18-08-2013, 06:43 PM | #1 |
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गणित + विज्ञान = इश्क ?
(अंतरजाल से संकलित)
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
18-08-2013, 06:44 PM | #2 |
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Re: गणित + विज्ञान = इश्क ?
कभी जो चमकता सितारा था
अब एक ‘ब्लैकहोल’ है ! - हुआ क्या? किसे पता सिंगुलारिटी में होता क्या है ! - तुम्हारा गणित क्या कहता है? गणित के समीकरण ही तो जवाब दे जाते हैं... 1 ...निरर्थक तरीके से असीमित विध्वंस. इंटेलेक्चुयल्स के इश्क़ की तरह ! -------------------------------------------
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18-08-2013, 06:44 PM | #3 |
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Re: गणित + विज्ञान = इश्क ?
- अगर मैं ब्लैकहोल में कूद जाऊँ तो?
मरोगे ! - क्या होगा मेरा? संभवतः... उस अनंत घनत्व में चूर हो विलीन हो जाओ... - मुझे ये दुनिया छोड़ कहीं और चले जाना हो तो? पलायन वेग से भाग पाओगे? - एक बार ब्लैकहोल से मिल लूँ फिर नहीं, पॉइंट ऑफ नो रिटर्न हैं वहाँ... वहाँ से भागना असंभव... प्रकाश की गति के लिए भी ! -------------------------------------------
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18-08-2013, 06:44 PM | #4 |
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Re: गणित + विज्ञान = इश्क ?
- क्वान्टम उलझन क्या होता है?
रोमांटिक फिजिक्स ! - वो कैसे? दो कण... अलौकिक प्रेम की तरह जुड़े होते हैं जैसे उनका अस्तित्व एक ही हो ! परकृति के उस सूक्ष्मतम स्तर पर स्वच्छंदता भी नहीं होती – अद्वितीय जोड़े ! - दूर हुए तो? ब्रह्मांड में कहीं भी रहें एक को छेड़ो तो दूसरा भी उसी क्षण प्रभावित हो जाता है ! - ये कैसे हो सकता है? क्वान्टम इश्क़ ! समझ ही आना होता तो... पिछली सदी के सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क ने ‘भुतहा प्रक्रिया’ न कहा होता ! - आइन्सटाइन गलत थे? नहीं... आस पास जो है सब वैसे मस्तिष्कों के कहे पर चल रहा है - फिर? ‘बेहतर सच’ आते रहते हैं! - सच समझ के बाहर कैसे? गणित और प्रयोग सही कह दे तो... कभी-कभी सच इंद्रियबोध के बाहर होता है ! …at times, truth makes no sense! - जैसे ? अगर गणित कहता है कि कोई घटना ब्रह्मांड की उम्र बीतने के बाद होगी तो... -------------------------------------------
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18-08-2013, 06:44 PM | #5 |
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Re: गणित + विज्ञान = इश्क ?
- क्या हम कुछ प्रकाशवर्ष की दूरी तय कर सकते हैं?
हाँ ! कुछ सालों में शायद... - अगर वहाँ हम एक दर्पण रख आयें तो क्या हम अपना बीते दिन देख पाएंगे? हाँ ! - हम कोई भी दूरी तय कर पाएंगे? शायद हाँ.. .... अपनों के बीच आ गयी दूरी का पता नहीं ! -------------------------------------------
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18-08-2013, 06:45 PM | #6 |
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Re: गणित + विज्ञान = इश्क ?
- क्या तुम भी टूट सकते हो?
हाँ। हर चीज की एलास्टिक लिमिट होती है... मेरी भी अनंत नहीं। ------------------------------------------- - सुना, एक रोबोट को प्रोग्राम किया था इश्क़ करने को? हाँ और वो कुछ ज्यादा ही आगे निकाल गया? - गलत प्रोग्रामिंग? ...गलत कैसे? इंसान से ही कौन सा संभल जाता है ! -------------------------------------------
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18-08-2013, 06:45 PM | #7 |
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Re: गणित + विज्ञान = इश्क ?
- श्रोडिंगर कैट जैसा कुछ होता है?
जैसे... जब कुछ पाने का बहुत मन हो और उसे ना पाने का भी। मनोवैज्ञानिक उसे अपोरिया कहते हैं ! -------------------------------------------
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18-08-2013, 06:45 PM | #8 |
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Re: गणित + विज्ञान = इश्क ?
- क्या कोई और भी ऐसा सोच रहा होगा?
हाँ ! बिलकुल अलग लोग अलग समय-काल में एक जैसा सोचते हैं। - बहुत अजीब नहीं है? अगर कुछ बहुत अजीब है तो उसमें कुछ बहुत रोचक भी जरूर होता है। - सब कुछ गणित का समीकरण तो नहीं होता ! बहुत कुछ अनचाहा समझ के बाहर का भी होता है। गणित भी तो विकसित होता रहता है। हर जगह अपूर्णता है। - हमेशा रहेगी? हाँ। -------------------------------------------
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18-08-2013, 06:45 PM | #9 |
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Re: गणित + विज्ञान = इश्क ?
- तुमने एक बार ‘लॉन्गर दैन फॉरएवर’ सा कुछ कहा था?
हाँ। फाइनाइटनेस का स्ट्रोक लगने के पहले तक। ------------------------------------------- - क्या पैराडॉक्स हल नहीं होते? जीवन भी ऐसा ही हैं न? हाँ। पर कभी-कभी जेनो जैसों को सुलझाने के लिए एक फॉर्मूला ही काफी होता है। -------------------------------------------
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18-08-2013, 06:46 PM | #10 |
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Re: गणित + विज्ञान = इश्क ?
- मुझे खुश रहना है !
पानी के लिए चाँद पर नहीं जाना होता। - ज्ञानी खुश रहते हैं? नहीं। अक्सर कर्ण की धनुर्विद्या की तरह। कलह परमर्शदाताओं के घर भी होता है। - फिर? खुश रहने की चिंता में दुखी रहना बंद करो। -------------------------------------------
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