24-01-2019, 07:35 PM | #1 |
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पाँच साल सिसकाने वालों
◆◆◆◆◆◆◆◆◆ जनता को तड़पाने वालों आना फिर से वोट मांगने पाँच साल सिसकाने वालों फेक रहे थे इतना ज्यादा कहाँ गया वह तेरा वादा अच्छे दिन का स्वप्न दिखाकर वोट सभी लोगों का पाकर रोटी को तरसाने वालों- आना फिर से वोट मांगने पाँच साल सिसकाने वालों अब भी जुमले फेक रहे हो रोजगार की वाट लगाकर अच्छे-खासे पढ़े-लिखे अब बेच रहे हैं चाट बनाकर ठेलों तक पहुँचाने वालों- आना फिर से वोट मांगने पाँच साल सिसकाने वालों चोर-लुटेरे भाग गए सब चौकीदारी खूब निभाई जनता की जेबों को देखो काट रहे हैं तेरे चाई सबकी नींद चुराने वालों- आना फिर से वोट मांगने पाँच साल सिसकाने वालों तुमने ऐसी नीति बनाई आसमान छूती महँगाई उसको भूखे मार रहे हो जिसको तुम कहते थे भाई भाई को भरमाने वालों- आना फिर से वोट मांगने पाँच साल सिसकाने वालों वक्त बुरा आया है लेकिन तुम तो चाँदी काट रहे हो जाति-धर्म की आग लगाकर इंसानों को बाट रहे हो कटुता तुम फैलाने वालों- आना फिर से वोट मांगने पाँच साल सिसकाने वालों रचना- आकाश महेशपुरी ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर, उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मोबाईल- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 25-01-2019 at 01:25 PM. |
26-01-2019, 10:07 PM | #2 | |
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Re: पाँच साल सिसकाने वालों
Quote:
उस पर अच्छा कटाक्ष किया गया है. जल्द ही कोई बदलाव आएगा, इसकी उम्मीद बहुत कम है. आपका धन्यवाद, आकाश जी.
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31-01-2019, 08:18 AM | #3 |
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Re: पाँच साल सिसकाने वालों
संपादन के उपरांत
पाँच साल सिसकाने वालों ◆◆◆◆◆◆◆◆◆ झूठी बातों में उलझाकर जनता को तड़पाने वालों आना फिर से वोट मांगने पाँच साल सिसकाने वालों अच्छे दिन का राग सुनाकर फेंक रहे थे इतना ज्यादा वोट सभी लोगों का पाकर कहाँ गया वह तेरा वादा पेट भरा तुम सबका लेकिन हम सबको तरसाने वालों- आना फिर से वोट मांगने पाँच साल सिसकाने वालों अब भी जुमले फेंक रहे हो रोजगार की वाट लगाकर अच्छे-खासे पढ़े-लिखे अब बेच रहे हैं चाट बनाकर रोजगार का वादा करके ठेलों तक पहुँचाने वालों- आना फिर से वोट मांगने पाँच साल सिसकाने वालों चोर-लुटेरे भाग गए सब चौकीदारी खूब निभाई जनता की जेबों को देखो काट रहे हैं तेरे चाई बात बात में शोर मचाकर सबकी नींद चुराने वालों- आना फिर से वोट मांगने पाँच साल सिसकाने वालों तुमने ऐसी नीति बनाई आसमान छूती महँगाई उनको भूखे मार रहे हो जिनको तुम कहते थे भाई बड़े बड़े सपने दिखलाकर बार बार भरमाने वालों- आना फिर से वोट मांगने पाँच साल सिसकाने वालों वक्त बुरा आया है लेकिन तुम तो चाँदी काट रहे हो जाति-धर्म की आग लगाकर इंसानों को बाट रहे हो प्यार भरे प्यारे भारत में कटुता तुम फैलाने वालों- आना फिर से वोट मांगने पाँच साल सिसकाने वालों रचना- आकाश महेशपुरी ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर, उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मोबाईल- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 04-02-2019 at 10:21 AM. |
31-01-2019, 08:19 AM | #4 |
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Re: पाँच साल सिसकाने वालों
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