्रीका में बड़े पैमाने पर पुदीने का उत्पादन किया जाता है।
  • पिपरमिंट और पुदीना एक ही जाति के होने पर भी अलग अलग प्रजातियों के पौधे हैं। पुदीने को स्पियर मिंट के वानस्पतिक नाम से जाना जाता है।
पुदीने को गर्मी और बरसात की संजीवनी बूटी कहा गया है, स्वाद, सौन्दर्य और सुगंध का ऐसा संगम बहुत कम पौधों में दखने को मिलता है। पुदीना मेंथा वंश से संबंधित एक बारहमासी, खुशबूदार जड़ी है। इसकी विभिन्न प्रजातियाँ यूरोप, अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया मे पाई जाती हैं, साथ ही इसकी कई संकर किस्में भी उपलब्ध हैं।
उत्पत्ति
गहरे हरे रंग की पत्तियों वाले पुदीने की उत्पत्ति कुछ लोग योरप से मानते हैं तो कुछ का विश्वास है कि मेंथा का उद्भव भूमध्यसागरीय बेसिन में हुआ तथा वहाँ से यह प्राकृतिक तथा अन्य तरीकों से संसार के अन्य हिस्सों में फैला। लगभग तीस जातियों और पाँच सौ प्रजातियों वाला पुदीने का पौधा आज पुदीना, ब्राजील, पैरागुए, चीन, अर्जेन्टिना, जापान, थाईलैंड, अंगोला, तथा भारतवर्ष में उगाया जा रहा है। लेकिन इसकी विभिन्न जातियों में- पिपमिंट और स्पियरमिंट का प्रयोग ही अधिक होता है। भारतवर्ष में मुख्यतया तराई के क्षेत्रों (नैनीताल, बदायूँ, बिलासपुर, रामपुर, मुरादाबाद तथा बरेली) तथा गंगा यमुना दोआन (बाराबंकी, तथा लखनऊ तथा पंजाब के कुछ क्षेत्रों (लुधियाना तथा जलंधर) में उत्तरी-पश्चिमी भारत के क्षेत्रों में इसकी खेती की जा रही है। पूरे विश्व का सत्तर प्रतिशत स्पियर मिंट अकेले संयुक्त राज्य में उगाया जाता है। पुदीने के विषय में प्रकाशित एक ताजे शोध से यह पता चला है कि पुदीने में कुछ ऐसे एंजाइम होते हैं, जो कैंसर से बचा सकते हैं।
रासायनिक संघटन

जापानी मिन्ट, मैन्थोल का प्राथमिक स्रोत है। ताजी पत्ती में ०.४-०.६% तेल होता है। तेल का मुख्य घटक मेन्थोल (६५-७५%), मेन्थोन (७-१०%) तथा मेन्थाइल एसीटेट (१२-१५%) तथा टरपीन (पिपीन, लिकोनीन तथा कम्फीन) है। तेल का मेन्थोल प्रतिशत, वातावरण के प्रकार पर भी निर्भर करता है। पुदीने में विटामिन एबीसीडी और ई के अतिरिक्त लोहा, फास्फोरस और कैल्शियम भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

