12-01-2011, 09:17 AM | #1 |
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~!!श्रीमद्*भगवद्*गीता!!~
~!!श्रीमद्*भगवद्*गीता!!~ ( दोनों सेनाओं के प्रधान-प्रधान शूरवीरों की गणना और सामर्थ्य का कथन ) धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः । मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥ भावार्थ : धृतराष्ट्र बोले- हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित, युद्ध की इच्छावाले मेरे और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया?॥1॥ संजय उवाच दृष्टवा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा । आचार्यमुपसंगम्य राजा वचनमब्रवीत्* ॥ भावार्थ : संजय बोले- उस समय राजा दुर्योधन ने व्यूहरचनायुक्त पाण्डवों की सेना को देखा और द्रोणाचार्य के पास जाकर यह वचन कहा॥2॥ पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्* । व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता ॥ भावार्थ : हे आचार्य! आपके बुद्धिमान्* शिष्य द्रुपदपुत्र धृष्टद्युम्न द्वारा व्यूहाकार खड़ी की हुई पाण्डुपुत्रों की इस बड़ी भारी सेना को देखिए॥3॥ |
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