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Old 18-12-2010, 12:44 AM   #41
prashant
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Smile Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

मैंने पढ़ा है की देह व्यापर दुनिया का सबसे पुराना व्यापार है.पहले हम बाजारू
औरतों को भी इज्जत से गणिका और वैश्या बुलाते थे.लेकिन आज हम उन्हें
भी रंडी या रांड(ये शब्द लिखने के लिए मैंने अपने सिने पर ५ तन का पत्थर रखा है.)बोला जाता है.
इस शब्दों के सुनने मात्र से अलग भावना आती है और इन शब्दों के अंतर से
हम यह कह सकते हैं की समाज के विचार में कितना बड़ा परिवर्तन आया है.
यानि हम कह सकते हैं की समाज के विचारों की MBE एक हो गयी है और
कोई विचार एकाएक नहीं बदलता है उसे बदलने में वर्षों लग जाते हैं.यहाँ बात
हम सेक्स से सम्बंधित विषयों की कर रहे हैं.इस सन्दर्भ में मैं एक बात कहना
चाहूँगा की हम पूरी दुनिया को नहीं सुधर सकते और ना ही सुधार पायेंगें.
क्योंकि ऐसा जरुरी नहीं की हर व्यक्ति के विचार आपस में मिले यदि ऐसा
होता तो यह दुनिया स्वर्ग हो जाती और यहाँ पर साक्षात् भगवान बसते.
कहते हैं ना मनुष्य का मन चंचल होता है.जो एक जगह नहीं टिकता है.

सेक्स की इक्षा हर प्राणी में होती है.दुनिया का कोई ऐसा प्राणी नहीं जिसने
सेक्स का अनुभव नहीं किया हो.यदि मैं झूट बोल रहा हूँ तो आप मेरा मार्गदर्शन
करना.अब इसकी पूर्ति व्यक्ति दो प्रकार से करता है.सीधे तरीके से या फिर उलटे
तरीके अपनाता है और उल्टा तरीका व्यक्ति को हमेशा पसंद आता है क्योकि
सीधे तरीके में बहुत मेहनत और संयम की आवस्यकता होती है.जोकि हर
प्राणी मात्र के लिए संभव नहीं है.

जैसा की मैंने कहा की सेक्स की इक्षा हर प्राणी
में होती है और इस आधुनिक युग में जहाँ सब कुछ इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर
टिका हुआ है.इसमे सेक्स से सम्बंधित सामग्री आसानी से उपलब्द हो जाती है.जहाँ पर मेहनत और खतरा ना के बराबर है.जिसके कारन ज्यादा से ज्यादा
व्यक्ति नेट पर पोर्न देखने में गुजारता है.तो एक प्रशन आता है की क्या इक्षा
के पूर्ति का ये साधन गलत और असामाजिक है.तो इस बात पर हर व्यक्तियों
का अपना अपना मत है.जो समय और स्थिति के अनुरूप उचित और सार्थक
लगा है.यदि हम कुरीति ढूढने जाएँ तो हम हर विषय में दोष ढूढ सकते हैं.
बस हमें इतना ध्यान देना चाहिए ही किसी भी विषय वास्तु में अति नहीं होनी
चाहिए.क्योकि की "अति सर्वत्र वर्जयेत" अत: जो भी करें सीमा में रह कर करें.
ध्यान दें की आप के द्वारा किये कार्य से कोई दुखी तो नहीं हो रहा है या फिर
कोई हनी तो नहीं हो रही है.

सेक्स का बाजार नेट पर देखा जाये तो सबसे बड़ा है.अभी हाल में मैं एक
समाचार आई थी सेक्स.कॉम दुनिया की सबसे मंहगी बिकने वाली साईट है
और जब मैंने सबसे मंहगे बकने वाली साईट की लिस्ट देखी ६ मे से तीन तो
पोर्न से सम्बंधित साईट का समावेश था.जोकि यह बताता है की दुनिया में नेट
पर पोर्न देखने वालों की संख्या लाखों में नहीं कडोरो में है.तो क्या वे सभी
व्यक्ति रेपिस्ट का बदमाश होते हैं.ऐसे भी हमारे देश से पोर्न साईट का संचालन
बहुत कम ही होता होगा.सभी बड़ी साईट US या पश्चिमी देशों के ही होते हैं.
जहाँ पर इन बातों पर हल्ल्ला मचाना उचित नहीं समझा जाता है.यदि सरकार
अपने तरफ से बेन भी करती है तो उपयोगकर्ताओं के पास साईट खोलने और
पोर्न देखने की के और भी विकल्प मौजूद हैं.जहाँ तक रेप की बात है ऐसा काम
सिर्फ वही व्यक्ति कर सकता है जिसे संवेदना के रूप में सिर्फ मांस का लोथड़ा
(दिल) मिला हो.क्योकि की रेप करने के लिए जिगर नहीं पत्थर चाहिए.