उपयोग

मेन्थोल का उपयोग बड़ी मात्रा में दवाईयों, सौदर्य प्रसाधनों, कालफेक्शनरी, पेय पदार्थो, सिगरेट, पान मसाला आदि में सुगंध के लिये किया जाता है। इसके अलावा इसका उड़नशील तेल पेट की शिकायतों में प्रयोग की जाने वाली दवाइयों, सिरदर्द, गठिया इत्यादि के मल्हमों तथा खाँसी की गोलियों, इनहेलरों, तथा मुखशोधकों में काम आता है। यूकेलिप्टस के तेल के साथ मिलाकर भी यह कई रोगों में काम आता है। अमृतधारा नामक बहुउपयोगी आयुर्वेदिक औषधि में भी सतपुदीने का प्रयोग किया जाता है। विशेष रूप से गर्मियों में फैलने वाली पुदीने की पत्तियाँ औषधीय और सौंदर्योपयोगी गुणों से भरपूर है। इसे भोजन में रायता, चटनी तथा अन्य विविध रूपों में उपयोग में लाया जाता है। संस्कृत में पुदीने को पूतिहा कहा गया है, अर्थात् दुर्गंध का नाश करनेवाला। इस गुण के कारण पुदीना चूइंगम, टूथपेस्ट आदि वस्तुओं में तो प्रयोग किया ही जाता है, चाट के जलजीरे का प्रमुख तत्त्व भी वही होता है। गन्ने के रस के साथ पुदीने का रस मिलाकर पीने को स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। सलाद में इसकी पत्तियाँ डालकर खाने में भी यह स्वादिष्ट और पाचक होता है। कुछ नहाने के साबुनों, शरीर पर लगाने वाली सुगंधों और हवाशोधकों (एअर फ्रेशनर) में भी इसका प्रयोग किया जाता है।

औषधीय गुण

स्वदेशी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में पुदीने के ढेरों गुणों का बखान किया गया है। यूनानी चिकित्सा पद्धति हिकमत में पुदीने का विशिष्ट प्रयोग अर्क पुदीना काफ़ी लोकप्रिय है। हकीमों का मानना है कि पुदीना सूचन को नष्ट करता है तथा आमाशय को शक्ति देता है। यह पसीना लाता है तथा हिचकी को बंद करता है। जलोदर व पीलिया में भी इसका प्रयोग लाभदायक होता है। आयुर्वेद के अनुसार पुदीने की पत्तियाँ कच्ची खाने से शरीर की सफाई होती है व ठंडक मिलती है। यह पाचन में सहायता करता है। अनियमित मासिकघर्म की शिकार महिला के शारीरिक चक्र में प्रभावकारी ढंग से संतुलन कायम करता है। यह भूख खोलने का काम करता है। पुदीने की चाय या पुदीने का अर्क यकृत के लिए अच्छा होता है और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में बहुत ही उपयोगी है। मेंथॉल ऑइल पुदीने का ही अर्क है और दांतो से संबंधित समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। जहरीले जंतुओं के काटने पर देश के स्थान पर पुदीने का रस लगा देने से विष का शमन होता है तथा पुदीने की सुगंध से बेहोशी दूर हो जाती है। अंजीर के साथ पुदीना खाने से फेफड़ों में जमा बलगम निकल जाता है।
कुछ घरेलू नुस्खे-
  • पुदीने की पत्तियों का ताजा रस नीबू और शहद के साथ समान मात्रा में लेने से पेट की हर बीमारियों में आराम दिलाता है।
  • पुदीने का रस कालीमिर्च और काले नमक के साथ चाय की तरह उबालकर पीने से जुकाम, खाँसी और बुखार में राहत मिलती है।
  • इसकी पत्तियाँ चबाने या उनका रस निचोड़कर पीने से हिचकियाँ बंद हो जाती हैं।
  • सिरदर्द में ताजी पत्तियों का लेप माथे पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।
  • मासिक धर्म समय पर न आने पर पुदीने की सूखी पत्तियों के चूर्ण को शहद के साथ समान मात्रा में मिलाकर दिन में दो-तीन बार नियमित रूप से सेवन करने पर लाभ मिलता है।
  • पेट संबंधी किसी भी प्रकार का विकार होने पर एकचम्मच पुदीने के रस को एक प्याला पानी में मिलाकर पिएँ।
  • अधिक गर्मी या उमस के मौसम में जी मिचलाए तो एक चम्मच सूखे पुदीने की पत्तियों का चूर्ण और आधी छोटी इलायची के चूर्ण को एक गिलास पानी में उबालकर पीने से लाभ होता है।
  • पुदीने की पत्तियों को सुखाकर बनाए गए चूर्ण को मंजन की तरह प्रयोग करने से मुख की दुर्गंध दूर होती है और मसूड़े मजबूत होते हैं।
  • एक चम्मच पुदीने का रस, दो चम्मच सिरका और एक चम्मच गाजर का रस एकसाथ मिलाकर पीने से श्वास संबंधी विकार दूर होते हैं।
  • पुदीने के रस को नमक के पानी के साथ मिलाकर कुल्ला करने से गले का भारीपन दूर होता है और आवाज साफ होती है।
  • पुदीने का रस रोज रात को सोते हुए चेहरे पर लगाने से कील, मुहाँसे और त्वचा का रूखापन दूर होता है।
VARSHNEY.009 is offline  
Old 02-07-2013, 10:30 AM   #129
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

