My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Miscellaneous > Healthy Body

Closed Thread
 
Thread Tools Display Modes
Old 27-06-2013, 11:46 AM   #1
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Smile घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

इमली के औषधीय गुण
(१) वीर्य – पुष्टिकर योग : इमली के बीज दूध में कुछ देर पकाकर और उसका छिलका उतारकर सफ़ेद गिरी को बारीक पीस ले और घी में भून लें, इसके बाद सामान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें | इसे प्रातः एवं शाम को ५-५ ग्राम दूध के साथ सेवन करने से वीर्य पुष्ट हो जाता है | बल और स्तम्भन शक्ति बढ़ती है तथा स्व-प्रमेह नष्ट हो जाता है |
(२) शराब एवं भांग का नशा उतारने में : नशा समाप्त करने के लिए पकी इमली का गूदा जल में भिगोकर, मथकर, और छानकर उसमें थोड़ा गुड़ मिलाकर पिलाना चाहिए |
(३) इमली के गूदे का पानी पीने से वमन, पीलिया, प्लेग, गर्मी के ज्वर में भी लाभ होता है |
(४) ह्रदय की दाहकता या जलन को शान्त करने के लिये पकी हुई इमली के रस (गूदे मिले जल) में मिश्री मिलाकर पिलानी चाहियें |
(५) लू-लगना : पकी हुई इमली के गूदे को हाथ और पैरों के तलओं पर मलने से लू का प्रभाव समाप्त हो जाता है | यदि इस गूदे का गाढ़ा धोल बालों से रहित सर पर लगा दें तो लू के प्रभाव से उत्पन्न बेहोसी दूर हो जाती है |
(६) चोट – मोच लगना : इमली की ताजा पत्तियाँ उबालकर, मोच या टूटे अंग को उसी उबले पानी में सेंके या धीरे – धीरे उस स्थान को उँगलियों से हिलाएं ताकि एक जगह जमा हुआ रक्त फ़ैल जाए |
(७) गले की सूजन : इमली १० ग्राम को १ किलो जल में अध्औटा कर (आधा जलाकर) छाने और उसमें थोड़ा सा गुलाबजल मिलाकर रोगी को गरारे या कुल्ला करायें तो गले की सूजन में आराम मिलता है |
(८) खांसी : टी.बी. या क्षय की खांसी हो (जब कफ़ थोड़ा रक्त आता हो) तब इमली के बीजों को तवे पर सेंक, ऊपर से छिलके निकाल कर कपड़े से छानकर चूर्ण रख ले| इसे ३ ग्राम तक घृत या मधु के साथ दिन में ३-४ बार चाटने से शीघ्र ही खांसी का वेग कम होने लगता है | कफ़ सरलता से निकालने लगता है और रक्तश्राव व् पीला कफ़ गिरना भी समाप्त हो जाता है |
(९) ह्रदय में जलन : पकी इमली का रस मिश्री के साथ पिलाने से ह्रदय में जलन कम हो जाती है |
(१०) नेत्रों में गुहेरी होना : इमली के बीजों की गिरी पत्थर पर घिसें और इसे गुहेरी पर लगाने से तत्काल ठण्डक पहुँचती है |
(११) चर्मरोग : लगभग ३० ग्राम इमली (गूदे सहित) को १ गिलाश पानी में मथकर पीयें तो इससे घाव, फोड़े-फुंसी में लाभ होगा |
(१२) उल्टी होने पर पकी इमली को पाने में भिगोयें और इस इमली के रस को पिलाने से उल्टी आनी बंद हो जाती है |