आज के अधुनिंक माता पिता,जिन्हें इस विषय में मालूम है,उन्हें चाहिए की वे
अपने बच्चों के हरकत पर नजर रखें और उन्हें दुत्कारने की जगह सही और
गलत अंतर समझाए.क्योकि किसी महापुरुष ने कहा है की परिवार समाज की
इकाई होती है.जैसा हमारा परिवार हो,वैसा हमारा समाज होगा,वैसा ही हमारा
राज्य और देश होगा.

अमित जी मैंने आप का लिखा हुआ आर्टिकल,स्पीच,व्याख्या,प्रवचन या फिर
समाज को सुधारने की मुहीम आप जो भी कह लें.अच्छा लगा....मैं एक सवाल
आप से पूछना चाहता हूँ क्या आप ये काम सिर्फ virtually करते हैं या
physically तौर पर भी भाग लेते हैं?


नोट:- इस पोस्ट में मैंने सिर्फ अपना मत रखा है.मैंने किसे के विचार
और मत को बदलने की कोशिश नहीं की है.फिर भी यदि किसी सदस्य को ऐसा
प्रतीत होता की उसके विचार को बदलने या कटाने की कोशीश की गयी है या
फिर मेरे कोई शब्द अनुचित लगे हो तो मैंन उसके लिए क्षमा चाहता हूँ.

धन्यवाद
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Old 18-12-2010, 05:00 AM   #42
madhavi
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प्रशान्त भाई ने एक शब्द 'वैश्या' प्रयोग किया है जबकि सही शब्द होना चाहिए 'वेश्या'
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Old 18-12-2010, 05:20 AM   #43
madhavi
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अश्लीलता हमारे मन में होती है !
आप देखें कि हम इस दुनिया को चार भागों में बांट सकते हैं
1 नंगे रहने वालों की दुनिया जैसे अफ़्रीका में कुछ स्थान हो सकते हैं- यहां अभी नंगे रहते हैं एक साथ भाई बहन पिता पुत्री ससुर बहू या अन्य सम्बन्धी ! तो क्या इनमें नग्नता का कोई प्रभाव इनके रिश्तों पर होता है?
2 पश्चिमी देश -यहाँ भी काफ़ी खुलापन है ! तो क्या इन लोगों में आपस में कोई अश्लीलता का भाव उत्पन्न होता है? हाँ हमारे देश से या किसी अन्य पूर्वी देश से कोई वहां जा कर उन लोगों को देखता है तो अवश्य उसके मन में भाव उभरता है कि यह नग्नता है।
3 पूर्वी देश जैसे भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका इत्यादि।
भारत में महिलाएँ साड़ी पहनती हैं तो उनका पेट, कमर नंगी रहती है, क्या हमारा मन इसे अश्लील कहता है?
नहीं !
4 वह स्थान जहाँ पर स्त्रियाँ अब भी परदे में रहती है जैसे बुरके में ! मध्य-पूर्वी एशिया के कुछ देशों में बुरके का प्रचलन है और वहां पर स्त्री के हाथ और पैर भी अगर दिख जाएं तो इसे अश्लीलता माना जाता है।
अब बुरके वाली तो साड़ी पहने महिला को यही कहेगी कि यह नग्न-प्रदर्शन है।
साड़ी वाली यह कहेगी कि बिकनी में नग्नता है।
बिकनी वाली कहेगी कि Nude colony में रहने वाली महिला नग्न है।
लेकिन अफ़्रीका में किसी स्थान पर अगर सभी नग्न रहते हैं तो उस स्थान पर रहने वाली नग्न महिला को कोई नग्न (अश्लील) नहीं कहेगा/ मानेगा।
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Old 18-12-2010, 09:44 AM   #44
prashant
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Originally Posted by madhavi View Post
प्रशान्त भाई ने एक शब्द 'वैश्या' प्रयोग किया है जबकि सही शब्द होना चाहिए 'वेश्या'
माधवी बहन तृती सुधारने के लिए.यदि आप जैसे सदस्यों का साथ रहा तो
जो मेरे बिगरी हुई हिंदी है वो जल्दी ही पटरी पर आ जायेगी.ये मैं अपने मन से
कह रहा हूँ इसमे कुछ भी अन्यथा नहीं है.
धन्यवाद.
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Old 18-12-2010, 09:48 AM   #45
arvind
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Originally Posted by prashant View Post
सरकार अपने हिसाब से काम करती ही है.लेकिन इन्टरनेट एक ऐसी जगह
जहाँ पर हर समस्या का समाधान मिलाता है.आपने कहा है की सरकार को
साईट के ip address को ब्लॉक कर देना चाहते है.परन्तु यदि आप
प्रोक्सी सर्वर का इस्तेमाल करें तो वह साईट आप के कंप्यूटर पर खुल जायेगी.
कंप्यूटर की ९९.९९% समस्या हल के योग्य होती है.

अभी मैं आप को एक तजा उधाहरण देता wikileak का इस साईट को ना
जाने अमेरिकन सरकार ने कितनी बार हैक कर के इस साईट को बंद किया है.लेकिन
आप अभी भी wikileak को ओपन कर सकते हैं.

