30-01-2017, 10:53 PM | #71 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
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31-01-2017, 11:54 AM | #72 | |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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31-01-2017, 02:36 PM | #73 | |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
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रजनीश जी फ़ोरम के एकमात्र सूर्य हैं जो कभी उगना नहीं भूलते।
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01-02-2017, 09:50 AM | #74 | |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
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02-02-2017, 04:24 AM | #75 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
रजनीश जी, इस सूत्र की जितनी तारीफ़ की जाए कम है, फोरम के बेहतरीन सूत्रों में से एक.
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
02-02-2017, 01:51 PM | #76 | |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
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02-02-2017, 01:55 PM | #77 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 जनवरी)
सीमाब अकबराबादी / Seemab Akbarabadi
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02-02-2017, 02:19 PM | #78 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 जनवरी)
सीमाब अकबराबादी / Seemab Akbarabadi अल्लामा सीमाब अकबराबादी (मूल नाम सैयद आशिक़ हुसैन सिद्दीकी) के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म आगरा में हुआ था l विभाजन के बाद वे पाकिस्तान गए थे लेकिन लकवा हो जाने के कारण वहीँ रह गएl वो आगरा में जन्मे थे। वे अरबी, फ़ारसी और उर्दू जुबान के विद्वान थे । गद्य और पद्य दोनों में उनकी किताबें मिलती हैं। ग़ज़ल से अधिक उन्होंने नज़्मों की रचना की। एक साप्ताहिक पत्र ''ताज'' और एक मासिक पत्रिका ''शायर'' निकाला । पत्रिका शायर आज भी बम्बई से निकल रही है। उनका परिवार भारत में ही रहा था जो आगरा से शिफ्ट हो कर मुंबई आ गए थेl सीमाब साहब के बेटे इजाज़ सिद्दीकी काफी समय तक इस पत्रिका को चलाते रहे और बाद में उनके पौते इफ्तिखार इमाम सिद्दीकी इसे चला रहे हैं. इफ्तिखार साहब भी उम्दा शायर हैं. उनकी एक ग़ज़ल फिल्म ‘अर्थ’ में आपने चित्र सिंह की आवाज़ में सुनी होगी ‘तू नहीं तो ज़िंदगी में और क्या रह जायेगा / दूर तक तनहाइयों का सिलसिला रह जायेगा’. आइये सीमाब साहब के क़लाम से रू-ब-रू होते हैं: सीमाब अकबराबादी ग़ज़ल ------------------------------- अब क्या बताऊँ मैं तेरे मिलने से क्या मिला इर्फ़ान-ए-ग़म हुआ मुझे, दिल का पता मिला जब दूर तक न कोई फ़कीर-आश्ना मिला, तेरा नियाज़-मन्द तेरे दर से जा मिला मन्ज़िल मिली,मुराद मिली मुद्द'आ मिला, सब कुछ मुझे मिला जो तेरा नक़्श-ए-पा मिला या ज़ख़्म-ए-दिल को चीर के सीने से फेंक दे, या ऐतराफ़ कर कि निशान-ए-वफ़ा मिला "सीमाब" को शगुफ़्ता न देखा तमाम उम्र, कमबख़्त जब मिला हमें कम-आश्ना मिला शब्दार्थ: इर्फ़ान-ए-ग़म = दुःख का ज्ञान / नियाज़-मन्द = विनीत, चाहने वाला / मुराद = इच्छा,चाह / मुद्द'आ = विषय / नक़्श-ए-पा = पद-चिह्न / ऐतराफ़ = स्वीकार कर / शगुफ़्ता = आनंदित / तमाम = सारी / कमबख़्त = अशुभ
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02-02-2017, 05:11 PM | #79 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (2 फ़रवरी)
आचार्य रामचंद्र शुक्ल / Acharya Ram Chandra Shukla
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05-02-2017, 12:55 PM | #80 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (5 फ़रवरी) चौरी चौरा विद्रोह / Chauri Chaura Vidroh
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 05-02-2017 at 01:00 PM. |
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