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Old 24-11-2010, 01:30 PM   #1
Kumar Anil
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Default भारतीय स्त्री की व्यथा

मित्र आप सब को मेरा यथोचित अभिवादन ! ऋग्वैदिक काल से अबतक भारतीय स्त्रियोँ के विभिन्न आयामोँ पर दृष्टिपात करता यह नवसूत्र यदि आपको चिन्तन पर विवश कर सका तभी इसकी सार्थकता है । आप गुणीजनोँ के आशीर्वाद से नित्य एक आयाम प्रस्तुत करुँगा ।भारतीय स्त्री का परिचायिक आयाम आज आपके समक्ष है.......
भारतीय नारी - प्रत्येक नर के घर मेँ पायी जाने वाली ब्रेनवाश कर दी गयी एक ऐसी इन्सानी पुत्तलिका है जो अपने मालिक को पहचानती है और उसके हुक्मोँ पर अमल करना जानती है । उसका मष्तिष्क सदियोँ से पुरुषोँ के पास गिरवी रखा है और जो अपने पूर्व दुष्कृत्योँ की परिणति है ।इसकी कहानी दोगले समाज के घिनौने एवँ लिजलिजे चरित्र का बेबाक चित्रण करती है । भारतीय स्त्री की कहानी के प्रसार पर वेदना का विस्तार है । उसकी कराह की गूँज युग - युग के आकाश मेँ भरी है और उसकी चीत्कार से दसोँ दिशाँए प्रतिध्वनित हैँ । उसकी कहानी शोणित कणोँ से अभिमण्डित है और दुर्भाग्य के पँक मेँ लिपटी है ।
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Old 24-11-2010, 01:34 PM   #2
malethia
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Default Re: भारतीय स्त्री की व्यथा

मित्र मैं आपके विचारों से बिलकुल भी सहमत नहीं,
आज की भारतीय नारी तो बहुत महान है,
प्राचीन काल में भारतीय नारियों का योगदान काफी महत्त्वपूर्ण था !
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Old 24-11-2010, 01:52 PM   #3
arvind
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Originally Posted by Kumar Anil View Post
मित्र आप सब को मेरा यथोचित अभिवादन ! ऋग्वैदिक काल से अबतक भारतीय स्त्रियोँ के विभिन्न आयामोँ पर दृष्टिपात करता यह नवसूत्र यदि आपको चिन्तन पर विवश कर सका तभी इसकी सार्थकता है । आप गुणीजनोँ के आशीर्वाद से नित्य एक आयाम प्रस्तुत करुँगा ।भारतीय स्त्री का परिचायिक आयाम आज आपके समक्ष है.......
भारतीय नारी - प्रत्येक नर के घर मेँ पायी जाने वाली ब्रेनवाश कर दी गयी एक ऐसी इन्सानी पुत्तलिका है जो अपने मालिक को पहचानती है और उसके हुक्मोँ पर अमल करना जानती है । उसका मष्तिष्क सदियोँ से पुरुषोँ के पास गिरवी रखा है और जो अपने पूर्व दुष्कृत्योँ की परिणति है ।इसकी कहानी दोगले समाज के घिनौने एवँ लिजलिजे चरित्र का बेबाक चित्रण करती है । भारतीय स्त्री की कहानी के प्रसार पर वेदना का विस्तार है । उसकी कराह की गूँज युग - युग के आकाश मेँ भरी है और उसकी चीत्कार से दसोँ दिशाँए प्रतिध्वनित हैँ । उसकी कहानी शोणित कणोँ से अभिमण्डित है और दुर्भाग्य के पँक मेँ लिपटी है ।
ये कौन सा काल का वर्णन कर रहे हो भाई? आज की स्त्रियो से लगता है अभी तक मिले नहीं हो क्या? अगर मिल गए होते तो ऐसी बात नहीं कहते।

आज स्त्रियाँ sp-dsp, jailer बनकर जब आप डंडे बरसाती हुई मिलेंगी तब जरा बताना की ये अबला है या सबला। अभी तुरंत एक महिला ने KBC मे अपने अद्भत ज्ञान के बल पर एक करोड़ जीत कर ले गई। तनिक कॉम्पटिशन परीक्षाओ के रिज़ल्ट पर नजर दौड़ा लिया करो मेरे भाई।
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Old 24-11-2010, 02:06 PM   #4
Kumar Anil
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Originally Posted by malethia View Post
मित्र मैं आपके विचारों से बिलकुल भी सहमत नहीं,
आज की भारतीय नारी तो बहुत महान है,
प्राचीन काल में भारतीय नारियों का योगदान काफी महत्त्वपूर्ण था !
आपकी टिप्पणी का शुक्रिया । प्रारम्भ मेँ कुछ कहना शायद जल्दबाजी होगी । मैँ आपको इतिहास मेँ ले चलकर असूर्यपश्या , देवृकामा ,भार्या की व्याख्या के साथ नियोग एवँ देवदासी और सती प्रथा द्वारा भारतीय स्त्री के तथाकथित महिमामण्डन का काला पक्ष उजागर करने की चेष्टा करुँगा और वर्तमान सन्दर्भ मेँ स्वयँसिद्धा की भी बात करूँगा । उसके हाथ मेँ आर्थिक अधिकार कैसे प्रदान किये गये उसकी पृष्ठभूमि मेँ क्या था ? सब सामने लाने का प्रयास करुँगा । मलेठिया जी कुछलोग कहते हैँ कि गिलास आधा खाली है और कुछ बोलते हैँ कि गिलास आधा भरा है और यह कथन दोनोँ का ही सत्य हैँ ।
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Old 24-11-2010, 02:10 PM   #5
gulluu
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gulluu has a spectacular aura aboutgulluu has a spectacular aura about
Default Re: भारतीय स्त्री की व्यथा