वैसे भी यदि भारत की सरकार किसी साईट को बंद करती है तो वह सिर्फ
भारत के सर्वर के लिए ही बंद होती है.लेकिन साईट चलाने वाले इतने
बेवकूफ नहीं होते है.उनके पास हमेशा बेकउप प्लान होता है.वे किसी
दूसरे देश का सर्वर इस्तेमाल कर के उस साईट को फिर से शुरू कर देती
है और उस साईट को आप प्रोक्सी सर्वर के इस्तेमाल से खोल सकते है.
आपने बहुत ही तकनीकी बाते कही है। हरेक जगह, चाहे वो बैंक हो, कार्यालय हो, आपका घर हो या कोई भी जगह - हर जगह आप सुरक्षा के लिए यथासंभव बेहतर प्रणाली का उपयोग करते है, फिर भी उस सुरक्षा घेरा को पार करके कोई चिन्दी चोर आपका माल उड़ा ले जाता है, तो क्या बाकी लोग यही यह सबक लेते कि कितना भी सुरक्षा कर लो चोरी तो होनी है........ नहीं ना।

मैंने यह भी कहा है कि किसी भी अपराध को शत प्रतिशत नियंत्रित नहीं किया जा सकता। अगर मान ले कि इस समय पूरे विश्व मे जितने भी अश्लील या पॉर्न साईट चल रहे है, अगर 10% भी इस विधि से अनुपलब्ध हो जाये तो कुछ तो कमी आएगी ही, क्योंकि सारे साईट चलाने वाले wikileaks वालो की तरह संगठित और कम्प्युटर एक्सपर्ट नहीं होते। A** का हश्र देख लीजिये - backup अभी तक restore नहीं हो पाया है। बहुत सारे लोग वैसे भी है, जो प्रोक्सी साईट के बारे मे जानते भी नहीं है। अगर किसी एक विधि से अगर एक भी व्यक्ति को हम बचा लेते है, तो मै उस विधि को सफल ही समझता हूँ।

Last edited by arvind; 18-12-2010 at 09:51 AM.
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Old 18-12-2010, 09:58 AM   #46
prashant
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Originally Posted by madhavi View Post
अश्लीलता हमारे मन में होती है !
आप देखें कि हम इस दुनिया को चार भागों में बांट सकते हैं
1 नंगे रहने वालों की दुनिया जैसे अफ़्रीका में कुछ स्थान हो सकते हैं- यहां अभी नंगे रहते हैं एक साथ भाई बहन पिता पुत्री ससुर बहू या अन्य सम्बन्धी ! तो क्या इनमें नग्नता का कोई प्रभाव इनके रिश्तों पर होता है?
2 पश्चिमी देश -यहाँ भी काफ़ी खुलापन है ! तो क्या इन लोगों में आपस में कोई अश्लीलता का भाव उत्पन्न होता है? हाँ हमारे देश से या किसी अन्य पूर्वी देश से कोई वहां जा कर उन लोगों को देखता है तो अवश्य उसके मन में भाव उभरता है कि यह नग्नता है।
3 पूर्वी देश जैसे भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका इत्यादि।
भारत में महिलाएँ साड़ी पहनती हैं तो उनका पेट, कमर नंगी रहती है, क्या हमारा मन इसे अश्लील कहता है?
नहीं !
4 वह स्थान जहाँ पर स्त्रियाँ अब भी परदे में रहती है जैसे बुरके में ! मध्य-पूर्वी एशिया के कुछ देशों में बुरके का प्रचलन है और वहां पर स्त्री के हाथ और पैर भी अगर दिख जाएं तो इसे अश्लीलता माना जाता है।
अब बुरके वाली तो साड़ी पहने महिला को यही कहेगी कि यह नग्न-प्रदर्शन है।
साड़ी वाली यह कहेगी कि बिकनी में नग्नता है।
बिकनी वाली कहेगी कि nude colony में रहने वाली महिला नग्न है।
लेकिन अफ़्रीका में किसी स्थान पर अगर सभी नग्न रहते हैं तो उस स्थान पर रहने वाली नग्न महिला को कोई नग्न (अश्लील) नहीं कहेगा/ मानेगा।

मैं आपकी बात से पूर्णत: सहमत हूँ.

कहते हैं ना जैसे हमारे विचार होते हैं.वैसे ही हमारी रचना होती.
यदि कोई गलत सोचेगा तो उसे सब कुछ गलत ही लगेगा.
यदि कोई व्यक्ति कहे की फलाने ने मुझे बिगाड़ दिया.तो मुझे उस पर हंसी
आती है.मैं यह सोचता हूँ की क्या यह आदमी इतना शरीफ था की इसे
दूसरा कोई बिगाड़ सके या फिर यह अपनी गलती /कायरत छुपाने के लिए दूसरे
को दोषी ठहराते है.यह बहुत बड़ी विडम्बना है की हम अपनी गलती का कारन
अधिकाशंतः हमेशा दूसरों को ही मानते है.हम अपने आप में नहीं देखते
की हमारे अंदर बिगडने की क्षमता कितनी है.
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Old 18-12-2010, 10:11 AM   #47
prashant
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Originally Posted by arvind View Post
आपने बहुत ही तकनीकी बाते कही है। हरेक जगह, चाहे वो बैंक हो, कार्यालय हो, आपका घर हो या कोई भी जगह - हर जगह आप सुरक्षा के लिए यथासंभव बेहतर प्रणाली का उपयोग करते है, फिर भी उस सुरक्षा घेरा को पार करके कोई चिन्दी चोर आपका माल उड़ा ले जाता है, तो क्या बाकी लोग यही यह सबक लेते कि कितना भी सुरक्षा कर लो चोरी तो होनी है........ नहीं ना।