सुगंधित पत्तियों का संसार
क्या आप जानते हैं?
  • सुगंधित पत्तियों वाली हरी सब्ज़ियाँ विटामिन और खनिज का सर्वश्रेष्ठ ख़ज़ाना हैं।
  • वे पका कर खाई जा सकती हैं, सलाद में महीन-महीन काट कर मिलाई जा सकती हैं और शोरबे की सुगंध और स्वाद को दुगना कर सकती हैं।
  • वे आसानी से उगाई जा सकती हैं, फूलों के साथ सजाई जा सकती हैं और शीतल पेय बनाने के काम भी आ सकती हैं।
  • सुगंध का स्वाद के साथ गहरा संबंध है और सुगंधित पत्तियाँ भोजन में रूप रस गंध इन तीनों की एक साथ पूर्ति करती हैं।
पुदीना : पुदीने के ताज़गीवाले स्वाद से कौन परिचित नहीं। चाहें चटनी में इस्तेमाल करें या आम के पने में इसके ताज़े हरे पत्ते शरीर को तरावट देने के सर्वोत्तम साधन हैं। रायते में पुदीने को पीस कर मिलाया जा सकता है और ठंडे सूप में खीरे का जवाब नहीं। गरम भोजन हो और पका कर खाना हो तो पुलाव और कवाब में पुदीने की पत्तियाँ अनोखा स्वाद देती हैं। सुखा कर भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। चाट मसाले, रायते और फलों की चाट में पुदीने की सूखी पत्तियों का मोटा चूरा अनोखा स्वाद देता है।
तेजपात :
तेजपात गरम मसाले का प्रमुख अंग है। इसे सुखा कर प्रयोग में लाया जाता है। छौंक के समय खड़े गरम मसाले की तरह जीरे और बड़ी इलायची के साथ इसको तेल या घी में डालना चाहिए। हर तरह के शोरबेदार शाकाहारी या मांसाहारी व्यंजन में, प्याज़ अदरख लहसुन के मसाले वाली करी में और सूप व दाल के छौंक में तेजपात का स्वाद करारा अहसास देता है। पुलाव के छौंक में भी इसका प्रयोग भोजन में सुगंध व स्वाद बढ़ाता है।
मेथी :
मेथी की सुगंध और स्वाद भारतीय भोजन का विशेष अंग है। इन पत्तों को कच्चा खाने की परंपरा नहीं है। आलू के साथ महीन महीन काट कर सूखी सब्ज़ी या मेथी के पराठे आम तौर पर हर घर में खाए जाते हैं। लेकिन गाढ़े सागों के मिश्रण में इसका प्रयोग लाजवाब सुगंध देता है, उदाहरण के लिए सरसों के साग, मक्का मलाई या पालक पनीर के पालक में। गुजराती थेपलों में मेथी के निराले स्वाद से सब परिचित हैं और मठरियों में मेथी का मज़ा भी अनजाना नहीं। मेथी के पत्तों को सुखा कर भी प्रयोग में लाया जा सकता है। मसाले के शोरबे में एक चुटकी सूखी पत्तियों का चूरा स्वाद का कमाल दिखाता है। सूखी सब्ज़ियों में यह चूरा गरम मसाले के साथ मिला कर बाद में डालना चाहिए।
थाइम :
ऑलिव, लहसुन, प्याज और टमाटर के साथ मटन में इसका प्रयोग स्वाद और सुगंध के लिए किया जाता है। इसे सूप में भी मिलाया जा सकता है। मटन के कीमे में बरीक कटी हरी मिर्च और नींबू के छिलके के साथ इसकी पत्तियाँ मिला कर कबाब बनाए जा सकते हैं। गोभी और मिश्रित सब्ज़ियों के पकौड़ों में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। तुलसी की पत्तियों की तरह इसकी चाय सर्दी से बचाव करती है।
पार्सले :