(१३) भांग का नशा उतारने में : नशा उतारने के लिये शीतल जल में इमली को भिगोकर उसका रस निकालकर रोगी को पिलाने से उसका नशा उतर जाएगा |
(१४) खूनी बवासीर : इमली के पत्तों का रस निकालकर रोगी को सेवन कराने से रक्तार्श में लाभ होता है |
(१५) शीघ्रपतन : लगभग ५०० ग्राम इमली ४ दिन के लिए जल में भिगों दे | उसके बाद इमली के छिलके उतारकर छाया में सुखाकर पीस ले | फिर ५०० ग्राम के लगभग मिश्री मिलाकर एक चौथाई चाय की चम्मच चूर्ण (मिश्री और इमली मिला हुआ) दूध के साथ प्रतिदिन दो बार लगभग ५० दिनों तक लेने से लाभ होगा |
(१६) लगभग ५० ग्राम इमली, लगभग ५०० ग्राम पानी में दो घन्टे के लिए भिगोकर रख दें उसके बाद उसको मथकर मसल लें | इसे छानकर पी जाने से लू लगना, जी मिचलाना, बेचैनी, दस्त, शरीर में जलन आदि में लाभ होता है तथा शराब व् भांग का नशा उतर जाता है | हँ का जायेका ठीक होता है |
(१७) बहुमूत्र या महिलाओं का सोमरोग : इमली का गूदा ५ ग्राम रात को थोड़े जल में भिगो दे, दूसरे दिन प्रातः उसके छिलके निकालकर दूध के साथ पीसकर और छानकर रोगी को पिला दे | इससे स्त्री और पुरुष दोनों को लाभ होता है | मूत्र- धारण की शक्ति क्षीण हो गयी हो या मूत्र अधिक बनता हो या मूत्रविकार के कारण शरीर क्षीण होकर हड्डियाँ निकल आयी हो तो इसके प्रयोग से लाभ होगा |
(१८) अण्डकोशों में जल भरना : लगभग ३० ग्राम इमली की ताजा पत्तियाँ को गौमूत्र में औटाये | एकबार मूत्र जल जाने पर पुनः गौमूत्र डालकर पकायें | इसके बाद गरम – गरम पत्तियों को निकालकर किसी अन्डी या बड़े पत्ते पर रखकर सुहाता- सुहाता अंडकोष पर बाँध कपड़े की पट्टी और ऊपर से लगोंट कास दे | सारा पानी निकल जायेगा और अंडकोष पूर्ववत मुलायम हो जायेगें |
(१९) पीलिया या पांडु रोग : इमली के वृक्ष की जली हुई छाल की भष्म १० ग्राम बकरी के दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करने से पान्डु रोग ठीक हो जाता है |
(२०) आग से जल जाने पर : इमली के वृक्ष की जली हुई छाल की भष्म गाय के घी में मिलाकर लगाने से, जलने से पड़े छाले व् घाव ठीक हो जाते है |
(२१) पित्तज ज्वर : इमली २० ग्राम १०० ग्राम पाने में रात भर के लिए भिगो दे | उसके निथरे हुए जल को छानकर उसमे थोड़ा बूरा मिला दे | ४-५ ग्राम इसबगोल की फंकी लेकर ऊपर से इस जल को पीने से लाभ होता है |
(२२) सर्प , बिच्छू आदि का विष : इमली के बीजों को पत्थर पर थोड़े जल के साथ घिसकर रख ले | दंशित स्थान पर चाकू आदि से छत करके १ या २ बीज चिपका दे | वे चिपककर विष चूसने लगेंगे और जब गिर पड़े तो दूसरा बीज चिपका दें | विष रहने तक बीज बदलते रहे |
VARSHNEY.009 is offline  
Old 27-06-2013, 11:49 AM   #2
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

