20-10-2012, 11:50 PM | #1 |
Diligent Member
|
सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
|
21-10-2012, 12:40 AM | #2 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
क्षमा करें कि प्रश्न आपने प्रशासक महोदय से किया है, किन्तु उत्तर मैं दे रहा हूं ! बन्धु, इसमें इजाज़त की बात ही कहां है ? फोरम किसी प्रशासक या नियामक का नहीं, सदस्यों का होता है और वे नियमों के दायरे में कुछ भी करने को स्वतंत्र होते हैं ! मुझे अभी से पेट में गुलगुली हो रही है कि आपकी हरयाणवी रचनाएं पढ़ कर कितना आनंद अनुभव होगा ! आप एक श्रेष्ठ कवि हैं ! हिन्दी में आपके अनुपम सृजन को हमने निरंतर सराहा है, बल्कि कहूं कि उसका अद्भुत आनंद उठाया है ! अब एक अन्य भाषा में आपका कर्तृत्व पढ़ने को मिलेगा, यह अनुभव कर कम से कम मैं तो रोमांचित हूं ! धन्यवाद आपका ! जल्दी करें ! अब सब्र नहीं होता ! धन्यवाद !
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
21-10-2012, 11:20 AM | #3 | |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,570
Rep Power: 42 |
Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
Quote:
बस तम तो शुरू हो जाओ ,हरियाणवी भाषा का तो मज़ा ही अलग स ..........
__________________
मांगो तो अपने रब से मांगो; जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत; लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना; क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी। |
|
21-10-2012, 10:16 PM | #4 |
Diligent Member
|
Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
लो जी याहे बात सै ते फिर इस सूत्र मैं मेरी पहली हरियाणवी रचना
सारे देख लियो थाम आज हालात आज किसान के ! घुमते गाल्याँ के मंह घुमते देख लियों बालक थाम किसान के !! गरीबी के मंह दिन पूरा बीते सपन्याँ मंह रात लंगाह (गुजार ) ज्या , फसल नै कदे आज्या उगेला कदे रोज ( नीलगाय ) गेहू नै खाज्या चेपा तेला जा लग फसल के कदे नरमे में मंह सुंडी आज्या कदे सूखे फसल बिना पानी के... .कदे खो दे बाढ़ आन के ! बहके पसीना अपना किसान नै घर बनिए का भर दिया दो दाने घर मैं आन तै पहलया ही किसान भिखारी कर दिया फसल चली गयी सारी फेर भी एक और किल्ला ( एकड़ ) गिरवी कर दिया बता इस तै ज्यादा के ? और सुनाऊ हालत और किसान के ! सब कहरे सै इसके एक दिन हालात बदल ज्यावेंगे के फायदा जब ये अपना कारोबार बदल ज्यावेंगे जिस दिन छोड़ दी खेती इसने के बता के ?दुनिया आले खावेंगे यो < नामदेव >भी तै सदा गैल खडया सै इस हिम्मत आले किसान के sombirnaamdev@gmail .com लेखक :- सोमबीर सिंह सरोया मोब नो. 93210883377 |
22-10-2012, 12:10 PM | #5 | |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,570
Rep Power: 42 |
Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
Quote:
__________________
मांगो तो अपने रब से मांगो; जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत; लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना; क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी। |
|
22-10-2012, 01:32 PM | #6 |
Administrator
|
Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
bahut acche...
__________________
अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
22-10-2012, 01:56 PM | #7 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
एक श्रेष्ठ सृजन पढ़वाने के लिए आपका शुक्रिया, सोमवीरजी ! किसी वरिष्ठ कवि का एक कथन कहीं पढ़ा था कि मनुष्य उसी भाषा में अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकता है, जिसे उसने अपनी मां को बोलते देख कर सीखा है, शेष तो अनुवाद भर होता है ! कथन का मर्म पूरी तरह आज समझ पाया हूं ! दरअसल हम लिख भले ही किसी भी भाषा में रहे हों, उसे सोचते अपनी मातृ-भाषा में ही हैं और फिर उसे दूसरी भाषा में अनूदित कर लिख देते हैं ! आप मूलतः हरयाणवी रचनाकार हैं, अन्य भाषाओं में तो आपका मष्तिस्क रचनाओं का अनुवाद प्रस्तुत करता है ! मैं एक बार फिर आपका आभार प्रकट करता हूं, इस उम्मीद के साथ कि आपकी यह श्रेष्ठ सृजन यात्रा निरंतर रहेगी ! धन्यवाद !
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
22-10-2012, 10:20 PM | #8 |
Special Member
|
Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
it's too good......
please continue
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
24-10-2012, 08:38 PM | #9 |
Diligent Member
|
Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
|
24-10-2012, 08:44 PM | #10 | ||
Diligent Member
|
Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
Quote:
Quote:
Last edited by sombirnaamdev; 24-10-2012 at 08:46 PM. |
||
Bookmarks |
|
|