मेथी की तरह पार्सले का प्रयोग आलू के साथ सब्ज़ी बनाने में किया जा सकता है। महीन काट कर हर तरह के सलाद में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है, सूखी सब्ज़ियों में मिलाया जा सकता है और सूप में भी डाला जा सकता है। भोजन की सजावट में धनिये की तरह इसका इस्तेमाल होता है। उबले हुए आलू में ऑलिव आयल, चीज़ या मेयोनीज़ के साथ इसकी पत्तियों की महीन कतरन बढ़िया सलाद बना सकती है। लहसुन के साथ भी इसकी सुगंध मनभावन लगती है।


धनिया : हरी सुगंधित पत्तियों की बात हो तो धनिये का नंबर सबसे पहले आता है। हर तरह की सूखी और रसेदार सब्ज़ी में परोसते समय मिलाने और सजावट करने में धनिये की पत्तियों का इस्तेमाल होता है। धनिये की चटनी हर भारतीय भोजन का मुख्य अंग है। आलू की चाट और दूसरी चटपटी चीज़ों में इसको टमाटर या नीबू के साथ मिलाया जा सकता है। सूप और दाल में बहुत महीन काट कर मिलाने पर रंगत और स्वाद की ताज़गी़ अनुभव की जा सकती है। हर तरह के कोफ्ते और कवाब में भी यह खूब जमता है। इसकी पत्तियों को पका कर या सुखा कर नहीं खाया जाता क्यों कि ऐसा करने पर वे अपना स्वाद और सुगंध खो देती हैं।
मीठी नीम :
मीठी नीम की हरी पत्तियाँ हर दक्षिण भारतीय भोजन की जान हैं। आमतौर पर इनको छौंक के समय साबुत प्रयोग में लाया जाता है। पोहे, उपमा, सांभर या मांसाहारी शोरबे में इनका प्रयोग काफी लोकप्रिय है। इन्हें पीस कर दही के साथ मिला कर स्वादिष्ट छाछ भी बनाया जाता है। नारियल के दूध का शोरबा बनाते समय इन्हें पीस कर मिलाया जा सकता है। फ्रिज में पोलीथीन के बैग में इन्हें लंबे समय तक रखा जा सकता है। इन्हें सुखा कर बोतल में बंद कर के भी रखा जा सकता है। बाद में साबुत या चूरे के रूप में इनका प्रयोग किया जा सकता है।
सेज :
मांसाहारी भोजन में सेज की सुगंध स्वाद को भी बढ़ा देती है। व्यंजन पूरा पक जाने के बाद इसको महीन महीन काट कर मिलाना चाहिए। टमाटर के साथ सलाद में और चीज़ के साथ इसका स्वाद निराला होता है। इसलिए भारतीय भोजन में पनीर के भरवा टमाटरों में सेज की सुगंध बड़ी अच्छी लगती है। इसको सलाद में महीन काट कर मिलाया जा सकता है और पराठों में भी इसका प्रयोग हो सकता है। उबले हुए आलू के भुर्ते में ढेर से सेज की महीन कतरी हुई पत्तियाँ भी स्वादिष्ट लगती हैं और कद्दू की सूखी या रसेदार सब्ज़ी के साथ भी इसकी जोड़ी जमती है।
बासिल :
अपनी सुगंध और कोमलता के कारण सलाद में इसका काफी प्रयोग होता है। हर तरह के पास्ता और सलाद में इनका प्रयोग प्रमुखता से होता है। सफ़ेद रंग के हर्बल सॉस में चीज़ के साथ इसका प्रयोग होता है। मशरूम, टमाटर और अंडे के व्यंजनों में भी इसकी सुगंध अच्छी लगती है। भारतीय भोजन में मक्के के दानों की सब्ज़ी, उबले हुए आलू के भुर्ते और मिश्रित सागों में इसका प्रयोग अच्छा लगता है।
ओरेगॅनो :
तेज़ और कड़क स्वाद वाला यह पत्ता ताज़ा या सूखा, दोनों तरह का बराबरी से उपयोग में लाया जाता है। पिज़ा और गार्लिक ब्रेड में इसका स्वाद सारी दुनिया में पहचाना जाता है। पास्ता के हर प्रकार के सॉस और सूखी सब्ज़ियों में इसका प्रयोग किया जा सकता है। पराठों और पूरियों में भी ऑरगेनो की सुगंध अच्छी लगती है।
VARSHNEY.009 is offline  
Old 02-07-2013, 10:30 AM   #130
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