जी हाँ ,जल्दबाजी में कुछ न कह कर सर्पप्रथम हम ये देखने चाहेंगे की आप क्या कहना चाहते हैं ,फिर सब सदस्यों से अनुरोध करूँगा की वो अपने विचार प्रकट करें, शायद आपकी प्रथम प्रविष्टि आपके इस सूत्र की भूमिका मात्र थी ,लेकिन भूमिका ही इतनी विचारोतेजक और टिपण्णी आग्रहशील थी की हमारे माननीय वरिष्ट सदस्य खुद को रोक नहीं पाए .
आपकी प्रविष्टियों का स्वागत है .
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Old 24-11-2010, 02:56 PM   #6
Kumar Anil
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Originally Posted by arvind View Post
ये कौन सा काल का वर्णन कर रहे हो भाई? आज की स्त्रियो से लगता है अभी तक मिले नहीं हो क्या? अगर मिल गए होते तो ऐसी बात नहीं कहते।

आज स्त्रियाँ sp-dsp, jailer बनकर जब आप डंडे बरसाती हुई मिलेंगी तब जरा बताना की ये अबला है या सबला। अभी तुरंत एक महिला ने kbc मे अपने अद्भत ज्ञान के बल पर एक करोड़ जीत कर ले गई। तनिक कॉम्पटिशन परीक्षाओ के रिज़ल्ट पर नजर दौड़ा लिया करो मेरे भाई।
बात रिजल्ट की नहीँ बात उनकी नैमेत्तिक स्थिति की है ।आप गिरिडीह की एक औरत की बात कर रहे हैँ । उस सार्वजनिक मँच पर उस औरत ने अनेक बार स्वीकारा कि उसे अपने पति से तमाम अधिकार प्राप्त नहीँ हैँ , उसे कई कार्योँ की अनुमति भी नहीँ है । आप किसी एक का दृष्टान्त प्रस्तुत कर रहे हैँ जबकि मैँने हजारोँ मासूम औरतोँ की बात करने की चेष्टा की थी जो इस पुरुषप्रधान समाज मेँ दहेज के नाम पर जलायी जा रहीँ हैँ और हवस पूरी किये जाने के लिए रौँदी जा रही हैँ । मैँने उन दुधमुँही बच्चियोँ की बात की थी जिनके बलात्कार के किस्से पढ़कर आप अपना अखबार रद्दी मेँ बेच देते हैँ । मैँने बात की थी मुम्बई के अस्पताल की उस नर्स की जिसे वार्डब्वाय ने जँजीरोँ मेँ जकड़कर अपने साथियोँ के साथ हवस का शिकार बनाया और वो बेचारी अबला अपने जीवन के पच्चीस वर्ष उसी अस्पताल मेँ कोमा मेँ बिताने पर विवश हुई ।आप sp की बात करते हैँ बरेली शहर की sp सिटी को उनके पुरुष सिपाहियोँ ने उन्हे ऐसे मारा था कि आपकी वह सबला अपने इस तमगे के साथ कई दिन हास्पिटल के बेड पर पड़ी रहीँ ।मान्यवर तनिक अखबार उठा कर एक नजर तो मार लिया करिये ।
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Old 24-11-2010, 03:43 PM   #7
arvind
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Originally Posted by kumar anil View Post
बात रिजल्ट की नहीँ बात उनकी नैमेत्तिक स्थिति की है ।आप गिरिडीह की एक औरत की बात कर रहे हैँ । उस सार्वजनिक मँच पर उस औरत ने अनेक बार स्वीकारा कि उसे अपने पति से तमाम अधिकार प्राप्त नहीँ हैँ , उसे कई कार्योँ की अनुमति भी नहीँ है । आप किसी एक का दृष्टान्त प्रस्तुत कर रहे हैँ जबकि मैँने हजारोँ मासूम औरतोँ की बात करने की चेष्टा की थी जो इस पुरुषप्रधान समाज मेँ दहेज के नाम पर जलायी जा रहीँ हैँ और हवस पूरी किये जाने के लिए रौँदी जा रही हैँ । मैँने उन दुधमुँही बच्चियोँ की बात की थी जिनके बलात्कार के किस्से पढ़कर आप अपना अखबार रद्दी मेँ बेच देते हैँ । मैँने बात की थी मुम्बई के अस्पताल की उस नर्स की जिसे वार्डब्वाय ने जँजीरोँ मेँ जकड़कर अपने साथियोँ के साथ हवस का शिकार बनाया और वो बेचारी अबला अपने जीवन के पच्चीस वर्ष उसी अस्पताल मेँ कोमा मेँ बिताने पर विवश हुई ।आप sp की बात करते हैँ बरेली शहर की sp सिटी को उनके पुरुष सिपाहियोँ ने उन्हे ऐसे मारा था कि आपकी वह सबला अपने इस तमगे के साथ कई दिन हास्पिटल के बेड पर पड़ी रहीँ ।मान्यवर तनिक अखबार उठा कर एक नजर तो मार लिया करिये ।
बंधु, हमारे पास भी पूरा सांख्यकि उपलब्ध है, और मै इसका जवाब भी दे सकता हूँ, परंतु मेरे इस कुकृत्य से आपका सूत्र अपने मुख्य मुद्दे से भटक जाएगा, अत: आप अपनी बात बेबाक होकर कहे।
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Old 24-11-2010, 11:05 PM   #8
jalwa
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jalwa is a jewel in the roughjalwa is a jewel in the roughjalwa is a jewel in the rough
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मित्र कुमार अनिल जी, आपका सूत्र किसी गंभीर बात की और इशारा करता है. कृपया आप किसी बहस में न पड़कर अपने सूत्र को गति दें जिससे हमारा ज्ञानोपार्जन हो सके. कृपया आप अपने पक्ष में पूरे तर्क रखें जिससे की अन्य सदस्यों को अपने विचार रखने में सहूलियत रहे. धन्यवाद.
__________________