अरविन्द जी मेरे कहने का तात्पर्य नेट से सम्बंधित था.ऐसे भी सिर्फ ताला लगा देने से घर की सुरक्षा तो नहीं हो जाती.यह तो बस मन को दिलशा दिलाने का एक जरिया है जिससे हम यह सोचते है की अब घर सुरक्षित है.

मैंने यह भी कहा है कि किसी भी अपराध को शत प्रतिशत नियंत्रित नहीं किया जा सकता। अगर मान ले कि इस समय पूरे विश्व मे जितने भी अश्लील या पॉर्न साईट चल रहे है, अगर 10% भी इस विधि से अनुपलब्ध हो जाये तो कुछ तो कमी आएगी ही, क्योंकि सारे साईट चलाने वाले wikileaks वालो की तरह संगठित और कम्प्युटर एक्सपर्ट नहीं होते। A** का हश्र देख लीजिये - backup अभी तक restore नहीं हो पाया है। बहुत सारे लोग वैसे भी है, जो प्रोक्सी साईट के बारे मे जानते भी नहीं है। अगर किसी एक विधि से अगर एक भी व्यक्ति को हम बचा लेते है, तो मै उस विधि को सफल ही समझता हूँ।
A** का उधाहरण दिया है जो अभी तक ठीक नहीं हो पाई है.लेकिन आप उनके दूसरे साईट को क्यूँ नहीं देखते जो १५ से २० दिन के अंदर ठीक हो गया.जैसे K**,FSI इस तरह की उनकी बहुत साडी साईट बिगर गयी थी.सभी ठीक हो गए है.वैसे भी A** सिर्फ फोरम सेक्सन बिगाड़ा हुआ है.बाकि A**.com तो अभी भी मज़े से चल रहा है.सायद इसके पीछे का कारन यह है की फोरम साईट पर बहुत ही कम सदस्य थे.जिससे उन्हें फोरम साईट को चलने में रूचि बहुत कम लगती है.वरना से साईट भी अन्य साईट की तरह ठीक हो गयी होती.

Last edited by prashant; 18-12-2010 at 10:21 AM.
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Old 18-12-2010, 10:36 AM   #48
arvind
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मैंने पढ़ा है की देह व्यापर दुनिया का सबसे पुराना व्यापार है.पहले हम बाजारू
औरतों को भी इज्जत से गणिका और वैश्या बुलाते थे.लेकिन आज हम उन्हें
भी रंडी या रांड(ये शब्द लिखने के लिए मैंने अपने सिने पर ५ तन का पत्थर रखा है.)बोला जाता है.
इस शब्दों के सुनने मात्र से अलग भावना आती है और इन शब्दों के अंतर से
हम यह कह सकते हैं की समाज के विचार में कितना बड़ा परिवर्तन आया है.
यानि हम कह सकते हैं की समाज के विचारों की mbe एक हो गयी है और
कोई विचार एकाएक नहीं बदलता है उसे बदलने में वर्षों लग जाते हैं.यहाँ बात
हम सेक्स से सम्बंधित विषयों की कर रहे हैं.इस सन्दर्भ में मैं एक बात कहना चाहूँगा की हम पूरी दुनिया को नहीं सुधर सकते और ना ही सुधार पायेंगें.
क्योंकि ऐसा जरुरी नहीं की हर व्यक्ति के विचार आपस में मिले यदि ऐसा
होता तो यह दुनिया स्वर्ग हो जाती और यहाँ पर साक्षात् भगवान बसते.
कहते हैं ना मनुष्य का मन चंचल होता है.जो एक जगह नहीं टिकता है.
उक्त पंक्तिया आपके नकारात्मक सोच के दर्शाती है, आचार्य बिनोबा भावे, मदर टेरेसा, बाबा आमटे, स्वामी विवेकानंद आदि नाम को आज दुनिया सिर्फ इसीलिए याद करती है कि इन लोगो आपके जैसा नहीं सोचा था और निस्वार्थ भाव से दुनिया और समाज के लिए सम्पूर्ण जीवन लगा दिया।
Quote:
सेक्स की इक्षा हर प्राणी में होती है.दुनिया का कोई ऐसा प्राणी नहीं जिसने सेक्स का अनुभव नहीं किया हो.यदि मैं झूट बोल रहा हूँ तो आप मेरा मार्गदर्शन
करना.अब इसकी पूर्ति व्यक्ति दो प्रकार से करता है.सीधे तरीके से या फिर उलटे
तरीके अपनाता है और उल्टा तरीका व्यक्ति को हमेशा पसंद आता है क्योकि
सीधे तरीके में बहुत मेहनत और संयम की आवस्यकता होती है.जोकि हर
प्राणी मात्र के लिए संभव नहीं है.