अम्बला के औषधीय गुण
  • पेशाब में जलन होने पर : हरे आंवले का रस 50 ग्राम , शहद 20 ग्राम दोनों को मिलाकर एक मात्रा तैयार करे | दिन में दो बार लेने से मूत्र पर्याप्त होगा और मूत्र मार्ग की जलन समाप्त हो जायेगी |
  • कृमि पड़ना – खान–पान की गडबडी के कारण यदि पेट में कीड़े पड़ गए हो तो थोड़ा–थोड़ा आंवले का रस एक सप्ताह तक पीने से वे समाप्त हो जाते है |
  • गर्मी के विकार – ग्रीष्म ऋतु में गर्मी की अधिकता के कारण कमजोरी प्रतीत हो , चक्कर आये, मूत्र का रंग पीला हो जाए तो प्रतिदिन सुबह के समय एक नाग आंवले का मुरब्बा खाकर ऊपर से शीतल जल पी ले गर्मी के विकार दूर हो जायेगें |
  • कट जाने पर - किसी कारण शरीर का कोई अंग कट जाए और उससे खून निकालने लगे तो आंवले का ताजा रस लगा देने से रक्तश्राव बन्द हो जाता है कटी हुई जगह जल्द ठीक हो जायेगी |
  • विष–अफीम का असर खत्म करना – आंवले की ताजा पत्तियाँ 100 ग्राम को 500 ग्राम पानी में उबालकर और छानकर पिलाने से शरीर में अधिक दिनों से रमा हुआ अफीम का विष भी शांत हो जाता है |
  • मुख , नाक, गुदा से या खून की गर्मी के कारण रक्तश्राव – ऐसा होने पर ताजा आंवले के रस में मधु (शहद) मिलाकर रोगी व्यक्ति को पिलाना चाहिये |
  • नकसीर – ताजा आंवले के सिथरे हुए रस की 3-4 बूदे रोगी के नथुनों (नासाछिद्रों) में डालें तथा इसी प्रकार प्रति 15-20 मिनट बाद नस्य देकर ऊपर को चढ़ाने को कहें, नकशीर बन्द हो जायेगी | साथ ही आंवले को भी भूनकर छाछ (मठ्ठा) या काँजी में पीसकर मस्तिष्क पर लेप करा देने से शीघ्र लाभ होगा |
  • बहुमूत्र – आंवले के पत्ते का रस २०० ग्राम में दारूहल्दी घिसकर और मिलाकर पिलाने से बहुमूत्र व्याधि से लाभ हो जाता हैं |
  • मूर्च्छा – पित्त की विकृति कारण हुई मूर्च्छा में आंवले के रस में आधी मात्रा गाय का घी मिलाकर, थोड़ा- थोड़ा दिन में कई बार देकर ऊपर से गाय का दूध पिला देना चाहिये | कुछ दिनों तक इसके इस्तेमाल से मूर्छा रोग हमेशा के लिए खत्म हो जाता है |
  • पीलिया , शरीर में खून की कमी – जीर्ण ज्वरादि से उत्पन्न पाण्डु-रोग को दूर करने के लिए ताजे आंवले के रस में गन्ने का ताजा रस और थोड़ा सा शहद मिलाकर पीना चाहिए, इससे लाभ होगा |
  • मिरगी या अपस्मार – ताजे आंवले के 4 किलो रस में मुलेठी 50 ग्राम तथा गोघृत 250 ग्राम मिला मन्दाग्नि पर पकाकर घृत सिद्ध कर ले | इस घृत के सेवन से मिरगी में लाभ हो जाता है |
  • अम्लपित्त , रक्तपित्त, ह्रदय की धड्कन, वातगुल्म, दाह – ताजे आवले का कपड़े से छना हुआ रस 25 ग्राम में सममात्रा में मधु मिलाकर (यह एक मात्रा है ) प्रातः एवं सायं पिलाने से सभी व्याधियों में आशातीत लाभ होता है |
आँवले के रस या चूर्ण का कोई भी प्रयोग मिट्टी , पत्थर या कांच के पात्र में रखकर ही सेवन करना चाहिये किसे अन्य धातु के पात्र में नहीं |
  • नेत्रों की लाली – (1) ताजे आँवले के रस को कलईदार पात्र में भरकर पकावें | गाढ़ा होने पर लंबी – लंबी गोलियां बनाकर रखा ले | इसे पानी में घिसकर सलाई से लगाते रहने से नेत्रों की लालिमा दूर हो जाती है | (2) आँख आना या नेत्राभिश्यन्द रोग की प्रारम्भिक अवस्था में भली प्रकार पके ताजा आँवले के रस की बूँद आँखों में टपकाते रहने से नेत्रों की जलन, दाहकता, पीड़ा व लालिमा दूर हो जाती है |
  • दाँत निकलना – बच्चों के दाँत निकलते समय आँवले के रस को मसूढ़ों पर मलने से आराम से और बिना कष्ट दाँत निकल आते है |
  • हिचकी , वमन , तृषा उबकाई – (1) आँवले के रस में शक्कर या मधु मिलाकर देने से पित्तजन्य वमन, हिचकी आदि बन्द हो जाती है | (2) किसी भी कारण से पित्त का प्रकोप हो और नेत्रों में धुधला सा छाने लगे तो आँवले के रस 20 ग्राम में सामान मात्रा में मिश्री मिलाकर पिलानी चाहिये |
  • केश श्वेत हो जाने पर – ताजे आँवले उबाल, मथ, रस छानकर बचे गूदे में चतुर्थांश घी मिलाकर भून ले | भली प्रकार भून जाने पर उसमे सामान मात्रा में कुटी हुई मिश्री मिलाकर किसे कलईदार पात्र में या अम्रतावान में भर कर रखें | 20-20 ग्राम मात्रा सुबह-शाम मधु के साथ सेवन करके ऊपर से गाय का दूध पिए | शरीर पुष्ठ होकर असमय पके सफ़ेद बाल काले और चिकने हो जायेगें | यह बाजीकरण का बहुत अच्छा रसायन है |
VARSHNEY.009 is offline  
Old 27-06-2013, 11:50 AM   #3
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