अच्छा वक्ता बनना है तो अच्छे श्रोता बनो,
अच्छा लेखक बनना है तो अच्छे पाठक बनो,
अच्छा गुरू बनना है तो अच्छे शिष्य बनो,
अच्छा राजा बनना है तो अच्छा नागरिक बनो
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Old 25-11-2010, 09:45 AM   #9
ABHAY
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Post Re: भारतीय स्त्री की व्यथा

सबकी दलील सुन्ने के बाद मैं एक ही बात कहता हू नारी महान है क्यों की सिर्फ उसी में सक्क्ति है की वो महाभरत जैसा यूध करा दे आज के भी संसार में नारी की ये परम्परा कयाम है आज ९० % घरों में महाभरत का कारन नारी है ! नारी तू महान है !
आपको अलग से ही सैलूट मरता हू
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Old 25-11-2010, 07:01 PM   #10
Kumar Anil
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Originally Posted by gulluu View Post
जी हाँ ,जल्दबाजी में कुछ न कह कर सर्पप्रथम हम ये देखने चाहेंगे की आप क्या कहना चाहते हैं ,फिर सब सदस्यों से अनुरोध करूँगा की वो अपने विचार प्रकट करें, शायद आपकी प्रथम प्रविष्टि आपके इस सूत्र की भूमिका मात्र थी ,लेकिन भूमिका ही इतनी विचारोतेजक और टिपण्णी आग्रहशील थी की हमारे माननीय वरिष्ट सदस्य खुद को रोक नहीं पाए .
आपकी प्रविष्टियों का स्वागत है .
गुल्लू जी के आर्शीवचनोँ से अभिभूत हूँ और कृतज्ञतापूर्वक उनके अपार स्नेह के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहूँगा । निश्चय ही वह मर्मज्ञ हैँ और विषय का मर्म समझकर नवागन्तुकोँ को प्रोत्साहित करने की कला मेँ सिद्धहस्त हैँ ऐसी ही कला की बानगी मेरे सम्मुख पूर्व मेँ अनिल शर्मा जी के रूप मेँ नमूदार हुई थी जिनके कौशल का मैँ आजतक मुरीद हूँ । हाँ , अरविन्द जी की सदाशयता और नेकनीयती के फलस्वरूप सूत्र संचालन का अभयदान मिल जाना मेरे लिए कम विस्मयकारी नहीँ है , मैँ उनका भी कृतज्ञ हूँ ।उनके वरदहस्त से अब मैँ भयमुक्त हो चला हूँ लेकिन मैँ उनसे कहना अवश्य चाहूँगा कि पीड़ा और वेदना जैसी भावनाओँ की कोई सांख्यिकी नहीँ होती । पीड़ा एक मामिँक अनुभूति है जिसका सीधा सम्बन्ध दिल से है जिसे आँकड़ोँ मेँ अभिव्यक्त करने का पैरामीटर आजतक नहीँ बनाया जा सका है । अन्त मेँ , जलवा जी आप मेरे वरिष्ठ हैँ और आपका परामर्श मेरे लिए आदेशतुल्य है ।
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