02-11-2013, 10:53 AM | #1 |
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साइंस का कमालः बॉडी में फिर से पैदा किया ली
डॉक्टरों को उम्मीद है कि भविष्य में इससे और बेहतर रिजल्ट आ सकते हैं। इस इलाज में खर्च भी कम हुए हैं। इस स्टडी को भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग और साइंस एवं टेक्नॉलजी मिनिस्ट्री ने मंजूरी दी थी। रिसर्च पेपर के मुख्य लेखक और गंगाराम अस्पताल के गेस्ट्रोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ़ अनिल अरोड़ा ने बताया कि लीवर के बढ़ते मरीजों और महंगे इलाज को देखते हुए हमने इसका विकल्प चुनने के लिए ऐसे तरीके पर काम करना शुरू किया। हमने इंसान के शरीर में मौजूद रिजर्व सेल यानी स्टेम सेल से लीवर का ट्रीटमेंट करने का फैसला किया। स्टेम सेल का काम बॉडी को रिपयेर करना है। यह खून के साथ शरीर में हर जगह प्रवाहित होता है। जहां कोई डैमेज होता है, वहां यह उसे पूरा करता है। इस तकनीक में खर्च 50 हजार रुपये से भी कम है। बोन मैरो में ऐसे स्टेम सेल्स होते हैं। इन्हें बोन मैरो से लेकर इस तरह से तैयार किया जा सकता है, जिससे सेल्स को फिर से पैदा किया जा सके। स्टडी के दौरान बोन मैरो को एक इंजेक्शन के जरिए बढ़ाया गया। यह इंजेक्शन सभी मरीजों को पांच दिन तक लगातार दिया गया। इससे बोन मैरो के कुछ सेल्स को बढ़ाने में मदद मिली। इसके बाद ये सेल्स ब्लड सरकुलेशन में पहुंच गए। हमने ब्लड से ऐसे सेल्स को फिल्टर किया। इसके लिए एक स्पेशल फिल्टर्रिंग मशीन यूज की। लगभग 5-10 एमएल ब्लड लिया गया और इसे लीवर की ब्लड वैसेल्स में इंजेक्ट कर दिया। वहां से ये सेल्स खून से लीवर में पहुंच गए और धीरे-धीरे लीवर फिर से पैदा हो गया। डॉक्टर ने बताया कि दो साल पहले इस स्टडी की शुरुआत की गई थी। सभी मरीज अगले एक साल तक हमारे फॉलोअप में हैं। मरीजों में इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ है। 10 में से 6 मरीजों में यह काफी असरदार हुआ है। हमें विश्वास है कि इस प्रक्रिया को और बड़े स्तर पर साबित करने के लिए काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्टेम सेल थेरेपी लीवर ट्रांसप्लांट के मरीजों के लिए ब्रिज की तरह काम कर सकता है। इसकी मदद से लीवर पेशंट को ट्रीटमेंट चुनने, लीवर डोनर खोजने और इस पर होने वाले खर्च की व्यवस्था का टाइम दे सकते हैं। अगर लीवर डैमेज है, तो इस प्रोसेस से यह रिपयेर हो सकता है। लेकिन इसके लिए पेशंट को शराब जैसी चीजों से बचने की जरूरत है। इससे पेशंट कई साल तक जिंदा रह सकता है। डॉक्टर का कहना है कि बड़ी संख्या में मरीजों को लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है, लेकिन महंगे इलाज और डोनर के अभाव में यह संभव नहीं हो पा रहा है। जहां तक लिविंग डोनर की बात है, तो ऐसे पेशंट से उनका ब्लड ग्रुप मैच करना चाहिए। इसके लिए पहले परिवार के लोग होने चाहिए, नहीं तो खास रिलेटिव जरूरी है। लेकिन इससे बड़ी परेशानी इस पर होने वाले औसतन 20 लाख रुपये खर्च से है।
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