नशा मुक्ति
शराब पीना और विशेषरूप से धूम्रपान के साथ शराब पीना बहुत ही खतरनाक है | इससे अनेकों रोग जैसे कैंसर (मुह का ), महिलाओं में स्तन कैंसर, आदि रोग होते है | ऐसे बुरे व्यसन (आदत) एक मानसिक बीमारी है और इसे को छुडाने के लिए मानसिक बीमारी जैसे इलाज की आवश्यकता होती है |
वात होने पर लोग चिंता और घबराहट को दबाने के लिए धूम्रपान का सहारा लेते है | पित्त बढने से शरीर के अन्दर गर्मी लेने की इच्छा होती है और धूम्रपान की इच्छा होती है | कफ बढने से शरीर के अन्दर डाली गयी तम्बाकू की शक्ति बढती है |
लेकिन आप इसका इलाज आयुर्वेद के माध्यम से कर सकते है और इसे बनाने के लिए १८-२० जड़ी – बूटियों का प्रयोग किया जाता है | सभी औषधियों को निश्चित मात्रा में मिलाकर यह दवा तैयार की जाती है | इस दवा का कोई बुरा प्रभाव नहीं है यदि इसे शरीर के वजन और स्वास्थ्य अनुसार दवा की मात्रा तयकर लिया जाता है | इस दवा का प्रयोग किसी का शराब का नशा छुड़ाने, धूम्रपान का नशा छुड़ाने, और अन्य का नशा छुड़ाने (जैसे गुटका, तम्बाकू) में प्रयोग किया जा सकता है |
जड़ी – बूटियों का विवरण और मात्रा निम्न है –
  • गुलबनफशा - 2 ग्राम
  • निशोध - 4 ग्राम
  • विदारीकन्द (कुटज) – 15 ग्राम
  • गिलोय – 4 ग्राम
  • नागेसर - 3 ग्राम
  • कुटकी - 2 ग्राम
  • कालमेघ - 1 ग्राम
  • भ्रिगराज – 6 ग्राम
  • कसनी - 6 ग्राम
  • ब्राम्ही – 6 ग्राम
  • भुईआमला - 4 ग्राम
  • आमला - 11 ग्राम
  • काली हरर - 11 ग्राम
  • लौंग - 1 ग्राम
  • अर्जुन - 6 ग्राम
  • नीम – 7 ग्राम
  • पुनर्नवा - 11 ग्राम
  • मेश्श्रीन्गी
कैसे प्रयोग करे – उपर दी गयी सभी जड़ी – बूटियों को कूट और पीसकर पाऊडर बना लें । एक चम्मच दवा पाऊडर को एक दिन में दो बार खाना खाने के बाद पानी के साथ ले | इस दवा को खाने में मिलाकर भी दिया जा सकता है | जैसे – जैसे नशे की लत कम होने लगे इस दवा की मात्रा धीरे – धीरे कम कर दे | इस दवा का असर फ़ौरन पता चलने लगता है और लगभग दो माह में पूरी तरह से नशे की लत खत्म हो जाती है लेकिन दवा को कम मात्रा में और २-३ दिन के अंतर के लगभग ६ माह दे जिससे नशे की लत जड़ से खत्म हो जाए |
VARSHNEY.009 is offline  
Old 27-06-2013, 11:51 AM   #4
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

