15-12-2012, 04:57 PM | #1 |
Senior Member
Join Date: Oct 2010
Location: गरवी गुजरात
Posts: 398
Rep Power: 22 |
इंटरनेट की माया (हास्य कविता )
इंटरनेट की माया (हास्य कविता )
यह मेरी रचना नही है सब अंतरजाल की माया है |
15-12-2012, 04:58 PM | #2 |
Senior Member
Join Date: Oct 2010
Location: गरवी गुजरात
Posts: 398
Rep Power: 22 |
Re: इंटरनेट की माया (हास्य कविता )
अंतर्जाल पर रोज मिलते थे
प्यार भरे शब्द एक दूसरे के लिये लिखते थे, बहुत दिन बाद आशिक और माशुका को आपस में मिलने की बात दिमाग में आई, एक तारीख चुनकर अपनी मीट होटल में सजाई। आशिक पहले पहुंचकर टेबल पर बैठ गया माशुका थोड़ी देर बाद आई। दोनों ने देखा एक दूसरे को तब एक उदासी उनके चेहरे पर नज़र आई। फिर भी खाना पीना टेबल पर सज गया तो उसे खाने की इच्छा उनके मन में आई। आशिक ने बिल की कीमत बड़े बेमन से चुकाई। |
15-12-2012, 04:59 PM | #3 |
Senior Member
Join Date: Oct 2010
Location: गरवी गुजरात
Posts: 398
Rep Power: 22 |
Re: इंटरनेट की माया (हास्य कविता )
बातचीत का दौर शुरु हुआ तो
माशुका एकदम जोर से आशिक पर चिल्लाई, ‘सच कहते हैं इंटरनेट पर धोखे हजार है, जो खाये वह हो बरबाद जो दे उसकी तो बहार है तुम तो छत्तीस के लगते हो भले ही इंटरनेट में अपने फोटो में पच्चीस के बांके जवान की तरह फबते हो, शर्म की बात है तुमने अपनी उम्र मुझे केवल तीस बताई।’ |
15-12-2012, 04:59 PM | #4 |
Senior Member
Join Date: Oct 2010
Location: गरवी गुजरात
Posts: 398
Rep Power: 22 |
Re: इंटरनेट की माया (हास्य कविता )
सुनकर उठ खड़ा हुआ आशिक
और बोला ‘तीस साल का ही हूं वह तो धूप में जवानी थोड़ा पक गयी है, तुम्हारे लिये टंकित करते हुए श्रृंगार रस से भरी कवितायें यह आंखें कुछ थक गयी हैं, कंप्यूटर पर बैठा बैठा मोटा और भद्दा हो गया हूं, पर इसका मतलब यह नहीं कि जवानी का दिल बिछाकर सो गया हूं, मेरी बात छोड़ो, बात का रुख अपनी तरफ मोड़ो, तुम छह साल से अपनी उम्र अट्ठारह ही बता रही हो, फोटो दिखाकर यूं ही सता रही हो, जब तुम्हें मीट में आते देखा तो सोच रहा था पता नहीं यह कहीं मेरी माशुका की माताश्री तो नहीं आयी है। मुझ पर लगा रही है हो छह साल कम उम्र बताने का आरोप जबकि तुमने तो कम से कम सात साल सात महीने कम बतायी है। जहां तक मेरा अनुमान है तुम्हारा नाम भी दूसरा होगा मुझ से तो तुमने छद्म मोहब्बत रचाई है। होटल में खा पीकर चली जाओगी, फिर दूसरी जगह दाव आजमाओगी, मेरी यह गलती थी जो छह साल तक तुम्हें अपने दिल की रानी माना, अपनी तरफ देखो मुझे न दो ताना, तुम्हें क्या दोष दूं इंटरनेट की माया दुनियां की तरह अज़ीब है इसलिये मैंने यह छठी ठोकर खाई।’ इस तरह आशिक माशुक की पहली मीट ने दोनों के इश्क की कब्र बनाई। |
15-12-2012, 06:12 PM | #5 |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,570
Rep Power: 42 |
Re: इंटरनेट की माया (हास्य कविता )
सही बात है मित्र , इंटरनेट की दुनिया का यही काला सच है !