सलाद में छुपा स्वास्थ्य क्या आप जानते हैं?
  • अच्छी तरह से धुले और पानी सूखे हुए सलाद के पत्ते को फ्रिज में हवाबंद डिब्बे में करीब ५-६ दिन तक रख सकते हैं।
  • ऐसा अनुमान है कि प्रति अमरीकी व्यक्ति औसतन ११ पौंड सलाद के पत्ते का प्रति वर्ष सेवन कर लेता है।
  • सलाद की आइसबर्ग प्रजाति की तुलना में रोमन सलाद में विटामिन सी लगभग छः गुना तथा विटामिन ए आठ गुना आधिक होता है।
  • सलाद के पत्ते के बाहर की ज्यादा हरी पत्तियों में अंदर की पत्तियों की तुलना में अधिक पोषक होते हैं। इसलिए उन्हें ज़रूर खाना चाहिए।
  • सलाद के पत्ते वनस्पति में पाये जाने वाले हीमोग्लोबिन का बहुत अच्छा स्रोत हैं।
सलाद में डलने वाली सब्जियों में सलाद के पत्ते का नाम शायद सबसे पहले आता होगा। पत्तागोभी की तरह दिखने वाली इस सब्जी के कई सारे गुण हैं जिनसे हम लोग शायद अनभिज्ञ होंगे। सलाद के पत्ते की पैदावार करीब २५०० वर्षों से की जा रही है। खासकर रोम के लोग इसकी विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को उगाते थे परंतु अब एशिया व यूरोप के लोग भी रुचि लेते हैं। सलाद के पत्ते की लगभग सौ से ज़्यादा किस्में उगाई जाती हैं। परंतु मुख्यतः चार प्रकार के - बटरहैड, क्रिस्पहैड, लीफ तथा रोमेन- सलाद के पत्ते होते हैं।

सलाद के पत्ते पाचन में सहायक होते हैं तथा यकृत ( लिवर) के लिये भी लाफदायक होते है। इसके सेवन से हृदय की बीमारियाँ तथा आघात की संभावना कम हो जाती है। कुछ शोधों में यह भी पता चला है कि यह कैंसर में भी फायदा करता है।

सलाद के पत्तों में कैल्सियम, फोस्फोरस, आयरन, केरोटीन, थियामीन, राईबोफ्लेविन, नियासीन तथा विटामिन सी जैसे कई विटामिन तथा मिनरल काफी अच्छी मात्रा में होते हैं। इसके अलावा प्रोटीन, वसा, फाईबर, कार्बोहाइड्रेट भी मौजूद होता है। कैलोरी की दृष्टि से यदि देखा जाए तो लगभग १०० ग्राम सलाद के पत्तों में २१ कैलोरी होती हैं। सलाद के पत्ते खरीदते समय ध्यान रखना चाहिए कि पत्ते ताज़ा, हरे रंगवाले तथा थोड़ा जानदार हों यानी नर्म और मुरझाए हुए न हों। गुच्छे की पत्तियाँ थोड़ी खुली या ढीली हों क्योंकि बंद पत्ते वाले सलाद के गुच्छे में सूरज की किरणें अंदर तक नहीं पहुँच पाती जिससे उसमें विटामिन की मात्रा कम रहती है। सलाद के पत्ते जितने अधिक हरे होंगे उसमें विटामिन की मात्रा उतनी ही ज्यादा होगी।