राई के औषधीय गुण

by Ghar Vaidya on July 27, 2012

राई के कई औषधीय गुण है और इसी कारण से इसे कई रोगों को ठीक करने में प्रयोग किया जाता है । कुछ रोगों पर इसका प्रभाव नीचे दिया जा रहा है -
  • हृदय की शिथिलता- घबराहत, व्याकुल हृदय में कम्पन अथवा बेदना की स्थिति में हाथ व पैरों पर राई को मलें। ऐसा करने से रक्त परिभ्रमण की गति तीव्र हो जायेगी हृदय की गति मे उत्तेजना आ जायेगी और मानसिक उत्साह भी बढ़ेगा।
  • हिचकी आना- 10 ग्राम राई पाव भर जल में उबालें फिर उसे छान ले एवं उसे गुनगुना रहने पर जल को पिलायें।
  • बवासीर अर्श- अर्श रोग में कफ प्रधान मस्से हों अर्थात खुजली चलती हो देखने में मोटे हो और स्पर्श करने पर दुख न होकर अच्छा प्रतीत होता हो तो ऐसे मस्सो पर राई का तेल लगाते रहने से मस्से मुरझाने ल्रगते है।
  • गंजापन- राई के हिम या फाट से सिर धोते रहने से फिर से बाल उगने आरम्भ हो जाते है।
  • मासिक धर्म विकार- मासिक स्त्राव कम होने की स्थिति में टब में भरे गुनगुने गरम जल में पिसी राई मिलाकर रोगिणी को एक घन्टे कमर तक डुबोकर उस टब में बैठाकर हिप बाथ कराये। ऐसा करने से आवश्यक परिमाण में स्त्राव बिना कष्ट के हो जायेगा।
  • गर्भाशय वेदना- किसी कारण से कष्ट शूल या दर्द प्रतीत हो रहा हो तो कमर या नाभि के निचें राई की पुल्टिस का प्रयोग बार-बार करना चाहिए।
  • सफेद कोढ़ (श्वेत कुष्ठ)- पिसा हुआ राई का आटा 8 गुना गाय के पुराने घी में मिलाकर चकत्ते के उपर कुछ दिनो तक लेप करने से उस स्थान का रक्त तीव्रता से घूमने लगता है। जिससे वे चकत्ते मिटने लगते है। इसी प्रकार दाद पामा आदि पर भी लगाने से लाभ होता है।
  • कांच या कांटा लगना- राई को शहद में मिलाकर काच काटा या अन्य किसी धातु कण के लगे स्थान पर लेप करने से वह वह उपर की ओर आ जाता है। और आसानी से बाहर खीचा जा सकता है।
  • अंजनी- राई के चूर्ण में घी मिलाकर लगाने से नेत्र के पलको की फुंसी ठीक हो जाती है।
  • स्वर बंधता- हिस्टीरिया की बीमारी में बोलने की शक्ति नष्ट हो गयी हो तो कमर या नाभि के नीचे राई की पुल्टिस का प्रयोग बार बार करना चाहिए।
  • गर्भ में मरे हुए शिशु को बाहर निकालने के लिए- ऐसी गर्भवती महिला को 3-4 ग्राम राई में थोंड़ी सी पिसी हुई हींग मिलाकर शराब या काजी में मिलाकर पिला देने से शिशु बाहर निकल आयेगा।
