07-12-2012, 09:35 PM | #11 | |
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Re: मेरी रचनाये- दीपक खत्री 'रौनक'
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बहुत अच्छी रचना है दीपक खत्री जी, अंतर्मन की उथल पुथल और कशमकश की बड़ी स्वाभाविक अभिव्यक्ति रखी है आपने. सरल दिखने वाले प्रश्नों की सहज अनुभूति. धन्यवाद व बधाई. चंद पंक्तियाँ पेश कर रहा हूँ:- मैं जानता हूँ तुम ग़लत नहीं हो क्योंकि तुम जहाँ पर हो वही ठीक था जो तुमने किया. किन्तु में ग़लत हूँ यह भी तो कहाँ सिद्ध हुआ है? क्योंकि जहाँ में हूँ वहाँ पर वही ठीक था जो मेने किया है. दोनों अपनी अपनी जगह ठीक हैं दोनों अपनी अपनी जगह बदल लें तो ??? Last edited by rajnish manga; 07-12-2012 at 09:43 PM. |
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12-12-2012, 10:46 AM | #12 |
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Re: मेरी रचनाये- दीपक खत्री 'रौनक'
Bahut Bahut aabhaar rajneesh ji aapka............ aapki lekhni ki bhi jitni tareef ki jaye kam hai......... :-)
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12-12-2012, 10:50 AM | #13 |
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Re: मेरी रचनाये- दीपक खत्री 'रौनक'
दीपक जी आपकी रचनाये काफी अच्छी हैं, पढने में मज़ा आता है। ऐसे ही लिखते रहिये। धन्यवाद
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13-12-2012, 08:33 PM | #14 |
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Re: मेरी रचनाये- दीपक खत्री 'रौनक'
sukriya bhaijaan.....aabhaar aapka
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