13-08-2013, 08:08 AM | #1 |
Diligent Member
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सवैया छन्द
देश हुआ बदहाल यहाँ अब चैन कहीँ मिलता किसको है चैन भरा दिन काट रहे सब लूट लिए दिखता किसको है भारत की परवाह नहीँ यह सत्य यहाँ जचता किसको है ऐश करे अगुवा पर शुल्क यहाँ भरना पड़ता किसको है सवैया - आकाश महेशपुरी Aakash maheshpuri |
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