  • अफरा- राई 2 या 3 ग्राम शक्कर के साथ खिलाकर उपर से चूना मिला पानी पिलाकर और साथ ही उदर पर राई का तेल लगा देने से शीघ्र लाभ हो जाता है।
  • विष पान- किसी भी प्रकार से शरीर में विष प्रवेश कर जाये और वमन कराकर विष का प्रभाव कम करना हो तो राई का बारीक पिसा हुआ चूर्ण पानी के साथ देना चाहिए।
  • गठिया- राई को पानी में पीसकर गठिया की सूजन पर लगा देने से सूजन समाप्त हो जाती हैं। और गठिया के दर्द में आराम मिलता है।
  • हैजा- रोगी व्यक्ति की अत्यधिक वमन दस्त या शिथिलता की स्थिति हो तो राई का लेप करना चाहिए। चाहे वे लक्षण हैजे के हो या वैसे ही हो।
  • अजीर्ण- लगभग 5 ग्राम राई पीस लें। फिर उसे जल में घोल लें। इसे पीने से लजीर्ण में लाभ होता है।
  • मिरगी- राई को पिसकर सूघने से मिरगी जन्य मूच्र्छा समाप्त हो जाती है।
  • जुकाम- राई में शुद्ध शहद मिलाकर सूघने व खाने से जुकाम समाप्त हो जाता है।
  • कफ ज्वर- जिहृवा पर सफेद मैल की परते जम जाने प्यास व भूख के मंद पड़कर ज्वर आने की स्थिति मे राई के 4-5 ग्राम आटे को शहद में सुबह लेते रहने से कफ के कारण उत्पन्न ज्वर समाप्त हो जाता है।
  • घाव में कीड़े पड़ना- यदि घाव मवाद के कारण सड़ गया हो तो उसमें कीड़े पड जाते है। ऐसी दशा में कीड़े निकालकर घी शहद मिली राई का चूर्ण घाव में भर दे। कीड़े मरकर घाव ठीक हो जायेगा।
  • दन्त शूल- राई को किंचित् गर्म जल में मिलाकर कुल्ले करने से आराम हो जाता है।
  • रसौली, अबुर्द या गांठ- किसी कारण रसौली आदि बढ़ने लगे तो कालीमिर्च व राई मिलाकर पीस लें। इस योग को घी में मिलाकर करने से उसका बढ़ना निश्चित रूप से ठीक हो जाता है।
  • विसूचिका- यदि रोग प्रारम्भ होकर अपनी पहेली ही अवस्था में से ही गुजर रहा हो तो राई मीठे के साथ सेवन करना लाभप्रद रहता है।
  • उदर शूल व वमन- राई का लेप करने से तुरन्त लाभ होता है।
  • उदर कृमि- पेट में कृमि अथवा अन्श्रदा कृमि पड़ जाने पर थोड़ा सा राई का आटा गोमूत्र के साथ लेने से कीड़े समाप्त हो जाते है। और भविष्य में उत्पन्न नही होते।
VARSHNEY.009 is offline  
Old 27-06-2013, 12:05 PM   #5
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

