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#1 |
Administrator
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![]() धन्यवाद. |
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#2 |
Administrator
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तो आज जिस फिल्म की मैं चर्चा कर रहा हूँ, उस फिल्म का नाम है
सोलवा साल |
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#3 |
Administrator
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सोलवा साल १९५८ में रिलीज़ हुई थी. इस फिल्म के director थे राज खोसला. मुख्या किरदार निभाए थे देव आनंद और वहीदा रहमान ने. फिल्म का संगीत दिया था सचिन देव बर्मन ने और गीत लिखे थे मजरूह सुल्तानपुरी ने. फिल्म की कहानी फ्रांक कापरा की कॉमेडी फिल्म "It Happened One Night" से प्रेरित थी. आपको यह जानकर काफी आश्चर्य होगा की इस अमेरिकी फिल्म से प्रेरणा लेकर कई हिंदी फिल्मे बन चुकी है जैसे राज कपूर और नर्गिस की चोरी चोरी, आमिर खान की दिल है की मानता नहीं, शम्मी कपूर की बसंत आदि.
देव आनंद और वहीदा रहमान के शानदार अभिनय और पंचम दा के संगीत से सजी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर बहुत ही अच्छा बिज़नस किया था. |
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#4 |
Exclusive Member
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अच्छा सुत्र बनाया आपने सिर्फ पुरानी फिल्मेँ पसन्द हैँ या नई फिल्मेँ भी देखतेँ हैँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
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#6 |
Administrator
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नयी फिल्में भी देखता हूँ. उनका भी जिक्र यहाँ पर जल्द ही करूंगा.
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#7 |
Administrator
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मज़े की बात यह है की मैंने "It Happened One Night" भी देखी है और सोलवा साल मुझे इसके अंग्रेजी version से ज्यादा अच्छी लगी.
आइयें अब जरा फिल्म की कथा पर प्रकाश डालते है. |
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#8 |
Administrator
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लाज (वहीदा रहमान) एक खुबसूरत और जवान लड़की है जो अपने पिता, २ बहनों और १ भाई के साथ रहती है. कॉलेज के साथी श्याम (जगदेव) से उसका प्रेम चल रहा होता है. किसी बात पर श्याम लाज से नाराज़ हो जाता है तो लाज "यह भी कोई रूठने" गा कर उसे मनाती है.
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#9 |
Administrator
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श्याम लाज को भगा कर अहमदाबाद ले जाकर शादी करना चाहता और वो एक नादान लड़की की तरह तयार हो जाती है. लाज के घर में कुछ और चल रहा होता है. उसके पिता उसकी शादी अपने एक दोस्त के बताये हुए लड़के के साथ करना चाहते है. अगले दिन सुबह उनका लड़के से एअरपोर्ट पर मिलने का प्लान होता है. वो लाज को सुबह ५ बजे उठाने के लिए कह कर सो जाते है.
लाज भी प्यार में एकदम पागल हो चुकी होती है वो अपनी माँ का खुबसूरत मोतियों का हार लेकर श्याम के साथ भागने के लिए स्टेशन के लिए रात में ही चोरी छुपे निकल लेती है. |
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#10 |
Administrator
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पहले तो मैंने सोचा था फिल्म की पूरी कहानी लिखू, मगर शायद पूरी कहानी पड़ने के बाद फिल्म देखने का मज़ा कम हो जायेगा. फिर भी कुछ और जानकारी दे देता हूँ.
श्याम स्टेशन पर लाज का मोतियों का हार ले कर भाग जाता है और लाज स्टेशन पर अकेली रह जाती है. ट्रेन में ही फिल्म के नायक प्राणनाथ कश्यप यानि देव साहब की इंट्री होती है. प्राणनाथ श्याम और लाज की बात सुन लेता है और उसे शक हो जाता है की दाल में कुछ कला है. इस बीच प्राणनाथ "है अपना दिल तो आवारा" गुनगुनाते हैं. |
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