जैसा की मैंने कहा की सेक्स की इक्षा हर प्राणी
में होती है और इस आधुनिक युग में जहाँ सब कुछ इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर
टिका हुआ है.इसमे सेक्स से सम्बंधित सामग्री आसानी से उपलब्द हो जाती है.जहाँ पर मेहनत और खतरा ना के बराबर है.जिसके कारन ज्यादा से ज्यादा
व्यक्ति नेट पर पोर्न देखने में गुजारता है.तो एक प्रशन आता है की क्या इक्षा
के पूर्ति का ये साधन गलत और असामाजिक है.तो इस बात पर हर व्यक्तियों
का अपना अपना मत है.जो समय और स्थिति के अनुरूप उचित और सार्थक
लगा है.यदि हम कुरीति ढूढने जाएँ तो हम हर विषय में दोष ढूढ सकते हैं.
बस हमें इतना ध्यान देना चाहिए ही किसी भी विषय वास्तु में अति नहीं होनी
चाहिए.क्योकि की "अति सर्वत्र वर्जयेत" अत: जो भी करें सीमा में रह कर करें.
ध्यान दें की आप के द्वारा किये कार्य से कोई दुखी तो नहीं हो रहा है या फिर
कोई हनी तो नहीं हो रही है.
जी बहलाने के लिए गालिब ख्याल अच्छा है। अगर इसी काम मे आपके बच्चे भी लग जाएँगे, तब आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी।
Quote:
सेक्स का बाजार नेट पर देखा जाये तो सबसे बड़ा है.अभी हाल में मैं एक समाचार आई थी सेक्स.कॉम दुनिया की सबसे मंहगी बिकने वाली साईट है
और जब मैंने सबसे मंहगे बकने वाली साईट की लिस्ट देखी ६ मे से तीन तो
पोर्न से सम्बंधित साईट का समावेश था.जोकि यह बताता है की दुनिया में नेट
पर पोर्न देखने वालों की संख्या लाखों में नहीं कडोरो में है.तो क्या वे सभी
व्यक्ति रेपिस्ट का बदमाश होते हैं.ऐसे भी हमारे देश से पोर्न साईट का संचालन
बहुत कम ही होता होगा.सभी बड़ी साईट us या पश्चिमी देशों के ही होते हैं.
जहाँ पर इन बातों पर हल्ल्ला मचाना उचित नहीं समझा जाता है.यदि सरकार
अपने तरफ से बेन भी करती है तो उपयोगकर्ताओं के पास साईट खोलने और
पोर्न देखने की के और भी विकल्प मौजूद हैं.जहाँ तक रेप की बात है ऐसा काम
सिर्फ वही व्यक्ति कर सकता है जिसे संवेदना के रूप में सिर्फ मांस का लोथड़ा
(दिल) मिला हो.क्योकि की रेप करने के लिए जिगर नहीं पत्थर चाहिए.
दोस्त आपके पास समय है, अब आप अच्छे साहित्य या अच्छे ब्लोग्स पढ़कर जब आप आप साहित्यकार या ब्लॉगर नहीं बन सकते तो पॉर्न साईट्स देखकर रेपिस्ट कैसे बन सकते है। मगर एक बात अगर किसी को अच्छा साहित्यकार बनाना होगा तो वो अच्छे साहित्य ही पढ़ेगा, और जिसे अच्छा रेपिस्ट बनाना है, वो पॉर्न साईट्स ही देखेगा।
Quote:
आज के अधुनिंक माता पिता,जिन्हें इस विषय में मालूम है,उन्हें चाहिए की वे अपने बच्चों के हरकत पर नजर रखें और उन्हें दुत्कारने की जगह सही और
गलत अंतर समझाए.क्योकि किसी महापुरुष ने कहा है की परिवार समाज की
इकाई होती है.जैसा हमारा परिवार हो,वैसा हमारा समाज होगा,वैसा ही हमारा
राज्य और देश होगा.
बात मे वजन है।
Quote:
अमित जी मैंने आप का लिखा हुआ आर्टिकल,स्पीच,व्याख्या,प्रवचन या फिर समाज को सुधारने की मुहीम आप जो भी कह लें.अच्छा लगा....मैं एक सवाल आप से पूछना चाहता हूँ क्या आप ये काम सिर्फ virtually करते हैं या
physically तौर पर भी भाग लेते हैं?
इसका जवाब अमित जी से बेहतर कोई नहीं दे सकता है, परंतु, आपके द्वारा यह प्रश्न पुछना उचित नहीं है, यह किसी के निजी व्यक्तित्व पर सीधा दखलंदाजी है।

Quote:
नोट:- इस पोस्ट में मैंने सिर्फ अपना मत रखा है.मैंने किसे के विचार और मत को बदलने की कोशिश नहीं की है.फिर भी यदि किसी सदस्य को ऐसा
प्रतीत होता की उसके विचार को बदलने या कटाने की कोशीश की गयी है या
फिर मेरे कोई शब्द अनुचित लगे हो तो मैंन उसके लिए क्षमा चाहता हूँ.
धन्यवाद
उफ्फ्फ्फ.... , फिर क्षमा......