वार्षनेय जी द्वारा दी जा रही जानकारी बहुत काम की है और भरोसेमंद है.
rajnish manga is offline  
Old 27-06-2013, 12:13 PM   #6
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

दादी माँ के घरेलु नुस्खों से
गौरा रंग और चमकदार त्वचा सभी की चाहत होती है। ज्यादा सांवले रंग के कारण कई बार शादी में भी समस्या होती है। अगर आप भी गौरी-गौरी त्वचा चाहते हैं। तो कुछ आसान आयुर्वेद नुस्खे ऐसे हैं जिनसे आपका सांवलापन पूरी तरह नहीं मगर काफी हद तक दूर हो सकता है। साथ ही इन नुस्खों से स्कीन तो हेल्दी होती ही है और मिलती है दिलकश खूबसूरती।


- रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।

- एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है (इस विधि को करने से त्वचा से सम्बन्धी कई रोग ठीक हो जाते हैं)।

- आंवला का मुरब्बा रोज एक नग खाने से दो तीन महीने में ही रंग निखरने लगते है।

- गाजर का रस आधा गिलास खाली पेट सुबह शाम लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है। रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सांफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है।

- प्रतिदिन खाने के बाद सौंफ का सेवन करे
VARSHNEY.009 is offline  
Old 27-06-2013, 12:15 PM   #7
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Smile Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

जब सताए मुंहासे
आज मुंहासे सिर्फ किशोरों की समस्या नहीं रह गई। बढ़ते प्रदूषण, तनाव, असंतुलित आहार, कम पानी पीने और नशे की आदत के चलते यह आजकल हर उम्र के लोगों की समस्या बन चुका है। इनसे निजात पाने के लिए बाजार में उपलब्ध किसी पिंपल क्रीम को आजमाने के बजाय यह उपाय अपना कर देखें।
  • मुंहासों पर चंदन का पेस्ट लगाने से यह बैठ जाते हैं। इसके लगातार इस्तेमाल से इनके निशान भी खत्म हो जाते हैं।
  • नीम के पानी की भाप लेने से मुंहासे धीरे-धीरे कम हो जाते हैं।
  • बेसन और मट्ठे का पेस्ट व जाय फल और दूध का पेस्ट चेहरे पर लगाने से भी मुंहासे कम होते हैं।
  • नींबू, टमाटर का रस या कच्चा पपीता लगाने से भी फायदा होता है।
  • अजवाइन पाउडर को दही में मिला कर चेहरे पर लगाएं। मुंहासों से छुटकारा मिलेगा।
VARSHNEY.009 is offline  
Old 27-06-2013, 12:15 PM   #8
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

सफेद बालों के लिए नुस्खे
टेंशन, भाग दौड़ भरी जिंदगी, बालों की ठीक से देखभाल न हो पाने और प्रदूषण के कारण बालों का सफेद होना एक आम समस्या बन गया है। बाल डाई करना या कलर करना इस समस्या का एकमात्र विकल्प नहीं। कुछ घरेलू उपचार आजमा कर भी सफेद बालों को काला किया जा सकता है।
  • कुछ दिनों तक, नहाने से पहले रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।
  • नीबू के रस में आंवला पाउडर मिलाकर सिर पर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
  • तिल खाएं। इसका तेल भी बालों को काला करने में कारगर है।
  • आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर बालों में लगाए। 15 मिनट बाद बाल धो लें। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।
  • प्रतिदिन घी से सिर की मालिश करके भी बालों के सफेद होने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
VARSHNEY.009 is offline  
Old 27-06-2013, 12:16 PM   #9
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Default Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

बाल झड़ने की समस्या
  • नीम का पेस्ट सिर में कुछ देर लगाए रखें। फिर बाल धो लें। बाल झड़ना बंद हो जाएगा।
  • चाय पत्ती के उबले पानी से बाल धोएं। बाल कम गिरेंगे।
  • बेसन मिला दूध या दही के घोल से बालों को धोएं। फायदा होगा।
  • दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ (रूसी) भी नहीं होगी।
VARSHNEY.009 is offline  
Old 27-06-2013, 12:17 PM   #10
VARSHNEY.009
Special Member
 
Join Date: Jun 2013
Location: रामपुर (उत्*तर प्&#235
Posts: 2,512
Rep Power: 16
VARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really niceVARSHNEY.009 is just really nice
Smile Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा

कफ और सर्दी जुकाम में
सर्दी जुकाम, कफ आए दिन की समस्या है। आप ये घरेलू उपाय आजमाकर इनसे बचे रह सकते हैं।
  • नाक बह रही हो तो काली मिर्च, अदरक, तुलसी को शहद में मिलाकर दिन में तीन बार लें। नाक बहना रुक जाएगा।
  • गले में खराश या सूखा कफ होने पर अदरक के पेस्ट में गुड़ और घी मिलाकर खाएं। आराम मिलेगा।
  • नहाते समय शरीर पर नमक रगड़ने से भी जुकाम या नाक बहना बंद हो जाता है।
  • तुलसी के साथ शहद हर दो घंटे में खाएं। कफ से छुटकारा मिलेगा।
VARSHNEY.009 is offline  
Closed Thread

Bookmarks

Thread Tools
Display Modes

Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 08:47 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.