सलाद के पत्ते में रोगनाशक क्षमता होती है। दिमाग़, तंत्रिका तंत्र या नर्वस सिस्टम तथा फेफड़ों (लंग्स) के लिए सलाद के पत्ते बहुत अच्छे होते हैं। सलाद के पत्ते का रस ठंडा तथा ताज़गी भरा होता है। हरी पत्तियों वाले सलाद के पत्ते के रस में मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा होने के कारण यह मांसपेशियों तथा दिमाग़ के लिये फायदेमंद माना जाता है। सलाद के पत्ते के रस को गुलाब के तेल के साथ मिला कर माथे पर मालिश करने से बेहतर नींद आती है तथा सिर दर्द में भी आराम मिलता है। इसमें सेल्यूलोज भी होता है जिससे यह पाचन को ठीक करता है तथा कब्ज की शिकायत को भी दूर कर सकता है।

इसका एक बहुत उम्दा गुण यह है इसमें लेक्टुकेरियम मौजूद होता है जो दिमाग़ को ताज़गी देने के साथ साथ नींद को बढ़ाता है। इससे उन लोगों को बहुत आराम मिलता है जिन्हें इन्सोम्निया या नींद न आने की बीमारी है। इसके बीज के रस को पीने से तनाव दूर होता है तथा बेहतर नींद आती है।
शरीर में लोहे की कमी को पूरा करने के लिये यह बहुत अच्छा पोषक है और ऐसा माना जाता है कि इसमें मौजूद आयरन या लौहतत्व, किसी अन्य अकार्बनिक लोहे की बजाय, शरीर में बहुत आसानी से ग्रहण हो जाता है। स्नायुतंत्र की कई बीमारियों में सलाद के पत्ते का रस एक चम्मच गूसबेरी रस के साथ यदि हर रोज़ पिया जाए तो बहुत फायदा करता है।

गर्भावस्था के दौरान भी सलाद के पत्ते खाना बहुत लाभदायक होता है। कम कैलोरी में इससे ज़्यादा ख़ुराक मिल जाती है। विशेष रूप से इसमें मौजूद फोलिक एसिड, जिसकी गर्भावस्था के समय तथा बाद में भी शरीर को आवश्यकता रहती है, अच्छी मात्रा में पाया जाता है। फोलिक एसिड मेगालोब्लास्टिक एनिमिया को रोकता है। तथा जिनमें बार बार गर्भपात की संभावना रहती है उन्हें भी कच्चे सलाद के पत्ते खाने की सलाह दी जाती है। कच्चे सलाद के पत्ते खाने से महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन होरमोन के स्राव पर भी प्रभाव पड़ता है।

भोजन के तुरंत बाद सलाद के पत्ते चबाने से दाँतों की बहुत सी बीमारियों जैसे गिंगिविटिस, पायरिया, हेलीटोसिस, स्टोमेटिटिस आदि से निजात मिल सकती है। जिह्वा पर उपस्थित स्वादग्राही तंतुओं तथा इनेमल के क्षय में भी रूकावट पड़ती है। प्रतिदिन आधा लीटर सलाद के पत्ते तथा पालक के रस को पीने से बालों का झड़ना भी कम होता है।

सलाद के पत्ते को उपयोग में लेने से पहले हमेशा हर पत्ती को अच्छे तरह धोकर व पोंछकर काम में लेना चाहिए जिससे उसके ऊपर लगा पानी पूरी तरह निकल जाए। सलाद के पत्ते को काटने की बजाए हाथ से ही तोड़ कर काम में लेना चाहिए जिससे उसके किनारे भूरे होने से बच जाते हैं।
VARSHNEY.009 is offline  
Closed Thread

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 07:36 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.