मैंने भी कुछ ऐसा ही यहाँ कहा है ! http://myhindiforum.com/showthread.php?t=5343 |
16-12-2012, 08:43 AM | #6 |
Senior Member
Join Date: Oct 2010
Location: गरवी गुजरात
Posts: 398
Rep Power: 22 |
Re: इंटरनेट की माया (हास्य कविता )
बुरी आदते जो भी है अभी से बदल डालो
मौका मिलते ही तुम फेसबुक खोल डालो हर पल अपना स्थिति संदेश बदल डालो मित्रो टिप्पणी मेरी दीवार पर लिख डालो… सुबह हो शाम या फिर दिन हो या रात करो अपनों से दिल की या फालतू बात अपनी खतम हो तो करो दूसरों की बात मित्रो देर सुबेर कर लेना मुझसे तुम बात…. लगे छींक, होवे बुखार या हो जाये प्यार बस जल्दी से लिख डालो ताज़ा समाचार खुसनसीब होगे तो लग जाएगी भीड़ अपार बदनसीब होंगे तो मित्र आएंगे बस दो चार… किसी समूह मे यदि न दे कोई आपको भाव तब बात करो येसी कि बन जाये वो घाव बनाओ अपना भी समूह खेलो तुम येसा दाँव उद्देश्य न समझे कोई पर दे आपको केवल भाव… महिलाओं को मिलता यहाँ भी है खूब सम्मान चाटुकारिता अपनाओ और बढ़ाओ अपना मान कुछ विवादास्पद कह कर बढ़ाओ अपनी शान कदम फूँककर रखना ये फेसबुक है भाई-जान… खूब मनाओ और भुनाओं तुम सारे अवसर उड़ाओ मज़ाक किसी का या करो तिरस्कार वैसे प्रोफाइल आपका, उसपर आपका अधिकार कोई आहत न हो यहाँ, इसका करना विचार… |
16-12-2012, 10:13 AM | #7 |
Administrator
|
Re: इंटरनेट की माया (हास्य कविता )
इन्टरनेट की वास्तविकता को सही मायनों में प्रदर्शित करती इस शानदार कविता को शेयर करने के लिए जीत जी, आपका बहुत बहुत आभार।
__________________
अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
18-12-2012, 03:40 PM | #8 |
Senior Member
Join Date: Oct 2010
Location: गरवी गुजरात
Posts: 398
Rep Power: 22 |
Re: इंटरनेट की माया (हास्य कविता )
हँसमुखजी नेइंटरनेट पर
फोटो लगा दी यंग उसे देख महिलाएँहो गयी दंग भेजने लगी चैट के निमंत्रण दना दान निरंतरघंटों चैटिंग होने लगी चालीस के महिलाएँ खुद को१६ का समझने लगी घर परिवार की बातेंहोने लगी दिलों में ताँक झाँकबढ़ने लगी ५५ साल के हँसमुखजीघबरा गए बातों ही बातों में असली उम्र से वाकिफ करा गए अरमानों का घडा फूट गया मज़ा सारा किरकिरा हो गया बिना फिसलन के पैरफिसल गया महिलाओं के रंग में पड़ गया भारी भरकम भंग चैटिंग हो गयी फ़ौरन बंद अब भैया ,बहना कहते हैं मैसेज से काम चलाते हैं मन के लड्डू कभी कभास फिर भी फूट जाते हैं |
18-12-2012, 09:58 PM | #9 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: इंटरनेट की माया (हास्य कविता )
[QUOTE=jeet;196587]
हँसमुखजी नेइंटरनेट पर फोटो लगा दी यंग .... निरंतरघंटों चैटिंग होने लगी ..... अरमानों का घडा फूट गया ..... चैटिंग हो गयी फ़ौरन बंद अब भैया ,बहना कहते हैं Thanks, jeet ji, for your internetting and interesting poems. A Abhishek ji has already commented this is the poetic expression of inter-action taking place on internet. |
Bookmarks |
|
|