Last edited by arvind; 18-12-2010 at 10:43 AM.
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Quote:
Originally Posted by prashant View Post
मैंने पढ़ा है की देह व्यापर दुनिया का सबसे पुराना व्यापार है.पहले हम बाजारू
औरतों को भी इज्जत से गणिका और वैश्या बुलाते थे.लेकिन आज हम उन्हें
भी रंडी या रांड(ये शब्द लिखने के लिए मैंने अपने सिने पर ५ तन का पत्थर रखा है.)बोला जाता है.
इस शब्दों के सुनने मात्र से अलग भावना आती है और इन शब्दों के अंतर से


अमित जी मैंने आप का लिखा हुआ आर्टिकल,स्पीच,व्याख्या,प्रवचन या फिर
समाज को सुधारने की मुहीम आप जो भी कह लें.अच्छा लगा....मैं एक सवाल
आप से पूछना चाहता हूँ क्या आप ये काम सिर्फ virtually करते हैं या
physically तौर पर भी भाग लेते हैं?


नोट:- इस पोस्ट में मैंने सिर्फ अपना मत रखा है.मैंने किसे के विचार
और मत को बदलने की कोशिश नहीं की है.फिर भी यदि किसी सदस्य को ऐसा
प्रतीत होता की उसके विचार को बदलने या कटाने की कोशीश की गयी है या
फिर मेरे कोई शब्द अनुचित लगे हो तो मैंन उसके लिए क्षमा चाहता हूँ.

धन्यवाद
प्रशांत भाई सबसे पहले आपकी विस्तृत सोच के लिए साधुवाद | खुला मन ही विचारों को ग्रहण करता है |

भाई मेरी एक बात पर गौर करना | आप अपनी पूरी पोस्ट फिर से पढ़ लीजिये, आपको एक बात अखरेगी !!! आपने समस्याएं गिनायीं हैं, और मैं समाधान की बात कर रहा हूँ |
आपकी बात सही है कि पोर्न का मार्केट बड़ा है, रेप पहले भी होते थे, सांस्कृतिक फर्क है और अधिकांश वेबसाईट अमेरिका या कनाडा से चलायी जाती हैं जहां इनके नियम अलग हैं | ये सब एक सीमा तक ठीक है किन्तु अब क्या ? मेरा मन नहीं स्वीकार करता कि मैं चुप चाप बैठ जाऊं |
मेरी आँखों को, मेरी सोच को सिर्फ एक समाधान दिखा, आत्म नियंत्रण !!! इतना तो कर ही सकते हैं, इसके लिए ना किसी कानून कि जरुरत है ना कुछ ! है ना ?
मेरे सूत्र का अर्थ सिर्फ इतना है कि जो भी खुद को उस आदत से निकलना चाहते हैं वो एक बार प्रयास करें, सहयोग हम देंगे | मैं व्यक्तिगत रूप से गारंटी लेता हूँ कि व्यस्त रहने के इतने उपाय बता दूंगा कि दिन के चौबीस घंटे कम लगने लगेंगे |

आपकी पोस्ट का यदि बिन्दुवार उत्तर देना चाहूँ तो
१- आपकी बात सही है कि विचार एक जैसे नहीं होते किन्तु कुछ सत्य सत्य होते हैं|
सुबह आसमान में निकलने वाली चीज़ को हम संतरा नहीं कहते और कोई कहे तो उसे वैचारिक मतभेद नहीं कहा जायेगा | पोर्न को कोई भी सभ्य समाज किसी प्रकार से स्वीकार नहीं करता | खुद उसे चलाने वाले भी कोढियों की भाँति अपने चरित्र के रिसते घावों को छुपा के घूमते हैं | क्या कोई मिला ऐसा जो अपने विसिटिंग कार्ड में पोर्न रैकेट संचालक लिखा के घुमाता हो ?

२-हानि !!! हो रही है ना | चारित्रिक हानि हो रही है |
हमेशा ही तो कहा जाता है कि यदि धन गया तो कुछ नहीं गया, तन गया तो कुछ गया और मन गया तो सब गया |
क्या एक पूरी पीढ़ी के चारित्रिक पतन से बड़ी हानि भी कुछ हो सकती है ?
दिन भर इन्द्रिय सुख के पीछे पड़ा रहने वाला मन यदि कुछ साध पाता तो तपस्या, एकाग्र और ध्यान जैसे शब्द ही नहीं आये होते |
मन की दृढ़ता, एकाग्रता के विषय में एक गुरु गोविन्द सिंह जी की लाइन याद आ रही है की

'कपड़ों में पैबंद लगे हैं
तलवारें टूटी हैं
फिर भी दुश्मन काँप रहा है
आखिर लश्कर किसका है ??'


