18-08-2013, 12:05 PM | #1 |
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गुड़िया
गुड़िया खेलने की उम्र में हुई थी मेरी गुड़िया बहन मैंने फेंक दी कोने में कपड़े की गुड़िया अब मैं जीती-जागती गुड़िया की माँ थी उसके खाने के बाद खाती ,सोने पर सोती जाग जाती उसके जागने से पहले मेरे पास एक प्यारा गुड्डा भी था जो अब मेरे मन के संदूक में बंद ही रहता अधिकतर रात को जब सो जाती मेरी गुड़िया बहन गुड्डे के साथ मैं सैर करती परी लोक की गुड्डा मेरे साथ ही बढकर युवा हुआ जब किशोर हुई मेरी गुड़िया बहन लड़की के लिए बनाई गईं पगडंडियाँ मुझे पसंद नहीं थीं संघर्ष मेरी नियति बन गई कुछ भी नहीं मिला मुझे आसानी से ना शिक्षा..ना आजादी बागी थी,इसलिए बुरी भी कहलाई गुड़िया बहन को मिला बना-बनाया रास्ता मैं आगे के झांड़ -झंखाड़ साफ़ करके बढती गुड़िया मेरे पीछे चलती मंजिल तक पहुँचते-पहुंचते धूमिल पड़ गई मेरे सौंदर्य की दीप्ति जबकि दमक रही थी मेरी गुड़िया बहन एक दिन मैंने देखा गुड़िया बहन बाजार में मेरे गुड्डे के साथ थी वह सचमुच की गुड़िया बन चुकी थी | Ranjana Jaiswal
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