चिड़ियों को बाज़ से लड़ाने का माद्दा रखने वाला मन अब क्यूँ नहीं मिलता ? भगत सिंह की पिक्चर देख के ताली ठोंकने वाले हज़ार मिल जाते हैं लेकिन तेईस साल की उम्र में क्रांति को समझने वाले क्यूँ नहीं मिलते ?
मेरा देश महान, वन्दे मातरम कहने वाले हजार मिल जायेंगे किन्तु जब उसी सूत्र में लिख दो की भाई देश क्या है तो उत्तर देने वाला एक क्यूँ नहीं मिलता ?
ये सब कोई सिरफिरे पागल नहीं थे, ये बौद्धिक प्राणी थे, भगत सिंह फांसी वाली रात को भी रुसी क्रन्तिकारी की जीवनी को पढ़ रहे थे? क्यूँ ?
कोचिंग में रट्टा लगा के नंबर मिल जाते हैं किन्तु देश, जाति, धर्म इन सबकी संकल्पना समझने वाले क्यूँ नहीं मिलते? क्यूंकि वो धीरज, वो धैर्य वो साहस नहीं रहा जो इतना पढने, इतना अन्वेषण करने, इतनी गवेषणा करने को उत्सुक हो | क्यूँ ? क्यूंकि उसे अरस्तु को नहीं पढना, बगल में शीला की जवानी चल रही है |
हम कहते हैं की विज्ञान के बड़े दुष्प्रभाव आ रहे हैं! आयेंगे ही क्यूंकि विज्ञान एक शक्ति है और इसको नियंत्रित करने वाला जो सामाजिक विज्ञान था उसे भूल गए | मार्क्स, हीगल, अरस्तु, टोलस्टोय, सुकरात इन सबका नाम ही विलुप्त हो गया | 90 प्रतिशत बीए किये युवकों को इनके बीच का अंतर ही नहीं पता |
जिस पीढ़ी को समाजवाद, पूंजीवाद और लोकतंत्र में अंतर ही नहीं पता वो क्या नेताओं का चुनाव खाक करेगी ?
कहीं भी लोकतंत्र की चर्चा करो तो हजारों बुद्धजीवी पैदा हो जायेंगे जो कहेंगे सब सरकार करे, सबको सामान अवसर मिले संपत्ति बराबर बँटे | यदि ऐसे लोगों को बेवकूफ ना कहें तो क्या कहें जो लोकतंत्र में साम्यवाद डाल रहे हैं !!! उन्हें पता ही नहीं कि आखिर दोनों में अंतर क्या है |
यही सबसे बड़ा विज्ञान है | सामाजिक विज्ञान | और ये हर पीढ़ी को अपने लिए बनाना पड़ता है जो अब नहीं बनता और इसीलिए ये दुर्गति हो रही है, चाहे पूरब हो या पश्चिम |

३-ये एक छोटी सी ग़लतफ़हमी है कि अमेरिका में कोई पोर्न वेबसाईट चलाने की छूट है | असल में वहाँ पर अलग अलग प्रान्तों के अनुसार नियम हैं और कुछ प्रान्त वयस्क वेबसाईट चलाने की छूट इस शर्त पर देते हैं कि साईट में जाने से पहले एक एडल्ट डिक्लेरेशन नोटिस होगा | जो वैसे भी ना के बराबर होता किन्तु फिर भी वहाँ इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रूप में देखा जाता है | मियामी के बीच तो ऐसे भी 85 प्रतिशत भारतियों के लिए असहनीय हैं |

४- माता पिता को मैं फिर भी इस दोष से दूर रखना चाहूँगा | कल को हम आप भी पिता होंगे और हम अपने बच्चे को कभी भी ऐसे साईट पर जाने लायक संस्कार नहीं देना चाहेंगे, कोई भी नहीं देता | बुरे से बुरा पिता भी अपनी संतान को अच्छा बनता ही देखना चाहेगा |

मेरा प्रश्न : सच कहूँ तो ये मुझे समझ में कम आया | वर्चुअली और फिजिकली से आपका तात्पर्य मैं कम समझ पाया | यदि आपका प्रश्न है कि क्या मैं सिर्फ सूत्र बनाने के लिए ये सब लिख रहा हूँ या सच में इस सबके खिलाफ हूँ ? तो मेरा उत्तर है कि हाँ मैं सच में इस सबके खिलाफ हूँ | ये मेरा नाम वास्तविक है, मेरा चित्र यहाँ वास्तविक है और "amit tiwari' की वर्ड कुछ विशेस शब्दों के साथ हर सर्च इंजन में मुझे ही दिखाता है इसलिए मैं यहाँ कुछ कह के उन शब्दों कि जिम्मेवारी से बच नहीं सकता |
यदि आपके मन में कोई ऐसा भौतिक संगठन का विचार है तो कृपया बताइए, मैं सहयोग करने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा |

किन्तु विचार सिर्फ विचार ना रहे, कार्य हो |

मैं पुनः कहना चाहूँगा कि मुझे समस्या नहीं दिखती, मुझे सिर्फ समाधान दिखता है और मैं वही चाहता हूँ |

इस समस्या के कारण बहुत हैं, ये पूरी मेरे जीवन काल में समाप्त नहीं हो सकती किन्तु यदि दस बच्चे इस आदत से अपने को बचा लें और ऐसे पांच कुकर्मियों को जलील कर सकूँ तो इस सूत्र का बनाना सफल हो जायेगा |

Quote:
Originally Posted by madhavi View Post
अश्लीलता हमारे मन में होती है !
आप देखें कि हम इस दुनिया को चार भागों में बांट सकते हैं
1 नंगे रहने वालों की दुनिया जैसे अफ़्रीका में कुछ स्थान हो सकते हैं- यहां अभी नंगे रहते हैं एक साथ भाई बहन पिता पुत्री ससुर बहू या अन्य सम्बन्धी ! तो क्या इनमें नग्नता का कोई प्रभाव इनके रिश्तों पर होता है?

अब बुरके वाली तो साड़ी पहने महिला को यही कहेगी कि यह नग्न-प्रदर्शन है।
साड़ी वाली यह कहेगी कि बिकनी में नग्नता है।
बिकनी वाली कहेगी कि Nude colony में रहने वाली महिला नग्न है।
लेकिन अफ़्रीका में किसी स्थान पर अगर सभी नग्न रहते हैं तो उस स्थान पर रहने वाली नग्न महिला को कोई नग्न (अश्लील) नहीं कहेगा/ मानेगा।
माधवी जी नमस्कार |
आपको पढना अच्छा लगता है, इसलिए नहीं कि काफी अवसरों पर हम एक पक्ष में खड़े नज़र आते हैं बल्कि इसलिए क्यूंकि विचारों का अनूठापन अद्भुत होता है |

Quote:
Originally Posted by arvind View Post
आपने बहुत ही तकनीकी बाते कही है। हरेक जगह, चाहे वो बैंक हो, कार्यालय हो, आपका घर हो या कोई भी जगह - हर जगह आप सुरक्षा के लिए यथासंभव बेहतर प्रणाली का उपयोग करते है, फिर भी उस सुरक्षा घेरा को पार करके कोई चिन्दी चोर आपका माल उड़ा ले जाता है, तो क्या बाकी लोग यही यह सबक लेते कि कितना भी सुरक्षा कर लो चोरी तो होनी है........ नहीं ना।

मैंने यह भी कहा है कि किसी भी अपराध को शत प्रतिशत नियंत्रित नहीं किया जा सकता। अगर मान ले कि इस समय पूरे विश्व मे जितने भी अश्लील या पॉर्न साईट चल रहे है, अगर 10% भी इस विधि से अनुपलब्ध हो जाये तो कुछ तो कमी आएगी ही, क्योंकि सारे साईट चलाने वाले wikileaks वालो की तरह संगठित और कम्प्युटर एक्सपर्ट नहीं होते। A** का हश्र देख लीजिये - backup अभी तक restore नहीं हो पाया है। बहुत सारे लोग वैसे भी है, जो प्रोक्सी साईट के बारे मे जानते भी नहीं है। अगर किसी एक विधि से अगर एक भी व्यक्ति को हम बचा लेते है, तो मै उस विधि को सफल ही समझता हूँ।
भाई वो साईट कभी अप होगी भी नहीं !!!

अगर हुई तो फिर से डाउन होगी |

फिर अप हुई तो फिर डाउन होगी |

Last edited by amit_tiwari; 18-12-2010 at 05:10 PM.
amit_tiwari is offline  
Old 18-12-2010, 11:17 AM   #50
amit_tiwari
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Originally Posted by prashant View Post
A** का उधाहरण दिया है जो अभी तक ठीक नहीं हो पाई है.लेकिन आप उनके दूसरे साईट को क्यूँ नहीं देखते जो १५ से २० दिन के अंदर ठीक हो गया.जैसे K**,FSI इस तरह की उनकी बहुत साडी साईट बिगर गयी थी.सभी ठीक हो गए है.वैसे भी A** सिर्फ फोरम सेक्सन बिगाड़ा हुआ है.बाकि A**.com तो अभी भी मज़े से चल रहा है.सायद इसके पीछे का कारन यह है की फोरम साईट पर बहुत ही कम सदस्य थे.जिससे उन्हें फोरम साईट को चलने में रूचि बहुत कम लगती है.वरना से साईट भी अन्य साईट की तरह ठीक हो गयी होती.
ये एक तकनीकी कारण है बन्धु, उसके सुरक्षा उपाय ऐसे भी खुले पड़े थे | किन्तु तरकश अभी खाली कहाँ है | होगा उनका भी होगा कुछ ना कुछ | थोडा अभी अपना घर मजबूत करने का प्रयास है फिर इन ससुरों को इनके घर में घुस के मारेंगे |

Last edited by amit_tiwari; 18-12-2010 at 05:11 PM.
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